ग्रीन हाउस, शेडनेट हाउस, लो टनल एवं प्लास्टिक मल्चिंग के लिए 60 हजार किसानों को दी जाएगी सब्सिडी

संरक्षित खेती के लिए योजना को मिली मंजूरी

देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने एवं फसलों को प्राकृतिक आपदाओं, कीट रोगों से बचाने के लिए सरकार सरंक्षित खेती को बढ़ावा दे रही है। सरंक्षित खेती से किसान वर्ष भर उद्यानिकी फसलों की खेती कर अधिक मुनाफ़ा कमा सकते हैं। इसके महत्व को देखते हुए राजस्थान सरकार ने सरंक्षित खेती को राज्य में प्रोत्साहन देने के लिए विभिन्न योजनाओं को मंजूरी दे दी है।

राजस्थान में संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए दो वर्षों में 60 हजार किसानों को 1 हजार करोड़ रूपए का अनुदान मिलेगा। यह राशि ग्रीन हाउस, शेडनेट हाउस, लो टनल, प्लास्टिक मल्चिंग के लिए दी जाएगी। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने अनुदान के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है। 

इस वर्ष 30 हजार किसानों को दिया जाएगा योजना का लाभ

राजस्थान सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 30 हजार किसानों को 501 करोड़ रुपए का अनुदान देने का फैसला लिया है। इसमें कृषक कल्याण कोष से 444.43 करोड़ रुपए वहन होंगे। साथ ही राष्ट्रीय बागवानी मिशन/राष्ट्रीय कृषि विकास योजना से 56 करोड़ (राज्यांश 22.75 करोड़) रुपए वहन किए जाएंगे। 

वहीं वित्तीय वर्ष 2024-25 में भी 30 हजार किसानों को 500 करोड़ रुपए का अनुदान मिलेगा। इसमें अधिसूचित जनजाति क्षेत्र के किसानों और समस्त लघु/सीमांत किसानों को 25 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी भी मिलेगी। 

बारिश एवं ओला वृष्टि से हुए फसल नुकसान का मुआवजा लेने के लिए इन जिलों के किसान अभी आवेदन करें

फसल नुकसान के मुआवजे हेतु कृषि इनपुट अनुदान योजना

इस वर्ष देश में बेमौसम बारिश एवं ओला वृष्टि के चलते किसानों की रबी फसलों को काफी नुकसान हुआ है। जिसकी भरपाई अलग-अलग राज्यों में राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत की जा रही है। इस कड़ी में बिहार सरकार ने राज्य में किसानों को कृषि इनपुट अनुदान देने का निर्णय लिया है। जिसके लिए सरकार ने आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी है। किसान 20 अप्रैल तक आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं।

बिहार में इस वर्ष रबी मौसम में 17 से 21 मार्च के दौरान आसामयिक वर्षापात/ ओला वृष्टि/ आंधी-तूफ़ान से किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ था। किसानों को हुए इस नुकसान की भरपाई के लिए बिहार सरकार कृषि इनपुट अनुदान योजना रबी (22-23) के तहत करने जा रही है, इसके लिए सरकार ने प्रभावित ज़िलों के किसानों से आवेदन माँगे हैं।

कृषि इनपुट अनुदान योजना के तहत कितनी राशि दी जाएगी?

राज्य में आसामयिक वर्षापात/ ओला वृष्टि/ आंधी-तूफ़ान आदि से किसानों को हुए नुकसान का मुआवजा देने के लिए बिहार सरकार ने कृषि इनपुट अनुदान योजना लागू की है। योजना के अंतर्गत किसानों को निम्नांकित दर से कृषि इनपुट अनुदान दिया जाएगा।

  • वर्षा आश्रित फसल क्षेत्रों अर्थात् असिंचित क्षेत्र के लिए 8500 रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान दिया जाएगा।
  • सिंचित क्षेत्र के लिए 17,000 रुपए प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जाएगा।
  • शाश्वत/ बहुवर्षीय फसल (गन्ना सहित) के लिए 22,500 रुपए प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जाएगा।

किसानों को यह अनुदान अधिकतम दो हेक्टेयर के लिए ही दिया जाएगा। किसान को इस योजना के अंतर्गत असिंचित फसल क्षेत्र के लिए न्यूनतम 1000 रुपए, सिंचित फसल क्षेत्र के लिए न्यूनतम 2000 रुपए एवं शाश्वत/बहु वर्षीय फसल (गन्ना सहित) क्षेत्र के लिए न्यूनतम 2500 रुपए का अनुदान दिया जाएगा। 

