रिचार्जिंग बोरवेल के लिए किसानों को देने होंगे मात्र 25 हजार रुपये, शेष राशि देगी सरकार

बरसाती पानी को वापिस जमीन में डालने के लिए बोरवेल

कृषि में सिंचाई से भूमिगत जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है, जिसे रोकने के लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं। इसमें अधिक पानी वाली फसलें (गन्ना, धान) को छोड़ अन्य फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देना, किसानों को सूक्ष्म सिंचाई (ड्रिप, स्प्रिंकलर) के लिए प्रोत्साहित करने के लिए भारी अनुदान देना एवं रिचार्जिंग बोरवेल के लिए सब्सिडी देना आदि शामिल है। 

रविवार 12 मार्च 2023 के दिन कृषि विकास मेला, हिसार के समापन के अवसर पर हरियाणा राज्य के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने अंडरग्राउंड पाईपलाइन पोर्टल तथा ई-रूपी ऐप लॉन्च किए। इस अवसर पर उन्होंने राज्य किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं के बारे में जानकारी दी।

1 हजार रिचार्जिंग बोरवेल लगाएगी सरकार

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि समय को देखते हुए हमें पानी की खपत को कम करना होगा। पानी के समुचित उपयोग के लिए सूक्ष्म सिंचाई को अपनाना होगा। सूक्ष्म सिंचाई के लिए सरकार किसानों को 85 प्रतिशत तक की सब्सिडी दे रही है। इसके अलावा, बरसाती पानी को वापिस जमीन में डालने के लिए बोरवेल लगाए जा रहे हैं। इसमें किसान को केवल 25 हजार रुपये देने है, बाकी खर्च सरकार वहन करेगी। सरकार पहले चरण में 1 हजार रिचार्जिंग बोरवेल लगाएगी।

उल्लेखनीय है कि सरकार ने रिचार्जिंग बोरवेल के लिए आवेदन प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया है। राज्य के इच्छुक किसान जो रिचार्जिंग बोरवेल करवाना चाहते हैं वे किसान सिंचाई और जल संसाधन विभाग, हरियाणा की वेबसाइट hid.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। 

300 टेलों तक पहुँचाया पानी

मुख्यमंत्री ने कहा कि पहली बार प्रदेश में हमारी सरकार ने राजस्थान की सीमा के साथ लगते 300 टेलों, जहाँ पिछले 25 साल से पानी नहीं पहुंचा, था वहां भी हमने पानी पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि प्रगतिशील किसान आगे अन्य किसानों को प्र‌गतिशील बनाने में सहयोग करेंगे, उन किसानों को सरकार की ओर से ईनाम दिए जाएंगे।

यहाँ खोला जाएगा पशु चिकित्सा महाविद्यालय, 58 पदों पर की जाएगी भर्ती

पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय

बीते कुछ वर्षों में पशुपालन क्षेत्र में जोखिम कम करने एवं पशु पालकों की आय में वृद्धि के लिए सरकार ने पशु पालकों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएँ देने, नस्ल सुधार, पशुओं का टीकाकरण आदि के लिए कई योजनाएँ शुरू की गई हैं। ऐसे में पशुओं की आबादी के अनुसार पशु चिकित्सक उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा इस क्षेत्र में पशु चिकित्सा विद्यालयों की स्थापना की जा रही है। इस कड़ी में राजस्थान सरकार ने सिरोही में पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय खोलने की स्वीकृति दी है।

सिरोही ज़िले में पशु चिकित्सा महाविद्यालय खुलने से सिरोही ज़िले के विद्यार्थियों को पशु चिकित्सा विज्ञान में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। अब उन्हें अपने जिले में ही अध्ययन के अवसर मिलेंगे। साथ ही पशुपालकों को ज़िले में ही अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलेगी।

58 पदों का किया गया सृजन

पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय के लिए सरकार ने 58 पदों का सृजन करने का निर्णय लिया है। यह पद महाविद्यालय के संचालन तथा शैक्षणिक गतिविधियों के लिए होंगे, इसके लिए सरकार ने 10.16 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव के अनुसार, स्वीकृत 58 नवीन पदों में डीन का 1 पद, प्रोफेसर के 5 पद, एसोसिएट प्रोफेसर के 4 पद, असिस्टेंट प्रोफेसर के 19 पद, तकनीकी स्टाफ के 10 पदों सहित सहायक स्टाफ के 19 पद शामिल हैं। 

