गन्ने की खेती में किये जाने वाले क्रियाकलाप
गन्ने की खेती में भारत उत्पादन में दूसरा तथा क्षेत्रफल में पहला स्थान है | किसानों के लिए भारत में गन्ना एक नगदी फसल है तथा इसकी उपयोगिता लोगों के आम जीवन से है | गन्ने की खेती आज भी पुराने तौर तरीके से हो रही है जिसके कारण उत्पादन ज्यादा नहीं बढ़ पा रही है तो दूसरी तरफ रोग तथा कीटों के प्रकोप भी उत्पादन पर बड़ा असर डालते हैं | उर्वरक तथा भूमि का चुनाव इस फसल के लिए सबसे महत्वपूर्ण रहता है | इसके साथ ही गन्ने की बुवाई तथा खेतों की तैयारी कैसे किया जाए इसकी जानकारी होना बहुत जरुरी है |
गन्ना प्रजनन संस्थान कोयंबटूर द्वारा वर्ष भर में गन्ने की खेती के लिए किये जाने वाले प्रबंधन एवं तैयारी की समूर्ण जानकारी लेकर तैयार की गई है | इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है | गन्ने की खेती को दो भागों में बटकर देखते हैं , पहला रोपाई से पहले तथा दूसरा रोपाई के बाद | एसं सब को ध्यान में रखते हुये गन्ने की प्रत्येक 5 से 10 दिन में किये जाने वाले कार्यों को अलग – अलग जानकारी लेकर आये है |
गन्ने में किये जाने वाले क्रिया कलाप
रोपण से पहले
- भूमि की जुताई 45 सेन्टीमीटर गहराई तक करें |
- खेत में 25 टन / है. की दर से अच्छी तरह से गली सड़ी खलीहान खाद (FYM) या अपघटित शिरा या क्म्पोष्ट की खेत में डाल ट्रैक्टर के साथ गहरी जुताई कर मिला दें |
- खेत में 10 मीटर लम्बी 20 सेन्टीमीटर ऊँचाई वाली मेध व खाँचे 80 सेन्टीमीटर दुरी पर बनायें |
- खाँचों में 375 किलोग्राम सुपरफास्फेट प्रति हैक्टेयर डालें |
रोपण दिवस पर
- छ: से आठ महीने की नर्सरी से 75,000 दो कलिकाओं वाले बीज टुकड़ों का चुनाव करें या एक कलिका वाले बीज टुकड़ों को पोली बैगों में रोपण कर उत्पादित नर्सरी पौध का प्रयोग करें |
- बीज टुकड़ों को 125 ग्राम बैविस्टन, 2.5 किलोग्राम यूरिया और 2.5 किलोग्राम चुने का 250 लीटर पानी में घोल बनाकर उसमें 10 मिंट दुबोयें |
- बीज टुकड़ों को 2 सेन्टीमीटर गहराई पर कलिकाओं को बाजू रखते हुये रोपित करें |
- हर 10 वें खाँचे में बीज टुकड़ों की एक के बजाये दो पंक्तियाँ रोपित करें |
रोपण के तीसरे दिन
- हस्त स्परेयर से 2.5 किलोग्राम / है. की दर से एट्राटाफ 500 लीटर पानी में मिला खरपतवार नियंत्रण के लिए स्परेकरें |
- रोपण के 5 वें दिन
- मेढ़ों पर 15 सेन्टीमीटर की ऊँचाई तक गन्ना अवशेषों को फैलायें |
रोपण के 25 वें दिन
- हर 10 वीं पंक्ति में दुगने रोपण किये गये बीज टुकड़ों से उखाड़े गये पौधों से या फिर पोलीबैग उतादित पौधों से खेत में रिक्त स्थानों की पूर्ति करें |
- पौध फसल में 30 – 120 दिनों तक किये जाने वाले सामन्य क्रियाकलाप
रोपण के 30वें दिन
पांच किलोग्राम एजोस्परिलियम और 5 किलोग्राम फास्फोबैक्ट्रियम 250 किलोग्राम पावडर की गई खलीहान खाद के साथ मिलाकर , पौधों के निकलने वाले स्थानों पर डालकर साथ ही पानी लगा दें |
