राज्य मिलेट मिशन योजना के तहत बीज अनुदान
वर्ष 2023 को देश मिलेट्स वर्ष के रूप में मना रहा है, जिसको देखते हुए देश में मिलेट (मोटा अनाज) फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। वहीं अधिक से अधिक किसानों को इन फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा नई योजनाएँ शुरू की जा रही है। इस कड़ी में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में सरकार ने राज्य में “मध्यप्रदेश राज्य मिलेट मिशन योजना” को लागू करने का निर्णय लिया है।
योजना के तहत मिलेट फसलों की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार द्वारा न केवल किसानों को अनुदान पर बीज दिए जाएँगे बल्कि मिलेट मिशन योजना की गतिविधियों का बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार किया जाएगा। मिलेट फसलों के उत्पादन, प्र-संस्करण एवं विपणन को बढ़ावा देने के लिए किसानों के प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं राज्य के बाहर अध्ययन भ्रमण होंगे। मिलेट को बढ़ावा देने के लिए जिला एवं राज्य स्तर पर मेले, कार्यशाला, सेमीनार, फूड फेस्टिवल, रोड-शो किए जाएंगे।
80 प्रतिशत अनुदान पर दिए जाएँगे उन्नत किस्मों के बीज
मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में आगामी दो वर्षों 2023-24 एवं वर्ष 2024-25 के लिए राज्य मिलेट योजना के क्रियान्वयन को मंजूरी दी है। सरकार इस योजना पर 2 वर्षों में 23 करोड़ 25 लाख रुपए खर्च करेगी। योजना का क्रियान्वयन संचालक, किसान-कल्याण तथा कृषि विकास के माध्यम से सभी जिलों में किया जायेगा। किसानों को मोटे अनाज के उन्नत प्रमाणित बीज सहकारी/शासकीय संस्थाओं से 80 प्रतिशत अनुदान पर प्रदान किए जाएंगे। योजना की मॉनिटरिंग के लिए कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समिति गठित की जाएगी।
कम उपजाऊ क्षेत्र में आसानी से की जा सकती है इन फसलों की खेती
मिलेट अनाज की फसलें कभी मध्य प्रदेश की खान-पान की संस्कृति के केंद्र में थी। वर्तमान में इन फसलों के पोषक महत्व को दृष्टिगत रखते हुए इन्हें बढ़ावा दिया जाना आवश्यक है। इन फसलों की खेती प्रायः कम उपजाऊ क्षेत्रों में की जाती है। वर्तमान में उपभोक्ताओं में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने से मिलेट फसलों की माँग बढ़ रही है।
कोदो, कुटकी, रागी, सांवा जैसी फसलें स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत लाभदायक हैं। इन मिलेट फसलों के महत्व के दृष्टिगत इनको पोषक अनाज का दर्जा दिया गया है। इन फसलों के अनाज आयरन, कैल्शियम, फाइबर आदि से भरपूर होते हैं। साथ ही इनमें वसा का प्रतिशत भी कम होता है, जिससे हृदय रोगी एवं डायबिटीज रोगियों के द्वारा इनका उपयोग सुरक्षित पाया गया है। इसलिए किसानों के बीच मिलेट फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने एवं मिलेट फसलों से तैयार व्यंजनों का प्रचार-प्रसार किया जाना आवश्यक है।
यहाँ शामिल किया जाएगा मोटे अनाज से बने उत्पादों को
मध्यप्रदेश में कोदो-कुटकी, ज्वार एवं रागी के क्षेत्र विस्तार, उत्पादकता एवं उत्पादन वृद्धि की पर्याप्त संभावनाएँ हैं। साथ ही मिलेट फसलों के बढ़ते बाजार के दृष्टिगत मूल्य संवर्धन (Value Addition) की संभावना भी काफी अधिक है। प्रदेश में शासकीय कार्यक्रमों में जहाँ भोजन की व्यवस्था की जाती है, एक व्यंजन मोटे अनाज का भी रखा जायेगा। छात्रावास एवं मध्यान्ह भोजन में सप्ताह में एक दिन मोटे अनाज का उपयोग हो, इसकी व्यवस्था की जायेगी।