इन 6 जिलों के किसान कर सकते हैं योजना के लिए आवेदन 

बिहार में 6 ज़िलों के 20 प्रखंडों के 299 पंचायतों में क्षति ग्रस्त फसलों के लिए कृषि इनपुट अनुदान योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसमें गया, सीतामढ़ी, रोहतास, पूर्वी चम्पारण, शिवहर एवं मुज्जफरपुर ज़िलों को शामिल किया गया है। कृषि इनपुट अनुदान सभी पंजीकृत रैयत एवं गैर रैयत किसानों को दिया जाएगा। आसामयिक वर्षापात/ ओला वृष्टि/ आंधी-तूफ़ान से प्रभावित जिले, प्रखंड एवं पंचायत के रैयत एवं गैर रैयत किसान इस योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

पंचायत की सूचि देखने के लिए क्लिक करें 

आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज

इस योजना के अंतर्गत रैयत किसान/ किसान परिवार के लिए अद्यतन अथवा वर्ष 2021-22 का LPC/ लगान रसीद एवं गैर रैयत किसान परिवार के लिए स्वघोषित प्रमाण पत्र जो वार्ड सदस्य एवं कृषि समन्वयक के द्वारा प्रमाणित हो मान्य होगा। स्वघोषित प्रमाण पत्र का प्रारूप डीबीटी पोर्टल पर उपलब्ध है, जिसे डाउनलोड किया जा सकता है।

स्वघोषित प्रमाण पत्र डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें

कृषि इनपुट अनुदान योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन कहाँ करें

योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई है जो 20 अप्रैल 2023 तक जारी रहेगी। योजना सिर्फ किसान/ किसान परिवार के लिए मान्य है। किसान परिवार का अर्थ है पति + पत्नी + अवयस्क बच्चे। आवेदन के समय आवेदक किसान को अपने परिवार का विवरण आधार सत्यापन के साथ देना अनिवार्य होगा।

किसान कृषि इनपुट -रबी (22-23) योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन https://dbtagriculture.bihar.gov.in पर कर सकते हैं। आवेदन के लिए 13 अंको की पंजीकरण संख्या का उपयोग कर इस योजना का लाभ ले सकते हैं। प्रखंडो एवं पंचायतों की सूची डी.बी.टी. पोर्टल पर उपलब्ध है। किसान प्रातः 9 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए किसान कॉल सेंटर के टोल फ्री नंबर 1800-180-1551 पर या सम्बंधित ज़िला कृषि पदाधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।

कृषि इनपुट अनुदान योजना के तहत आवेदन करने के लिए क्लिक करें

सरकार ने दी गेहूं खरीदी नियमों में छूट, अब सिकुड़े-टूटे हुए गेहूं भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ख़रीदेगी सरकार

सिकुड़े-टूटे हुए गेहूं की समर्थन मूल्य MSP पर खरीद

देश में रबी फसलों की खरीदी का कम शुरू हो चुका है, इस वर्ष बेमौसम बारिश एवं ओला वृष्टि से किसानों की फ़सलों को काफी नुकसान हुआ है। वहीं गेहूं की चमक कम होने, टूट होने के चलते किसानों को अपनी उपज का उचित भाव भी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार ने किसानों को बड़ी राहत देते हुए कुछ राज्यों में गेहूं की सरकारी खरीद में बड़ी रियायत देते हुए 80 प्रतिशत तक लस्टर लॉस वाली और 18 प्रतिशत तक सिकुड़े-टूटे गेहूं को खरीदने की छूट दी है। 

इस संबंध में एक पत्र भी जारी कर दिया गया है जिसमें हरियाणा के उपमुख्यमंत्री श्री दुष्यंत चौटाला द्वारा केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल को 5 अप्रैल को लिखे पत्र का हवाला देते हुए कहा गया है कि भारी बारिश के कारण हुए नुकसान को देखते हुए केंद्र सरकार ने रबी सीजन 2023-24 में लस्टर लॉस और सिकुड़े-टूटे गेहूं की खरीद में छूट देने की डिमांड को स्वीकार कर लिया गया है।

10 प्रतिशत चमक में कमी होने पर भी मिलेगा MSP का लाभ

केंद्र सरकार ने अब अधिकतम 80 प्रतिशत तक हुए लस्टर लॉस पर भी गेहूं को खरीदने की छूट खरीद एजेंसियों को दे दी है। चमक में 10 प्रतिशत तक की कमी पर खरीद मूल्य में कोई कटौती नहीं होगी और इससे अधिक लस्टर लॉस होने पर नियमानुसार मामूली कटौती की जाएगी। इसी तरह गेहूं के दाने में 6 प्रतिशत सिकुड़न-टूट होने पर खरीद मूल्य में कोई कटौती नहीं होगी और 18 प्रतिशत तक सिकुड़े-टूटे दाने वाली गेहूं की खरीद पर केंद्र सरकार के नियमानुसार मामूली कटौती की जाएगी। बता दें कि इस वर्ष गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2125 रुपए प्रति क्विंटल है। 

