कृषि अनुसंधान संस्थान ने विकसित की गेहूं की नई किस्म वी.एल. 2041, जानें क्या है किस्म की विशेषताएँ

गेहूं नई विकसित किस्म वी.एल. 2041

देश में कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा किसानों की आय बढ़ाने, फसल का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए विभिन्न फसलों की नई-नई क़िस्में विकसित की जा रही है। इस कड़ी में भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा द्वारा गेहूँ की एक नयी प्रजाति वी.एल. 2041 विकसित की गयी है जो कि बिस्कुट बनाने के लिए अत्यधिक उपयुक्त किस्म है। इस प्रजाति की पहचान 61वीं अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ शोधकर्ताओं की वार्षिक बैठक में की गई, जिसका आयोजन दिनांक 29 से 31 अगस्त 2022 को राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में आयोजित की गई।

क्या है गेहूं की विकसित किस्म वी.एल. 2041 की विशेषताएँ

यह किस्म अखिल भारतीय परीक्षणों में उपजाऊ दशा में तीन वर्षों की औसत उपज 29.06 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा सिंचित दशा में 49.08 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त की गई है, जो कि वर्तमान प्रचलित गेहूं की किस्में नामतः एच.एस. 507, वी.एल. 907 एवं एच.पी.डब्ल्यू. 349 से क्रमशः 2.02, 5.08, 2.01 एवं 5.51, 4.84 और 4.4 प्रतिशत अधिक है। साथ ही इस गेहूं किस्म की फसल में लगने वाली बीमारी गेहूँ का ब्लास्ट रोग के लिए भी मध्यम रूप से प्रतिरोधी है। यह प्रजाति “भूरा तथा पीला रतुआ रोग हेतु प्रतिरोधी” भी है।

बिस्कुट बनाने के लिए उपयोगी है गेहूं कि यह किस्म

गेहूं की इस विकसित किस्म पर पिछले 3 वर्षों में सिंचित एवं वर्षा आधारित परिस्थितियों में परीक्षण किया गया है। कुल 24 वर्षा आश्रित एवं 05 सिंचित प्रजाति का अखिल भारतीय परीक्षणों में इसकी बिस्किट क्वालिटी (फैलाव गुणांक) 11.07 आया है, जो कि पूरे देश में सर्वाधिक है। साथ ही इस किस्म में औसतन 9.07 प्रतिशत प्रोटीन तथा इसका दाना (दाना कठोरता सूचकांक 22.6) मुलायम है। ये सभी गुण, इस प्रजाति को बिस्कुट बनाने हेतु अभी तक की सबसे उपयुक्त किस्म बनाती हैं। यह प्रजाति बिस्कुट बनाने वाली उद्योगों के लिए लाभप्रद सिद्ध होगी तथा किसानों को भी इसकी उपज का अच्छा मूल्य मिलने की संभावना है।

मछली पालन करने वाले किसान सितंबर महीने में करें यह काम

सितंबर माह में मछली पालन के लिए किए जाने वाले कार्य

देश में मछली पालन अच्छी आय के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन का अच्छा ज़रिया है। ऐसे में मछली उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए समय-समय पर मछली पालन विभाग द्वारा विशेष सलाह जारी की जाती है। इस कड़ी में बिहार पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा मछली पालकों के लिए सितंबर महीने में किए जाने वाले कार्यों के लिए विशेष सलाह जारी की है।

जारी की गई सलाह में बताया गया है कि मत्स्य बीज उत्पादकों को सितंबर माह के प्रथम सप्ताह के बाद स्पॉन उत्पादन का कार्य बंद कर देना चाहिए। इसके अलावा इस माह मछलियों को कौन सा आहार खिलाएँ एवं तालाब का पानी हरा होने पर क्या करें इसकी जानकारी दी गई है।

मछली को खिलाए यह आहार

पंगेशियस मछली के पालन करने वाले किसानों को पूरक आहार प्रबंधन के क्रम में मछली के कुल औसत वजन के हिसाब से छः माह की पालन अवधि में क्रमशः 6%, 5%, 4%, 3%, 2%, 1.5% प्रथम माह से छठा माह तक पूरक आहार देना चाहिए। पालन अवधि में मछली के औसत वजन के हिसाब से प्रथम दो माह 32% प्रोटीन युक्त आहार अगले दो माह 28% प्रोटीन युक्त आहार पाँचवे माह में 25% प्रोटीन युक्त आहार एवं छठे माह में 20% प्रोटीनयुक्त आहार प्राथमिकता के आधार पर प्रयोग करें। मौसम का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से कम एवं 36 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा होने पर पूरक आहार का प्रयोग आधा कर देना चाहिए।

मछली की जल्द बढ़वार के लिए फ़ील्ड सप्लीमेंट के रूप में प्रति किलोग्राम पूरक आहार में 100 ग्राम सूक्ष्म खनिज तत्व, 2-5 ग्राम गट प्रोबायोटिक्स को वनस्पति तेल या बाजार में उपलब्ध कोई भी बाइंडर 30 एम.एल/किलोग्राम भोजन में मिलाकर प्रतिदिन खिलाना चाहिए।

तालाब का पानी हरा होने पर क्या करें 

यदि तालाब का पानी अत्याधिक हरा हो जाने पर रासायनिक उर्वरक एवं चूना का प्रयोग एक माह तक बंद कर देना चाहिए, इसके बाद भी यदि हरापन नियंत्रित नहीं हो तो दोपहर के समय 800 ग्राम कॉपर सल्फेट या 250 ग्राम एट्राजीन (50%) प्रति एकड़ की दर से 100 लीटर पानी में घोल कर तालाब में छिड़काव करना चाहिए। तालाब में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर औटूमैस या एडऑक्सी या ऑक्सी ग्रे या आप्टी ऑक्सीजन नाम की दवा छिड़काव 400 ग्राम/एकड़ की दर से करें। नर्सरी तालाब में अत्याधिक रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं करना चाहिए। 

रोगों की रोकथाम के लिए क्या करें?

