यहाँ कुक्कुट पालन के लिए प्रशिक्षण के साथ ही व्यवसाय हेतु दिए जा रहे हैं चूजे

कुक्कुट पालन व्यवसाय के लिए प्रशिक्षण

देश में स्वरोज़गार के अवसर विकसित करने के लिए पशुपालन को बढ़ावा दिया जा रहा है, इसके लिए समय-समय पर इच्छुक व्यक्तियों को सरकार द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है। राजस्थान में कुक्कुट पालन में व्यावसायिक संभावनाओं को रोजगार के अवसरों में बदलने के लिए खातीपुरा स्थित राजकीय कुक्कुट शाला में किसानों एवं अध्ययनरत चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

प्रशिक्षण केंद्र पर लाभार्थी व्यक्तियों को कुक्कुट पालन की प्रक्रिया, कुक्कुट पालन में आने वाली समस्याओं के समाधान और उच्च नस्लीय एवं गुणवत्तायुक्त कुक्कुट पालन के विभिन्न वैज्ञानिक तरीकों की जानकारी दी जा रही है। ताकि राज्य में कुक्कुट पालन बेहतर होने के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी सृजित हो सके।

प्रशिक्षण के बाद उपलब्ध कराए जा रहे हैं चूजे 

कुक्कुट शाला के उप निदेशक डॉ. लोकेश शर्मा ने प्रशिक्षण के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रीय कृषि योजना के अंतर्गत राज्य में उच्च नस्लीय कुक्कुट विकास, किसानों की आय में वृद्धि और ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं व बच्चों में पोषण की पूरकता के उद्देश्य से पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसके अंतर्गत अब तक कुल 90 किसानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के पश्चात् किसानों को निम्न दरों पर व्यवसाय हेतु आवश्यकतानुसार चूजे उपलब्ध कराये जा रहे है।

कुक्कुट पालन सम्बंधित इन विषयों पर दिया जा रहा है प्रशिक्षण

प्रशिक्षण कार्यक्रम में मौजूद विषय-विशेषज्ञ उप निदेशक डॉ. रविंद्र मलिक ने कुक्कुट पालन प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि प्रशिक्षण के दौरान किसानों, अध्ययनरत पशु चिकित्सक व इंटर्न्स को कुक्कुट पालन की प्रक्रिया, कुक्कुट पालन में आने वाली समस्याओं के समाधान और उच्च नस्लीय एवं गुणवत्तायुक्त कुक्कुट पालन के विभिन्न वैज्ञानिक तरीकों की जानकारी दी जा रही है। ताकि राज्य में कुक्कुट पालन बेहतर होने के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी सृजित हो सके।

काले गेहूं के बाद अब शुरू हुई नीले रंग के गेहूं की खेती, विदेशों में होगा निर्यात

नीले गेहूं की खेती

खेती से अधिक आमदनी प्राप्त करने के लिए किसान आजकल नवाचार को अपना रहे हैं। अब किसान परम्परागत फसलों से हटकर नई उन्नत किस्मों का उत्पादन कर रहे हैं। इसी क्रम में मध्य प्रदेश के किसानों ने काले गेहूं की खेती के बाद नीले गेहूं की खेती भी शुरू कर दी है। मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि जी-20 के कृषि समूह की बैठक में विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधियों का प्रदेश में कृषि के क्षेत्र में नीला गेहूँ, शुगर फ्री आलू और बीज बैंक के रूप में हुए नवाचारों ने ध्यान आकर्षित किया है। इंदौर में जी-20 देशों के कृषि समूह की बैठक जारी है, जिसमें 30 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।

जी-20 देशों के कृषि समूह की बैठक में मध्य प्रदेश के किसानों की सफलता की कहानियाँ भी प्रदर्शित की गई है। यहाँ पीले और काले गेहूं के साथ ही सीहोर के नीले गेहूं का स्टाल भी है। स्टाल पर जानकारी दी गई कि बेकरी में इसका इस्तेमाल हो रहा है। अगले साल के लिए निर्यात के ऑर्डर भी उन्हें मिले हैं। 

नीले गेहूं की माँग दूसरे देशों से आने लगी है

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश गेहूँ निर्यात में पूरे देश में प्रथम है। साथ ही काले गेहूँ के निर्यात के बाद अब नीले रंग के गेहूँ का उत्पादन भी प्रदेश में शुरू हुआ है। बेकरी उत्पादों में काम आने वाले नीले गेहूँ की माँग दूसरे देशों से भी आ रही है, इसका पेटेंट भी करा लिया गया है। 

उन्होंने बताया कि सिमरौल की सुश्री निशा पाटीदार ने विशेष प्रकार के शुगर फ्री आलू का उत्पादन आरंभ किया है। विलुप्त हो चुके मोटे अनाजों का बीज बैंक विकसित करने वाली डिण्डौरी की लाहरी बाई ने भी जी-20 सम्मेलन में अपना स्टॉल लगाया है। श्री अन्न का यह बीज बैंक विदेशों से आए प्रतिनिधियों के आकर्षण का केन्द्र बन गया है। प्रदेश में कृषि के क्षेत्र में नवाचार जारी हैं, इसमें भी हम रिकार्ड बनाएंगे।

