80 प्रतिशत तक की सब्सिडी पर कृषि यंत्र लेने के लिए आवेदन करें

कृषि यंत्र अनुदान हेतु आवेदन

सरकार द्वारा किसानों की आय बढ़ाने एवं कृषि के आधुनिकीकरण के लिए कई योजनाएँ चलाई जा रही है, इन योजनाओं के तहत किसानों को फसल बुआई से लेकर फसल कटाई, खाद्य प्रसंस्करण एवं फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कृषि यंत्र सब्सिडी पर दिए जाते हैं। किसान इन योजनाओं के तहत आवेदन कर कृषि यंत्र पर अनुदान प्राप्त कर सकते हैं। इस कड़ी में अभी हरियाणा सरकार ने राज्य के किसानों से फसल अवशेष प्रबंधन के लिए उपयोगी कृषि यंत्र एवं कस्टम हायरिंग केंद्र के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। 

योजना के तहत व्यक्तिगत किसान, किसान समूह, किसान उत्पादक संगठन एवं ग्राम पंचायत आवेदन कर सकते हैं। योजना का लाभ लेने के लिए अभी आवेदन चल रहे हैं, किसान 25 अगस्त, 2022 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

कृषि यंत्रों पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

योजना के तहत किसान व्यक्तिगत रूप से एवं समूह के आधार पर सकते हैं। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि पंजीकृत किसान समूह/ किसान उत्पादक संगठन/ ग्राम पंचायत को कस्टम हायरिंग सेन्टर स्थापित करने के लिए 80 प्रतिशत या अधिकतम अनुदान राशि व व्यक्तिगत श्रेणी में 50 प्रतिशत या अधिकतम अनुदान राशि दी जायेगी।

इन कृषि यंत्रों पर अनुदान Subsidy के लिए कर सकते हैं आवेदन

राज्य के किसान फसल अवशेष प्रबंधन हेतु आवश्यक कृषि यंत्र जैसे कि सुपर एसएमएस, बेलिंग मशीन, हैप्पी सीडर, रोटरी स्लेशर /श्रब मास्टर, पैडी स्ट्रॉ चोपर/ मल्चर, रिवर्सिबल प्लो, जीरो टिल ड्रिल, सुपर सीडर, ट्रेक्टर चालित/ स्वचालित क्रॉप रीपर / रीपर कम बाईंडर पर अनुदान प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। 

एक किसान विभिन्न प्रकार के अधिकतम 3 कृषि यंत्र ही ले सकता है और जिन किसानों ने पिछले दो वर्षों में जिन कृषि यंत्रों पर अनुदान लिया है, वे इस स्कीम में उस यंत्र के लिए अनुदान प्राप्त करने हेतू आवेदन करने के लिए पात्र नहीं होंगे। वहीं कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना हेतु अधिकतम 5 यंत्रों के लिए आवेदन किए जा सकते हैं।

किसानों को देना होगा टोकन राशि

किसानों के द्वारा पंजीकरण के बाद चयनित सूची में नाम आने के बावजूद भी कृषि यंत्र नहीं खरीदते हैं। इसको देखते हुए किसान को आवेदन के समय डिमांड ड्राफ्ट ऑनलाइन जमा करना होगा। ऑनलाइन आवेदन करने के लिए किसान को टोकन राशि 2500 रुपये एवं 5000 रुपये अलग-अलग कृषि यंत्र की अनुदान राशि के अनुसार ऑनलाइन ही जमा करवानी होगी। 2.5 लाख रूपये से कम मूल्य के कृषि यंत्र के लिए 2500 रुपए का डिमांड ड्राफ्ट बनाना होगा जबकि 2.5 लाख रूपये से अधिक मूल्य के कृषि यंत्र के लिए 5,000 रूपये का डिमांड ड्राफ्ट बनाना होगा।

कृषि यंत्रों पर अनुदान हेतु आवेदन हेतु आवश्यक दस्तावेज

योजना का लाभ लेने के लिए व्यक्तिगत लाभार्थी की श्रेणी में आवेदन करने के लिए किसान का ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर पंजीकृत होना अनिवार्य है। किसान के नाम रजिस्टर्ड ट्रैक्टर की वैध आर.सी, परिवार पहचान पत्र, पैन कार्ड, आधार कार्ड, स्वयं घोषणा पत्र, जमीन का विवरण एवं बैंक खाता होना भी आवश्यक है। अनुसूचित जाति के किसान के लिए जाति प्रमाण पत्र होना अनिवार्य है।

वहीं कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना हेतु आवेदन करने के लिए समिति का पंजीकरण, पैन कार्ड, ट्रेक्टर की आर. सी., बैंक खाते का विवरण व प्रधान का आधार कार्ड आवश्यक है।

अनुदान पर कृषि यंत्र अनुदान हेतु आवेदन कहाँ करें?

योजना का लाभ लेने के इच्छुक किसान 25 अगस्त, 2022 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को हरियाणा कृषि विभाग के पोर्टल  agriharyana.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसके अतिरिक्त किसान अधिक जानकारी के लिए उप निदेशक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग तथा संबंधित जिला के सहायक कृषि अभियन्ता के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। किसान अधिक जानकारी के लिए किसान 1800-180-2117 पर कॉल कर सकते हैं। 

सब्सिडी पर कृषि यंत्र लेने के लिए आवेदन हेतु क्लिक करें

पशुओं में तेज़ी से फैल रही है यह बीमारी, सरकार ने बचाव एवं सुरक्षा के लिए जारी की एडवाइजरी

पशुओं में लम्पी स्किन डिज़ीज़ रोग से बचाव एवं सुरक्षा


लम्पी स्किन डिजीज रोग या ढेलेदार त्वचा रोग गौवंशीय पशुओं में होने वाला विषाणुजनित संक्रामक रोग है। जो कि पॉक्स (माता) का वायरस है जिससे पशुओं में पॉक्स (माता) रोग होता है। वातावरण में गर्मी एवं नमी के बढ़ने के कारण देश के विभिन्न प्रदेशों में जैसे राजस्थान और गुजरात समेत 10 राज्यों में गाय भैंस में जानलेवा लंपी वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। जहां लाखों पशु इस रोग की चपेट में आ गए हैं, वहीं हज़ारों पशुओं की मृत्यु भी इस रोग से हो चुकी है। तेजी से फैल रहे इस रोग से किसानों को पशु हानि से बचाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है।

सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी के संबंध में पशुपालन विभाग के संबंधित अधिकारियों से कहा गया है कि गाइड-लाइन अनुसार रोग की पहचान एवं नियंत्रण के लिये सदैव सजग रहें। लक्षण दिखाई देने पर नमूने एकत्रित कर निर्धारित प्रपत्र में जानकारी राज्य पशु रोग अन्वेषण प्रयोगशाला भोपाल को भेजें।

पशुओं में इस तरह पहचानें लम्पी स्किन डिज़ीज़ रोग

लम्पी स्किन डिज़ीज़ पशुओं की वायरल बीमारी है, जो पॉक्स वायरस से मच्छर, मक्खी, टिक्स आदि से एक पशु से दूसरे पशु में फैलती है। शुरूआत में हल्का बुखार दो-तीन दिन के लिये रहता है। इसके बाद पूरे शरीर की चमड़ी में 2-3 सेंटीमीटर की गठानें निकल आती हैं। ये गठान गोल उभरी हुई होती है, जो चमड़ी के साथ मांसपेशियों की गहराई तक जाती है और मुँह, गले एवं श्वांस नली तक फैल जाती है। साथ ही लिम्फ नोड, पैरों में सूजन, दुग्ध उत्पादन में कमी, गर्भपात, बाँझपन और कभी-कभी पशु की मृत्यु भी हो जाती है।

अधिकतर संक्रमित पशु दो-तीन सप्ताह में ठीक हो जाते हैं, लेकिन दूध उत्पादकता में कमी कई सप्ताह तक बनी रहती है। मृत्यु दर एक से 5 प्रतिशत और संक्रामकता दर 10 से 20 प्रतिशत होती है। संक्रमण दर एवं मृत्यु दर के डेटा निर्धारित प्रपत्र में डीएचएडी को भेजा जाता है। पशुपालन विभाग द्वारा पशु पालकों से आग्रह किया जाता है कि एलएसडी से भयभीत न होकर उपरोक्त तरीकों से पशुओं का बचाव व उपचार करावें। विशेष परिस्थितियों में निकटम पशु चिकित्सक से तत्काल सम्पर्क करें।

लम्पी स्किन डिज़ीज़ से सुरक्षा एवं बचाव के उपाय

सरकार द्वारा जारी की गई एडवाइजरी में कहा गया है कि संक्रमित पशु को स्वस्थ पशु से तत्काल अलग करें। संक्रमित क्षेत्र में बीमारी फैलाने वाले मक्खी-मच्छर की रोकथाम के लिये आवश्यक कदम उठायें। संक्रमित क्षेत्र से अन्य क्षेत्रों में पशुओं का आवागमन प्रतिबंधित करें। संक्रमित क्षेत्र के बाजार में पशु बिक्री, पशु प्रदर्शनी, पशु संबंधित खेल आदि पर पूर्णत: प्रतिबंध लगायें। संक्रमित पशु का सेम्पल लेते समय पीपीई किट सहित सभी सुरक्षात्मक उपाय अपनायें। संक्रमित पशु प्रक्षेत्र, घर आदि जगहों पर साफ-सफाई, जीवाणु एवं विषाणुनाशक रसायन का प्रयोग करें।

लम्पी स्किन डिजीज रोग के उपचार के लिए करें पशुओं का वेक्सीनेशन 

राजस्थान सरकार के साथ हुई समीक्षा बैठक में केन्द्रीय पशुपालन मंत्री श्री पुरूषोतम रूपाला ने कहा कि इस वायरस जनित बीमारी को फैलने से रोकने के लिए पूरी क्षमता के साथ प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो पशु इससे सक्रंमित हो गए हैं, उन्हें स्वस्थ पशुओं से अलग रखें और स्वस्थ पशुओं का वेक्सीनेशन कराएं। उन्होंने कहा कि इस बीमारी से बचने के लिए गोट पॉक्स वेक्सीन पूरी तरह कारगर है। अति प्रभावित क्षेत्र में 3 एमएल के डोज का उपयोग करें और कम प्रभावित एवं अप्रभावित क्षेत्र के पशुओं को 1 एमएल का डोज लगाएं। 

लिस्ट आ गई है, इन किसानों को सब्सिडी पर दिए जाएँगे पाइप लाइन सेट, पम्प सेट एवं स्प्रिंकलर सेट

पाइप लाइन सेट, पम्प सेट एवं स्प्रिंकलर सेट सब्सिडी हेतु किसान लिस्ट

इस वित्त वर्ष में विभिन्न योजनाओं के तहत आवंटित बजट के तहत किसानों को सब्सिडी पर विभिन्न प्रकार के कृषि सिंचाई यंत्र अनुदान पर उपलब्ध कराने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों से आवेदन माँगे थे। जिसके तहत राज्य के इच्छुक किसान आवेदन कर चुके हैं। मध्यप्रदेश के कृषि विभाग द्वारा ज़िलेवार किसानों का चयन लॉटरी के माध्यम से कर लिया गया है, जिन किसानों ने इन योजनाओं के तहत आवेदन किया था।

बीते दिनों मध्य प्रदेश कृषि विभाग द्वारा वर्ष 2022-2023 हेतु राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना के विभिन्न घटकों के तहत ज़िलेवार सिंचाई यंत्रों के लिए लक्ष्य जारी किए गए थे। इन लक्ष्यों के विरुद्ध सिंचाई उपकरणों हेतु दिनांक 27 जुलाई 2022 से 4 अगस्त 2022 तक पोर्टल पर किसानों से आवेदन माँगे गए थे। प्राप्त आवेदनों में से लक्ष्यों के विरूद्ध लॉटरी ऑनलाइन सम्पादित 05 अगस्त 2022 को कर दी गई है, आवेदक किसान इस लिस्ट में अपना नाम देखकर आगे की कार्यवाही कर सकते हैं।

इन सिंचाई यंत्रों के लिए माँगे गए थे आवेदन 

मध्य प्रदेश कृषि विभाग द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना के विभिन्न घटकों के तहत निम्न सिंचाई उपकरणों के लिए आवेदन माँगे थे:-

  • स्प्रिंकलर सेट 
  • पाईप लाईन सेट 
  • पम्प सेट (डीजल/विद्युत) 
  • रेनगन सिस्टम

सिंचाई यंत्रों पर कितना अनुदान (Subsidy) दिया जाएगा?