बार-बार बारिश के चलते हुई है गेहूं कि उपज प्रभावित 

हरियाणा राज्य में इस वर्ष मार्च, 2023 में कटाई से ठीक पहले बारिश और ओलावृष्टि शुरू हो गई थी। जिसने हरियाणा में खड़ी फसलों को चौपट कर दिया। भारी बारिश के कारण गेहूं की फसल की चमक खराब होने के संबंध में प्रमुख खरीद जिलों कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, फतेहाबाद, सिरसा, जींद और यमुनानगर से रिपोर्ट ली गई है। बार-बार होने वाली बारिश और ओलावृष्टि होने से उत्पादन तो प्रभवित हुआ ही है साथ ही अनाज की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ा है।

मौसम विभाग ने जारी किया वर्ष 2023 के लिए मानसून पूर्वानुमान, इस वर्ष बारिश को लेकर की यह भविष्यवाणी

मानसून पूर्वानुमान वर्ष 2023

अभी तक किसानों के लिए यह साल परेशानियों भरा रहा है, बेमौसम बारिश एवं ओला वृष्टि से किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है। वहीं प्राइवेट मौसम पूर्वानुमान एजेंसी, स्काईमेट वेदर ने इस वर्ष सामान्य से कम मानसूनी बारिश का पूर्वानुमान जारी किया है जिससे किसानों कि चिंता और बढ़ गई है। इस बीच भारतीय मौसम विज्ञान विभाग IMD ने भी इस वर्ष के लिए अपना पहला मानसून पूर्वानुमान जारी कर दिया है, जिसमें किसानों के लिए राहत भरी खबर आई है। 

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग IMD ने इस वर्ष के अपने पहले पूर्वानुमान में इस वर्ष मानसून के सामान्य रहने की भविष्यवाणी की है। मौसम विभाग की मानें तो पूरे देश में जून से सितंबर तक दक्षिण पश्चिम मानसून की 96 प्रतिशत वर्षा होने की संभावना है जिससे किसानों को कम वर्षा के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।

इस वर्ष मानसून में कितनी वर्षा होगी?

मौसम विभाग ने इस वर्ष अपने पहले पूर्वानुमान में बताया है कि इस वर्ष देश में मात्रात्मक रूप से, मानसून मौसमी वर्षा ± 5 प्रतिशत की मॉडल त्रुटि के साथ लंबी अवधि के औसत ( एलपीए ) का 96 प्रतिशत होने की संभावना है। जबकि 1971-2020 के आंकड़ों के आधार पर पूरे देश में मौसमी वर्षा का एलपीए 87 सेमी है। वही स्काईमेट वेदर ने अपने पूर्वानुमान में 94 फ़ीसदी बारिश होने का अनुमान लगाया है। 

एलपीए का 96 से 104 प्रतिशत को सामान्य बारिश, 90 से कम प्रतिशत को कम वर्षा, 90-95 फ़ीसदी को सामान्य से कम वर्षा, 105-110 को सामान्य से अधिक वर्षा एवं 110 प्रतिशत से अधिक होने पर अधिक वर्षा की श्रेणी में रखा जाता है। मौसम विभाग द्वारा प्रतिवर्ष 2 बार मानसून का पूर्वानुमान जारी किया जाता है। पहले चरण का पूर्वानुमान अप्रैल में जारी किया जाता है और दूसरा चरण या अद्यतन पूर्वानुमान मई के अंत तक जारी किया जाता है।

किस राज्य में होगी कैसी वर्षा

जैसा कि नीचे चित्र में अलग-अलग रंगो से पता चलता है कि प्रायद्वीपीय भारत के कई क्षेत्रों और इससे सटे पूर्व मध्य भारत, पूर्वोत्तर भारत और उत्तर पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है । उत्तर पश्चिमी भारत के कुछ क्षेत्रों और पश्चिमी मध्य भारत के कुछ हिस्सों और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से सामान्य से कम वर्षा होने की संभावना है।

monsoon rain forecast 2023 statewise

जैसा कि चित्र में पीले रंगों से दिखाया गया है इस वर्ष गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, बिहार उत्तर प्रदेश, पश्चिमी मध्य प्रदेश एवं राजस्थान राज्यों के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से कम वर्षा होने की संभावना है। वहीं नीले एवं हरे रंगों से दिखाए गए स्थानों केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, असम, अरुणाचल प्रदेश जम्मू कश्मीर, लड्डाख के अधिकांश क्षेत्रों में सामान्य या सामान्य से अधिक वर्षा होने की सम्भावना है। 

गर्मी में लगाई गई मूंग एवं उड़द भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ख़रीदेगी सरकार, किसानों को होगा दोगुना फ़ायदा

जायद मूंग एवं उड़द की समर्थन मूल्य MSP पर खरीद

खरीफ एवं रबी फसलों को प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, बेमौसम बारिश, पाला, जल भराव, ओला वृष्टि आदि से काफी नुकसान हो जाता है। ऐसे में किसानों को जायद में लगाई जाने वाली फसल से काफी उम्मीदें रहती है। ऐसे में यदि किसान को इसका उचित मूल्य न मिले तो उन्हें घाटा होने की भी सम्भावना रहती है। ऐसे में मध्य प्रदेश के किसानों के लिए राहत भरी खबर आई है। 

मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री की अध्यक्षता में हुई मंत्री परिषद की बैठक में सरकार ने किसानों के द्वारा गर्मी में लागी जाने वाली मूंग एवं उड़द फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पर करने का निर्णय लिया है। मंत्री परिषद की बैठक में ग्रीष्मकालीन मूंग समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने” एवं “मध्यप्रदेश राज्य मिलेट मिशन योजना” को स्वीकृति प्रदान की है।

किसानों को होगा दोगुना फायदा

मध्य प्रदेश के किसान-कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने इसको लेकर कहा कि ग्रीष्मकालीन मूंग समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने से किसानों को लगभग दोगुना फायदा होगा। गत वर्ष मॉर्केट में ग्रीष्मकालीन मूंग की बिक्री लगभग 4 हजार रूपये प्रति क्विंटल हो रही थी। सरकार ने समर्थन मूल्य पर 7 हजार 225 रूपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदी की थी। मंत्री श्री पटेल ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री चौहान के नेतृत्व में सरकार ने इस बार भी वर्ष 2023-24 के लिये किसानों से ग्रीष्मकालीन मूंग को समर्थन मूल्य पर खरीदने का किसान हितैषी निर्णय लिया है।

उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश के मंत्रि-परिषद ने मंगलवार 11 अप्रैल को हुई बैठक में भारत सरकार की प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान में (PM-AASHA) प्राइस सपोर्ट स्कीम (PSS) एवं मूल्य स्थिरीकरण कोष (PSF) में ग्रीष्मकालीन वर्ष 2021-22 (विपणन वर्ष 2022-23) में मूंग एवं उड़द का पंजीकृत किसानों से उपार्जन, राज्य उपार्जन एजेंसी म.प्र. राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित द्वारा किए जाने का निर्णय लिया है।

किस भाव पर मूंग एवं उड़द ख़रीदेगी सरकार

प्रति वर्ष केंद्र सरकार द्वारा देश भर में रबी एवं खरीफ सीजन में उपजाई जाने वाली विभिन्न फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP की घोषणा की जाती है। जिस पर ही देश के अलग-अलग राज्यों में इन फसलों की खरीदी की जाती है।  केंद्र सरकार ने पिछले खरीफ सीजन में मूंग के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 7,755 रुपए प्रति क्विंटल एवं उड़द के लिए 6,600 रुपए प्रति क्विंटल का भाव तय किया था। सरकार द्वारा इस जायद सीजन में इस भाव पर ही मूंग एवं उड़द की खरीदी की जाएगी।

सरकार ने मिलेट मिशन को दी मंजूरी, किसानों को अब 80 प्रतिशत अनुदान पर दिए जाएँगे इन फसलों के उन्नत बीज

राज्य मिलेट मिशन योजना के तहत बीज अनुदान

वर्ष 2023 को देश मिलेट्स वर्ष के रूप में मना रहा है, जिसको देखते हुए देश में मिलेट (मोटा अनाज) फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। वहीं अधिक से अधिक किसानों को इन फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा नई योजनाएँ शुरू की जा रही है। इस कड़ी में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में सरकार ने राज्य में “मध्यप्रदेश राज्य मिलेट मिशन योजना” को लागू करने का निर्णय लिया है।

योजना के तहत मिलेट फसलों की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार द्वारा न केवल किसानों को अनुदान पर बीज दिए जाएँगे बल्कि मिलेट मिशन योजना की गतिविधियों का बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार किया जाएगा। मिलेट फसलों के उत्पादन, प्र-संस्करण एवं विपणन को बढ़ावा देने के लिए किसानों के प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं राज्य के बाहर अध्ययन भ्रमण होंगे। मिलेट को बढ़ावा देने के लिए जिला एवं राज्य स्तर पर मेले, कार्यशाला, सेमीनार, फूड फेस्टिवल, रोड-शो किए जाएंगे।

80 प्रतिशत अनुदान पर दिए जाएँगे उन्नत किस्मों के बीज

मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में आगामी दो वर्षों 2023-24 एवं वर्ष 2024-25 के लिए राज्य मिलेट योजना के क्रियान्वयन को मंजूरी दी है। सरकार इस योजना पर 2 वर्षों में 23 करोड़ 25 लाख रुपए खर्च करेगी। योजना का क्रियान्वयन संचालक, किसान-कल्याण तथा कृषि विकास के माध्यम से सभी जिलों में किया जायेगा। किसानों को मोटे अनाज के उन्नत प्रमाणित बीज सहकारी/शासकीय संस्थाओं से 80 प्रतिशत अनुदान पर प्रदान किए जाएंगे। योजना की मॉनिटरिंग के लिए कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समिति गठित की जाएगी।