यहाँ खोले जाएँगे पशुपालन विश्वविद्यालय

राजस्थान सरकार ने इस वर्ष अपने बजट 2023-24 में पशु पालन सम्बंधित उच्च शिक्षा के ढाँचे के सुदृढ़ीकरण की दृष्टि से जोबनेर-जयपुर में स्थित कृषि विश्वविद्यालय के साथ ही नए पशुपालन विश्वविद्यालय (Veterinary University) स्थापित करने की घोषणा की है। इसके अतिरिक्त सीकर व बस्सी-जयपुर में पशु चिकित्सा महाविद्यालय एवं सिरोही जिले में पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय खोलने की घोषणा की है। 

किसानों को ड्रैगन फ़्रूट, आम, सब्ज़ियों और फूलों की नई तकनीकों को दिखानें एवं प्रशिक्षण के लिए खोले जाएँगे तीन उत्कृष्टता केंद्र

 बागवानी फसलों के प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण के लिए उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना

देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने एवं फसलों के विविधिकरण के लिए सरकार द्वारा बागवानी फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार द्वारा इसके लिए नवीनतम तकनीकों के विकास के लिए कई कार्य किए जा रहे हैं। इस कड़ी में मिशन फॉर इंटिग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर (MIDH) के तहत द्विपक्षीय सहयोग या अनुसंधान संस्थानों के माध्यम से विभिन्न राज्यों में उत्कृष्टता केंद्रों (सीओई) की स्थापना की जा रही है। इन केंद्रों के माध्यम से किसानों को बागवानी की नई तकनीकों से अवगत कराने के साथ ही प्रशिक्षण भी दिया जा सकेगा।

मिशन फॉर इंटिग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर (MIDH), कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने अभी तक 49 सीओई को स्वीकृति दी है, जिनमें 9 मार्च 2023 के दिन मंत्रालय ने 

  1. भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (आईआईएचआर), बेंगलुरु, कर्नाटक द्वारा एक्सपेरीमेंटल स्टेशन, हिरेहल्ली, बेंगलुरु, कर्नाटक में कमलम (ड्रैगन फ्रूट) के लिए,
  2. पणिकोइली, जयपुर जिला, ओडिशा में इंडो-इजरायल एक्शन प्लान के तहत आम और सब्जियों के लिए,
  3. सरकारी कृषि फार्म, कोडर, खांडेपार, पोंडा, साउथ गोवा, गोवा में इंडो-इजरायल एक्शन प्लान के तहत सब्जियों और फूलों के लिए उत्कृष्टता केंद्र को मंजूरी देने का निर्णय लिया है।

ड्रैगन फ़्रूट ( कमलम ) के लिए उत्कृष्टता केंद्र में होंगे यह काम

इस केंद्र का विजन अंतरराष्ट्रीय मानदंडों और ऑफ सीजन उत्पादन के तहत नवीनतम उत्पादन तकनीक विकसित करना और ज्यादा उपज हासिल करने के लिए इन तकनीकों का प्रदर्शन करना है। केंद्र का लक्ष्य कमलम फल के उत्पादन में आत्म निर्भरता हासिल करना, मूल्यवर्धन और कृषक समुदाय के लिए आर्थिक विकास को बढ़ाना होगा।

केंद्र बेहतर उपज, पोषक तत्व उपयोग दक्षता, पोषण गुणवत्ता, जैविक और अजैविक दबावों के खिलाफ सहनशीलता, प्रसार तकनीकों का मानकीकरण, सार्वजनिक भागीदारी दृष्टिकोण के माध्यम से गुणवत्ता रोपण सामग्री के वितरण, कटाई के बाद के प्रबंधन के लिए प्रोटोकॉल के विकास के साथ ही बेहतर प्रदर्शन विविधता विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।

इसके साथ ही, कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने और दूरदराज के बाजारों में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भंडारण, मूल्य वर्धित उत्पादों का विकास और उत्पाद विविधीकरण और ऊंचा राजस्व प्राप्ति के लिए प्रक्रियाएं, किसानों और अन्य हितधारकों को प्रशिक्षण, क्षेत्र के भ्रमण आदि के माध्यम से नई प्रौद्योगिकियों के प्रसार पर जोर दिया जाएगा।

