सरकार ने बढ़ाई तारबंदी पर सब्सिडी, इस वर्ष 1 लाख किसानों को दिया जाएगा योजना का लाभ

खेतों की तारबंदी Fencing पर दिया जाने वाला अनुदान

नीलगाय व आवारा पशुओं से फसलों को होने वाले नुकसान से बचाव व रोकथाम के लिए किसान अपने खेतों की तारबंदी कराते हैं। परंतु इसकी लागत अधिक होने के चलते सभी किसान अपने खेतों में तारबंदी fencing नहीं करा पाते। ऐसे में किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए राजस्थान सरकार द्वारा राज्य में “राजस्थान फसल सुरक्षा मिशन” चलाया जा रहा है। जिसके तहत लाभार्थी किसानों को तारबंदी fencing पर अनुदान दिया जाता है। किसानों की माँग को देखते हुए सरकार ने योजना के बजट में वृद्धि के साथ ही अनुदान में भी वृद्धि कर दी है।

अपने बजट अभिभाषण में मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि नील गाय व आवारा पशुओं से फसलों को होने वाले नुकसान से बचाव व रोकथाम के लिए हमारे द्वारा उपलब्ध करवायी जा रही तारबंदी हेतु देय सहायता से किसानों को अत्याधिक लाभ प्राप्त हुआ है तथा इसकी बहुत अधिक माँग क्षेत्र से प्राप्त हो रही है। इसको देखते हुए योजना में संशोधन किया गया है।

1 लाख किसानों को दिया जाएगा तारबंदी के लिए अनुदान

राजस्थान सरकार ने इस वर्ष अपने बजट में आगामी दो वर्षों में समस्त लम्बित आवेदनों को निस्तारित करने एवं आगामी वर्ष में एक लाख कृषकों को तारबंदी पर अनुदान देने की घोषणा की है। इसके लिए सरकार इस वर्ष 200 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इसके साथ ही अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों में कृषकों की जोत का आकार कम होने के कारण तारबंदी हेतु न्यूनतम सीमा 0.50 हेक्टेयर की जाएगी।

समूह में तारबंदी कराने पर अब मिलेगा 70 फ़ीसदी अनुदान

तारबंदी में सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से 10 या अधिक कृषकों के समूह में न्यूनतम 5 हेक्टेयर में तारबंदी किए जाने पर अनुदान राशि 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 70 प्रतिशत की जाएगी। वहीं योजना के अंतर्गत लघु एवं सीमांत किसानों को तारबंदी के लिए लागत का 60 प्रतिशत या अधिकतम 48 हजार रुपये, वहीं अन्य कृषकों के लिए लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 40 हजार रुपये का अनुदान दिया जाएगा।

सरकार ने शुरू की कामधेनु बीमा योजना, अब पशु की मृत्यु होने पर दी जाएगी 40 हजार रुपए की सहायता

मुख्यमंत्री कामधेनु बीमा योजना के तहत पशु मृत्यु पर दिया जाएगा मुआवजा

देश में कृषि एवं सम्बंधित क्षेत्रों में पशु पालन का महत्वपूर्ण योगदान है, किसानों की दैनिक आय में पशु पालन महत्वपूर्ण स्थान रखता है, ऐसे में पशु पालन को लाभकारी बनाया जा सके इसके लिए सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं। इसमें पशुधन का बीमा भी शामिल है। कल राजस्थान सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपना बजट पेश कर दिया है। बजट में सरकार ने लम्पी रोग से मरने वाली गायों के लिए मुआवजे के साथ ही मुख्यमंत्री कामधेनु बीमा योजना शुरू करने की घोषणा की है।

मुख्यमंत्री ने बजट पेश करते हुए कहा कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ ग्रामीण परिवारों की आजीविका में भी पशुपालन का अत्याधिक महत्व है। किंतु इस वर्ष देश के कई राज्यों के साथ ही राजस्थान में भी पशुपालकों को लम्पी (Lumpy) रोग के प्रकोप का सामना करना पड़ा है जिससे हज़ारों गोवंश की मृत्यु हो गई है। ऐसे में पशुपालकों को हुए इस नुकसान की भरपाई राज्य सरकार करेगी।

लम्पी स्किन रोग से मृत्यु होने पर कितना मुआवजा दिया जाएगा?