कम उपजाऊ क्षेत्र में आसानी से की जा सकती है इन फसलों की खेती

मिलेट अनाज की फसलें कभी मध्य प्रदेश की खान-पान की संस्कृति के केंद्र में थी। वर्तमान में इन फसलों के पोषक महत्व को दृष्टिगत रखते हुए इन्हें बढ़ावा दिया जाना आवश्यक है। इन फसलों की खेती प्रायः कम उपजाऊ क्षेत्रों में की जाती है। वर्तमान में उपभोक्ताओं में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने से मिलेट फसलों की माँग बढ़ रही है। 

कोदो, कुटकी, रागी, सांवा जैसी फसलें स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत लाभदायक हैं। इन मिलेट फसलों के महत्व के दृष्टिगत इनको पोषक अनाज का दर्जा दिया गया है। इन फसलों के अनाज आयरन, कैल्शियम, फाइबर आदि से भरपूर होते हैं। साथ ही इनमें वसा का प्रतिशत भी कम होता है, जिससे हृदय रोगी एवं डायबिटीज रोगियों के द्वारा इनका उपयोग सुरक्षित पाया गया है। इसलिए किसानों के बीच मिलेट फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने एवं मिलेट फसलों से तैयार व्यंजनों का प्रचार-प्रसार किया जाना आवश्यक है।

यहाँ शामिल किया जाएगा मोटे अनाज से बने उत्पादों को 

मध्यप्रदेश में कोदो-कुटकी, ज्वार एवं रागी के क्षेत्र विस्तार, उत्पादकता एवं उत्पादन वृद्धि की पर्याप्त संभावनाएँ हैं। साथ ही मिलेट फसलों के बढ़ते बाजार के दृष्टिगत मूल्य संवर्धन (Value Addition) की संभावना भी काफी अधिक है। प्रदेश में शासकीय कार्यक्रमों में जहाँ भोजन की व्यवस्था की जाती है, एक व्यंजन मोटे अनाज का भी रखा जायेगा। छात्रावास एवं मध्यान्ह भोजन में सप्ताह में एक दिन मोटे अनाज का उपयोग हो, इसकी व्यवस्था की जायेगी।

स्काईमेट ने जारी किया मानसून का पूर्वानुमान: जानिए इस वर्ष देश में कैसी रहेगी मानसूनी वर्षा

मानसून पूर्वानुमान 2023

इस वर्ष की शुरुआत से अभी तक बेमौसम बारिश एवं ओला वृष्टि से किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है। ऐसे में अब किसानों को आगामी खरीफ सीजन से काफी उम्मीद है। परंतु भारत की एकमात्र प्राइवेट मौसम पूर्वानुमान एजेंसी, स्काईमेट वेदर ने इस वर्ष के लिए मानसून का पूर्वानुमान जारी कर दिया है। जिसने किसानों के लिए चिंता को बढ़ा दिया है। अपने इस वर्ष के पहले पूर्वानुमान में स्काईमेट ने देश में सामान्य से कम मानसून की संभावना व्यक्त की है, यानि की पहले अनुमान में बारिश सामान्य से कम रह सकती है।

स्काइमेट के मॉनसून पूर्वानुमान के अनुसार जून से सितंबर तक 4 महीने की औसत वर्षा की 868.8 मिमी की तुलना में 816.5 मिमी यानी कि 94% की संभावना है (एरर मार्जिन +/-5 फीसदी)। स्काईमेट ने 04 जनवरी, 2023 को जारी अपने पहले के पूर्वाभास में 2023 के मॉनसून का औसत से कम रहने का आकलन किया था और अब इसे बरकरार रखा है।

अलनीनो के चलते रहेगा कमजोर मानसून

इस वर्ष कमजोर मानसून के लिए अलनीनो परिस्थिति को ज़िम्मेदार बताया जा रहा है। इसके कारण बारिश सामान्य से भी काफी कम होती है। अनुमान जताया जा रहा है कि अल नीनो का प्रभाव मई से जुलाई महीने के बीच देखा जा सकता है। बता दें कि अल नीनो का मतलब है कि जब समुद्र का तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में जो बदलाव आते हैं उसी समुद्री घटना को अल नीनो कहा जाता है।

किस राज्य में होगी कैसी बारिश

अपने पूर्वानुमान में स्काईमेट ने यह भविष्यवाणी की है कि देश के उत्तरी और मध्य भागों में बारिश की कमी होने की सम्भावना है। गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में जुलाई और अगस्त के महीनों में अपर्याप्त बारिश होने की उम्मीद है। वहीं उत्तर भारत के कृषि क्षेत्र पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सीजन के दूसरे भाग में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है। 

किस महीने कैसी बारिश होगी बारिश

स्काईमेट के द्वारा जारी पूर्वानुमान में जून महीने में सामान्य बारिश की संभावना 99 फ़ीसदी की है। वहीं जुलाई महीने में सामान्य या सामान्य से कम बारिश की संभावना है जो LPA के मुक़ाबले 95 प्रतिशत है। इसके अलावा अगस्त महीने में सामान्य से कम बारिश होगी जो LPA के मुक़ाबले 92 प्रतिशत होने का अनुमान है। वही सितम्बर महीने में भी सामान्य से कम बारिश होने का अनुमान है जो LPA के मुक़ाबले 90 फ़ीसदी है। 