आम और सब्ज़ियों के लिए उत्कृष्टता केंद्र में होंगे यह काम

केंद्र का विजन नर्सरी प्रबंधन, खेती के तरीकों, आम और सब्जियों की फसलों की उच्च गुणवत्ता और बड़ी मात्रा में रोपण सामग्री के उत्पादन में नई जानकारियां तैयार करना है। केंद्र नई किस्मों के प्रदर्शन, सिंचाई में इजरायली कृषि प्रौद्योगिकी, उर्वरता और पौध संरक्षण प्रौद्योगिकियों के साथ-साथ बेहतर कृषि और कटाई के बाद की प्रबंधन तकनीक पर भी ध्यान केंद्रित करेगा। केंद्र किसानों के लाभ के लिए सिंचाई, फर्टिगेशन, नर्सरी, कैनोपी और मूल्य श्रृंखला जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर आधारित एक प्रशिक्षण मॉडल तैयार करेगा।

सब्ज़ियों और फूलों के लिए उत्कृष्टता केंद्र में होंगे यह काम

यह केंद्र गोवा के लिए उपयुक्त सब्जियों और फूलों की उन्नत किस्मों की रोग मुक्त और स्वस्थ सब्जी पौध के उत्पादन के लिए स्वचालित सिंचाई और फर्टिगेशन प्रणाली के माध्यम से उन्नत उत्पादन तकनीक के साथ हाई-टेक नर्सरी प्रबंधन प्रणाली के प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित करेगा। केंद्र गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के फसल पूर्व और कटाई के बाद के प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे को भी मजबूत करेगा और सीओई और किसान के क्षेत्र में भी स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप प्रोटोकॉल/दिशानिर्देश विकसित करेगा।

गेहूं एवं जौ की भरपूर पैदावार के लिए किसान इस सप्ताह करें यह काम

जौ एवं गेहूं की खेती करने वाले किसानों के लिए सलाह

किसान कम लागत में गेहूं की भरपूर पैदावार प्राप्त कर सकें इसके लिए समय-समय पर कृषि विश्वविद्यालयों, वैज्ञानिकों एवं कृषि विभाग द्वारा किसानों के लिए सलाह जारी की जाती है। जिसे अपनाकर किसान न केवल गेहूं की उत्पादकता बढ़ा सकते हैं बल्कि लागत कम कर अपनी आमदनी में भी वृद्धि कर सकते हैं। इस कड़ी में गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा गेहूं की खेती कर रहे किसानों के लिए साप्ताहिक सलाह जारी की गई है।

सलाह में बताया गया है कि मौसम विभाग IMD के द्वारा जारी मौसम पूर्वानुमान के अनुसार 14 मार्च से कई स्थानों पर बादल छाए रहने के साथ ही आंधी-बारिश होने की संभावना है। जिसे देखते हुए ही किसान अपने गेहूं के खेतों में सिंचाई एवं अन्य कार्य करें। 

कैसा रहेगा गेहूं की खेती के लिए मौसम

जारी सलाह में कहा गया है कि उत्तर भारत के अधिकांश स्थानों पर आने वाले सप्ताह में अधिकतम तापमान 27.4 से 34.9 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 13.0 से 17.7 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अनुमान है, जो गेहूं और जौ की फसल के लिए अनुकूल है। इसके अलावा आने वाले सप्ताह में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली जैसे कई गेहूं उत्पादक राज्यों के जिलों में बादल छाए रहने के साथ हाई हल्की से भारी बारिश हो सकती है।

किसान कब करें गेहूं में सिंचाई

किसानों को मौसम पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए गेहूं की फसल में सिंचाई करना चाहिए। यदि मौसम विभाग द्वारा आपके क्षेत्र में बारिश की संभावना व्यक्त की गई है तो किसान सिंचाई देरी से कर सकते हैं। किसानों को सलाह दी गई है कि वे आवश्यकता के अनुसार ही हल्की सिंचाई करें। तेज हवा की स्थिति में, फसल को गिरने से बचाने के लिए सिंचाई बंद कर देनी चाहिए।

अभी गेहूं की फसल में लग सकते हैं यह कीट एवं रोग

गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा जारी साप्ताहिक परामर्श में बताया गया है कि अभी उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में गेहूं और जौ में भूरा रतुआ और इसी तरह जम्मू, हिमाचल प्रदेश व पहाड़ियों क्षेत्र पाउडरी मिल्डयू की सम्भावना है। इसलिए किसानों को सलाह दी गई है कि वे खेतों में विशेष रूप से छाँव में कड़ी निगरानी रखें। यदि इन रोगों का संक्रमण दिखाई देता है, तो किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अनुशंसित कवकनाशी प्रोपीकोनाजोल का 0.1 प्रतिशत की दर से छिड़काव करें।