जानकर हो जाएँगे हैरान! देश में एक किसान परिवार पर औसतन इतना कर्ज बकाया है

किसान परिवार पर बकाया औसतन ऋण

देशभर में किसानों को कृषि सम्बंधित कार्यों में निवेश के लिए ऋण लेना पड़ता है, जो कई बार किसान चुका नहीं पाते हैं। जिससे किसानों के ऊपर यह ऋण धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। 13 फरवरी को लोकसभा में श्री सुखबीर सिंह बादल ने अपने सवाल में सरकार से पूछा कि पंजाब सहित देश के सभी राज्यों के किसानों पर कुल कितना ऋण बकाया है? साथ ही उन्होंने यह भी पूछा की क्या सरकार का विचार पंजाब के किसानों द्वारा बैंकों तथा ऋण प्रदाताओं से लिए गए ऋण को माफ करने का है?

सांसद श्री सुखबीर सिंह बादल के द्वारा पूछे गए सवाल के जबाब में सरकार ने साफ़ किया कि सरकार का विचार पंजाब के किसानों द्वारा बैंक तथा ऋण प्रदाताओं से लिए गए ऋण को माफ करने का अभी कोई विचार नहीं हैं। वहीं उनके द्वारा पूछे गए एक सवाल का जबाब देते हुए वित्त मंत्रालय के राज्य मंत्री डॉ. भागवत कराड ने राज्यवार प्रति कृषक परिवार के सम्बंध में औसत बकाया ऋण की राशि का विवरण दिया पटल पर रखा।

राज्यवार किसान परिवार पर औसतन कितना ऋण बकाया है? 

वित्त मंत्रालय के राज्य मंत्री डॉ. भागवत कराड ने विस्तृत जानकारी देते हुए देश के सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में प्रति कृषक परिवार के सम्बंध में बकाया ऋण की औसत की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पूरे देश में प्रति कृषक परिवार औसतन 74,121 रुपए का ऋण बकाया है। जिसके अनुसार सबसे अधिक आंध्र प्रदेश के कृषि परिवार पर 2,45,554 रुपए, केरल 2,42,482 रुपए, पंजाब 2,03,249 रुपए है। वही सबसे कम बकाया ऋण नागालैंड 1,750 रुपए, मेघालय 2,237 रुपए और अरुणाचल प्रदेश 3,581 रुपए है। 

प्रति कृषक परिवार के सम्बंध में विभिन्न राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के समूह/पूर्वोत्तर राज्यों के समूह की बकाया औसत राशि (रुपए में) 

राज्य/पूर्वोत्तर राज्यों का समूह/ संघ राज्य क्षेत्रों का समूह

प्रति कृषक परिवार के सम्बंध में बकाया ऋण की औसत राशि (रुपए में)

आंध्र प्रदेश 

2,45,554

अरुणाचल प्रदेश 

3,581

असम 

16,407

बिहार

23,534

छत्तीसगढ़

21,443

गुजरात

56,568

हरियाणा

1,82,922

हिमाचल प्रदेश 

85,825

जम्मू और कश्मीर

30,435

झारखंड

8,415

कर्नाटक

1,26,240

केरल

2,42,482

मध्य प्रदेश

74,420

महाराष्ट्र

82,085

मणिपुर 

5,551

मेघालय

2,237

मिजोरम

23,485

नागालैंड

1,750

ओडिशा

32,721

पंजाब

2,03,249

राजस्थान

1,13,865

सिक्किम

32,185

तमिलनाडु 

1,06,553

तेलंगाना

1,52,113

त्रिपुरा 

23,944

उत्तराखंड

48,338

उत्तर प्रदेश 

51,107

पश्चिम बंगाल 

26,452

पूर्वोत्तर राज्यों का समूह

10,034

संघ शासित प्रदेशों का समूह

25,629

समग्र भारत 

74,121

स्त्रोत: एनएसएस रिपोर्ट संख्या 587: ग्रामीण भारत में कृषक परिवारों की स्थिति और परिवारों की भूमि एवं पशुधन धृतियों का मूल्यांकन, 2019 

28 मार्च से शुरू होगी समर्थन मूल्य पर सरसों की खरीद, जानिए अन्य फसलें कब से ख़रीदेगी सरकार

समर्थन मूल्य MSP पर सरसों की खरीद

देश में रबी फसलों की कटाई का समय नजदीक आ रहा है, ऐसे में राज्य सरकारों के द्वारा विभिन्न रबी फसलों की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पर करने के लिए तैयारियाँ शुरू कर दी गई हैं। इस कड़ी में मध्य प्रदेश एवं हरियाणा में किसान पंजीयन की प्रक्रिया चल रही है, इस बीच हरियाणा सरकार ने राज्य में सरसों, चना एवं सूरजमुखी मंडियों में खरीदने के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है।