अपने बजट भाषण में मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश के पशु पालकों को सम्बल देने के लिए लम्पी रोग से हुई दुधारू गोवंश की मृत्यु पर प्रति गाय 40 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इससे राज्य के उन पशुपालकों को राहत मिलेगी जिनके पशु की मृत्यु लम्पी स्किन रोग से हुई है।

मुख्यमंत्री कामधेनु योजना के तहत किया जाएगा पशुओं का बीमा

वर्तमान में केंद्रीय पशु बीमा योजना के अंतर्गत मात्र 50 हजार पशुओं के बीमा सीमा होने के कारण दुधारू पशुओं की असामयिक मृत्यु होने पर पशुपालकों को कोई सहायता नहीं मिल पाती है। ऐसे में राज्य के पशुपालकों को Universal Coverage करते हुए इस वर्ष से “मुख्यमंत्री कामधेनु बीमा योजना” की शुरुआत की जाएगी।

योजना के अंतर्गत प्रत्येक पशुपालक परिवार 2-2 दुधारू पशुओं का 40 हजार रुपए प्रति पशु बीमा किया जाएगा। इस योजना के लिए सरकार ने 750 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इस योजना के आरंभ हो जाने से राज्य के 20 लाख से अधिक पशुपालकों को लाभ मिल सकेगा। 

कृषि बजट राजस्थान 2023: सरकार ने किसानों के लिए खोला ख़ज़ाना, किसानों को मिली यह सौग़ातें

बजट में किसानों को मिली महत्वपूर्ण सौगातें

राजस्थान सरकार ने 10 फरवरी 2023 के दिन इस वित्त वर्ष के लिए अपना बजट पेश कर दिया है। सरकार ने इस वर्ष भी पिछले वर्ष की तरह ही किसानों के लिए अलग से कृषि एवं सम्बंधित क्षेत्रों के लिए बजट पेश किया है, जिसमें सरकार ने किसानों के लिए कई नई योजनाओं को शुरू करने की घोषणा की है। साथ ही पहले से चली आ रही योजनाओं को आगे भी जारी रखा गया है एवं कुछ योजनाओं के बजट में वृद्धि की गई है।

बजट में किसानों के लिए 2 हजार यूनिट तक निःशुल्क बिजली, मुख्यमंत्री कामधेनु बीमा योजना, पशु मित्र योजना एवं राजस्थान युवा कृषक कौशल एवं क्षमता संवर्द्धन मिशन की शुरुआत करने की घोषणा की गई है। इसके अलावा इस वर्ष बजट में किसानों के लिए इन योजनाओं के लिए प्रावधान किए गए हैं:-