मछली को संक्रमण से बचाने हेतु प्रति 15 दिन पर पीएच मान के अनुसार 10-15 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से चूना घोल कर छिड़काव करें एवं माह में एक बार प्रति एकड़ की दर से 400 ग्राम पोटाशियम परमेगनेट को पानी में घोलकर छिड़काव करें।

मछली को पारासाईटिक संक्रमण से बचाने हेतु फसल चक्र में दो बार (दो माह पर) 40 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से नमक को पानी में घोलकर छिड़काव करें। माह में एक सप्ताह प्रति किलोग्राम पूरक आहार में 10 ग्राम नमक मिलाकर मछलियों को खिलाएँ।

75 प्रतिशत की सब्सिडी पर मखाना की खेती करने के लिए आवेदन करें

मखाना की खेती के लिए अनुदान

किसानों की आय बढ़ाने एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के सृजन के लिए उद्यानिकी फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस कड़ी में बिहार सरकार द्वारा राज्य में मखाना उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मखाना की नई विकसित किस्मों की खेती करने पर किसानों को अनुदान दिया जा रहा है। बिहार सरकार ने इस कड़ी में अभी मखाना की खेती के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। इच्छुक किसान 5 सितंबर से योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं।

बिहार सरकार मिथिला के मखाना को जीआई यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग मिलने के बाद सूबे के उद्यान निदेशालय ने कोसी, सीमांचल और मिथिलांचल के 11 ज़िले में मखाना की खेती को बढ़ावा देने की योजना लाई है। मखाना विकास योजना से आच्छादित कर वहाँ उच्च प्रजाति के बीज से खेती करा अधिक उत्पादकता लाने की कोशिश है।

मखाना उत्पादन के लिए दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

राज्य किसानों को मखाना की खेती से अधिक से अधिक संख्या में जोड़ने के लिए 75 प्रतिशत तक अनुदान राशि देने की क़वायद की है। किसानों को मखाना की खेती करने के लिए अनुदान राशि पर बीज मिलेगा। मखाना के उच्च प्रजाति के बीज लगाने की प्रति हेक्टेयर इकाई लागत राशि 97 हजार रुपए है। योजना के अंतर्गत किसानों को लागत मूल्य का 75 प्रतिशत या अधिकतम 72 हजार 750 रुपए प्रति हेक्टेयर सहायता अनुदान राशि तय की गई है।

इन उच्च किस्मों की खेती पर दिया जायेगा अनुदान

मखाना विकास योजना के तहत उच्च प्रजाति के बीज से खेती की जाएगी। जिससे उपजने के बाद मखाना का आकार अभी के मुक़ाबले बड़ा और चमकीला होगा। सबौर मखाना-1 और स्वर्ण वैदेही प्रभेद के बीज के प्रयोग से मखाना की उत्पादकता 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से बढ़कर क़रीब 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुँचने की पूरी संभावना जताई जा रही है। इन बीज के मखाना का आकार बड़ा होता है, यह चमकीला भी होता है। इन किस्मों से कम खर्च में अधिक फसल प्राप्त की जा सकती है।

योजना के तहत पूर्णिया और दरभंगा मखाना बीज का स्त्रोत होगा। भोला शास्त्री कृषि महाविद्यालय पूर्णिया से सबौर मखाना-1 और मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा से स्वर्ण वैदेही मखाना बीज किसानों को दिए जाएँगे।

इन ज़िलों के किसान कर सकते हैं योजना के तहत आवेदन

मखाना विकास योजना के तहत बिहार राज्य के 11 ज़िलों का चयन किया है। योजना के तहत कटिहार, दरभंगा, सुपौल, किशनगंज, पूर्णिया, सहरसा, अररिया, पश्चिम चंपारण, मधेपुरा, मधुबनी एवं सीतामढ़ी ज़िलों के किसान योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं।

सबौर मखाना-1 खेतों में उपजता है जबकि स्वर्ण वैदेही बीज की खेती तालाबों में की जाती है। कोसी और सीमांचल क्षेत्र में खेत में मखाना उपजाया जाता है इसलिए इन क्षेत्रों के लिए सबौर मखाना-1 बीज उपयुक्त है। वहीं मिथिलांचल के इलाक़ों में तालाब में मखाना की खेती होती है इस कारण से इन क्षेत्रों के लिए स्वर्ण वैदेही बीज उपयुक्त है।

मखाना खेती पर अनुदान के लिए आवेदन कहाँ करें?

बिहार उद्यानिकी विभाग द्वारा सब्सिडी पर मखाना की खेती के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं, योजना के तहत किसान 5 सितंबर 2022 से 20 सितंबर तक 2022 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। किसान पास के CSC सेंटर से या फिर horticulture.bihar.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकेंगे। किसान विशेष जानकारी के लिए सम्बंधित ज़िला के सहायक निदेशक उद्यान से सम्पर्क कर सकते हैं।

सब्सिडी पर मखाना की खेती के लिए आवेदन करने हेतु क्लिक करें

किसानों को 30 सितंबर तक जारी किए जाएँगे कृषि बिजली कनेक्शन

कृषि बिजली कनेक्शन

किसानों को रबी सीजन में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकारों के द्वारा तैयारी शुरू कर दी गई है। ऐसे में जिन किसानों ने नए बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन किए है, उन किसानों को नए बिजली कनेक्शन जारी किए जा रहे हैं। इस कड़ी में राजस्थान के ऊर्जा सलाहकार श्री ए.के. गुप्ता ने जयपुर डिस्कॉम के उच्चाधिकारियों से चर्चा की और बजट घोषणा के अनुसार कृषि कनेक्शन जारी करने के कार्य की प्रगति की जानकारी ली। उन्होंने किसानों को लम्बित कृषि कनेक्शनों को 30 सितम्बर, 2022 तक जारी करने का सुझाव दिया ताकि आगामी रबी की फसल में किसानों को इसका लाभ मिल सके।