हरियाणा में 13 फरवरी को हुई फसल खरीदी को लेकर समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल ने अधिकारियों को खरीद की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करने, खरीद केन्द्रों को चिन्हित करने, भण्डारण एवं बारदानों की समुचित व्यवस्था करने तथा रबी फसलों की समय पर खरीद प्रारंभ करने के निर्देश दिये हैं।

इस दिन से शुरू होगी रबी फसलों की खरीद

हरियाणा में रबी फसलों की खरीद 28 मार्च से आरंभ होगी। 28 मार्च से सरसों, 1 अप्रैल से चना एवं 1 जून, 2023 से सूरजमुखी की खरीद की जाएगी। हरियाणा राज्य सहकारी आपूर्ति एवं विपणन संघ (हैफेड) भारत सरकार की मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) की ओर से सूरजमुखी के बीज और चने की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर करेगा। इसके अलावा, हरियाणा राज्य भण्डारण निगम पीएसएस के तहत सरसों की एमएसपी पर खरीद करेगा।

13.89 लाख मीट्रिक टन सरसों उत्पादन होने की संभावना

बैठक में बताया गया कि राज्य में वर्ष 2022-23 के दौरान सरसों की खेती 18.16 लाख एकड़ भूमि में की गई है, जबकि चना और सूरजमुखी की खेती क्रमशः 93,000 एकड़ और 37,000 एकड़ भूमि में की गई है। इस वर्ष 765 किलोग्राम प्रति एकड़ के अनुसार सरसों की 13.89 लाख मीट्रिक टन उत्पादन की संभावना है। इसी प्रकार, 436 किलोग्राम प्रति एकड़ के अनुसार चने की 40,000 मीट्रिक टन तथा 800 किलोग्राम प्रति एकड़ के अनुसार सूरजमुखी का 30,000 मीट्रिक टन उत्पादन की संभावना है।

इस वर्ष केंद्र सरकार ने गेहूं का मूल्य 2125 रुपए प्रति क्विंटल, जौ का मूल्य 1735 रुपए प्रति क्विंटल, चना का मूल्य 5335 रुपए प्रति क्विंटल, मसूर का मूल्य 6000 रुपए प्रति क्विंटल, रेपसीड/ सरसों का मूल्य 5450 रुपए प्रति क्विंटल, कुसुम का मूल्य 5650 रुपए प्रति क्विंटल घोषित किया है। राज्य सरकार ने मूल्य समर्थन योजना के तहत बाजार शुल्क पर जीएसटी की प्रतिपूर्ति के लिए प्लान योजना के अंतर्गत 311.84 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति-सह-वित्तीय स्वीकृति (आरई) प्रदान की है।

किसान 15 फरवरी तक करा सकते हैं फसल बेचने के लिए पंजीयन

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरियाणा ने न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पर फसल बेचने के लिए मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीयन अवधि को 15 फरवरी तक बढ़ा दिया है। राज्य के किसान 15 फरवरी 2023 तक “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” fasal.haryana.gov.in पोर्टल पर पंजीकरण अपने नज़दीकी सी.एस.सी. सेंटर के माध्यम से कर सकते हैं। जिन किसानों का पोर्टल पर पंजीकरण होगा, वही किसान अपनी फसल को बेच पाएँगे और इसके साथ कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं जैसे:-भावांतर भरपाई योजना, मेरा पानी मेरी विरासत, इम्पलिमेंट आदि का लाभ भी किसान ले सकते हैं। 

क्या किसानों को भी देना होगा टैक्स? जानिए इस सवाल पर सरकार ने संसद में क्या कहा?

कृषि आय पर इनकम टैक्स

अभी तक कृषि से होने वाली आय को टैक्स फ्री रखा गया है, जिससे किसानों को कृषि से होने वाली आय पर किसी प्रकार का टैक्स नहीं देना रहता है। परंतु 13 फरवरी को सोमवार के दिन लोकसभा में सांसद श्री श्याम सिंह यादव ने सरकार से सवाल किया कि क्या सरकार की भारत में कृषि आय को कर योग्य बनाने के लिए आयकर अधिनियम, 1961 की धारा (1) में परिवर्तन करना चाहती है यदि हाँ, तो इससे सम्बंधित जानकारी साझा की जाए और यदि न तो इसके क्या कारण है ?

इसके अलावा उन्होंने सरकार से अपने सवाल में पूछा कि क्या इस मुद्दे का अध्ययन करने के लिए कोई समिति गठित की गई है और यदि की गई है तो इसके क्या परिणाम रहे हैं?