इस वर्ष कृषि बजट में किया गया इन योजनाओं के लिए प्रावधान

  1. कृषक कल्याण कोष की राशि को 5 हजार करोड़ रुपए से बढ़ाकर 7 हजार 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
  2. मुख्यमंत्री कृषक साथी योजना में युवाओं के लिए 12वें मिशन की शुरुआत इस वर्ष की जाएगी। 
  3. 2 वर्षों में फार्म पौण्ड के निर्माण हेतु 50 हजार किसानों को दिया जाएगा अनुदान।
  4. 40 हजार किसानों को 2 वर्षों में 16 हजार किलोमीटर पाइप लाइन के लिए दिया जाएगा अनुदान।
  5. 50 हजार कृषकों को जैविक खेती हेतु प्रति किसान दी जाएगी 5 हजार रुपए की इनपुट सब्सिडी।
  6. जयपुर एवं जोधपुर में 100 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जाएगा Organic Products Mart।
  7. 23 लाख लघु/सीमांत किसानों को दिए जाएँगे निःशुल्क बीज मिनीकिट।
  8. 8 लाख लघु व सीमांत कृषकों संकर बाजरा बीज मिनिकिट्स का वितरण किया जाएगा।
  9. 2 वर्षों में 60 हजार किसानों को ग्रीन हाउस/ शेडनेट हाउस/ लो टनल/ प्लास्टिक मल्चिंग के लिए लगभग एक हजार करोड़ रुपए का अनुदान दिया जाएगा।
  10. 20 लाख कृषकों को सब्ज़ियों के बीज किट दिए जाएँगे।
  11. सिरोही में अंजीर का Centre of Excellence की स्थापना की जायगी।
  12. एक लाख कृषकों को तारबंदी पर अनुदान 200 करोड़ रुपए व्यय किए जाएँगे।
  13. RSMML के माध्यम से SSP, DAP बनाने के 500-500 Tonnes per Day क्षमता के Plants स्थापित किए जाएँगे।
  14. हरी खाद (Green Manure) उत्पादन हेतु 5 लाख किसानों को ढ़ेंचा बीज के निःशुल्क मिनीकिट्स दिए जाएँगे।
  15. एक लाख किसानों को कृषि पर अनुदान देने के लिए दिए जाएँगे 250 करोड़ रुपए।
  16. कृषि स्नातक बेरोजगार युवाओं को एक हजार ड्रोन हेतु 4-4 लाख रुपए तक का अनुदान दिया जाएगा।
  17. टोंक में Centre of Excellence for Apiculture की स्थापना की जाएगी।
  18. एक हजार कृषक मित्र बनाए जाएँगे।
  19. जोबनेर – जयपुर में पशु पालन विश्वविद्यालय (Veterinary University) की स्थापना की जाएगी।
  20. सीकर व बस्सी-जयपुर में पशु चिकित्सा महाविद्यालय की स्थापना की जाएगी।
  21. 7 कृषि महाविद्यालय एवं दुर्गापुरा – जयपुर में उद्यानिकी महाविद्यालय की स्थापना की जाएगी।
  22. 2 हजार यूनिट प्रतिमाह तक उपयोग करने वाले समस्त 11 लाख से अधिक किसानों को निःशुल्क बिजली दी जाएगी। 
  23. 22 हजार करोड़ रुपए के अल्पकालीन फसली ऋण का वितरण किया जाएगा, इसके लिए सरकार एक हजार करोड़ रुपए का ब्याज अनुदान दिया जाएगा।
  24. Rajasthan Irrigation Restructure Programme में लगभग 3 हजार 600 करोड़ रुपए की लागत के काम किए जाएँगे।
  25. इंदिरा गांधी नहर परियोजना में लगभग 1 हजार 450 करोड़ रुपए की लागत से जीर्णोद्धार एवं सिंचाई सम्बंधी कार्य किए जाएँगे।
  26. 1,035 नए पटवार मंडलों का सृजन किया जाएगा।
  27. 7 हजार 282 पैक्स (प्राथमिक कृषि सहकारी साख समिति) तथा समस्त 17 हजार 500 से अधिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों का दो वर्षों में कंप्यूटरीकृत किया जाएगा ।
  28. राजस्व तथा पंचायतीराज विभागों से सम्बंधित सभी कार्यों को ऑनलाइन कर पेपरलैस किया जाएगा।
  29. पंचायतीराज संस्थाओं के जनप्रतिनिधियों एवं राजस्व कार्मिकों को टेबलेट दिए जाएँगे।
  30. लम्पी रोग से दुधारू गोवंश की हुई मृत्यु पर प्रति गाय 40 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
  31. दुधारू पशुओं के लिए मुख्यमंत्री कामधेनु बीमा योजना शुरू की जाएगी, जिस पर 750 करोड़ रुपए व्यय किए जाने का प्रस्ताव है, 20 लाख से अधिक पशुपालक को लाभ मिलेगा।
  32. पशुधन निःशुल्क आरोग्य योजना के अंतर्गत पशुओं का निःशुल्क टीकाकरण किया जाएगा।
  33. Sex Sorted Semen से Artificial Insemination कराने हेतु 50 प्रतिशत, 500 रुपए की सीमा तक अनुदान दिया जाएगा।
  34. एक हजार 200 ग्राम पंचायतों में चरणवद्ध रूप से पशु चिकित्सा उपकेंद्र खोले जाएँगे।
  35. Sex Sorted Semen के उत्पादन के लिए बस्सी-जयपुर में लैब की स्थापना की जाएगी।
  36. 100 पशु चिकित्सा उपकेंद्रों को पशु चिकित्सालय में क्रमोन्नत किया जाएगा।
  37. 15 पशु चिकित्सालय प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय में क्रमोन्नत किया जाएगा।
  38. 5 प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय में क्रमोन्नत किया जाएगा।
  39. एक हजार नवीन milk routes, 5 हजार नए सरस बूथ तथा 200 सरस पार्लर की स्थापना की जाएगी।
  40. शहरी क्षेत्रों में एक हजार सरस मित्र बनाए जाएँगे।
  41. गोशालाओं एवं नंदीशालाओं पर एक हजार 100 करोड़ रुपए से अधिक व्यय किए जाएँगे।