जारी किए जाएँगे 10906 कृषि कनेक्शन

बैठक में बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में 10906 कनेक्शनों में से 6235 कनेक्शन जारी हो चुके है और 2570 कनेक्शन ऐसे है जो राईट ऑफ वे (ROW) या मौके पर ट्यूबवैल नही होने की वजह से जारी नही हो सकते है। शेष 2101 कनेक्शनों को 30 सितम्बर तक जारी कर दिया जाएगा जिसके लिए आवश्यक सामान उपलब्ध करवा दिया गया है। 

विवादित कनेक्शनों के मामलों में कनिष्ठ अभियन्ता द्वारा मौके पर जाकर इसकी रिपोर्ट तैयार कर सत्यापित की जावे और इस रिपोर्ट को सहायक अभियन्ता एवं अधिशाषी अभियन्ता द्वारा प्रमाणित करने के उपरान्त सम्बन्धित आवेदक को नोटिस जारी करने की कार्यवाही की जाएगी।

समय पर बदले जाएँगे ट्रांसफार्मर 

रबी सीजन मे किसानों को निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए पर्याप्त मात्रा में ट्रांसफार्मर स्टोर में रखे जायें, जिससे ट्रांसफार्मर खराब होने की स्थिति में निर्धारित समय में इसे बदलने की व्यवस्था हो सके। उन्होंने कहा कि कॉल सेन्टर एवं हेल्प डेस्क में दर्ज होने वाली उपभोक्ता शिकायतों का नियमित रूप से विश्लेषण किया जाये और यह भी देखा जाये कि रिपीट होने वाली शिकायतें कितनी है और इसके क्या कारण है एवं कारणों का पता लगा कर उसे दूर करने के प्रयास किये जाये।

अप्रैल 2023 से जयपुर डिस्कॉम के सभी जिलों में किसानों को कृषि कार्य के लिए दिन के 2 ब्लॉक में बिजली आपूर्ती के लिए विद्युत तंत्र के सुदृढीकरण व अन्य आवश्यक कार्य की प्रगति की समीक्षा भी बैठक में की गई।

वर्षा पूर्वानुमान: जानिए सितंबर महीने में किस राज्य में होगी कैसी बारिश

सितंबर महीने में वर्षा का पूर्वानुमान

वर्ष 2022 में मानसूनी वर्षा का यह आखरी महीना चल रहा है, इसके बाद मानसून की वापसी हो जाएगी। इस वर्ष अभी तक जहाँ कई राज्यों में अधिक वर्षा हुई है तो वहीं कई राज्य अभी तक सूखे का सामना कर रहे हैं। ऐसे में किसानों के लिए अच्छी खबर सामने आई है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग IMD ने इस वर्ष सितंबर माह के लिए मानसूनी वर्षा का पूर्वानुमान जारी कर दिया है। पूर्वानुमान के अनुसार सितंबर महीने में अधिकांश क्षेत्रों में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना व्यक्त की गई है।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग IMD द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य या सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है, केवल पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्सों और पूर्व तथा उत्तर पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर जहाँ सामान्य से कम वर्षा होने की संभावना है। पूरे देश में सितंबर 2022 के लिए मासिक वर्षा सामान्य से अधिक दीर्घ अवधि के औसत (एलपीए) का 109% होने की संभावना है।

सितंबर में कहाँ होगी कैसी वर्षा

सितंबर 2022 के दौरान पूरे देश में औसत वर्षा सामान्य से अधिक एलपीए का 109 प्रतिशत होने की संभावना है, जहां सितम्बर माह के दौरान देश भर में वर्षा का एलपीए लगभग 167.9 मिमी है। स्थानिक वितरण के अनुसार देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य या सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है, केवल उत्तर भारत के कई हिस्सों और पूर्व तथा उत्तर पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर, जहां सामान्य से कम वर्षा होने की संभावना है।

September Rain Forecast

चित्र में हरे एवं नीले रंग से दिखाए गए क्षेत्र केरल, महाराष्ट्र, उत्तरी-पश्चिमी कर्नाटक के जिले, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, गुजरात, पूर्वी राजस्थान, उत्तरी एवं पूर्वी मध्य प्रदेश, दक्षिणी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर राज्यों के अधिकांश हिस्सों में सामान्य या सामान्य से अधिक वर्षा होने की सम्भावना है। वहीं चित्र में पीले एवं लाल रंगो से दर्शाए गए क्षेत्रों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तरी उत्तर प्रदेश, सिक्किम, लद्दाख, असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर एवं मेघालय राज्यों के अधिकांश हिस्सों में सामान्य या सामान्य से कम वर्षा होने की संभावना है। 

10 लाख रुपए तक की सब्सिडी पर कृषि यंत्र लेकर कस्टम हायरिंग केंद्र की स्थापना हेतु आवेदन करें

कस्टम हायरिंग केंद्र CHC की स्थापना हेतु आवेदन

देश में सभी किसानों को कृषि कार्यों के लिए महँगे कृषि यंत्र आसानी से कम दामों पर मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा कृषि यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी दी जाती है, परंतु  महँगे होने के कारण सभी किसान सभी तरह के कृषि यंत्र खरीद नहीं सकते हैं। ऐसे में किसानों को आवश्यकता अनुसार कम दामों पर कृषि यंत्र मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा कस्टम हायरिंग केंद्र CHC की स्थापना की जा रही है, जहां से किसान कम दरों पर कृषि यंत्र किराए पर लेकर खेती-किसानी के कार्य कर सकते हैं। सरकार द्वारा इन कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना के लिए अनुदान दिया जाता है।

इस कड़ी में मध्य प्रदेश कृषि अभियांत्रिकी संचानालय द्वारा राज्य के सभी वर्ग एवं सभी ज़िलों के किसानों के लिए कस्टम हायरिंग केंद्र की स्थापना के लिए लक्ष्य जारी किए गए हैं। जारी लक्ष्य के विरुद्ध राज्य के किसान 12 सितम्बर तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। योजना के तहत किसानों को कृषि यंत्रों की खरीद पर अनुदान के साथ ही बैंक ऋण पर भी अनुदान दिया जायेगा।

कस्टम हायरिंग केंद्र की स्थापना के लिए इन कृषि यंत्रों की खरीद पर दी जाएगी सब्सिडी

