सकरी पत्ती वाले खरपतवार
जहाँ खेती में मौसम परिवर्तन, रोग तथा कीट से नुकसान उठाना पड़ता है वहीं खरपतवार किसानों के लिए एक प्रमुख्य समस्या बन गया है | यह न केवल मिट्टी से फसल के साथ पौषक तत्वों का समान रूप से दोहन करता है बल्कि खरपतवार का असर फसल के उत्पादन पर भी देखने को मिलता है | कुछ खरपतवार फसल की बुवाई से पहले उग आते हैं तो कुछ खरपतवार फसल के बुवाई के बाद फसल के साथ अंकुरित होते है |
इसके लिए मिट्टी तथा कभी – कभी फसल के बीज जिम्मेदार होते हैं | इसका समुचित निंदाई जरुरी है | अगर किसान बुवाई से पहले ही खेत की मिट्टी की जुताई और खरपतवार के पौधों की निंदाई कर देते हैं तो खरपतवार के अंकुरण में कमी आ सकती है | खरपतवार की सबसे बड़ी समस्या तो बीज के बुवाई के बाद आता है जिसे खेत से निकलना मुश्किल होता है | आज किसान समाधान खरपतवार की नियंत्रण की जानकारी लेकर आया है |
खेतों में निम्नलिखित तरह के खरपतवार की उत्त्पति होती है जैसे संवा , दूध घास , लार्ज क्रैब घास ,कोंदों , क्रोफुत घास , मिनी घास यह सभी संकरी पत्ती वाले खरपतवार हैं | इसके रोकथाम के लिए यह सभी उपाय करें |
(सकरी पत्ती वाले खरपतवार ) की रोकथाम की समुचित व्यवस्था
- बुवाई से पूर्व गहरी जुताई
- बुवाई के समय स्वस्थ्य , शुद्ध और साफ बीजों का उपयोग
- यांत्रिक विधि द्वारा खरपतवारों का नियंत्रण (व्हील – हो इत्यादि)
- फसल की प्रारम्भिक अवस्था में जब फसल एवं खरपतवार के मध्य प्रतिस्पर्धा अधिकतम होती है (बुवाई के 25 – 30 दिन पश्चात् तथा 45 – 50 दिन पश्चात्) खुरपी द्वारा निंदाई और गुडाई के माध्यम से खरपतवार को निकलना |
- उचित फसल चक्र अपनाएं
- अरहर के साथ मुंग व उर्द की अन्त: फसल अपनाकर खरपतवारों को रोक जा सकता है |
- बुवाई के 20 – 25 दिन पश्चात् क्युजालोफ़ोप – इथाईल / 0.1 – 0.15 किलोग्राम / हेक्टयर मात्रा को 500 लीटर पानी में घोलकर फ्लैट – फैन नोजल द्वारा छिड़काव करें |
Dhaniya kharpatwar wali davaiyan ki jankari
https://kisansamadhan.com/crops-production/horticulture-and-cash-crops/coriander-cultivation/ सर दी गई लिंक पर जानकारी देखें।