सरकार ने किया मुफ्त बिजली देने का ऐलान, 1 करोड़ से अधिक लोगों को मिलेगा लाभ

निःशुल्क बिजली योजना

केंद्र सरकार के बाद ही राज्य सरकारों ने भी वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बजट पेश करना शुरू कर दिया है। इस कड़ी में राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने आज 10 फरवरी 2023 को विधान सभा में बजट 2023-24 पेश कर दिया है। आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इस वर्ष बहुत सी नई मुफ्त योजनाओं की घोषणा की है। इसमें प्रदेश की आमजन को 100 यूनिट तक की बिजली निःशुल्क देने का फैसला लिया है।

राजस्थान सरकार ने अपने पिछले बजट में आम जनता को 50 यूनिट तक की बिजली निःशुल्क करते हुए सभी घरेलू उपभोक्ताओं को स्लैब अनुसार जो छूट दी थी, उसे आगे बढ़ते हुए इस “मुख्यमंत्री निःशुल्क बिजली योजना” शुरू करने की घोषणा की है। योजना के अंतर्गत 100 यूनिट प्रति माह तक उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं कों निःशुल्क बिजली दी जाएगी।

1 करोड़ से अधिक परिवारों को मिलेगी मुफ्त बिजली

मुख्यमंत्री ने बजट पेश करते हुए बताया की मुख्यमंत्री निःशुल्क बिजली योजना से प्रदेश के 1 करोड़ 19 लाख में से 1 करोड़ 4 लाख से अधिक परिवारों को घरेलू बिजली निःशुल्क मिलेगी। इसके साथ ही अन्य समस्त 15 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को भी slab अनुसार 300 से 750 रुपए प्रति माह तक की दी जा रही छूट मिलती रहेगी। इससे राज्य सरकार पर लगभग 7 हजार करोड़ रुपए का भार आएगा। उन्होंने आगे बताया की चरणवद्ध रूप से 300 यूनिट प्रति माह तक उपयोग करने वाले घरेलू उपभोक्ताओं को निःशुल्क बिजली उपलब्ध कराना हमारा लक्ष्य है।

किसानों को कितनी बिजली दी जाएगी मुफ्त 

किसानों को सिंचाई के लिए सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध हो सके इसके लिए सरकार ने बिजली दरों को 90 पैसे प्रति यूनिट पर ही रखा है। वहीं किसानों को अतिरिक्त राहत देते हुए “मुख्यमंत्री किसान मित्र ऊर्जा योजना” के तहत एक हजार रुपए प्रतिमाह की सहायता दी जा रही है। इस प्रकार लगभग 20 हजार करोड़ रुपए प्रतिवर्ष व्यय कर 15 लाख 78 हजार किसानों को लाभान्वित किया जा रहा है। सरकार ने इस योजना को इस वर्ष भी आगे जारी रखने का फ़ैसला लिया है। बजट में इस वर्ष सरकार ने 2 हजार यूनिट प्रतिमाह तक उपयोग करने वाले समस्त 11 लाख से अधिक किसानों को निःशुल्क बिजली उपलब्ध कराने की घोषणा की है।