योजना के तहत चयनित किसानों के अनुदान राशि केवल मशीनों/यंत्रों की लागत के आधार पर दी जाएगी। मशीनों/ यंत्रों के रख रखाव, शेड निर्माण एवं आवश्यकता अनुसार भूमि आदि की व्यवस्था आवेदक को स्वयं ही करनी होगी। एक किसान को एक कस्टम हायरिंग केंद्र की स्थापना के लिए एक ट्रैक्टर, एक प्लाऊ अथवा पॉवर हेरो, एक रोटावेटर, एक कल्टीवेटर अथवा डिस्क हेरो, एक सीड कम फर्टिलाईजर ड्रिल अथवा अन्य ट्रैक्टर चलित बुबाई यंत्र, एक ट्रैक्टर चलित थ्रेशर अथवा स्ट्रॉ रीपर अनिवार्य रूप ख़रीदना होगा।

वहीं लाभार्थी किसान यदि चाहे तो प्रोजेक्ट की लागत सीमा के अंतर्गत स्थानीय तथा फसल की आवश्यकता अनुसार ऐच्छिक रूप से भी अन्य कृषि यंत्र जैसे:- रेज्ड बेड प्लांटर, जीरो टिलेज सीड ड्रिल, गार्लिक प्लांटर, वेजिटेबल प्लांटर, पोटेटो प्लांटर, शुगरकेन कटर–प्लांटर, मल्टीक्राप प्लांटर, ट्रैक्टर माउन्टेड रीपर, कॉटन पीकर, ट्रैक्टर माउन्टेड स्प्रेयर, पावर स्प्रेयर, एरो ब्लास्टर स्प्रेयर, लेजर लेंड लेवलर, स्ट्रॉ रीपर, सीड ग्रेडर, पावर टिलर, सेल्फ प्रोपेल्ड रीपर, राईस ट्रांस्प्लांटर, रीपर कम बाइन्डर, पोटेटो डिगर, एक्सियल फ्लो पेडी थ्रेसर, हैप्पी सीडर, रोटरी प्लाऊ आदि कृषि यंत्र भी खरीद सकता है।

कस्टम हायरिंग केंद्र पर अनुदान हेतु आवेदन के लिए महत्वपूर्ण तिथियाँ

मध्यप्रदेश राज्य के सभी वर्गों एवं सभी ज़िलों के किसान योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। राज्य में आवेदन प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है अतः किसान 1 सितंबर 2022 से 12 सितंबर 2022 के दौरान ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के बाद 14 सितंबर 2022 को दोपहर 12 बजे कम्प्यूटरायज़्ड लाटरी के माध्यम से किसानों का चयन कर सूची जारी की जाएगी, जो किसान www.chc.mpdage.org पोर्टल पर शाम 4 बजे देख सकते हैं। जिसके बाद 15-16 सितंबर 2022 तक प्रातः 10:30 से शाम 5:30 तक ज़िलेवार आवेदकों के अभिलेखों का सत्यापन एवं बैंक ड्राफ़्ट जमा किए जाने का कार्य किया जायेगा।

कस्टम हायरिंग सेंटर के तहत दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के किसानों को कस्टम हायरिंग केंद्र हेतु आवश्यक ट्रैक्टर एवं कृषि यंत्रों से सम्बंधित कृषि मशीनों के क्रय की लागत पर आवेदकों (सामान्य , अनुसूचित जाति एवं जनजाति) को 40 प्रतिशत अधिकतम 10 लाख रुपए तक का “क्रेडिट लिंक्ड बैक एंडेड” अनुदान दिया जायेगा। अनुदान की गणना “सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर मेकेनाइजेशन योजना” में प्रत्येक यंत्र हेतु दिए गए प्रावधान अनुसार अधिकतम सीमा तक की जाएगी। इसके अलावा किसानों को एग्रीकल्चर इंफ़्रास्ट्राक्चर फंड योजना को इस योजना के साथ जोड़ा जा सकता है। जिससे लाभार्थी को 3 प्रतिशत की दर से ब्याज अनुदान तथा कोलेटेरल हेतु सीजीटीएमएसई अंतर्गत भारत सरकार की गारंटी प्राप्त होती है। 

क्रेडिट लिंक्ड बैक एंडेड सब्सिडी से तात्पर्य यह है कि शासन द्वारा अनुदान बैंक को दिया जायेगा। अनुदान का समायोजन हितग्राही द्वारा बैंक के ऋण को पूर्ण रूप से चुकाने के बाद हितग्राही के खाते में किया जायेगा। इस अनुदान राशि एवं मार्जिन मनी को कुल प्रोजेक्ट राशि से घटाने के उपरांत बची शेष राशि पर ही बैंक द्वारा ब्याज लिया जायेगा। हितग्राही द्वारा बैंक ऋण वापस न करने की स्थिति में (डिफाल्टर घोषित होने पर) अनुदान राशि उसे नहीं दी जाएगी तथा इस राशि को भी ऋण मानते हुए बैंक द्वारा पूरी राशि की वसूली हितग्राही से की जाएगी।  

कस्टम हायरिंग केंद्र पर अनुदान की स्थापना हेतु आवेदन कैसे करें ?

मध्य प्रदेश सरकार ने वर्ष 2022-23 में राज्य के प्रत्येक ज़िले के लिए 7 कस्टम हायरिंग केंद्रों की स्थापना किए जाने के लिए लक्ष्य रखे गए हैं। योजना के अंतर्गत प्राप्त आवेदन इस वर्ष के लिए ही वैद्य रहेंगे। प्रत्येक आवेदक को आवेदन हेतु धरोहर राशि 10000/- रुपए का बैंक ड्राफ़्ट के रूप में अपने संभाग के सहायक कृषि यंत्री के नाम से बनवाना होगा। ऑनलाइन आवेदन के साथ धरोहर राशि के बैंक ड्राफ़्ट की स्कैन प्रति अपलोड की जाना होगी। बैंक ड्राफ़्ट की मूल प्रति अभिलेखों के सत्यापन के समय सम्बंधित कार्यालय में जमा करायी जानी अनिवार्य होगी।