नहीं लगेगा कृषि आय पर टैक्स

सांसद श्री श्याम सिंह यादव द्वारा पूछे गए इन सवालों का जबाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी ने बताया की अभी सरकार के पास ऐसे कोई प्रस्ताव नहीं है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 246 के अनुसार, कृषि आय पर कर राज्य सूची के अंतर्गत आता है। उन्होंने यह साफ़ कर दिया कि पिछले पाँच साल में कृषि आय पर टैक्स लागने को लेकर कोई समिति गठित नहीं की गई है। 

क्या मंडियों में गेहूं और चावल बेचने पर लगेगा जीएसटी

वहीं श्रीमती हरसीमरत कौर बादल ने लोकसभा में सरकार से सवाल किया की क्या माल और सेवा कर (जीएसटी) परिषद की राष्ट्रीय समिति ने मंडियों में गेहूं और चावल जैसे खाद्यानों की बिक्री पर जीएसटी लगाने की अनुशंसा की गई है और यदि हैं तो इसकी जानकारी दी जाए। जिसका जबाब देते हुए वित्त मंत्रालय में राज्यमंत्री श्री पंकज चौधरी ने बताया कि जीएसटी परिषद ने दिनांक 28 जून, 2022 को चंडीगढ़ में आयोजित अपनी 47वीं बैठक में सिफ़ारिश है कि ब्रांड नाम वाले कुछ विनिदृष्ट वस्तुओं पर जीएसटी लगाए जाने की बजाय “प्री-पैकेज्ड और लेबल वाली/लगी हुई वस्तुओं पर जीएसटी लगाना चाहिए।

दरों के युक्तिकरण और कर की चोरी को रोकने के उपाय के रूप में त्रिस्तरीय में ऐसी प्रक्रिया के पश्चात किया गया था जिसमें राज्यों के अधिकारियों की फिटमेंट समिति, इसके बाद परिषद द्वारा गठित दर युक्तिकरण पर मंत्रियों के समूह (जीओएम) शामिल थे, और अंत में जीएसटी परिषद द्वारा सिफ़ारिश की गई थी। हालाँकि, जब ऐसी वस्तुओं को खुले रूप में या 25 किलोग्राम से अधिक मात्रा के बड़े पैकेट में बेचा जाता है तो ऐसी वस्तुओं को बेचने पर जीएसटी से छूट मितली रहेगी। सिफ़ारिश को केंद्र और राज्यों द्वारा लागू किया गया था।

मछली पालन के लिए सरकार दे रही है 60 प्रतिशत तक की सब्सिडी, 28 फरवरी तक करें आवेदन 

मत्स्य पालन अनुदान हेतु आवेदन

देश में किसानों की आय बढ़ाने एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के उद्देश्य से मछली पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा सभी राज्यों में “प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना” चलाई जा रही है। योजना के अंतर्गत मत्स्य पालन के विभिन्न अवयवों पर लाभार्थी को अनुदान दिया जाता है। इस कड़ी में हरियाणा मत्स्य पालन विभाग द्वारा जलीय कृषि को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत आवेदन माँगे हैं।

राज्य के इच्छुक किसान प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) अंतर्गत वर्ष 2023-24 के दौरान इच्छुक प्रार्थियों से मत्स्य पालन के लिए 28 फरवरी तक आवेदन आमंत्रित किए हैं। राज्य के इच्छुक व्यक्ति इस दौरान आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं।

मछली पालन के लिए आवश्यक इन अवयवों के लिए कर सकते हैं आवेदन

पीएमएमएसवाई के अंतर्गत वर्ष 2023-24 के दौरान इच्छुक किसान पट्टा जमीन में मत्स्य पालन का कार्य करना चाहते है उनके लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। किसान पीएमएमएसवाई स्कीम के तहत मीठे पानी में मछली पालन हेतु तालाब का निर्माण, लवणीय व क्षारीय भूमि में तालाब का निर्माण (खारा पानी) आरएएस यूनिट की स्थापना 2 टन, 8 टन व 20 टन प्रतिदिन उत्पादन क्षमता का फिड मील, बैकयार्ड मिनी आरएएस यूनिट की स्थापना इत्यादि में मछली पालन व यूनिट की स्थापना कर सकता है।

मत्स्य सम्पदा योजना के तहत कितना अनुदान Subsidy दिया जाएगा

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत निर्धारित परियोजना लागत में सामान्य वर्ग के लाभार्थियों को 40 प्रतिशत अनुदान तथा महिला एवं अनुसूचित जाति वर्ग के लाभार्थियों को 60 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। इस योजना में अधिक से अधिक लघु एवं सीमान्त मत्स्य पालक कवर किए जाएंगे। योजना का लाभ लेने एवं योजना सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए इच्छुक व्यक्ति अपने ब्लॉक या ज़िले के मत्स्य विभाग में सम्पर्क कर सकते हैं।

