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सरसों की अधिक पैदावार के लिए विकसित की गई दो नई उन्नत किस्में

सरसों की उन्नत विकसित किस्में

देश में फसल उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा विभिन्न फसलों की नई-नई क़िस्में विकसित की जा रही हैं। जिसका मकसद फसलों को रोग, कीट से सुरक्षा देने के साथ ही उत्पादन को बढ़ाना है। इस कड़ी में हरियाणा के हिसार में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एएचयू) के वैज्ञानिकों ने सरसों की दो नई प्रजातियां विकसित की है। यह प्रजातियाँ उत्पादन में दूसरी किस्मों से काफी ज्यादा है तथा इसमें तेल की मात्रा 40 प्रतिशत तक है।

कुलपति प्रो.बीआर कांबोज ने बताया कि विश्वविद्यालय के तिलहन वैज्ञानिक की टीम के द्वारा सरसों की आरएच 1424 व आरएच 1706 दो नई किस्में विकसित की गई हैं। सिंचित क्षेत्र के लिए विकसित की गई सरसों की दोनों में किस्में इरुसिक एसिड की मात्रा भी 2 प्रतिशत से कम है। 

सरसों की नई किस्मों की उत्पादन कितना है ?

चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हरियाणा के द्वारा आरएच 1424 व आरएच 1706 किस्में विकसित की गई है। इस पर अधिक जानकारी अनुसंधान निदेशक डॉ. जीत राम शर्मा ने बताया कि बारानी अनुसंधान में नव विकसित किस्म आरएच 1424 में लोकप्रिय किस्म आरएच 725 की तुलना में 14 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की औसत उपज दर्ज की गई है। इसके बीजों में तेल की मात्रा 40.5 प्रतिशत होती है। जबकि आरएच 1706 किस्म का औसत उत्पादन 27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं। इस किस्म के बीज में तेल की मात्रा 38 प्रतिशत है।

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सरसों की नई किस्मों की विशेषताएँ क्या है

इन किस्मों की अधिक उपज और बेहतर तेल गुणवत्ता के कारण राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान, दुर्गापुर (राजस्थान) में अखिल भारतीय समान्वित अनुसंधान परियोजना (सरसों) की हुई बैठक में हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तरी राजस्थान और जम्मू राज्यों में खेती के लिए पहचान की गई हैं। आरएच 1424 किस्म इन राज्यों में समय पर बुवाई और बारानी परिस्थितियों में खेती के लिए जबकि आरएच 1706 जोकि एक मूल्य वर्धित किस्म है, इन राज्यों के सिंचित क्षेत्रों में समय पर बुवाई के लिए बहुत उपयुक्त किस्म पाई गई है। आरएच 1424 किस्म 139 दिनों में पककर तैयार हो जाती है जबकि आरएच 1706 किस्म पकने में 140 दिनों का समय लेती है।

इन वैज्ञानिकों ने विकसित की यह क़िस्में

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय देश में सरसों अनुसंधान में अग्रणी केंद्र है और अब तक यहां अच्छी उपज क्षमता वाली सरसों की कुल 21 किस्मों को विकसित किया गया है। हाल ही में यहां विकसित सरसों की किस्म आरएच 725 कई सरसों उगाने वाले राज्यों के किसानों के बीच बहुत लोकप्रिय है।

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विश्व विद्यालय के कुलपति ने बताया कि सरसों की इन किस्मों को तिलहन वैज्ञानिक की टीम द्वारा विकसित किया गया है। नई विकसित किये जाने वाले किस्मों में डॉ. राम अवतार, आरके श्योराण, नीरज कुमार, मंजीत सिंह, विवेक कुमार, अशोक कुमार, सुभाष चंद्र, राकेश पुनिया, निशा कुमारी, विनोद गोयल, दलीप कुमार, श्वेता कीर्ति पट्टम, महावीर और राजबीर सिंह शामिल है।

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