राज्य में किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत अलग-अलग वर्ग के किसानों को अलग-अलग सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है। जहां सरकार द्वारा किसानों स्प्रिंक्लर सेट एवं रेनगन पर अधिकतम 55 प्रतिशत तक की सब्सिडी एवं अन्य सिंचाई उपकरणों पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है। किसान जो भी कृषि सिंचाई यंत्र लेना चाहते हैं वह कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर उपलब्ध सब्सिडी कैलकुलेटर पर सिंचाई यंत्र की लागत के अनुसार उनको मिलने वाली सब्सिडी की जानकारी देख सकते हैं।

यह किसान ले सकेंगे सब्सिडी पर सिंचाई यंत्र

अलग-अलग ज़िले एवं किसान वर्ग के अनुसार यह कम्प्यूटरीकृत लॉटरी निकाली गई है। इस लिस्ट में लक्ष्य से अधिक किसानों का नाम है जिसमें यदि चयनित किसान यंत्र नहीं लेते हैं तो वह यंत्र लेने का मौका अन्य किसानों को दिया जायेगा। उदहारण के लिए यदि किसी जिले में 10 किसानों को पम्प सेट Alloted किया गया है तो उसके अलावा 15 अन्य किसान हैं जो वेटिंग (Waiting) में है अर्थात इन किसानों को पम्प सेट एवं अन्य सिंचाई यंत्र तब ही दिया जायेगा जब ऊपर के चयनित किसान किसी कारण से सिंचाई यंत्र नहीं लेते हैं।

सिंचाई यंत्र सब्सिडी हेतु चयनित किसान लिस्ट कैसे देखें ?  

नीचे किसान समाधान द्वारा लिस्ट देखने के लिए लिंक दी गई है, इसके अतिरिक्त किसान सीधे ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर भी यह लिस्ट देख सकते हैं। किसान भाई उस लिंक को जैसे ही खोलेंगे वैसे ही कृषि अभियांत्रिकी के पोर्टल e-कृषि यंत्र अनुदान पर प्राथमिकता सूचि देखने के लिए पेज खुल जाएगा। याद रहे अभी जो किसान सूची जारी की गई है वह “कृषि कल्याण तथा कृषि विभाग” द्वारा 5 अगस्त 2022-23 के लिए जारी की गई है। किसान अधिक जानकारी के लिए जिला कृषि विभाग अथवा कृषि अभियांत्रिकी संचनालय में संपर्क कर सकते हैं।

पाइप लाइन सेट, पम्प सेट एवं स्प्रिंकलर सेट सब्सिडी हेतु किसान लिस्ट देखने के लिए क्लिक करें

1 लाख 20 हजार रुपए के अनुदान पर ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के लिए आवेदन करें

ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए अनुदान

सरकार द्वारा महँगे विदेशी फलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे किसानों की आमदनी को बढ़ाया जा सके। इसके लिए किसानों को सहायता प्रदान करने के लिए अनुदान भी दिया जाता है। इस कड़ी में हरियाणा सरकार ने ड्रैगन फ्रूट के लिए एक विशेष योजना शुरू की है, जिसके तहत किसानों को अनुदान देने के लिए सरकार ने आवेदन आमंत्रित किए हैं।

हरियाणा सरकार ने प्रदेश में ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष अनुदान योजना लागू की है। इस महंगे ड्रैगन फ्रूट की बाजार में मांग और इससे होने वाली आमदनी को देखते हुए इस फल की खेती मुनाफे का सौदा है। बागों की स्थापना से पानी की भी बचत होगी होगी और किसानों की आय में इजाफा होगा।

ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए दिया जाने वाला अनुदान Subsidy 

हरियाणा के एक एक सरकारी प्रवक्ता ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा में ड्रैगन फ्रूट के बाग के लिए 1,20,000 रुपए प्रति एकड़ के अनुदान का प्रावधान किया गया है। इसमें पौधा रोपण के लिए 50,000 रुपए एवं ट्रैलिसिंग सिस्टम (जाल प्रणाली) के लिए 70,000 रुपए प्रति एकड़ है। इस योजना के तहत एक किसान अधिकतम 10 एकड़ तक अनुदान की सुविधा का लाभ ले सकता है। किसानों को पौधा रोपण के लिए 50,000 रुपये का अनुदान तीन किस्तों में प्रथम वर्ष 30,000 रूपए, दूसरे वर्ष 10,000 रूपए व तीसरे वर्ष 10,000 रूपए दिये जाएंगे।

किसान योजना का लाभ लेने के लिए यहाँ करें आवेदन 

इस योजना के तहत एक किसान अधिकतम 10 एकड़ तक अनुदान की सुविधा का लाभ ले सकता है। अनुदान प्राप्त करने के लिए किसान का ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा‘ पोर्टल पर पंजीकरण करना अनिवार्य है।अनुदान ‘पहले आओ-पहले पाओ‘ के आधार पर दिया जाएगा। किसान बागवानी विभाग की वेबसाइट http://hortnet.gov.in पर जाकर आवदेन कर योजना का लाभ ले सकते हैं।