किसानों को इस नाम से बनवाना होगा बैंक ड्राफ़्ट

आवेदन के लिए जिले
अधिकारी जिसके नाम धरोहर राशि का बैंक ड्राफ़्ट बनाया जाना है।
संभागीय कृषि यंत्री कार्यालय का पता तथा फोन नम्बर

भोपाल संभाग एवं नर्मदापुरम संभाग के सभी जिले

“सहायक कृषि यंत्री, भोपाल”

संभागीय कृषि यंत्री, नई जेल रोड, ग्राम-बड़वई भोपाल, दूरभाष- 0755-2736200

इंदौर संभाग एवं उज्जैन संभाग के सभी जिले

“सहायक कृषि यंत्री, इंदौर”

संभागीय कृषि यंत्री, 303 सेटेलाईट बिल्डिंग, कलेक्ट्रेट भवन, इंदौर दूरभाष- 0731- 2368440

रीवा संभाग एवं शहडोल संभाग के सभी जिले

“सहायक कृषि यंत्री, सतना”

संभागीय कृषि यंत्री, सिविल लाईन, पन्ना रोड सतना, दूरभाष – 07672 – 222223

जबलपुर संभाग के सभी जिले

“सहायक कृषि यंत्री, जबलपुर”

संभागीय कृषि यंत्री, संजय नगर, आधारताल, जबलपुर, दूरभाष – 0761 – 2680928

सागर संभाग के सभी जिले

“सहायक कृषि यंत्री, सागर”

संभागीय कार्यपालन यंत्री, वृन्द्वान बाग़ ट्रस्ट, गोपालगंज, सागर, दूरभाष – 07528 – 241554

ग्वालियर संभाग एवं चंबल संभाग के सभी जिले

“सहायक कृषि यंत्री, ग्वालियर”

संभागीय कृषि यंत्री, मेला ग्राउंड के सामने, रेस कोर्स रोड, ग्वालियर, दूरभाष – 0751–2364595

योजना के अंतर्गत उपयुक्त पाए गए आवेदकों की धरोहर राशि केंद्र स्थापित होने पर भौतिक सत्यापन उपरांत लौटाई जा सकेगी, किंतु यदि आवेदक केंद्र स्थापित करने में रूचि नहीं लेता है अथवा केंद्र स्थापित कराने में असफल होता है, तो धरोहर राशि शासन द्वारा राजसात कर ली जाएगी। 

कस्टम हायरिंग केंद्र स्थापना हेतु आवश्यक दस्तावेज

अभिलेखों का सत्यापन आवेदक द्वारा आवेदित ज़िले से सम्बंधित कृषि कार्यालय में दिनांक 15-16 सितम्बर 2022 के दिन प्रातः 10:30 से शाम 5:30 बजे तक किया जायेगा। किसानों को सत्यापन के दौरान आवेदक को ऑनलाइन आवेदन के समय अपलोड किए गए मूल बैंक ड्राफ़्ट को कार्यालय में जमा करना होगा। इसके साथ ही आवेदन के साथ प्रस्तुत किए गए मूल अभिलेखों जैसे फोटो, पहचान पत्र, आधार कार्ड, सक्षम अधिकारी द्वारा जारी जन्म प्रमाण-पत्र अथवा हाई स्कूल अंकसूची, जाति प्रमाण पत्र (केवल अनुसूचित जाति एवं जनजाति के आवेदकों हेतु), निवास प्रमाण पत्र  (मतदाता परिचय पत्र अथवा आधार कार्ड) अथवा ऋण पुस्तिका सत्यापन हेतु प्रस्तुत किए जाने होंगे। अभिलेख परीक्षण न कराने अथवा मूल बैंक ड्राफ़्ट जमा न कराए जाने की स्थिति में आवेदन निरस्त कर दिया जायेगा।

यह किसान कर सकते हैं आवेदन

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा अभी राज्य के प्रत्येक ज़िलों में 7 कस्टम हायरिंग केंद्र स्थापित किए जाने का लक्ष्य जारी किए गया है। लक्ष्य के विरुद्ध कुल 364 कस्टम हायरिंग केंद्रों की स्थापना की जानी है। जिसमें सामान्य एवं पिछड़ा वर्ग के 242, अनुसूचित जन जाति- 70 तथा अनुसूचित जनजाति-52 के लक्ष्य रखे गए हैं। योजना के तहत एक गाँव के एक परिवार में केवल एक ही कस्टम हायरिंग केंद्र दिए जाने का प्रावधान है, अतः जिन गाँव में पहले से कस्टम हायरिंग केंद्र की स्थापना की जा चुकी है वहाँ के किसान आवेदन न करें। योजना के तहत व्यक्तिगत श्रेणी के आवेदकों की उम्र दिनांक 1 सितंबर 2022 को 18 वर्ष से कम एवं एवं 40 वर्ष से अधिक नहीं होना चाहिए।

अनुदान पर कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करने के लिए आवेदन कहाँ करें?

शासन द्वारा राज्य के किसानों से कस्टम हायरिंग केंद्र की स्थापना के लिए ऑनलाइन आवेदन कृषि अभियांत्रिकी संचानालय द्वारा आमंत्रित किए गए हैं। राज्य के सभी वर्गों के किसान 1 सितंबर 2022 से 12 सितंबर 2022 के दौरान ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इच्छुक किसान https://chc.mpdage.org पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा किसान अधिक जानकारी के लिए अपने ज़िले या संभागीय कृषि यंत्री के कार्यालय में सम्पर्क कर प्राप्त कर सकते हैं। 

सब्सिडी पर कस्टम हायरिंग केंद्र की स्थापना हेतु आवेदन करने हेतु क्लिक करें

किसानों को मुफ्त में दिए जाएँगे प्रमाणित बीज, होगा 8 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर का फ़ायदा