1 लाख से अधिक किसानों को दिए जाएँगे बिजली कनेक्शन

सरकार ने पिछले वर्ष समस्त बकाया विद्युत कनेक्शन को 2 वर्षों में जारी करने की घोषणा की थी। जिसे इस वर्ष बकाया विद्युत कनेक्शन के साथ ही नए आवेदनों को शामिल करते हुए इस वर्ष मार्च 2023 तक लगभग 1 लाख 15 हजार विद्युत कनेक्शन दे दिए जाएँगे तथा आगामी वर्ष 1 लाख 50 हजार उपभोक्ताओं को कनेक्शन देना प्रस्तावित है। 

कृषि बजट 2023-24: राजस्थान सरकार ने पेश किया बजट, किसानों के लिए कई नई योजनाओं का किया ऐलान

राजस्थान कृषि बजट 2023-24

केंद्र सरकार के बाद ही राज्य सरकारों ने भी वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बजट पेश करना शुरू कर दिया है। इस कड़ी में राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने आज 10 फरवरी को विधान सभा में बजट पेश कर दिया है। आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इस वर्ष बहुत सी नई मुफ्त योजनाओं की घोषणा की है। राजस्थान सरकार ने पिछले वर्ष की तरह ही इस वर्ष भी किसानों के लिए अलग से कृषि बजट पेश किया है।

कृषि बजट पेश करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कृषक कल्याण, कृषि उत्पादन, सम्वर्द्धन एवं निर्यात सम्बंधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कृषक कल्याण कोष के अंतर्गत पिछले वर्ष शुरू किए गए कृषि मिशनों को उत्साहजनक परिणाम रहे हैं। कृषि एवं किसानों हेतु संचालित योजनाओं को और अधिक व्यापक एवं प्रभावी बनाए जाने के उद्देश से कृषक कल्याण कोष की राशि को 5 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर 7 हजार 500 करोड़ रुपए करने की घोषणा की है।  

युवाओं के लिए शुरू किया जाएगा 12वां मिशन

राजस्थान सरकार ने अपने पिछले वर्ष के बजट में 11 मिशन की घोषणा की थी, जिसे सरकार ने अपने इस वर्ष के बजट में भी आगे जारी रखने की घोषणा की है। साथ ही प्रदेश के युवाओं का खेती से जुड़ाव करने व अपने परिवार का जीवन खुशहाल बनाने के साथ-साथ प्रदेश की उत्पादकता में वृद्धि के Change Agent बनाने का अवसर देने के लिए इस वर्ष 12वें मिशन के रूप में “राजस्थान युवा कृषक कौशल एवं क्षमता सँवर्द्धन मिशन”  शुरू करने की घोषणा की है।

इस वर्ष शुरू की जाएँगी यह योजनाएँ

मुख्यमंत्री ने इस वर्ष के बजट में जहां पहले से चली आ रही कई योजनाओं को इस वर्ष भी जारी रखने का प्रस्ताव दिया है वहीं कृषि एवं सम्बंधित क्षेत्रों में कई नई योजनाएँ शुरू करने की घोषणा भी की है। जो इस प्रकार है:-

  • इस वर्ष किसानों को 2,000 यूनिट प्रति माह तक बिजली निःशुल्क दी जाएगी। जिससे 11 लाख से अधिक किसानों का बिजली बिल शून्य हो जाएगा। 
  • लम्पी स्किन रोग से गोवंश पशु की मृत्यु होने पर 40 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
  • पशु बीमा का विस्तार करते हुए अब राज्य के सभी पशु पालकों को इसका लाभ देने की घोषणा की है। जिसके तहत प्रत्येक परिवार 2-2 दुधारू पशुओं का 40 हजार रुपए प्रति पशु बीमा करने के लिए मुख्यमंत्री कामधेनु बीमा योजना शुरू की जाएगी। 
  • पशुओं के निःशुल्क टीकाकरण योजना का विस्तार किया गया है। 
  • पशु पालकों को घर बैठे सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पशु मित्र योजना की शुरुआत की जाएगी। इसके लिए 5 हजार युवाओं को पशुधन सहायक/ पशु चिकित्सकों को मानदेय पर रखा जाएगा।
  • किसानों को खेत पर मकान बनाने के लिए हाउसिंग लोन पर 5 फीसदी का ब्याज अनुदान
  • जिला प्रमुख, प्रधान, सरपंच, एसडीएम, तहसीलदार, वीडीओ और पटवारी को टैबलेट देने की घोषण।
  • इस वर्ष 22 हजार करोड़ रुपए के अल्पकालीन फसली ऋण का वितरण किसानों को किया जाएगा।
  • एक हजार कृषि स्नातक युवाओं की संविदा नियमों के तहत कृषक मित्र के रूप में नियुक्त करते हुए “Mobile Agri Clinic” की स्थापना की जाएगी।