वहीं किसान गेहूं में लीफ़ एफ़िड (चेपा) पर लगातार नज़र रखें। यदि लीफ़ एफिडस की संख्या आर्थिक क्षति के स्तर (ई.टी.एल. 10-15 एफिडस/ मार ) से अधिक हो जाती है, तो क्विनलफ़ॉस 25% ईसी 400 मिली को 200-250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में छिड़काव करें।

7 दिनों में किया जाएगा बारिश एवं ओला वृष्टि से हुए फसल नुकसान का सर्वे, इतने दिनों में किसानों मिलेगा मुआवजा

बारिश एवं ओलवृष्टि से नुकसानी का सर्वे एवं मुआवजा

बीते दिनों मध्य प्रदेश एवं राजस्थान राज्य के कई जिलों में बेमौसम आंधी-बारिश एवं ओला वृष्टि से किसानों की गेहूं, चना, सरसों एवं अन्य रबी फसलों को काफी नुकसान हुआ है। ऐसे में किसानों को हुए इस नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने फसल नुकसानी का सर्वे करने के लिए निर्देश दे दिए हैं। राजस्थान एवं मध्य प्रदेश सरकार ने अधिकारियों को 7 दिनों के अंदर ही विशेष गिरदावरी कर रिपोर्ट सौपने को कहा है।

ऐसे किसान जिनकी फसलों का बीमा है उन किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल नुकसान की भरपाई की जाएगी। वहीं जो फसलें फसल बीमा योजना में शामिल नहीं है, उन्हें आर.बी.सी. 6-4 में राहत राशि उपलब्ध कराई जाएगी।

सरकार ने किसानों को राहत राशि देने के लिए दिए यह निर्देश

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने ओला वृष्टि से नुकसान का सर्वे 7 दिन में पूरा करने और 10 दिन के भीतर राहत राशि बाँटना शुरू करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि फसल क्षति सर्वे का कार्य पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता से किया जाये। फसल बीमा योजना का लाभ दिलाने की पूरी कार्यवाही गंभीरता से हो।

वहीं राजस्थान के मुख्य सचिव ने जिला कलक्टरों को निर्देश दिये कि नुकसान का आंकलन करने के लिए संबंधित अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से फील्ड में भेजकर आगामी 7 दिनों के भीतर विशेष गिरदावरी एवं इसका जिओ टैग करवा कर रिपोर्ट आपदा प्रबंधन को भिजवाएं ताकि प्रभावित किसानों को शीघ्र राहत प्रदान की जा सके। साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि गिरदावरी की सूचना स्थानीय जनप्रतिनिधियों को अवश्य हो। उन्होंने कहा कि फसल बीमा कम्पनी से आपसी सहयोग एवं समन्वय से सर्वे करते हुए बीमित किसानों द्वारा दी गई खराबे की सूचना की पुष्टि कर तुरंत राहत पहुँचाई जाए।

मछली पालन हेतु तालाब बनाने के लिए सरकार रही है 80 प्रतिशत सब्सिडी, अभी करें आवेदन

अनुदान पर मछली पालन हेतु आवेदन

ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन तथा किसानों की आय को बढ़ाने के लिए सरकार कृषि की सहायक गतिविधियों जैसे पशु पालन एवं मछली पालन को बढ़ावा दे रही है। किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की ओर से पशु पालन एवं मछली पालन शुरू करने के लिए भारी सब्सिडी भी दी जा रही है। इस कड़ी में बिहार सरकार ने राज्य के मछली पालन के लिए तालाब निर्माण आधारित मत्स्य पालन की योजना के लिए राज्य के किसानों से आवेदन माँगे हैं। 

बिहार सरकार ने “पठारी क्षेत्र तालाब निर्माण आधारित मत्स्य पालन की योजना” शुरू की है, योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के पठारी बाहुल्य जिलों में तालाब निर्माण एवं सम्बंधित सहायक इकाइयों का अधिष्ठापन कर मत्स्य पालन को बढ़ावा देना है। योजना का लाभ लेने के लिए इच्छुक व्यक्ति 20 मार्च 2023 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

तालाब निर्माण के साथ ही इन अवयवों पर दिया जाएगा अनुदान

पठारी क्षेत्र तालाब निर्माण आधारित मत्स्य पालन की योजना के तहत लाभार्थी व्यक्ति को मत्स्य पालन के लिए आवश्यक अवयवों पर भी अनुदान दिया जाएगा। इस योजनान्तर्गत पैकेज इकाई के रूप में विभिन्न पाँच अवयव होंगे यथा अधिकतम 1 एकड़ एवं न्यूनतम 0.5 एकड़ रकवा में तालाब का निर्माण, ट्यूबवेल, सोलर पम्पसेट, उन्नत इनपुट तथा तालाब पर एक शेड निर्माण करना होगा। जिस पर सरकार अनुदान देगी।

मछली पालन के लिए तालाब निर्माण पर कितना अनुदान दिया जाएगा?