कृषि मेले में किसानों ने जमकर खरीदे सब्सिडी पर कृषि यंत्र

अनुदान पर कृषि यंत्रों की खरीद 

किसानों को खेती-किसानी की नई तकनीकों से अवगत कराने के लिए सरकार द्वारा समय-समय पर कृषि मेलों का आयोजन किया जाता है। अभी हाल ही में 09 से 12 फरवरी तक चार दिवसीय एग्रो बिहार, 2023 राज्यस्तरीय कृषि यांत्रिकरण मेला-सह-प्रदर्शनी का आयोजन गाँधी मैदान, पटना में कृषि विभाग, बिहार एवं सी.आई.आई. के सहयोग से किया गया।

मेले के अंतिम दिन कृषि विभाग के सचिव डॉ.एन.सरवण. कुमार ने कहा कि इस वर्ष इस प्रदर्शनी-सह-मेला में राज्य के किसानों ने बड़ी संख्या में कृषि यंत्रों की खरीदारी कर सरकार की महत्वकांक्षी योजना का लाभ उठाया। बिहार सरकार वर्ष 2011 से प्रतिवर्ष पटना में इस मेले का आयोजन करती है। इस मेले की खास बात यह है कि यहाँ एक ही स्थान पर आधुनिक कृषि यंत्रों के निर्माता  विक्रेता एवं किसान का सीधा संवाद होता है तथा विभिन्न प्रकार के आधुनिक कृषि यंत्र भी मेले में उपलब्ध रहते हैं।  

मेले में किसानों ने अनुदान पर खरीदे 665 कृषि यंत्र

कृषि विभाग के सचिव ने बताया कि किसानों ने 04 दिनों में लगभग 11 करोड़ रूपये के कुल 665 कृषि यंत्रों का क्रय किया है, जिस पर 481.73 लाख रूपये का अनुदान दिया गया। राज्य सरकार द्वारा राज्य में किसानों को 90 प्रकार के कृषि यंत्रों के क्रय पर 94.05 करोड़ रूपये अनुदान देने का प्रावधान किया गया है।

मेले के अंतिम दिन राज्य के विभिन्न जिलों के किसानों द्वारा सेल्फ प्रोपेल्ड रीपर, रीपर-कम-बाईंडर, स्ट्रॉ रीपर, राईस मिल, मल्टी क्रॉप थ्रेसर, सीड-कम-फटिलाईजर ड्रील, थ्रेसर सहित 187.77 लाख रूपये के 114 कृषि यंत्रों का क्रय किया गया, जिस पर 76,18,600 रूपये अनुदान दिया गया।

किसानों को कृषि यंत्रों की खरीद पर मिली 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी

सरकार द्वारा किसानों को फसल अवशेष जलाने के बदले उनका खेतों में ही प्रबंधन कर खाद के रूप में उपयोग करने को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कई नवीनत्तम कृषि यंत्रों जैसे 9 से 11 टाईन का हैप्पी सीडर, बिना रैक का स्ट्रॉ बेलर, स्ट्रॉ रीपर, सुपर सीडर, रोटरी मल्चर, स्लैसर एवं स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम पर सामान्य वर्ग के किसान के लिए 75 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति/जनजाति और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के किसानों के लिए 80 प्रतिशत अनुदान और स्वचालित/ट्रैक्टर चालित रीपर-कम-बाईंडर पर 50 प्रतिशत अनुदान देने की व्यवस्था की गई है। 

राज्यस्तर के इस कृषि यंत्र प्रदर्शनी-सह-किसान मेला में फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित यंत्र जैसे स्ट्रॉ रीपर, रीपर-कम- बाईंडर, सुपर सीडर आदि की भी बिक्री बड़ी संख्या में हुई है, इससे पता चलता है कि राज्य के किसान मृदा एवं पर्यावरण सुरक्षा के प्रति जागरूक है।

30 हजार से अधिक किसानों ने लिया मेले का लाभ

इस प्रदर्शनी-सह-मेला में राज्य के 30 हजार से अधिक किसान/आगन्तुक आये, जिनमें आत्मा योजना के माध्यम से मेला में आज तक सभी 38 जिलों से 17,630 किसानों को भ्रमण पर कराया गया। अंतिम दिन पटना, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, मधेपुरा तथा सुपौल 07 जिलों के किसानों को भ्रमण पर लाया गया। इस मेला-सह-प्रदर्शनी में विभिन्न कृषि यंत्र निर्माताओं द्वारा अपने कृषि यंत्र का प्रदर्शन किया गया।

मेला में कृषि यंत्रों के अतिरिक्त उद्यान, बीज, पौधा संरक्षण, भूमि संरक्षण, उर्वरक, प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों का प्रदर्शन एवं बिक्री के साथ एग्रो प्रोसेसिंग यंत्रों का भी बिक्री एवं प्रदर्शन किया गया।