किसान योजना से जुड़ी अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए टोल फ़्री नम्बर 1800-180-2021 पर कॉल कर सकते हैं। या किसान अपने ज़िले के ज़िला उद्यान अधिकारी से सम्पर्क कर सकते हैं। किसान अधिक से अधिक विभिन्न फलों के बाग लगाकर अच्छा मुनाफा ले सकते है। बागों की स्थापना से जहां पानी की बचत है, वहीं फलों के बाग किसानों की आय में इजाफा करने में सहायक है।

लिस्ट आ गई है, इन किसानों को सब्सिडी पर दिए जाएँगे रोटावेटर एवं अन्य कृषि यंत्र

रोटावेटर एवं अन्य कृषि यंत्र सब्सिडी हेतु किसान लिस्ट

इस वित्त वर्ष किसानों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके इसके लिए सरकार ने किसानों से अलग-अलग योजनाओं के तहत आवेदन आमंत्रित कर रही है। इस कड़ी में बीते दिनों मध्य प्रदेश के कृषि अभियांत्रिकी संचनालय द्वारा किसानों को सब्सिडी पर रोटावेटर एवं अन्य कृषि यंत्रों के लिए आवेदन माँगे गए थे। जिसमें त्रि-स्तरीय चुनाव के चलते अभी तक किसानों का चयन नहीं किया गया था परंतु अब चुनाव प्रक्रिया पूर्ण होते ही कृषि अभियांत्रिकी विभाग ने लॉटरी जारी कर दी है।

राज्य के अलग-अलग ज़िलों के लिए सरकार ने विभिन्न कृषि यंत्रों के लिए अलग-अलग लक्ष्य जारी किए थे। जिसके तहत अलग-अलग वर्ग के किसान 25 मई 2022 से 6 जून 2022 तक आवेदन कर सकते थे। इस दौरान जिन किसानों ने आवेदन किया था उनमें से लॉटरी निकाल कर किसानों का चयन किया गया है। किसान यह सूची पोर्टल पर देख सकते हैं। यह लॉटरी विभाग द्वारा 5 अगस्त 2022 के दिन जारी की गई है।

इन कृषि यंत्रों के लिए किसानों से माँगे गए थे आवेदन

कृषि अभियांत्रिकी संचनालय की तरफ से विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए आवेदन माँगे गए थे, जो इस प्रकार हैं:– 

  • रोटावेटर 
  • रिवर्सिवल प्लाऊ/मेकेनिकल/हाइड्रोलिक
  • सीड ड्रिल 
  • सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल

यह किसान ले सकेंगे सब्सिडी पर कृषि यंत्र

अलग-अलग ज़िले एवं किसान वर्ग के अनुसार यह कम्प्यूटरीकृत लॉटरी निकाली गई है। इस लिस्ट में लक्ष्य से अधिक किसानों का नाम है जिसमें यदि चयनित किसान यंत्र नहीं लेते हैं तो वह यंत्र लेने का मौका अन्य किसानों को दिया जायेगा। उदहारण के लिए यदि किसी जिले में 4 किसानों को रोटावेटर Alloted किया गया है तो उसके अलावा 10 अन्य किसान हैं जो वेटिंग (Waiting) में है अर्थात इन किसानों को रोटावेटर एवं अन्य कृषि यंत्र तब ही दिया जायेगा जब ऊपर के चयनित किसान किसी कारण से कृषि यंत्र नहीं लेते हैं।

किसानों को कृषि यंत्रों पर सब्सिडी देने की प्रक्रिया में किया गया है परिवर्तन

अनुदान योजनाओं अंतर्गत किसानों को दिए जाने वाले अनुदान के भुगतान हेतु प्रक्रिया में परिवर्तन किया गया है अतः लॉटरी अंतर्गत चयनित किसान निम्नानुसार प्रक्रिया के अनुसार ही कार्यवाही करें- 

  • लॉटरी से चयन उपरांत किसानों को विभाग द्वारा क्रय स्वीकृति जारी की जायेगी। क्रय स्वीकृति हेतु यदि किसी अभिलेख की अतिरिक्त आवश्यकता होगी तो संबंधित कार्यालय द्वारा किसान को पृथक से अवगत कराया जायेगा। यदि किसी यंत्र हेतु धरोहर राशि का ड्रॉफ्ट भी चाहा गया है तो वह भी कार्यालय में प्रस्तुत किया जाना होगा। 
  • क्रय स्वीकृति जारी होने पर कृषक को अपनी पसंद के डीलर से चाहे गये मॉडल को खरीदने की दर के संबंध में मोलभाव कर अंतिम दर प्राप्त करनी होगी। डीलरों की सूची आवेदन के प्रिंट आउट के साथ प्राप्त होगी। 
  • पोर्टल पर प्रत्येक कृषक को कृषक लॉगइन अंतर्गत लॉगइन करके क्रय किये जाने वाले मॉडल तथा मोलभाव उपरांत निश्चित की गई खरीदने की दर के साथ-साथ निर्माता तथा संबंधित डीलर का चयन करना होगा।
  • किसानों द्वारा किसान लॉगइन अंतर्गत चयन किये गये डीलर के यहॉ ही उसका प्रकरण खुलेगा तथा आगे क्रय की कार्यवाही की जाना होगी।
  • शासन द्वारा नरसिंहपुर जिले का चयन “ई-रूपी वाउचर” से अनुदान भुगतान हेतु किया गया है अतः उपरोक्त 1 से 4 बिन्दुओं की कार्यवाही उपरांत आगे की कार्यवाही हेतु नरसिंहपुर जिले हेतु पृथक से निर्देश जारी किये जाएँगे। नरसिंहपुर जिले को छोड़कर अन्य जिलों में आगे की कार्यवाही पूर्व की व्यवस्था अंतर्गत ही होगी।

कृषि यंत्र सब्सिडी हेतु चयनित किसान लिस्ट कैसे देखें ? 