बारिश ओलावृष्टि से खराब हुई फसलों की स्पेशल गिरदावरी के लिए रखे जाएँगे क्षतिपूर्ति सहायक, किसानों को मिलेगा इतना मुआवजा

खराब फसलों की गिरदावरी के लिए क्षतिपूर्ति सहायक

देश में रबी फसलों की कटाई का काम ज़ोरों पर चल रहा है, ऐसे में किसानों को मार्च महीने एवं अप्रैल महीने की शुरुआत में हुए फसल नुकसान का आंकलन जल्द किया जा सके इसके लिए हरियाणा सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। हरियाणा सरकार राज्य में खराब हुई फसलों की स्पेशल गिरदावरी कराने जा रही है। जिसके लिए सरकार ने क्षतिपूर्ति सहायक नियुक्त करने का निर्णय लिया है। जिससे गिरदावरी प्रक्रिया को तेज किया जा सके।

क्षतिपूर्ति सहायक को वेरिफिकेशन के लिए 500 एकड़ का ब्लॉक दिया जाएगा। क्षतिपूर्ति सहायक पटवारी के साथ मिलकर खराब हुई फसल की फोटो, लोकेशन और टाइम स्टांप लगाने का काम करेगा। इन क्षतिपूर्ति-सहायकों की नियुक्ति केवल इस गिरदावरी के लिए की जाएगी। इन क्षतिपूर्ति सहायकों को 500 एकड़ के ब्लॉक की गिरदावरी करने पर 5,000 रुपए दिए जाएंगे।

किसानों फसल नुकसान का कितना मुआवजा दिया जाएगा?

हरियाणा सरकार के नियमानुसार 25 से 50 प्रतिशत नुकसान होने पर 9,000 रुपए, 75 प्रतिशत तक 12,000 रुपए और 100 प्रतिशत नुकसान होने पर 15,000 रूपए प्रति एकड़ तक मुआवजा दिया जाता है। सरकार ने इस बार नुकसान की रिपोर्ट का पूरे राज्य-स्तर पर तैयार होने का इंतजार किए बिना जिला स्तर पर रिपोर्ट बनते ही ‘राज्य आपदा राहत फंड’ से मुआवजा वितरण का कार्य शुरू करने का फैसला लिया है।

किसानों को कब तक दी जाएगी फसल नुकसान की राशि

हरियाणा सरकार ने बारिश और ओलावृष्टि से खराब हुई फसलों की स्पेशल गिरदावरी कराने का फैसला लिया है। साथ ही सरकार की तरफ से मई महीने तक किसानों को खराब हुई फसल का मुआवजा देने के निर्देश दिए गए हैं। प्रदेश सरकार किसानों को अविलंब राहत देना चाहती है, इसी के चलते फसलों को हुए नुकसान के जल्द आकलन के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। इस संबंध में उपायुक्तों को पारदर्शी तरीके से अविलंब क्षतिपूर्ति सहायक लगाने के आदेश जारी किए गए हैं।

16.83 लाख एकड़ में हुआ है फसलों को नुकसान

हरियाणा के उपमुख्यमंत्री ने बताया कि फरवरी माह के अलावा 24 मार्च, 25 मार्च तथा 30 मार्च से 3 अप्रैल तक बेमौसमी बारिश तथा ओलावृष्टि के कारण फसलों को नुकसान हुआ है। पिछले वर्ष राज्य सरकार द्वारा एक क्षतिपूर्ति पोर्टल बनाया गया था जिस पर स्वयं किसान द्वारा अपने नुकसान की रिपोर्ट को अपलोड करने की सुविधा दी गई है। अभी तक इस पोर्टल पर करीब 16.83 लाख एकड़ में नुकसान का आंकड़ा किसानों द्वारा दर्शाया गया है। इनमें सबसे ज्यादा चरखी दादरी, जींद, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, कैथल, सोनीपत में किसानों द्वारा अपलोड की गई रिपोर्ट के आधार पर एक-एक लाख एकड़ से ज्यादा फसल को नुकसान हुआ है।

किसानों को 72 घंटे में की जाएगी फसल बिक्री की पेमेंट, देरी होने पर सरकार देगी 9 प्रतिशत ब्याज

फसल बेचने के बाद पेमेंट में देरी होने पर दिया जाएगा ब्याज

अभी किसानों को बेमौसम बारिश एवं ओला वृष्टि से किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है, ऐसे में किसानों को राहत देने के लिए राज्य सरकारों के द्वारा किसान हित में कई निर्णय लिए जा रहे है। इसमें किसानों से चमक विहीन गेहूं की MSP पर खरीदी एवं किसानों को फसली ऋण के भुगतान की अवधि आगे बढ़ाना आदि शामिल है, इस कड़ी में अब हरियाणा सरकार ने राज्य के किसानों को फसल तुलाई के बाद भुगतान में देरी होने पर ब्याज की राशि देने का निर्णय लिया है। 