निःशुल्क बीज वितरण कार्यक्रम

इस वर्ष बिहार, उत्तर प्रदेश एवं झारखण्ड राज्यों में बहुत कम वर्षा हुई है, जिससे इन राज्यों में किसान या तो खरीफ फसलों की बुआई नहीं कर पाए हैं या सिंचाई के अभाव में फसल खराब हो गई है। इस स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकारों के द्वारा वैकल्पिक फसलों की खेती के लिए अनुदान पर बीज उपलब्ध कराये जा रहे हैं। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश मंत्री परिषद ने किसानों को बीज अनुदान योजना के अंतर्गत निःशुल्क बीज मिनी किट वितरण की योजना को मंजूरी दे दी है।

उत्तर प्रदेश मंत्री परिषद ने कमजोर मानसून की स्थिति में राज्य पोषित प्रमाणित बीजों पर अनुदान की योजना के अंतर्गत तोरिया के निःशुल्क बीज मिनी किट वितरण की कार्य योजना तथा निःशुल्क बीज मिनी किट वितरण हेतु प्रमाणित बीजों पर अनुदान के मद से 457.60 लाख रुपए की धान राशि की व्यवस्था के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। 

किसानों को मुफ्त में दिए जाएँगे प्रमाणित बीज

योजना के तहत कमजोर मानसून के चलते जिन क्षेत्रों/ जनपदों में खरीफ की बुआई नहीं हो पा रही है। ऐसे क्षेत्रों में किसानों को तोरिया के निःशुल्क बीज मिनी किट का वितरण किया जायेगा। निःशुल्क बीज मिनी किट के वितरण में लघु, सीमांत किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी। इस योजना के अंतर्गत 100 प्रतिशत राज्य सहायता के आधार पर 2 किलोग्राम प्रति पैकेट तोरिया बीज मिनी किट का कृषकों को निःशुल्क वितरण किया जायेगा। 

तोरिया के निःशुल्क बीज मिनी किट का वितरण जनपदों में 25 प्रतिशत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित-जनजाति के किसानों तथा शेष अन्य किसानों को दिया जायेगा। योजना के तहत चयनित किसानों में 30 प्रतिशत महिला किसानों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। इस सुविधा का लाभ कृषकों को “प्रथम आवक-प्रथम पावक” के आधार पर उपलब्ध कराए जाएँगे। 

किसानों को होगा 8 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर का लाभ

योजना के तहत राज्य के किसानों को निःशुल्क बीज वितरण से लगभग 4 लाख क्विंटल अतिरिक्त तोरिया का उत्पादन प्राप्त होगा। जिससे लाभार्थी किसानों को औसतन 8000 रुपए प्रति हेक्टेयर का लाभ होने का अनुमान है। तोरिया के निःशुल्क बीज मिनी किट का वितरण पूर्ण पारदर्शिता के साथ ग्राम पंचायतों एवं अन्य जन प्रतिनिधियों के सहयोग एवं उनकी उपस्थिति में कराया जायेगा।

अब किसानों को सिंचाई के लिए मात्र 2 घंटे में दिए जाएँगे नए ट्रांसफार्मर 

सिंचाई के लिए नए ट्रांसफार्मर

रबी फसलों की अधिक पैदावार के लिए आवश्यक हैं कि फसलों की उचित समय पर सिंचाई की व्यवस्था उपलब्ध हो, किंतु कई बार किसानों को समय पर बिजली आपूर्ति ना होने या अधिक लोड के चलते ट्रांसफार्मर जल जाते हैं या खराब हो जाते हैं, ऐसे में किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में किसानों को ट्रांसफार्मर सम्बंधी समस्याओं से बचाने के लिए मध्यप्रदेश क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने तैयारी की शुरु कर दी है।

मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध निदेशक श्री अमित तोमर ने बताया कि क्षेत्र के सभी जिलों में ट्रांसफार्मर की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। ट्रांसफार्मर में खराबी आने की सूचना के बाद जल्दी ही इन्हें बदला जायेगा। कंपनी क्षेत्र में 13 लाख से ज्यादा किसानों को रबी सीजन में सिंचाई के लिए गुणवत्तापूर्ण बिजली वितरित की जायेगी। ट्रांसफार्मर में किसी कारण से खराबी आने पर कम से कम समय में पात्रतानुसार बदला जायेगा।

2 घंटे में जारी किए जाएँगे ट्रांसफार्मर

मध्य प्रदेश ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के निर्देशानुसार बिजली कंपनी किसानों की हर संभव मदद कर रही है। बिजली कंपनी ने एक माह बाद प्रारंभ होने वाले रबी सीजन की प्रभावी तैयारी कर मालवा-निमाड़ के सभी 15 जिलों की सिंचाई व्यवस्था के लिए 12 हजार ट्रांसफार्मर का अग्रिम स्टॉक रखा है। पात्रतानुसार मात्र 2 घंटे में  ट्रांसफार्मर जारी कर दिए जायेंगे, जिससे रबी का सिंचाई  कार्य प्रभावित न हो।

कंपनी के स्थाई ट्रांसफार्मर डिपो इंदौर, उज्जैन, रतलाम, मंदसौर, धार, बड़वाह में कुल 8 हजार ट्रांसफार्मर का स्टॉक रहेगा। इसी तरह रबी सीजन के लिए बने अस्थाई डिपो देवास, आगर, शाजापुर, मनासा, बुरहानपुर, खंडवा, बड़वानी, झाबुआ, अलीराजपुर में आवश्यकतानुसार 300 से 600 ट्रांसफार्मर का स्टॉक हर वक्त उपलब्ध रहेगा।

भारी बारिश से हुए फसल नुकसान का दिया जायेगा मुआवजा, किसान खुद फोटो अपलोड कर दें नुकसान की जानकारी

फसल नुकसान के मुआवजा हेतु आंकलन

इस वर्ष भारी बारिश के चलते किसानों की खरीफ फसलों को काफी नुकसान हुआ है। ऐसे में किसानों को हुई इस आर्थिक हानि की भरपाई सरकार द्वारा मुआवजा देकर दी जाएगी। इसके लिए सरकार द्वारा फसल नुकसान के आंकलन के लिए गिरदावरी अभियान चलाया जा रहा है। इस कड़ी में हरियाणा सरकार ने पूरे प्रदेश में 5 अगस्त से जल भराव से हुए फसल नुकसान के आंकलन को लेकर गिरदावरी करवाई जा रही है, यह गिरदावरी पांच सितंबर तक चलेगी।