341 किसानों ने कराया मिट्टी परीक्षण

एग्रो बिहार मेला में 341 किसानों को चलन्त मिट्टी जाँच प्रयोगशाला का निरीक्षण एवं मिट्टी परीक्षण योजना से संबंधित पुस्तिका उपलब्ध करायी गयी। साथ ही, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के संबंध में जानकारी दी गई। इसके अतिरिक्त मेला परिसर में संचालित किसान पाठशाला में प्रतिभागी किसानों को विभागीय पदाधिकारियों एवं कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विभाग में संचालित योजनाओं के बारे में जानकारी तथा कृषि विश्वविद्यालयों और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, पटना के वैज्ञानिकगणों द्वारा जलवायु परिवर्तन के परिप्रेक्ष्य में फसल उत्पादन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। 

खेती की नई तकनीक सिखाने के लिए युवा किसानों को भेजा जाएगा इज़रायल, नियुक्त किए जाएँगे एक हजार कृषक मित्र

युवा किसानों को दिया जाएगा प्रशिक्षण, नियुक्त किए जाएँगे कृषक मित्र

कृषि क्षेत्र में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का सृजन करने के लिए राजस्थान सरकार ने इस वर्ष अपने बजट में युवाओं को ध्यान में रखते हुए कृषि कल्याण कोष के तहत 12वां मिशन शुरू करने की घोषणा की है। यह मिशन पूर्णतः ग्रामीण अर्थव्यवस्था की ओर युवाओं का रुझान बढ़ाने, कृषि एवं सम्बंधित क्षेत्रों में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए होगा। यह 12वां मिशन- “राजस्थान युवा कृषक कौशल एवं क्षमता संवर्धन मिशन” के नाम से शुरू किया जा रहा है।

मिशन के तहत कृषि क्षेत्र में अध्ययनरत छात्रों को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि में वृद्धि की जायेगी, वहीं युवाओं को प्रशिक्षण के लिए देश एवं विदेश में भेजा जाएगा। इसके अलावा एक हजार कृषक मित्र बनाए जाएँगे एवं नए कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना की जाएगी। “राजस्थान युवा कृषक कौशल एवं क्षमता संवर्धन मिशन” के अंतर्गत निम्न कार्य किए जाएँगे:-

कृषि विषय लेकर पढ़ाई करने पर मिलेगी प्रोत्साहन राशि

राजस्थान सरकार द्वारा पहले से ही कृषि विषय को लेकर अध्ययन करने वाली छात्राओं को प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। सरकार ने इस मिशन के तहत छात्राओं को दी जाने वाली इस राशि में वृद्धि कर दी है। पहले 11वीं व 12वीं में कृषि विषय को लेकर पढ़ने वाली छात्राओं को 5 हजार रुपए दिए जाते थे जिसे बढ़ाकर अब 15 हजार रुपए, UG/PG के लिए 12 हजार रुपए से बढ़ाकर 25 हजार रुपए एवं पीएचडी करने वाली छात्राओं को 15 हजार रुपए से बढ़ाकर 40 हजार रुपए प्रतिवर्ष दिए जाएँगे। सरकार इसके लिए इस वर्ष 50 करोड़ रुपए खर्च करेगी।

युवाओं को प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा विदेश

कृषि यंत्रों, उपकरणों, सौर ऊर्जा संयंत्रों (Solar Pump Sets), सूक्ष्म सिंचाई संयंत्रों (Micro Irrigation System) आदि के परिचालन, रखरखाव एवं मरम्मत हेतु एक लाख युवा किसानों को आवसीय प्रशिक्षण व किट प्रदान कर employable बनाया जाएगा। सरकार इसके लिए इस वर्ष 40 करोड़ रुपए खर्च करेगी। 

वहीं 100 प्रगतिशील युवा कृषकों को इजरायल सहित अन्य देशों में भेजा जाएगा। इसके के साथ 5 हजार युवाओं को देश के विभिन्न राज्यों में कृषि एवं पशुपालन की नवीनतम तकनीक के अध्ययन व प्रशिक्षण हेतु भेजा जाएगा।

एक हजार कृषक मित्र किए जाएँगे नियुक्त

राज्य सरकार इस वर्ष एक हजार कृषि स्नातक युवाओं को संविदा नियमों के तहत कृषक मित्र के रूप में नियुक्त करते हुए “Mobile Agri Clinics” की स्थापना की जाएगी। किसानों द्वारा कृषक साथी कॉल सेंटर अथवा मोबाइल ऐप पर अपनी समस्या बताने पर एग्री क्लिनिक के माध्यम से उनका समाधान किया जाएगा। इसके लिए सरकार 75 करोड़ रुपए खर्च करेगी।

पशु पालन विद्यालय की स्थापना की जाएगी 

कृषि एवं पशु पालन का परस्पर सम्बंध होने के कारण कृषि महाविद्यालयों में पशुपालन से सम्बंधित वैकल्पिक विषय लिए जाने की सुविधा उपलब्ध करवायी जाएगी। जोबनेर-जयपुर में स्थित कृषि विश्वविद्यालय के साथ ही नवीन पशुपालन विश्वविद्यालय (Vererinary University) स्थापित किया जाना प्रस्तावित है। इसके अतिरिक्त, सीकर व बस्सी-जयपुर में पशु चिकित्सा महाविद्यालय खोले जाएँगे।