नीचे किसान समाधान द्वारा लिस्ट देखने के लिए लिंक दी गई है, इसके अतिरिक्त किसान सीधे ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर भी यह लिस्ट देख सकते हैं| किसान भाई उस लिंक को जैसे ही खोलेंगे वैसे ही कृषि अभियांत्रिकी के पोर्टल e-कृषि यंत्र अनुदान पर प्राथमिकता सूचि देखने के लिए पेज खुल जाएगा। याद रहे अभी जो किसान सूची जारी की गई है वह “कृषि अभियांत्रिकी” विभाग द्वारा 5 अगस्त 2022-23 के लिए जारी की गई है। किसान अधिक जानकारी के लिए जिला कृषि विभाग अथवा कृषि अभियांत्रिकी संचनालय में संपर्क कर सकते हैं।

चयनित किसानों की लिस्ट में अपना नाम देखने के लिए क्लिक करें

किसानों को फलों की खेती के लिए मिलेगा 50 प्रतिशत का अनुदान, सरकार ने शुष्क बागवानी योजना को दी मंजूरी

शुष्क बागवानी योजना के तहत फलों की खेती पर अनुदान

किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा बागवानी फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। बागवानी फसलों से किसान कम भूमि में अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं। जिसमें फलों की खेती में किसान एक बार पौधा लगाकर कई वर्षों तक इससे आय प्राप्त कर सकते हैं। बागवानी के महत्व को देखते हुए राज्य सरकारों के द्वारा नई-नई योजनाएँ शुरू की जा रही हैं, जिसके तहत प्रोत्साहन स्वरूप किसानों को अनुदान भी दिया जाता है। ऐसी ही एक योजना बिहार सरकार ने शुरू करने का फैसला लिया है जिसके तहत सरकार ने बजट का भी आवंटन कर दिया है। 

बिहार सरकार बागवानी के लिए सात निश्चय-2 के तहत सूक्ष्म सिंचाई आधारित शुष्क बागवानी योजना शुरू करने जा रही है। योजना के तहत उन फलदार पेड़ों को प्राथमिकता दी जाएगी जो कम पानी में भी अच्छा उत्पादन देते हैं। किसान योजना के तहत इन पौधों को अपने खेतों की मेड़ों पर भी लगा सकते हैं जिससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त होगी।

यह योजना कितनी भूमि वाले किसानों के लिए है ?

बिहार सरकार ने सूक्ष्म सिंचाई आधारित शुष्क बागवानी योजना के लिए 292.23 लाख रुपए की लागत पर 3 वर्षों हेतु स्वीकृति प्रदान कर दी है। राज्य सरकार ने पिछले वर्ष इस योजना के तहत 566 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बागवानी का विस्तार किया था। जिसे बढ़ाकर इस वर्ष योजना के अंतर्गत 875 हेक्टेयर क्षेत्र का विस्तार करने का लक्ष्य रखा है। इस योजना के अंतर्गत किसान फलदार पौधे हेतु अधिकतम 4 हेक्टेयर तथा न्यूनतम 0.1 हेक्टेयर के लिए आवेदन कर सकते हैं। योजना का कार्यान्वयन किसान अपने खेतों के मेड़ पर भी करवा सकते हैं।

इस योजना का लाभ उन किसानों को देय होगा, जो अनिवार्य रूप से ड्रिप सिंचाई संस्थापित किए हों अथवा जिनके द्वारा ड्रिप सिंचाई का संस्थापन का कार्य कराया जा रहा हो। फल पौधों के बीच ख़ाली जगह के लिए इच्छानुसार 7500 सब्जी पौधा प्रति हेक्टेयर एकीकृत उद्यान विकास योजना से किसानों की माँग अनुरूप उपलब्ध कराए जाएँगे। शुष्क बागवानी के फल पौधों के बढ़ने के पूर्व किसान सब्जी पौधों से आमदनी प्राप्त कर लाभ उठा सकते हैं। 

किसानों को कितना अनुदान दिया जाएगा? 

सूक्ष्म सिंचाई आधारित शुष्क बागवानी योजना के तहत कम पानी में होने वाले शुष्क फलों हेतु 0.60 लाख रूपये प्रति हेक्टेयर तीन वार्षिक किस्तों में लागत और रोपण सामग्री के मद में होने वाले व्यय को पूरा करने के लिए लिए दिया जाएगा। जो अधिकतम 0.30 लाख रूपये प्रति हेक्टेयर अथवा लागत का 50 प्रतिशत अनुदान जो भी कम हो दिए जाने का प्रावधान योजना के तहत किया गया है।

इन फलों की खेती पर मिलेगा अनुदान Subsidy

शुष्क बागवानी योजना का क्रियान्वयन राज्य के सभी 38 ज़िलों में किया जाएगा। योजना के तहत ज़िलेवार योजना संचालन हेतु 2400 किसानों को सेंटर ऑफ़ एक्सेलेंस द्वारा प्रशिक्षण भी दिया जायेगा। आवेदन के जाँच के उपरांत सभी शर्तों को पूरा करने वाले किसानों को सेंटर ऑफ़ एक्सेलेंस, देसरी, वैशाली से फल पौध यथा आँवला, बेर, जामुन, कटहल, बेल अनार, नींबू, एवं मीठा नींबू आदि कृषकों को उपलब्ध कराया जाएगा। किसान अपनी इच्छा अनुसार फल पौध का चयन करने के लिए स्वतंत्र होंगे। फल पौध के अनुदान की राशि योजना की राशि से काटकर सेंटर ऑफ़ ऑफ़ एक्सेलेंस, देसरी, वैशाली को उपलब्ध करा दी जाएगी।

ड्रिप एवं नलकूप खनन के लिए भी दिया जाएगा अनुदान Subsidy

सात निश्चय-2 के तहत सूक्ष्म सिंचाई आधारित शुष्क बागवानी योजना के तहत किसानों को ड्रिप लगाना जरुरी है। जिन किसानों ने पहले से ड्रिप लगाए हैं उन्हें दुबारा ड्रिप लगाने की जरूरत नहीं है। जो प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना अंतर्गत अनुदानित दर पर किया जाएगा एवं किसानों के आवश्यकतानुसार सामुदायिक नलकूप का भी अधिष्ठापन किया जाएगा, जो राज्य स्कीम मद से संचालित सामुदायिक नलकूप योजना अंतर्गत 100 प्रतिशत अनुदान से प्रति पूरित किया जाएगा। सामुदायिक नलकूप योजना का लाभ समूह में योजना लेने वाले किसानों को ही दिया जाएगा।