इस वर्ष हरियाणा राज्य सरकार ने जल भराव से हुए फसल नुकसान के आंकलन के लिए किसान स्वयं भी फसलों की गिरदावरी कराने की सुविधा दी है। किसान स्वयं भी अपनी फसल नुकसान का ब्यौरा पोर्टल पर अपलोड कर सकते है। खेत में हुई सभी फसलों के नुकसान का मुआवजा दिया जाएगा।

किसान खुद फोटो अपलोड कर दें फसल नुकसान की जानकारी

हरियाणा के उपमुख्यमंत्री श्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि जलभराव से खेतों में हुए नुकसान को लेकर सरकार पूरी तरह से गंभीर है। उन्होंने कहा कि यदि किसान को यह संदेह है कि उसकी गिरदावरी सही नहीं हुई है, तो वे मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर जाकर क्षतिपूर्ति पोर्टल पर अपनी फसल नुकसान का फोटो अपलोड कर दें। पटवारी दोबारा फसल नुकसान की रिपोर्ट करेगा।

किसानों को अब जल्द मिलेगा मुआवजा

श्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि राज्य सरकार एक बड़ा कदम उठाने जा रही है कि बारिश में गरीब के मकान का नुकसान होने पर उसे 80 हजार रुपये की मदद की जाएगी। इसके लिए कानून में संशोधन किया जाएगा, ताकि गरीब को इसका लाभ मिल सके। इस मुआवजा प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए संबंधित उपायुक्त को पावर दी जाएगी, ताकि पात्र व्यक्ति को जल्द से जल्द मिल सके। पहले केवल बाढ़ के दौरान मकान में हुए नुकसान पर मुआवजे का प्रावधान था और खेत में ट्यूबवैल पर बने कमरे के नुकसान होने पर मुआवजे का तो प्रावधान भी नहीं था।

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सोयाबीन की फसल में अभी लग सकते हैं यह कीट एवं रोग, किसान इस तरह करें उनका नियंत्रण

सोयाबीन की फसल में कीट एवं रोग का नियंत्रण

इस वर्ष सोयाबीन की बुआई अलग-अलग समय पर की गई है। जहां सोयाबीन की शीघ्र पकने वाली किस्मों की बोवनी जून के द्वितीय या तृतीय सप्ताह में की गई है, इस समय दाने भरने की स्थिति में हैं जबकि बाद में बोई गई सोयाबीन की फसल तथा अन्य कुछ किस्मों में इस समय फूलने या उसके बाद की स्थिति में हैं। सोयाबीन की फसल में इस मौसम में कई तरह के कीट एवं रोग लागने की संभावना बनी रहती है। इसको लेकर भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान के द्वारा सोयाबीन किसानों के लिए सलाह जारी की गई है।

संस्थान द्वारा जारी की गई सलाह में यह बताया गया है की पिछले कुछ दिनों में सोयाबीन की फसल पर एरिअल ब्लाइट, एन्थ्राक्रोज, मोजेक वायरस नामक रोगों का प्रकोप देखा जा रहा है। इसके साथ-साथ चक्र भृंग, तना मक्खी एवं पत्ती खाने वाली इल्लियाँ का प्रकोप फसल पर बना हुआ है। ऐसी स्थिति में किसान समय पर सोयाबीन कीट रोगों की पहचान कर उनका नियंत्रण कर फसल को होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं।

अभी सोयाबीन की फसल में लगने वाले प्रमुख रोगों का नियंत्रण 

रायजोक्टोनिया एरिअल ब्लाइट तथा एन्थ्राक्रोज रोग की रोकथाम

अभी कई स्थानों पर फफूंदजनित रोगों (रायजोक्टोनिया एरिअल ब्लाइट तथा एन्थ्राक्रोज) का प्रकोप देखा जा रहा है। किसान इन रोगों के नियंत्रण हेतु अनुशंसित फफूँद नाशकों टेबुकोनाझोल 25.9% ई.सी. (625 मिली./हे.) या टेबूकोनाझोल + सल्फर (1.25 किलोग्राम/हे.) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20% डब्ल्यू.जी. (375-500 ग्रा/हे.) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन + इपिक्साकोनाजोल 50ग्राम/ली. एस.ई. (750 मिली./हे.) या फ्लुक्सापग्रोक्साड + पायरोक्लोस्ट्रोबीन (300 ग्राम./हे.) का छिड़काव किया जा सकता है। दाने भरने की अवस्था में फफूँद नाशक के छिड़काव से बीज गुणवत्ता वृद्धि हेतु लाभ मिलता है।

सोयाबीन में पीला मोजेक रोग की रोकथाम 

अभी कई स्थानों पर पीला मोजेक रोग का प्रकोप देखा जा रहा है। किसान इस रोग के रासायनिक नियंत्रण हेतु तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें तथा इन रोगों को फैलाने वाले वाहक सफेद मक्खी की रोकथाम हेतु पुर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्स्म + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली./हे.) या वीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) का छिड़काव करें। इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है। यह भी सफेद मक्खी के नियंत्रण हेतु किसान अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं।

सोयाबीन में गेरुआ (रस्ट/ताम्बोरा) रोग का नियंत्रण

महाराष्ट्र के कुछ जिलों में गेरुआ (रस्ट/ताम्बेरा) रोग लगने लगा है। ऐसी स्थिति में किसान प्रारम्भिक लक्षण दीखते ही तुरंत क्रेसोक्सिम मिथाईल 44.3% एस.सी. (500 मिली./हे.) या पिकोक्सीस्ट्रोबिन 22.52% एस.सी. (400 मि.ली./हे.)  या फ्लुक्सापय्रोक्साड + पायरोक्लोस्ट्रौबीन 300 ग्राम/हे. या हेक्साकोनाझोल 5 ई.सी. (800 मिली./हे.) में से किसी एक रसायन का तुरंत अपने खेत में छिड़काव करें। 