बिहार सरकार द्वारा योजना के मछली पालन अंतर्गत संबद्ध इकाइयों के अधिष्ठापन की लागत 16.70 लाख रुपए निर्धारित की गई है, जिस पर लाभार्थी व्यक्ति की अधिकतम 80 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाएगा। संबद्ध इकाई में 1 एकड़ तक का अधिकतम तालाब निर्माण, ट्यूबवेल, सोलर पम्पसेट, उन्नत इनपुट तथा तालाब पर एक शेड को शामिल किया गया है। जिस पर ही लाभार्थी व्यक्ति को अनुदान दिया जाएगा।

यह व्यक्ति कर सकते हैं आवेदन

पठारी क्षेत्र तालाब निर्माण आधारित मत्स्य पालन की योजना बिहार के पठारी क्षेत्र के ज़िलों के लिए है। इसमें राज्य के बांका, औरंगाबाद, गया, कैमूर, नवादा, जमुई, मुंगेर एवं रोहतास ज़िलों को शामिल किया गया है। यह योजना अभी केवल अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के मत्स्य कृषकों के लिए है। अतः इस वर्ग एवं इन ज़िलों के व्यक्ति ही योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं।

योजना के लिए पात्रता

योजनान्तर्गत बिहार के ऊपर दिये हुए 8 जिलों के अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं। इनके लिए भी मत्स्य विभाग निदेशालय ने कुछ शर्तें रखीं हैं, जो इस प्रकार है:-

  • योजनान्तर्गत तालाब निर्माण हेतु इच्छुक व्यक्ति के पास निजी/लीज पर भूमि होना आवश्यक है।
  • तालाब के निजी स्वामित्व हेतु भू–स्वामित्व प्रमाण पत्र/अद्यतन मालगुजारी रसीद, लीज के भूमि में लीज का नन–जुडिसियल स्टांप (1000/-रुपया) पर एकरारनामा (न्यूनतम 09 वर्ष का) आवेदन के साथ संलग्न करना आवश्यक होगा 
  • लाभार्थी का चयन उप मत्स्य निदेशक की अध्यक्षता में कमिटी के द्वारा किया जाएगा। 

अनुदान पर मछली पालन के लिए तालाब निर्माण हेतु आवेदन कहाँ करें?

पठारी क्षेत्र तालाब निर्माण आधारित मत्स्य पालन की योजना के तहत आवेदन प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। इच्छुक व्यक्ति योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए 20 मार्च 2023 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। योजना का लाभ लेने के लिए इच्छुक व्यक्ति http://fisheries.bihar.gov.in पर आवेदन कर सकते हैं। वहीं योजना की विस्तृत जानकारी के लिए अपने नज़दीकी पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार के कार्यालय में सम्पर्क कर सकते हैं। 

ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सेट पर सरकार दे रही है 75 प्रतिशत तक की सब्सिडी, किसान ऐसे लें योजना का लाभ

ड्रिप एवं स्प्रिंक्लर पर अनुदान

लगातार गिरते भूमिगत जल स्तर को रोकने के लिए सरकार द्वारा सूक्ष्म सिंचाई पद्धतियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस कड़ी में राजस्थान सरकार द्वारा भी ज्यादा से ज्यादा किसानों को सिंचाई की उन्नत तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे कम पानी में भी अच्छी उपज मिले। राजस्थान सरकार किसानों को ड्रिप, स्प्रिंकलर एवं मिनी स्प्रिंकलर से सिंचाई के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सूक्ष्म सिंचाई मिशन के अंतर्गत अनुदान दिया जा रहा है। 

राजस्थान कृषि आयुक्त श्री कानाराम ने बताया कि राज्य में संचालित सूक्ष्म सिंचाई मिशन के तहत बीते 4 वर्षों में 2 लाख 82 हजार 291 किसान 736 करोड़ 18 लाख रुपये का अनुदान प्राप्त कर चुके है। संयंत्र स्थापित कर किसान 3 लाख 78 हजार 550 हैक्टेयर क्षेत्र में पानी की सिंचाई कर रहे हैं।

ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई के लिए सरकार दे रही है 75 प्रतिशत अनुदान

राज्य सरकार योजना के अंतर्गत ड्रिप, मिनी स्प्रिंकलर एवं स्प्रिंकलर पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, लघु, सीमांत एवं महिला किसानों को संयंत्र स्थापित करने के लिए इकाई लागत राशि का 75 प्रतिशत तक का अनुदान दे रही है। वहीं अन्य किसानों को लागत का 70 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है। 

सूक्ष्म सिंचाई मिशन के अंतर्गत संयंत्र स्थापित करने के लिए किसान के पास न्यूनतम 0.2 हेक्टेयर भूमि होना जरूरी है तथा अनुदान अधिकतम 5 हेक्टेयर की सीमा तक ही दिया जाएगा। साथ ही कृषक के पास कुएं, नलकूप या अन्य जलस्रोत पर विद्युत, डीजल, सौर चालित पम्प सैट होना आवश्यक है।

इस वर्ष 4 लाख किसानों को दिए जाएँगे ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सेट

कृषि आयुक्त श्री कानाराम ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा कृषि बजट घोषणा 2022-23 के अनुसार 4 लाख किसानों को ड्रिप और स्प्रिंकलर संयंत्र से सिंचाई की व्यवस्था के लिए 1,705 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाना प्रस्तावित है। राज्य सोलर पम्प संयंत्र स्थापित करने में देश में पहले पायदान पर है तथा वहीं सूक्ष्म सिंचाई मिशन के अंतर्गत ड्रिप एवं स्प्रिंकलर संयंत्रों की स्थापना में भी राज्य देश में शीर्ष स्थान पर है।

ड्रिप एवं स्प्रिंकलर अनुदान हेतु किसान कहाँ आवेदन करें

राज्य के इच्छुक किसान जो अनुदान पर ड्रिप एवं स्प्रिंकलर संयंत्र स्थापित करना चाहते हैं, उन्हें योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। किसान यह आवेदन राज किसान साथी पोर्टल पर जन आधार के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। वहीं किसानों को नवीनतम जमाबंदी के साथ आवश्यक पूर्ण दस्तावेज भी ऑनलाइन प्रस्तुत करने होंगे। इसके अतिरिक्त योजना से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए किसान अपने निकटतम कृषि कार्यालय में सम्पर्क कर सकते हैं। 

अभी बारिश एवं ओला वृष्टि से हुए फसल नुकसान का मुआवजा लेने के लिए किसानों को करना होगा यह काम

बरसात एवं ओला वृष्टि से फसल खराब होने पर क्या करें

अभी देश के कई राज्यों में बेमौसम बरसात, ओलावृष्टि एवं जल भराव के कारण फसल खराब हो गई है। ऐसे में जिन किसानों ने अपनी फसलों का बीमा कराया है उन किसानों को बीमा क्लेम करने के लिए फसल बीमा कम्पनी के टोल फ्री नम्बर पर कॉल करना होगा, इस बात का ध्यान रहे की 72 घंटे के अन्दर शिकायत दर्ज करना जरूरी है।

राजस्थान के कृषि मंत्री श्री लालचंद कटारिया ने बताया कि राज्य में वर्तमान में कई स्थानों पर ओलावृष्टि एवं अतिवृष्टि के कारण किसानों की फसलों में नुकसान होने की आशंका है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमित फसल में नुकसान होने पर किसान को 72 घण्टे के भीतर बीमा कंपनी को सूचना देना आवश्यक है। खेत में पड़ी हुई कटी फसल को नुकसान होने पर 14 दिवस तक की अवधि के लिए बीमा कवर उपलब्ध है। 

किसान फसल नुकसानी की सूचना कहाँ दें?

फसल नुकसान की सूचना किसान बीमा कंपनी के टोल फ्री नम्बर अथवा क्रॉप इंश्योरेंस ऐप के माध्यम से दे सकते हैं। इसके अलावा प्रभावित किसान जिलों में कार्यरत बीमा कंपनी, कृषि कार्यालय अथवा संबंधित बैंक को भी हानि प्रपत्र भरकर सूचना दे सकते हैं। इस समय टोल फ्री बहुत व्यस्त होने के कारण संपर्क नही हो तो फसल बीमा एप पर किसान आसानी से सूचित कर सकते हैं।

किसानों को क्या-क्या जानकारी देना होगा ?