सरकार ने बढ़ाया गन्ने का मूल्य, अब किसान इस भाव पर चीनी मिलों को बेच सकेंगे गन्ना

गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) 2022-23

गन्ना उत्पादक किसानों के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी केंद्र सरकार ने गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) को बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। जिससे किसानों को गन्ने के उत्पादन में आ रही लागत को पूरा करने में मदद मिलेगी। किसानों को चीनी सीजन 2022-23 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए 10.25 प्रतिशत की मूल रिकवरी दर के लिए गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 305 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है।

केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद 10.25 प्रतिशत से अधिक की रिकवरी में प्रत्येक 0.1 प्रतिशत की वृद्धि के लिए 3.05 रुपये/ क्विंटल का प्रीमियम मिलेगा और रिकवरी में प्रत्येक 0.1 प्रतिशत की कमी के लिए 3.05 रुपये प्रति/क्विंटल की दर से उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में कमी होगी। परंतु चीनी मिलों के मामले में कोई कटौती नहीं होगी, जहां रिकवरी 9.5 प्रतिशत से कम है।

गन्ने के मूल्य में कितने रुपए की बढ़ोतरी की गई है?

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने गन्ना उत्पादक किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए चीनी सीजन 2022–23 (अक्टूबर-सितम्बर) के लिए गन्ना का नया लाभकारी मूल्य FRP जारी कर दिया है। पिछले वर्ष गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य 290 रूपये प्रति क्विंटल था, जिसमें 15 रूपये प्रति क्विंटल की वृद्धि से अब 305 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है।  

लागत मूल्य से 50 प्रतिशत अधिक है गन्ने का FRP

केंद्र सरकार ने गन्ने का FRP जारी करते हुए दावा किया कि सरकार किसानों को गन्ने की लागत मूल्य का 50 प्रतिशत से अधिक दे रही है। इस वर्ष जारी गन्ने के मूल्य में सरकार ने जानकारी दी है कि चीनी सीजन 2022–23 के लिए गन्ने के उत्पादन की A2+FL लागत (यानि वास्तविक भुगतान की गई लागत के साथ पारिवारिक श्रम का मूल्य) 162 रूपये प्रति क्विंटल है। इस वर्ष गन्ने की जारी मूल्य 305 रूपये प्रति क्विंटल का यह एफआरपी उत्पादन लागत से 88.3 प्रतिशत अधिक है।

पिछले 10 वर्षों में गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य इस प्रकार है ?

वर्ष दर वर्ष केंद्र सरकार के द्वारा गन्ने की उचित एवं लाभकारी मूल्य बढ़ाया जा रहा है। जिससे किसानों के गन्ने की लागत में आने वाले लागत की भरपाई किया जा रहा है। पिछले 10 वर्षों में केंद्र सरकार के द्वारा जारी किये गये गन्ने की उचित एवं लाभकारी मूल्य इस प्रकार है:-

वर्ष 
गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य FRP

2013–14 

210 रुपये

2014–15 

220 रुपये 

2015–16 

230 रुपये

2016–17 

230 रुपये

2017–18 

255 रुपये

2018–19 

275 रुपये

2019–20 

275 रुपये

2020–21 

285 रुपये

2021–22 

290 रुपये

2022–23 

305 रुपये

91.42 फ़ीसदी हो चूका है गन्ने का भुगतान

किसानों को गन्ना के मूल्य का भुगतान एक बड़ी समस्या है, कई बार लम्बे समय तक किसानों को अपने ही बेचे गए गन्ने का भुगतान नहीं हो पता है परंतु हाल ही के वर्षों में इसमें काफी सुधार हुआ है। पिछले चीनी सीजन 2020-21 में लगभग 92,938 करोड़ रूपये का गन्ना बकाया देय था, जिसमें से 92,710 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया है और केवल 228 करोड़ रूपये बकाया हैं। वर्तमान चीनी सीजन 2021–22 में 1,15,196 करोड़ रूपये में से किसानों को 1,05,322 करोड़ रूपये गन्ने के बकाया का भुगतान किया गया। 01 अगस्त 2022 तक इस प्रकार 91.42 प्रतिशत गन्ना बकाया का भुगतान कर दिया गया है जो कि पिछले चीनी सीजन की तुलना में अधिक है।

राज्य सरकार किसानों के लिए अलग से तय करती है गन्ने का मूल्य

केंद्र सरकार के द्वारा प्रत्येक वर्ष गन्ने का लाभकारी मूल्य तय किया जाता है। इसके अलावा कई राज्य सरकारें भी राज्य में किसानों के लिए गन्ने के लिए अलग से मूल्य जारी करती हैं, जो केंद्र के द्वारा जारी किए गए FRP से अधिक होता है। उसी मूल्य पर राज्य में चीनी मिलों के माध्यम से गन्ना की खरीदी की जाती है। वर्ष 2021–22 में इन राज्य सरकारों ने अलग से जारी किया है गन्ने का लाभकारी मूल्य:-

  • उत्तर प्रदेश – 340 रूपये प्रति क्विंटल,
  • पंजाब – 360 रूपये प्रति क्विंटल,
  • हरियाणा – 362 रूपये प्रति क्विंटल,
  • बिहार – 335 रूपये प्रति क्विंटल 

आम एवं लीची के बागों में थाला बनाने और कीटों से बचाव के लिए सरकार दे रही है अनुदान, किसान यहाँ करें आवेदन