हरियाणा के उपमुख्यमंत्री श्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि राज्य सरकार ने करीब अढ़ाई साल पहले किसानों की खरीदी गई फसल का भुगतान सीधे उनके बैंक-खातों में भेजने की जो प्रक्रिया शुरू की थी उसको पूरे देश में सराहा गया। इस बार भी सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीदी गई फसल की पेमेंट सीधा किसानों के खाते में 48 से 72 घंटे के अंदर कर दी जाएगी, अगर देरी होती है तो उनको 9 प्रतिशत ब्याज समेत भुगतान किया जाएगा।

MSP पर मंडियों में की जा रही है इन फसलों की खरीद

हरियाणा के उपमुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद के लिए 408 मंडी, सरसों के लिए 102, दालों के लिए 11 और जौ के लिए 25 मंडियों को नामित किया गया है। अभी तक करीब 1.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं मंडियों में पहुंची है जिसमें से 18 हजार मीट्रिक टन की खरीद की गई है। पिछले वर्ष विभिन्न सरकारी एजेंसियों ने 67 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की थी, हालांकि ओलावृष्टि से नुकसान तो हुआ है फिर भी इस बार भी इतनी ही खरीद होने की संभावना है, जबकि राज्य सरकार ने 76 लाख मीट्रिक टन की खरीद के लिए पुख्ता प्रबंध किए हुए हैं।

सरकार ने की है गेहूं में चमक एवं नमी की मात्रा में छूट देने की माँग

मुख्यमंत्री ने बताया कि हाल ही में हुई बारिश व ओलावृष्टि से हुए नुकसान को देखते हुए उन्होंने केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री श्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा था जिसमें गेहूं की चमक व नमी की मात्रा में कुछ छूट देने का अनुरोध किया था। इसके बाद केंद्र सरकार की एक टीम सर्वे करके गई है और उन्हें उम्मीद है कि केंद्र सरकार उनकी मांग पर कुछ छूट प्रदान कर देगी।

यहाँ खराब हुई सब्ज़ियों से बनाई जा रही है बिजली, गैस एवं जैविक खाद, प्रधानमंत्री मोदी ने की तारीफ

सब्ज़ियों से बिजली उत्पादन एवं जैव खाद का निर्माण

देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने एवं हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए निरंतर नए प्रयास किए जा रहे हैं। इस कड़ी में तेलंगाना राज्य में हैदराबाद की बोवेनपल्ली सब्जी मंडी में बची हुई शेष सब्ज़ियों से जैव-बिजली, जैव ईंधन और जैव-खाद उत्पादन का कार्य किया जा रहा है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के एक एपिसोड के दौरान अपनी तरह की अनोखी जैव-विद्युत, जैव ईंधन और जैव-खाद उत्पादन परियोजना की प्रशंसा की।

प्रधानमंत्री ने कहा, “हमने देखा है कि सब्जी मंडियों में, सब्जियां कई कारणों से सड़ जाती हैं, जिससे अस्वास्थ्यकर स्थितियां उत्‍पन्‍न हो जाती हैं। बहरहाल, हैदराबाद की बोवेनपल्ली सब्जी मंडी के व्यापारियों ने अपशिष्‍ट सब्जियों से विद्युत उत्‍पन्‍न करने का निर्णय लिया। यह नवोन्‍मेषण की शक्ति है।”

500 यूनिट बिजली एवं 30 किलो जैविक ईंधन का हो रहा है उत्पादन

बोवेनपल्ली सब्जी मंडी के सचिव श्रीनिवास ने रेखांकित किया कि इस मंडी से एकत्रित सब्जी और फलों के अपशिष्‍ट के प्रत्येक औंस का उपयोग लगभग 500 यूनिट बिजली और 30 किलो जैव ईंधन उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। उत्पन्न विद्युत स्ट्रीटलाइट्स, 170 स्टालों, एक प्रशासनिक भवन और जल आपूर्ति नेटवर्क को बिजली प्रदान करती है, जबकि उत्पादित जैव ईंधन का उपयोग बाजार की व्यावसायिक रसोई में किया जाता है। बायोगैस संयंत्र को अब “सतत भविष्य का मार्ग” कहा जाता है।

वहीं मंडी में कैंटीन का संचालन स्थापित संयंत्र के माध्‍यम से उत्पन्न विद्युत द्वारा किया जाता है। मंडी यार्ड में 650-700 यूनिट बिजली की आवश्यकता होती है और औसतन 400 यूनिट बिजली का उत्पादन करने के लिए लगभग 7-8 टन सब्जी अपशिष्‍ट की जरूरत होती है। इसके परिणामस्‍वरूप, मंडी का स्‍थान भी स्‍वच्‍छ और प्रदूषण मुक्त रहता है। विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने भी संयंत्र का दौरा किया है और हमारे प्रयासों की सराहना की है।