रोपण के 35 वें दिन से
- रोपण के 35 वें से 100 वें दिन तक हर 7 से 10 दिन के बीच सिंचाई करें
- कंसुए के आक्रमण से बचने के लिए क्लोरोपाइरीफास को 250 – 300 ग्रा. क्रियाशीलता / है. की दर से बीज टुकड़ों पर डालकर मिटटी से ढक दें |
- यदि 25 – 30 प्रतिशत शाखायें कंसुये से प्रभावित हों तो क्लोरोपाइरीफास के 250 – 300 ग्राम क्रियाशीलतत्व / है. को पानी में मिलाकर हस्त स्परेयर की मदद से शखाओं की चोटी व तने के आधार पर स्परे करें |
रोपण के 45 वें दिन
- खरपतवारों को हस्त चलित यंत्रों द्वारा निकालें |
- खड्डों में 110 किलोग्राम यूरिया , 60 किलोग्राम पोटाश और 35 किलोग्राम नीमकेक प्रति है. की दर से डालें
रोपण के 60 – 120 दिन के बीच
- सूखे के हालत में 2.5 प्रतिशत यूरिया व 2.5 प्रतिशत पौटाशियम क्लोराइड के घोल को स्परे करें |
- पांच किलोग्राम एजोस्परिलियम और 5 किलोग्राम फास्फोबैक्टीरियm को 250 किलोग्राम पौडर की गई खलिहाल खाद के साथ मिलाकर 60 वें दिन पर पौधों के निकलने वाले स्थानों पर डालकर साथ ही पानी लगा दें |
- रोपण के 90 दिन बाद हाथों से खरपतवार निकालें और मिटटी चढ़ाने के बाद खड्डों में 110 किलोग्राम यूरिया, 60 किलोग्राम पोटाश और 35 किलोग्राम नीमकेक प्रति है. की दर से डालें
- 120 वें दिन सूखे के हालातों में 60 किलोग्राम / है. पोटाश की मात्रा डालकर साथ ही सिंचाई करें
पौध फसल 120 दिनों से कटाई तक
- रोपण के 150 वें दिन से 225 वें दिन तक
- 150 वें दिन पर गन्ने की सुखी पत्तियों तने से उतारें
- अगर पोरी बेधक पाया जाये तो हर 15 वें दिन 6 बार इसके परजीवियों को 5 सी.सी./ है. की दर से छोड़ा जाये
101 से 210 दिन के बीच हर 7 वें दिन खेत में सिंचाई करें
- 210 वें दिन पर फिर गन्ने की सुखी पत्तियों तने से उतारें गिरे गन्नों को बंधे
- मिली बगंस , सफ़ेद मक्खी और स्केलस के नियंत्रण के लिए 225 वें दिन पर मोनोक्रोटोफास 36 एस.एल. 600 ग्राम क्रियाशील तत्व / है. की दर से स्परे करें
रोपण के 260 वें दिन
अगर आवश्यक हो तो पाइरील्ला और सभी चूसक कीटों के नियंत्रण के लिये डाइकलोरवास 76 प्रतिशत ई.सी. 300 ग्राम क्रियाशीला तत्व / है. की दर से स्परे करें |
रोपण के 270 से 360 वें दिन तक
- हर 15 वें दिन सिंचाई करें
- कटाई से 15 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें
कटाई के समय
- गन्नों को भूतल के बिलकुल पास से दराती या तेज धारदार चाकू से काटें |
- गन्नों को मिल में भेजने से पहले उनसे अवशेषों, जड़ों, जलीय शाखायें उतारें और तने के शिखरों को काटें
Nice information… Good job keep it up… हल्दी की खेती कैसे होती है
Thank You sir.
Ganne ki jankari
दी गई लिंक पर देखें https://kisansamadhan.com/crops-production/rabi-crops/farming-of-sugarcane/