बाग उत्थान योजना के तहत अनुदान

समय के साथ पुराने वृक्षों की उत्पादन क्षमता कम होती जाती हैं उनमें अनियमित फलन एक सामान्य समस्या है। साथ ही इन पेड़ों में बहुत से कीट एवं रोग लग जाते हैं, जिसके कारण भी फसल को काफ़ी नुकसान होता है। ऐसे में प्रत्येक वर्ष अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि किसान समय-समय पर इनका जीर्णोद्धार करें। इसके महत्व देखते हुए बिहार सरकार राज्य में पुराने बागों का जीर्णोद्धार के लिए अनुदान दे रही है, इसके लिए राज्य के चयनित ज़िलों के किसानों से आवेदन माँगे हैं। 

बिहार सरकार ने राज्य के किसानों से बाग उत्थान अभियान चला रही है, जिसके तहत किसानों को पेड़ के चारों और थाला का निर्माण करने में, पेड़ के स्तम्भ में जमीन से 1 मीटर ऊँचाई तक चूना, कीटनाशी एवं फफूँदनाशी के घोल से पुताई एवं पुताई से पहले पेड़ की छाल को साफ करना शामिल है। योजना के तहत किसान ऑनलाइन आवेदन 20 अगस्त   2022 तक कर सकते हैं। 

बाग उत्थान से क्या लाभ होगा? 

आम एवं लीची के बागों को स्वस्थ रखने, उत्पादकता बढ़ाने तथा अनियमित फलन को कम करने के लिए यह योजना उपयोगी है, जिससे किसानों को निम्न लाभ होंगे:-

  • विधिवत थाला निर्माण से आम एवं लीची के प्रभावकारी जड़ों द्वारा पोषक तत्वों की आपूर्ति होगी।
  • दीमक एवं फफूँद के दुष्परिणाम से बचाव तथा पेड़ों को स्वस्थ बनाए रखना, फलस्वरूप फलन में वृद्धि तथा किसानों की आमदनी में वृद्धि करना है।

थाला निर्माण के लिए कितना अनुदान दिया जाएगा?

योजना के तहत आम एवं लीची के 10 वर्षों या उससे अधिक के कम से कम 10 पेड़ों का बाग़ एक जगह होना अनिवार्य है। थाला निर्माण के लिए मुख्य तना के चारों ओर गोलाई 25-30 सेंटीमीटर चौड़ा तथा 20-25 सेंटीमीटर गहरा नाली (थाला) का निर्माण किया जाएगा। साथ ही साथ भीतरी भाग तथा नाला के बाहरी भाग में 45 सेंटीमीटर चौड़ा तथा 25-30 सेंटीमीटर ऊँचा मेढ़ का निर्माण किया जाएगा, जिसमें पटवन का कार्य सुनिश्चित किया जाएगा। 

इस तरह थाला निर्माण करने के लिए सरकार द्वारा इकाई लागत जो सरकार द्वारा 110 रुपए तय की गई है पर 50 प्रतिशत का अनुदान दिया जाएगा। जो 55 रुपए प्रति पेड़ होगा।

पुताई एवं रासायनिक दवाओं पर दिया जाने वाला अनुदान

योजना के तहत किसानों को पेड़ के चारों और थाला का निर्माण करने में, पेड़ के स्तम्भ में जमीन से 1 मीटर ऊँचाई तक चूना, कीटनाशी एवं फफूँदनाशी के घोल से पुताई के लिए भी अनुदान दिया जाएगा। जिसकी इकाई लागत सरकार द्वारा 50 रुपए रखी गई है, जिस पर किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। जो 25 रुपए प्रति पेड़ होगा।

पुताई के लिए किसानों को 5 लीटर पानी में 1 किलोग्राम चुना, 50 ml क्लोरपाईरीफोस 20EC,  एवं 15 ग्राम कॉपर आक्सीक्लोराइड (50% w/p) के मिश्रण से पेड़ के जमीन से 1 मीटर की ऊँचाई तक के लिए आवश्यक होगी। 

इन ज़िलों के किसानों को दिया जाएगा अनुदान

बाग उत्थान अभियान बिहार राज्य के 18 जिलों के लिए चलाया जा रहा है | इन सभी राज्यों के किसान योजना का लाभ उठा सकते हैं | यह जिला इस प्रकार है :- मुजफ्फरपुर, दरभंगा, वैशाली, समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, भागलपुर, मधुबनी, सीतामढ़ी, बांका, पूर्णिया, कटिहार, शिवहर, सहरसा, खगड़िया, मधेपुरा, सुपौल एवं अररिया।

योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को करना होगा यह काम

निजी क्षेत्र में थाला निर्माण एवं पुताई हेतु श्रमिक सहित आवश्यक सामानों यथा कुदाल, measuring tape, सुतली, चूना, क्लोरपाईरीफोस 20 EC, काँपर आक्सीक्लोराइड (50%W/P), इत्यादि की व्यवस्था कृषकों को स्वयं करना होगा | सामग्री का क्रय कृषि निदेशालय/जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा कीटनाशी/फफूंदनाशी/खाद एवं उर्वरक विक्रय हेतु लाइसेंस प्राप्त एजेंसियों/प्रतिष्ठानों/दुकानदारों से BFR 2005 के तहत क्रय किया जाएगा तथा GST युक्त पक्की रसीद अभिश्रव प्राप्त करना अनिवार्य होगा |

बाग उत्थान योजना के लिए किसान कहाँ आवेदन करें ?