फसल बीमा क्लेम करने के लिए किसानों को बीमित फसल का सर्वे नम्बर, प्रभावित क्षेत्र एवं नुकसान का सही कारण, घटना की तारीख़ और समय, फसल के नुक़सान का प्रमाण (फसल बीमा ऐप के माध्यम से फोटो जमा करें), खेत का पता, अधिसूचित बीमा इकाई एवं बैंक खाते का विवरण देना होगा। 

किसान इन टोल फ्री नम्बर पर करें कॉल 

बारां, धौलपुर, हनुमानगढ़, बाडमेर, झुन्झुनू, करौली एवं उदयपुर जिले के किसान एग्रीकल्चर इन्श्योरेन्स कंपनी ऑफ इण्डिया लिमिटेड के टोल फ्री नंबर 18004196116 पर सूचना दे सकते हैं। इसी प्रकार चूरू, भीलवाडा, राजसमन्द, दौसा, झालावाड, श्रीगंगानगर एवं अलवर जिले के किसान एसबीआई जनरल इन्श्योरेन्स कंपनी लिमिटेड के टोल फ्री नंबर 18002091111, बांसवाडा, नागौर भरतपुर, जयपुर, पाली एवं प्रतापगढ़ के किसान रिलायन्स जनरल इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड के टोल फ्री नंबर 18001024088 तथा बूंदी, डुंगरपुर एवं जोधपुर के किसान फ्यूचर जनरली इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड के नंबर 18002664141 पर सूचना दे सकते हैं। 

इसी तरह अजमेर, जालौर, सवाई माधोपुर एवं कोटा के किसान बजाज अलायन्ज जनरल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड के नंबर 18002095959, जैसलमेर, सीकर एवं टोंक के किसान एचडीएफसी एग्रो जनरल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड के नंबर 18002660700 तथा बीकानेर, चितौड़गढ़ एवं सिरोही के किसान यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड के टोल फ्री नंबर 18002005142 पर सूचित कर सकते हैं।

किसान इस मेले में आएँ और पाएँ ट्रैक्टर सहित अन्य कृषि यंत्र जीतने का मौका 

कृषि विकास मेला 2023 

जी हाँ, 10 मार्च से एक ऐसे ही कृषि मेले का आयोजन किया जा रहा है जहां किसानों को लकी ड्रॉ के माध्यम से प्रति दिन एक छोटा ट्रैक्टर, सुपर सीडर एवं पॉवर वीडर मशीन दी जाएगी। वहीं मेले के अंतिम दिन बड़ा ट्रैक्टर लकी ड्रॉ में निकाला जाएगा। हरियाणा के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय में 10 से 12 मार्च के दौरान तीन दिवसीय कृषि विकास मेला का आयोजन किया जा रहा है।

कृषि विकास मेला, 2023 का आयोजन मेला ग्राउंड, नजदीक गेट नम्बर 3, बालसम्बंध रोड, चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार, हरियाणा में 10 मार्च से किया जाएगा जो 12 मार्च तक चलेगा। मेले में किसानों को नई कृषि तकनीकों से अवगत कराया जाएगा। इसके अलावा किसान यहाँ से विभिन्न फसलों के उन्नत किस्मों के बीज भी ख़रीद सकेंगे।

मेले में क्या रहेगा खास 

इस बारे में जानकारी देते हुए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि राज्य के प्रगतिशील किसानों को नई कृषि तकनीकों से अवगत करवाने के लिए इस मेले का आयोजन किया जा रहा है। मेले में कृषि एवं औद्योगिक प्रदर्शनी लगाई जाएगी तथा किसानों के मध्य फसल प्रतियोगिता का आयोजन करवाया जाएगा।

इसी प्रकार, रबी फसलों की नई किस्मों का प्रदर्शन किया जाएगा और मिट्टी व पानी के नमूनों की सामान्य शुल्क पर जांच की जाएगी। कृषि संबंधित समस्याओं एवं समाधान विषय पर प्रश्नोत्तरी सभा होगी और खरीफ फसलों व सब्जियों के प्रमाणित बीजों की जानकारी दी जाएगी एवं बिक्री की जाएगी।

ट्रैक्टर एवं अन्य कृषि यंत्र दिए जाएँगे ईनाम में

प्रवक्ता के अनुसार इस कृषि विकास मेला में जहां हरियाणवी सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे वहीं लकी ड्रॉ के माध्यम से प्रतिदिन एक छोटा ट्रैक्टर, सुपर सीडर व पॉवर विंडर मशीन तथा 12 मार्च 2023 को किसानों को बड़ा ट्रैक्टर जीतने का मौका मिलेगा। उन्होंने आगे बताया कि इस विषय में और अधिक जानकारी टोल फ्री नंबर 18001802117 पर कॉल करके ली जा सकती है।