गेहूं की फसल में अभी लग सकते हैं यह कीट एवं रोग, किसान इस तरह करें नियंत्रण

गेहूं की खेती करने वाले किसानों के लिए सलाह

भारत में रबी सीजन की सबसे मुख्य फसल गेहूं हैं, इस वर्ष 2022-23 में लगभग 34.11 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुआई की गई है। ऐसे में गेहूं एवं जौ की फसल की बंपर पैदावार प्राप्त की जा सके इसके लिए भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने किसानों के लिए फरवरी माह 2023 के पहले पखवाड़े के लिए सलाह जारी की है। जारी सलाह में बताया गया है कि वर्तमान मौसम गेहूं के विकास के लिए काफी अनुकूल है। 

अभी के मौसम में गेहूं की फसल में लगने वाले कीट एवं रोगों के बचाव के लिए किसान क्या करें, जिससे फसल को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके, इसके लिए किसानों के लिए विशेष सलाह जारी की है। किसान समय पर इन कीट एवं रोगों की पहचान कर गेहूं फसल को होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं। 

गेहूं की फसल में लग सकता है पीला या भूरा रतुआ रोग

संस्थान द्वारा जारी सलाह में बताया गया है कि इस समय उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र एवं पहाड़ी क्षेत्र जैसे की जम्मू, हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा हरियाणा में इस समय गेहूं एवं जौ में पीला रतुआ आने की संभावना रहती है। इसमें पीले रंग की धारियाँ बनती है और छूने से उँगलियों पर पीला पाउडर लग जाता है। वर्तमान मौसम में मध्य भारत में भूरा रतुआ आने की सम्भावना है। 

भूरा रतुआ निचली पंक्तियों पर नारंगी से भूरे रंग के गोल फफोलों के रूप में उत्पन्न होता है जो पंक्तियों की ऊपरी व निचली सतह पर अनियमित बिखरे दिखाई देते हैं। इसलिए, किसानों को सलाह दी जाती है कि वे पीले या भूरे रतुआ के लिए अपने खेतों की कड़ी निगरानी रखें। 

इस दवा से करें पीला या भूरा रतुआ का नियंत्रण

अगर गेहूं की फसल में पीला या भूरा रतुआ दिखाई देता है तो प्रभावित क्षेत्रों में अनुशंसित कवकनाशी जैसे प्रोपिकानाजोल 0.1% या टेबुकोनाजोल 50% ट्राइफ़्लॉक्सीस्ट्रोबिन 25% प्रति 0.06% का छिड़काव करें। और जरुरत पड़ने पर 15 दिनों के बाद इस छिड़काव का दोहराव करें।

गेहूं में माहूँ या चेपा कीट नियंत्रण के लिए क्या करें?

अगेती गेहूं की बुआई में जहाँ गेहूं में बालियाँ निकल रही हैं वहाँ पर पत्ती माहूँ (चेपा) के लिए भी निरंतर निगरानी किसानों को रखनी चाहिए। अगर पत्ती माहूँ की संख्या आर्थिक क्षति स्तर (ई.टी.एल. 10-15 माहूँ/ टिलर) को पार करती है, तब क्यूनालफोस 25 प्रतिशत ई.सी. नामक दवा की 400 मि.ली. मात्रा 200-250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।    

समर्थन मूल्य पर चना, मसूर एवं सरसों बेचने के लिए किसान अभी करें अपना पंजीयन

चना, मसूर एवं सरसों बेचने के लिए किसान पंजीयन

जल्द ही देश के विभिन्न राज्यों में रबी फसलों की कटाई का काम शुरू होने वाला है, जिसको देखते हुए राज्य सरकारों के द्वारा इन फसलों का उपार्जन न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पर खरीदने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इस कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में चना, मसूर एवं सरसों खरीदी के लिए किसान पंजीयन शुरू कर दिए हैं। इस वर्ष मध्य प्रदेश सरकार चने की समर्थन मूल्य पर खरीदी सभी जिलों में, मसूर की 37 जिलों में एवं सरसों की खरीदी 39 जिलों में करेगी।