योजना का लाभ उठाने के लिए किसान बिहार के उद्यानिकी विभाग पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन 20 अगस्त तक कर सकते हैं। योजना के तहत चयनित 18 ज़िलों के किसान ही अभी आवेदन कर सकते हैं। इच्छुक किसान जो योजना का लाभ लेना चाहते हैं http://horticulture.bihar.gov.in/HORTMIS/BaagUtthan/OnlineAppBaagUtthan.aspx लिंक पर आवेदन कर सकते हैं। योजना के तहत अधिक जानकारी के लिए किसान अपने ज़िले के सहायक निदेशक, उद्यान विभाग से सम्पर्क करें। 

741 खरीद केंद्रों पर इस दिन से शुरू होगी समर्थन मूल्य पर मूँग एवं उड़द की खरीदी

मूँग एवं उड़द की खरीदी

इस वर्ष अभी तक किसानों के द्वारा गर्मी में लगाई गई मूँग एवं उड़द की न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पर खरीद शुरू नहीं हो पाई है। जिससे किसानों को बहुत ही कम दामों पर इन फसलों को बेचना पड़ा है। इस स्थिति को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों से गर्मी के मौसम में लगाई गई मूँग एवं उड़द की उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का निर्णय लिया था, जिसकी खरीदी के लिए सरकार ने अब तारीखों का ऐलान कर दिया है।

किसानों से मूँग एवं उड़द फसल खरीदने के लिए सरकार ने ऑनलाइन पंजीयन के लिए 18 जुलाई से 28 जुलाई तक पोर्टल खोला था, जिसके तहत लगभग 2 लाख से अधिक किसानों ने पंजीयन कराया है। पंजीयन प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद 2 जुलाई को मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रालय में ग्रीष्मकालीन मूंग एवं उड़द के उपार्जन की समीक्षा बैठक आयोजन किया। 

कब से ख़रीदा जाएगा मूँग एवं उड़द

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि भारत सरकार की प्राईस सपोर्ट स्कीम में समर्थन मूल्य पर ग्रीष्मकालीन मूंग एवं उड़द का खरीदी 8 अगस्त से 30 सितम्बर तक की जाएगी। उन्होंने कहा कि उपार्जन में भ्रष्टाचार की संभावना नहीं हो, इसके लिए सभी व्यवस्थाएँ सुनिश्चित की जाएँ। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि यदि व्यापारियों द्वारा किसानों के नाम पर मूंग और उड़द का विक्रय किया जाए तो उसकी खरीदी किसी भी कीमत पर नहीं की जाए।

उन्होंने कहा कि किसानों से ही मूंग और उड़द का उपार्जन किया जाए। छोटे किसानों की शत-प्रतिशत मूंग और उड़द के उपार्जन को प्राथमिकता दें। उन्होंने कहा कि जहाँ तक संभव हो इलेक्ट्रानिक तोल कांटों से तुलाई की जाए। खरीदी लक्ष्य के अनुसार सुनिश्चित हो।

एक दिन में 25 किलो मूँग बेच सकेंगे किसान

बैठक में बताया गया कि मूंग एवं उड़द के उपार्जन के लिए 741 खरीदी केंद्र बनाए गए हैं। अभी 32 जिलों में मूंग फसल के लिए 2 लाख 34 हजार 749 कृषकों द्वारा 6 लाख एक हजार हेक्टेयर रकबे का पंजीयन कराया गया है। इसी तरह 10 जिलों में उड़द फसल का 7 हजार 329 कृषकों द्वारा 10 हजार हेक्टेयर रकबे का उपार्जन के लिए पंजीयन कराया गया है। भारत सरकार की प्राईस सपोर्ट स्कीम की गाईडलाइन के अनुसार प्रतिदिन प्रति कृषक 25 क्विंटल मात्रा का उपार्जन किया जाना प्रस्तावित है।

इस भाव पर होगी मूँग एवं उड़द की खरीद

सरकार द्वारा ग्रीष्मकालीन मूँग एवं उड़द की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जाएगी। विपणन वर्ष 2022-23 के लिए मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य 7 हजार 275 रूपए प्रति क्विंटल और उड़द का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6 हजार 300 रूपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।

अधिक वर्षा से हुए फसल नुकसान के आंकलन के लिए 5 अगस्त से शुरू की जाएगी गिरदावरी

फसल नुकसान के आंकलन के लिए गिरदावरी

इस वर्ष देश के अलग–अलग राज्यों में वर्षा का वितरण अभी तक असामान्य रहा है। बिहार, झारखंड तथा उत्तर प्रदेश में वर्षा सामान्य से काफी कम है तो दूसरी तरफ मध्य प्रदेश, हरियाणा, असम, राजस्थान जैसे राज्यों के कई जिलों में वर्षा काफी अधिक हुई है। दोनों ही परिस्थितियों में किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई के लिए सरकार द्वारा अलग-अलग योजनाओं के तहत किसानों को राहत देने के लिए योजनाएँ तैयार की जा रही है। 

हरियाणा के कुछ जिलों में अधिक वर्षा से गाँवों पानी भर गया है। इससे जन जीवन पर बुरा असर पड़ा है। इन जिलों के किसानों की फसल पूरी तरह से पानी में डूब गई है। इसको लेकर राज्य के उपमुख्यमंत्री श्री दुष्यंत चौटाला ने समीक्षा करते हुए अधिकारियों को गावों से पानी निकालने का आदेश दिया है। सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, जींद आदि जिलों के किसानों की फसल नुकसानी को देखते हुए राज्य में गिरदावरी कराने का आदेश दिए गए हैं।

5 अगस्त से की जाएगी गिरदावरी

हरियाणा में पिछले 25-30 सालों में पहली बार अधिक वर्षा के कारण जल भराव की स्थिति बन गई है, जिसके कारण फसलों को काफी नुकसान हुआ है। जिसके आंकलन के लिए हरियाणा सरकार ने राज्य के किसानों की फसलों का गिरदावरी करने जा रही है। जलभराव वाले क्षेत्रों की 5 अगस्त से गिरदावरी शुरू हो जाएगी। उपमुख्यमंत्री ने किसानों से भी अपील की कि वे अपनी फसल खराबे का विवरण “मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल” पर अवश्य दर्ज करवाएं।

किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ उठा सकते हैं 

हरियाणा में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू है, इस योजना के तहत किसानों को फसल क्षतिपूर्ति की भरपाई की जाती है। जिन किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अपने फसलों का बीमा कराया है वे इस योजना का लाभ उठाने के लिए बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर पर फोन कर शिकायत दर्ज कराएं। इसके अलावा किसान संबंधित बैंक से संपर्क कर के फसल नुकसानी की क्षति पूर्ति के आंकलन के लिए आवेदन कर सकते हैं।