अभी इस तरह करें सोयाबीन में कीटों का नियंत्रण

सोयाबीन में चूहों का नियंत्रण

कई क्षेत्रों में अभी सोयाबीन की फलिया कट–कट कर गिरने की स्थिति देखी गई है। यह समस्या शीघ्र पकने वाली किस्मों में ही अधिकतर देखी जाती हैं जो कि प्रारंभिक रूप से चूहों द्वारा निर्मित समस्या हो सकती है, अत: सलाह है की चूहों के नियंत्रण हेतु चूहों के बिल के आसपास जिंक फास्फाइड आधारित बिस्कुट/केक/आटे की गोलियाँ बनाकर रखें।

सोयाबीन में चने की इल्ली का नियंत्रण

ऐसे क्षेत्र जहाँ सोयाबीन की फसल दाने भरने की अवस्था में हैं, चने की इल्ली द्वारा दाने खाने की सम्भावना को देखते हुए सलाह हैं कि फसल पर इंडोक्साकार्व 15.8 ई.सी (333 मिली./हे.) या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250–300 मिली./हे.) या इमामेक्टीन बेंजोएट (425 मिली/हे.) या लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 4.90 सी.एस. (300 मिली./हे.) का छिड़काव करें।

सोयाबीन में चक्र भृंग एवं तना मक्खी एवं पत्ती खाने वाली इल्ली का नियंत्रण

चक्र भृंग के नियंत्रण हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250-300 मिली./हे.) या थायक्लोप्रिड 21.7 एस.सी. (750 मिली./हे.) या प्रोफेनोफाँस 50 ई.सी. (1 ली./है.) या इमामेकटीन बेंजोएट (425 मिली.हे.) का छिड़काव करें। साथ ही इसके फैलाव की रोकथाम हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे के ग्रसित भाग को तोड़कर नष्ट कर दें ।

तना मक्खी चक्र भृंग तथा पत्ती खाने वाली इल्लियों के एक साथ नियंत्रण हेतु पुर्वमिश्रित कीटनाशक क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 9.30% + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 4.60% ZC (200 मिली/हे.) या बीटासायफ्लूथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) या पुर्वमिश्रित थायमिथोक्सम + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली./हे.) का छिड़काव करें।

सेमीलूपर, तम्बाकू की इल्ली एवं चने की इल्ली का नियंत्रण

पत्ती खाने वाली इल्लियाँ (सेमीलूपर, तम्बाकू की इल्ली एवं चने की इल्ली) हो, इनके नियंत्रण के लिए निम्न में से किसी भी एक रसायन का छिड़काव करें:-

ब्रोफ्लानिलिडे 300 एस.सी. (42 – 62 ग्राम/हे.) या फ्लुबेंडियामाइड 39.35 एस.सी. (150 मिली.) या इंडोक्साकार्व 15.8 ई.सी. (333 मिली./हे.) या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250–300 मिली./हे.) या नोवाल्युरोन + इंडोक्साकार्व 4.50% एस.सी. (825–875 मिली./हे.) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मिली./हे.) या इमामेक्टिन बेंजोएट 1.90 (425 मिली./हे.) या फ्लूबेंडियामाइड 20 डब्ल्यू.जी. (250–300 ग्राम/हे.) या लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 4.90 सी.एस. (300 मिली./हे.) या प्रोफेनोफाँस 50 ई.सी. (1 ली./हे.) या स्पायनेटोरम 11.7 एस.सी. (450 मिली./हे.) या पुर्वमिश्रित बीटासायफ्लूथ्रिन + इमिडा क्लोप्रिड (350 मिली./हे.) या पूर्वमिश्रित थायमिथोक्सम + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली./है.) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 9.30% + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 4.60% ZC, (200 मिली./हे.) का छिड़काव करें।

सोयाबीन बिहार हेयरी कैटरपिलर का नियंत्रण 

बिहार हेयरी कैटरपिलर का प्रकोप प्रारंभ होने पर किसानों को सलाह है कि प्रारंभिक अवस्था में झुंड में रहने वाली इन इल्लियों को पौधे सहित खेत से निष्कासित करें एवं इसके नियंत्रण हेतु फसल पर लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 4.90 सी.एस. (300 मिली./हे.) या इंडोक्साकार्व 15.8 ई.सी. (333 मिली./हे.) का छिड़काव करें।

सोयाबीन की फसल को कीट रोगों से बचाने के लिए अपनाएँ यह उपाय 

किसान खेत के विभिन्न स्थानों पर निगरानी करते रहें, यदि ऐसा पौधा मिले जिस पर झुंड में अंडे या इल्लियाँ हों, तो ऐसे पौधों को खेत से उखाड़कर बाहर कर दें। सोयाबीन की फसल में पक्षियों की बैठक हेतु “T” आकर के बर्ड–पर्चेस लगाएँ, इससे कीट–भक्षी पक्षियों द्वारा भी इल्लियों की संख्या कम करने में सहायता मिलती है। कीट या रोग नियंत्रण के लिए केवल उन्हीं रसायनों का प्रयोग करें जो सोयाबीन की फसल में अनुशंसित हों, उन रसायनों या रसायनों के मिश्रण का उपयोग नहीं करें जो सोयाबीन फसल के लिए अनुशंसित नहीं हैं, इससे सोयाबीन की फसल पूर्णत: खराब होने की संभावना होती है।

जैविक सोयाबीन उत्पादन में रूचि रखने वाले कृषक गण पत्ती खाने वाली इल्लियों (सेमीलूपर, तम्बाकू की इल्ली) की छोटी अवस्था की रोकथाम हेतु बेसिलस थुरिंजीएन्सिस अथवा ब्युवेरिया बेसिआना या नोमुरिया रिलेयी (1 ली./हे.) का प्रयोग कर सकते है, यह भी सलाह है कि प्रकाश प्रपंच का भी उपयोग कर सकते हैं। किसान किसी भी प्रकार का कृषि–आदान खरीदते करते समय दुकानदार से हमेशा पक्का बिल लें जिस पर बेच नंबर एवं एक्सपायरी दिनांक स्पष्ट लिखा हो।