माचाड़ी (रैणी)- अलवर, रावतभाटा (बेंगू)- चित्तौरगढ़, तारानगर- चूरु, दौसा, धौलपुर, मौजमाबाद (दूदू)- जयपुर एवं हिंदौन- करौली में कृषि विश्वविद्यालय खोले जायंगे। साथ ही श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर-जयपुर के अंतर्गत दुर्गापुर-जयपुर में उद्यानिकी महाविद्यालय की स्थापना की जाएगी। नोखा-बीकानेर वेम नवलगढ़-झुंझुनूं में सहायक निदेशक, कृषि (विस्तार) कार्यालय खोले जाएँगे। 

किसान अब पौधों पर नहीं बल्कि बेल पर ले सकेंगे टमाटर एवं खीरे की उपज, मिलेगी बंपर पैदावार

टमाटर एवं खीरे की बेल पर खेती

फसलों का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने एवं किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि क्षेत्र में नई-नई तकनीकों का विकास किया जा रहा है। इस कड़ी में हरियाणा राज्य के लोहारू क्षेत्र के गांव गिगनाऊ में अर्ध शुष्क बागवानी उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया गया है, जिसका उद्घाटन करीब दो सप्ताह पहले 22 जनवरी को किया गया था। करीब 50 एकड़ में बनाए गए इस उत्कृष्टता केंद्र पर 12 करोड़ रुपए से अधिक की लागत आई है।

हरियाणा के रेतीले क्षेत्र के किसान पौधे पर नहीं बल्कि बेल पर टमाटर व खीरे की पैदावार लेंगे, ये पौध भिवानी जिला के गांव गिगनाऊ में स्थापित किए गए अर्ध शुष्कीय इंडो-इजराईल बागवानी उत्कृष्ट केंद्र में तैयार की जा रही हैं। इस केंद्र के नवीनतम तकनीक पर आधारित 16-17 स्ट्रेक्चर बनाए गए हैं, जहां पर कड़ाके की ठंड और लू के प्रकोप का भी पौध पर असर नहीं होगा। यहां पर 35 से 40 लाख पौध एक साथ तैयार होंगी।

फसलों पर नहीं होगा तापमान का असर

उत्कृष्टता केंद्र पर 17 प्रकार के विभिन्न ढांचे बनाए गए हैं, जिनमें एक ग्राफ्टिंग ढांचा है, जो सर्दी व गर्मी में पौधे को अनुकूल तापमान देगा। यहां पर अनार, पपीते व सब्जियों की पौध तैयार की जाएगी। इसी प्रकार से हाईटेक ग्रीन हाउस में तापमान व आर्द्रता को नियंत्रित किया जाता है। यहां पर नेचूरल वेंटिलेटिड पॉलीहाउस बनाया गया है, यह पूरी तरह से सेंसर बेस है, जो जर्मनी की तकनीक पर आधारित है। पौधे की धूप-हवा की जरूरत के अनुसार इसकी सीट अपने आप खुल जाती है। यह हरियाणा में एकमात्र नेट हाउस है, जो कि गिगनाऊ गॉंव में लगाया गया है। 

पॉलीनेट हाउस में तैयार होंगी टमाटर व खीरे की बेल

केंद्र पर दो पॉलीनेट हाऊस बनाए गए हैं, जो पॉलीथीन सीट व नेट को मिलाकर बनाया गया है। इसमें ऊपर पॉलीथीन व बराबर में नेट लगाया गया है। पॉलीथीन बारिश को और नेट कीड़े-मकौड़ों से बचाव करता है, इसमें लाल-पीली व हरी शिमला मिर्च तथा बेल वाले टमाटर व खीरे की पौध तैयार की जाएगी। यहां पर दो नेट हाऊस बनाए गए हैं, जिसमें सही रूप से हवा को नियंत्रित कर आदान-प्रदान होता है।

उत्कृष्ट केंद्र में इन्सेक्ट नेट हाऊस लगाए गए हैं। इसमें कंक्रीट के बेड बने हुए हैं, जो टपका सिंचाई प्रणाली के साथ हर एक पॉलिथीन में एरोड्रिपर के माध्यम से फल वाले पौधे जैसे किन्नू, मालटा, नींबू, अनार, अमरूद, अंजीर, ड्रैगन व एपल बेर आदि के पौधे तैयार किए जाएंगे। इस उत्कृष्टता केंद्र में एक मदर ब्लॉक भी बनाया जा रहा है, जिसमें किन्नू-मालटा आदि के बड़े पौधे तैयार कर उनमें कंटिंग व बड लेकर पौधे तैयार किए जाएंगे, जो हर प्रकार की बीमारी से रहित होंगे।