इस तरह काम करता है बायोगैस संयंत्र

बोवेनपल्ली सब्जी मंडी और आस-पास के यार्डों में उत्पन्न अपशिष्ट (सड़ी हुई और न बिकने वाली सब्जियां) शहर भर से एकत्र किया जाता है। सब्जियों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है और कन्वेयर बेल्ट के ऊपर से श्रेडर तक चलाया जाता है। इसके बाद अपशिष्‍ट को कतरने की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जहां सभी सब्जियों को छोटे और समान आकार में क्रश कर दिया जाता है और ग्राइंडर में डाल दिया जाता है। यह ग्राइंडर सामग्री को लुगदी में और क्रश कर देती है, जिसे घोल भी कहा जाता है और उन्हें अवायवीय डाइजेस्टर्स में डाल दिया जाता है।

उत्पन्न गैस को एकत्र किया जाता है और अगले उपयोग तक बैलून में भंडारित किया जाता है। जैव खाद गैस के अतिरिक्त उपोत्पाद के रूप में प्राप्त होता है। एक अलग टैंक में, बायोगैस एकत्र किया जाता है और खाना पकाने के लिए पाइपलाइन प्रणाली के माध्यम से भेजा जाता है। जैव ईंधन को फिर 100 प्रतिशत बायोगैस जनरेटर में आपूर्ति की जाती है जिसका उपयोग कोल्ड स्टोरेज कमरे, पानी के पंप, दुकान, स्ट्रीट लाइट आदि को बिजली देने के लिए किया जाता है।

संयंत्र से तैयार उत्पादों को इन कार्यों में किया जा रहा है उपयोग

इस संयंत्र से प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले लगभग 30 किलोग्राम जैव-ईंधन की आपूर्ति इकाई के पास रसोई की सुविधाओं के लिए की जाती है। प्रशासनिक भवन, मंडी जलापूर्ति नेटवर्क, लगभग 100 स्ट्रीट लाइट और मंडी के 170 स्टॉल द्वारा 400-500 यूनिट बिजली का उपयोग किया जा रहा है। यह बायोगैस इकाई बिजली के बिल को आधे से कम करने में मदद करती है (पहले औसतन 3 लाख रुपये प्रति माह)। तरल जैविक खाद का उपयोग किसानों के खेतों में उर्वरक के रूप में किया जा रहा है।

अब यहाँ भी लगाए जाएँगे बायोगैस प्लांट

बोवेनपल्ली सब्‍जी मंडी की अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली की सफलता को देखते हुए इस तरह के संयंत्रों को अन्य सब्जी मंडियों में भी लगाने का फ़ैसला लिया है। इसकी दक्षता प्राप्‍त करने के बाद जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने उत्‍पन्‍न मंडी अपशिष्‍ट के लिए उपयुक्‍त अलग-अलग क्षमताओं के साथ विभिन्‍न मंडी यार्डों में पांच और समान प्रकार के संयंत्र (गुडीमलकापुर, गद्दीनाराम -5 टन /प्रतिदिन, एर्रागड्डा, अलवल, सर्रोरनगर – 500 किलोग्राम /प्रतिदिन) स्थापित करने के लिए और वित्तपोषण की घोषणा की।

महिला श्रमिकों को मिल रहा है रोजगार

बोवेनपल्ली का वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट महिलाओं के लिए अपशिष्‍ट को छांटने और उन्‍हें अलग करने, मशीनरी का संचालन करने और प्रशासनिक कार्यों का प्रबंधन करने जैसी विभिन्‍न भूमिकाओं में काम करने के अवसर प्रदान करके उनके लिए रोजगार के अवसर उपलब्‍ध कराता है। यह संयंत्र महिला श्रमिकों को कौशल विकास के अवसर के साथ-साथ एक निरंतर आय भी उपलब्‍ध कराता है।

मंडी से सम्बंधित अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि यहाँ प्रतिदिन औसतन 10 टन अपशिष्‍ट उत्पन्न होता है। इस अपशिष्‍ट में प्रतिवर्ष लगभग 6,290 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्‍साइड उत्पन्न करने की क्षमता है जो पर्यावरण के लिए अधिक हानिकारक हो सकती है। इस समस्या के समाधान के लिए बोवेनपल्ली सब्जी मंडी के अधिकारियों ने इस अपशिष्‍ट को ऊर्जा में बदलने का निर्णय किया।

इनके द्वारा की गई है इस अनूठे बायोगैस प्लांट की स्थापना

जैव प्रौद्योगिकी विभाग और कृषि विपणन तेलंगाना विभाग, गीतानाथ (2021) द्वारा वित्त पोषित बायोगैस संयंत्र सीएसआईआर-आईआईसीटी (वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान) के मार्गदर्शन और पेटेंट प्रौद्योगिकी के तहत स्थापित किया गया था, जिसे हैदराबाद स्थित आहूजा इंजीनियरिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निष्‍पादित किया गया था।