राज्य में मछली पालन के लिए बिना ब्याज के लोन के साथ दी जाने वाली अन्य सुविधाएँ

मछली पालन के लिए बिना किसी ब्याज का ऋण एवं अन्य सुविधाएँ

कृषि के क्षेत्र में किसानों को खेती से ज्यादा मत्स्य पालन, मुर्गी पालन, पशुपालन से आमदनी हो रही है | कृषि में लगातार घट रही आय के चलते किसान तथा सरकार दोनों मत्स्य पालन तथा पशुपालन की तरफ बढ़ रहे हैं | इसका सबसे बड़ा करण यह है कि पशुपालन तथा मत्स्य पालन से किसान प्रतिदिन कुछ आमदनी कर सकते हैं | मछली पालकों को प्रोत्साहित करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने 20 जुलाई को मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा दे दिया गया है | मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैविनेट की बैठक में फैसला लिया है | मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा मिलने से किसानों को काफी सुविधा मिलने की उम्मीद है |

देश भर में छत्तीसगढ़ राज्य मछली उत्पादन के क्षेत्र में 8 वें स्थान पर है | मत्स्य को कृषि का दर्जा मिलने से राज्य का अनुमान है कि मत्स्य उत्पादन में छत्तीसगढ़ राज्य 6 वें स्थान पर जल्द ही आ जायेगा |

मछली पालन के लिए मिलेगा बिना किसी ब्याज का ऋण

अभी तक किसानों को मत्स्य पालन के लिए 1 लाख रूपये तक का लोन 1 प्रतिशत की ब्याज पर दिया जाता था जबकि 3 लाख रूपये तक का लोन 3 प्रतिशत की ब्याज पर दिया जाता था | कृषि का दर्जा प्राप्त होने पर किसानों सस्ते लोन प्राप्त होगा | छत्तीसगढ़ में मत्स्यपालन करने वाले किसानों को अब सहकारी विभाग से शून्य प्रतिशत ब्याज पर लोन दिया जायेगा | इसके साथ ही किसान किसी भी बैंक से मछली पालन के लिए किसान क्रेडिट कार्ड KCC बना सकते हैं |

राज्य में मछली पालकों को दी जाने वाली अन्य सुविधाएँ

वर्तमान समय में छत्तीसगढ़ में 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई बांधों एवं जलाशयों से नहर के माध्यम से जलापूर्ति आवश्यकता पडती थी, जिसके लिए मत्स्य कृषकों एवं मछुआरों को प्रति 10 हजार घन फीट पानी के बदले 4 रूपये का शुल्क अदा करना पड़ता था, जो अब फ्री में मिलेगा |

मत्स्य पालक कृषकों एवं मछुआरों को प्रति यूनिट 4.40 रूपये की दर से विद्धुत शुल्क भी अदा नहीं करना होगा | सरकार के इस फैसले से मत्स्य उत्पादन की लागत में प्रति किलो लगभग 10 रूपये की कमी आएगी | जिसका सीधा लाभ मत्स्य पालन व्यवसाय से जुड़े लोगों को मिलेगा |

मछली पालन पर 6.60 लाख रूपये तक अनुदान

राज्य सरकार मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए अनुदान (सब्सिडी) उपलब्ध कराती है | सरकार इसके लिए सामान्य वर्ग के मत्स्य कृषकों को अधिकतम 4.40 लाख रूपये तथा अनुसूचित जाति जनजाति एवं महिला वर्ग के हितग्राहियों को 6.60 लाख रूपये तक का अनुदान दिया जाता है |

मत्स्य पालकों को 5 लाख रूपये तक का बीमा दिया जाता है

राज्य सरकार मत्स्य पालन क्षेत्र को संवर्धित करने के उद्देश्य से मछुआरों को मछुआ दुर्घटना बीमा का कवरेज भी प्रदान करती है | बीमित मत्स्य कृषिक की मृत्यु पर 5 लाख रूपये की दावा राशि का भुगतान किया जाता है | बीमारी की इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने पर 25 हजार रूपये तक के इलाज की सुविधा का प्रावधान है |

सहकारी समितियों को दी जाएगी 3 लाख रुपये तक की सहायता

मछुआ सहकारी समितियों को मत्स्य पालन के लिए जाल, मत्स्य बीज एवं आहार के लिए 3 सालों में 3 लाख रूपये तक की सहायता दी जाती है | बायोफ्लाक तकनीकी से मत्स्य पालन को बढावा देने के लिए मत्स्य कृषकों को 7.50 लाख रूपये की इकाई लागत पर 40 प्रतिशत की अनुदान सहायता दिए जाने का प्रावधान है |

छत्तीसगढ़ में कितना मछली का उत्पादन होता है ?

राज्य में वर्तमान में 93 हजार 698 जलाशय और तालाब विद्धमान है, जिनका जल क्षेत्र 1 लाख 92 हजार हेक्टेयर है | इसमें से 81 हजार 616 जलाशयों एवं तालाबों का 1 लाख 81 हजार 200 हैक्टेयर जल क्षेत्र मछली पालन के अंतर्गत हैं, जो कुल उपलब्ध जल क्षेत्र का 94 प्रतिशत है |

राज्य में वर्तमान समय में 288 करोड़ मत्स्य बीज फ्राई तथा 5.77 लाख मैट्रिक टन मछली का उत्पादन प्रति वर्ष होता है | राज्य की मत्स्य उत्पादकता प्रति हैक्टेयर 3.682 मीट्रिक टन है जो राष्ट्रीय उत्पादकता 3.250 मीट्रिक टन से लगभग 0.432 मीट्रिक टन अधिक है |

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