मौसम चेतावनी: 7 से 9 मार्च के दौरान इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओला वृष्टि

7 से 9 मार्च के लिए मौसम पूर्वानुमान

बीते दिनों से देश के उत्तरी पश्चिमी राज्यों के कई स्थानों में आंधी बारिश के साथ ही ओला वृष्टि का दौर जारी है जिससे किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग IMD की मानें तो ऐसा मौसम 9 मार्च तक रहने का अनुमान है। मौसम विभाग के अनुसार देश में अभी पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय है जिसके चलते मध्य प्रदेश, विदर्भ, मराठवाड़ा, मध्य महाराष्ट्र, गुजरात और छत्तीसगढ़ के कई जिलों में तेज हवा के साथ बारिश हो सकती है। 

वहीं दक्षिणी राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़ में कई स्थानों पर आंधी बारिश के साथ ही ओला वृष्टि होने की भी संभावना व्यक्त की गई है। इसके अलावा 7 से 10 मार्च के दौरान ओडिशा, पश्चिम बंगाल, सिक्किम एवं झारखंड के कई हिस्सों में आंधी के साथ वर्षा होने की संभावना है।

राजस्थान के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओला वृष्टि

भारतीय मौसम विभाग के जयपुर केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 7 से 8 मार्च के दौरान अजमेर, अलवर, बाँसवाड़ा, बारां, भरतपुर, भीलवाड़ा, बूंदी, चित्तौरगढ़, दौसा, धौलपुर, डूंगरपुर, जयपुर, झालावाड़, झुंझुंनू, करौली, कोटा, प्रतापगढ़, राजसमंद, सवाईमाधोपुर, सीकर, सिरोही, टोंक, उदयपुर, चूरु, हनुमानगढ़, जोधपुर, नागौर, पाली एवं श्रीगंगानगर ज़िलों में कहीं-कहीं कुछ स्थानों पर तेज आंधी के साथ हल्की से मध्यम वर्षा एवं कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि होने की संभावना है।

मध्य प्रदेश के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

भारतीय मौसम विभाग के भोपाल केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 7 से 8 मार्च के दौरान मध्यप्रदेश के भोपाल, विदिशा, रायसेन, सिहोर, राजगढ़, नर्मदापुरम, बैतूल, हरदा, बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन, बड़वानी, अलीराजपुर, झाबुआ, धार, इंदौर, रतलाम, उज्जैन, देवास, शाजापुर,  आगर-मालवा, मंदसौर, नीमच, गुना, अशोक नगर, शिवपुरी, ग्वालियर, दतिया, भिंड, मुरैना, शयोपुर कला, सिंगरौली, सीधी, रीवा, सतना, अनुपपुर, जिलों में शहडोल, उमरिया, डिंडोरी, कटनी, जबलपुर, नरसिंगपुर, छिंदवाड़ा, सिवनी, मंडला, बालाघाट, पन्ना, दमोह, सागर, छतरपुर, टीकमगढ़ एवं निवाड़ी ज़िलों में कहीं-कहीं कुछ स्थानों पर तेज हवाओं के साथ हल्की से मध्यम वर्षा एवं कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि होने की संभावना है।

झारखंड के इन जिलों में हो सकती है बारिश

भारतीय मौसम विभाग के राँची केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 7 से 9 मार्च के दौरान झारखंड राज्य के बोकारो, चतरा, देवघर, धनबाद, दुमका, पूर्वी सिंहभूम, गढ़वा, गिरिडीह, गोड्डा, गुमला, हज़ारीबाग़, जामताड़ा, खुटी, कोडरमा, लातेहार, लोहरदग्गा, पाकुड़, पलामू, रामगढ़, राँची, साहिबगंज, सराइकेला खरसावाँ, सिमडेगा एवं पश्चिमी सिंहभूम में अधिकांश स्थानों पर तेज हवाओं के साथ गरज चमक एवं बौछारें पड़ सकती हैं। 

छत्तीसगढ़ के इन जिलों में हो सकती है बारिश

भारतीय मौसम विभाग के रायपुर केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 7 से 9 मार्च के दौरान छत्तीसगढ़ के सरगुज़ा, जशपुर, कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर, बिलासपुर जिलों में कहीं कुछ स्थानों पर मध्यम से हल्की वर्षा हो सकती है।