वॉक इन टनल में होगी टमाटर, खीरे एवं शिमला मिर्च की खेती

यहां पर वॉक-इन टनल बनाया गया है, यह स्ट्रेक्चर पॉलीथीन व पॉलीथीन के नीचे नेट लगाकर एक टनल टाइप का स्ट्रक्चर होता है, इसमें बेल वाले टमाटर, खीरे, तीनों प्रकार की शिमला मिर्च व स्ट्रॉबेरी की खेती होगी। यह टनल पौधे की अत्यधिक सर्दी व गर्मी में पौधे को सुरक्षा कवच प्रदान करेगा। इस सभी स्ट्रक्चरों में ड्रिप इरीगेशन लगाया है।

ग्रीन हाउस में तैयार किए जाएँगे सब्जी एवं फलों के 40 लाख पौधे

इस हाइटेक ग्रीन हाउस में सब्जियों की 30 से 40 लाख पौध तैयार की जा रही हैं। यहां पर 20 एकड़ में खजूर, अनार, अमरूद, बादाम, नाशपाती, नींबू वर्गीय फल, बेर, अनार, ड्रैगन फ्रूट एवं रेड ब्लड माल्टा के पौधों को रोपण किया जा रहा है। सब्जियों फलों में सिंचाई का प्रबंध सूक्ष्म सिंचाई पद्धति द्वारा किया गया है, जहां से किसानों को सूक्ष्म सिंचाई की पद्धति पर कृषि-बागवानी इसके लिए 62 लाख लीटर के दो टैंक बनाए गए हैं।

17 लाख एकड़ क्षेत्र में की जाएगी बागवानी

हरियाणा के कृषि एवं पशुपालन मंत्री श्री जयप्रकाश दलाल ने गांव गिगनाऊ में बनाए जा रहे बागवानी के एक्सीलेंस सेंटर के बारे में कहा कि यह किसानों की समृद्धि में मील का पत्थर साबित होगा। प्रदेश में बागवानी के लिए कई गुणा बजट बढ़ाया गया है। अब वो दिन दूर नहीं जब हरियाणा के किसानों के उत्पाद अमेरिका व दूसरे देशों में निर्यात किए जाएंगे। वर्ष 2030 तक 17 लाख एकड़ बागवानी का क्षेत्र बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।

सरकार ने बढ़ाई तारबंदी पर सब्सिडी, इस वर्ष 1 लाख किसानों को दिया जाएगा योजना का लाभ

खेतों की तारबंदी Fencing पर दिया जाने वाला अनुदान

नीलगाय व आवारा पशुओं से फसलों को होने वाले नुकसान से बचाव व रोकथाम के लिए किसान अपने खेतों की तारबंदी कराते हैं। परंतु इसकी लागत अधिक होने के चलते सभी किसान अपने खेतों में तारबंदी fencing नहीं करा पाते। ऐसे में किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए राजस्थान सरकार द्वारा राज्य में “राजस्थान फसल सुरक्षा मिशन” चलाया जा रहा है। जिसके तहत लाभार्थी किसानों को तारबंदी fencing पर अनुदान दिया जाता है। किसानों की माँग को देखते हुए सरकार ने योजना के बजट में वृद्धि के साथ ही अनुदान में भी वृद्धि कर दी है।

अपने बजट अभिभाषण में मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि नील गाय व आवारा पशुओं से फसलों को होने वाले नुकसान से बचाव व रोकथाम के लिए हमारे द्वारा उपलब्ध करवायी जा रही तारबंदी हेतु देय सहायता से किसानों को अत्याधिक लाभ प्राप्त हुआ है तथा इसकी बहुत अधिक माँग क्षेत्र से प्राप्त हो रही है। इसको देखते हुए योजना में संशोधन किया गया है।

1 लाख किसानों को दिया जाएगा तारबंदी के लिए अनुदान

राजस्थान सरकार ने इस वर्ष अपने बजट में आगामी दो वर्षों में समस्त लम्बित आवेदनों को निस्तारित करने एवं आगामी वर्ष में एक लाख कृषकों को तारबंदी पर अनुदान देने की घोषणा की है। इसके लिए सरकार इस वर्ष 200 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इसके साथ ही अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों में कृषकों की जोत का आकार कम होने के कारण तारबंदी हेतु न्यूनतम सीमा 0.50 हेक्टेयर की जाएगी।

समूह में तारबंदी कराने पर अब मिलेगा 70 फ़ीसदी अनुदान

तारबंदी में सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से 10 या अधिक कृषकों के समूह में न्यूनतम 5 हेक्टेयर में तारबंदी किए जाने पर अनुदान राशि 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 70 प्रतिशत की जाएगी। वहीं योजना के अंतर्गत लघु एवं सीमांत किसानों को तारबंदी के लिए लागत का 60 प्रतिशत या अधिकतम 48 हजार रुपये, वहीं अन्य कृषकों के लिए लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 40 हजार रुपये का अनुदान दिया जाएगा।