मध्य प्रदेश में रबी वर्ष 2023 में चना, मसूर एवं सरसों के उपार्जन के लिये पंजीयन की कार्यवाही ई-उपार्जन पोर्टल पर की जा रही है, जो 25 फरवरी 2023 तक चलेगी। इस दौरान राज्य के किसान ऑनलाइन एवं ऑफ़लाइन आवेदन कर सकते हैं।

किसान यहाँ करा सकते हैं पंजीयन

किसान अपनी उपज बेचने के लिए पंजीयन ग्राम पंचायत कार्यालय स्थापित सुविधा केंद्र पर, जनपद पंचायत कार्यालय में स्थापित सुविधा केंद्र पर, तहसील कार्यालय में स्थापित सुविधा केंद्र पर एवं सहकारी समितियों एवं विपणन समितियों एवं संस्थाओं द्वारा संचालित पंजीयन केंद्र पर निःशुल्क करा सकते हैं। वहीं ऑनलाइन एमपी किसान एप पर एवं शुल्क देकर किसान भाई एमपी ऑनलाइन, कियोस्क, लोक सेवा केंद्र एवं साइबर कैफे से भी पंजीयन करा सकते हैं।

37 जिलों में की जाएगी मसूर की खरीदी

समर्थन मूल्य पर मसूर की खरीदी 37 जिलों राजगढ़, सतना, डिण्डोरी, विदिशा, सागर, रीवा, नरसिंहपुर, दतिया, रायसेन, पन्ना, दमोह, मण्डला, जबलपुर, शाजापुर, अनूपपुर, सिवनी, अशोक नगर, कटनी, मंदसौर, आगर, सीधी, सिंगरौली, सीहोर, छतरपुर, उमरिया, शिवपुरी, शहडोल, होशंगाबाद, भिण्ड, उज्जैन, छिंदवाड़ा, टीकमगढ़, रतलाम, बैतूल, नीमच, हरदा और धार में की जाएगी।

39 जिलों में की जाएगी MSP पर सरसों की खरीदी

समर्थन मूल्य पर सरसों की खरीदी प्रदेश के 39 जिलों भिण्ड, मुरैना, शिवपुरी, मंदसौर, श्योपुरकलां, ग्वालियर, बालाघाट, टीकमगढ़, छतरपुर, नीमच, डिण्डोरी, मण्डला, दतिया, रीवा, सिंगरौली, आगर, गुना, पन्ना, रतलाम, सतना, अशोकनगर, शहडोल, विदिशा, राजगढ़, सिवनी, अनूपपुर, सीधी, जबलपुर, शाजापुर, कटनी, उज्जैन, उमरिया, रायसेन, सागर, होशंगाबाद, दमोह, छिंदवाड़ा, बैतूल और हरदा में की जाएगी।

पंजीयन के लिए आवश्यक दस्तावेज

किसानों को अनिवार्य रुप से समिति स्तर पर पंजीयन हेतु आधार नंबर, बैंक खाता नंबर, मोबाइल नंबर की जानकारी उपलब्ध करवाना होगा। किसानों पंजीयन करवाते समय कृषक का नाम, समग्र आईडी नम्बर, ऋण पुस्तिका, आधार नम्बर, बैंक खाता नम्बर, बैंक का आईएफएससी कोड, मोबाइल नम्बर की सही जानकारी दें ताकि बाद में किसी प्रकार की असुविधा न हो। वनाधिकार पट्टाधारी एवं सिकमी किसानों के पास पंजीयन के लिए वनपट्टा तथा सिकमी अनुबंध की प्रति होनी चाहिए।

किसानों को निःशुल्क दिए गए प्रमाणित बीज से किसान कर रहे हैं बीज उत्पादन

 प्रमाणित बीज उत्पादन

खेती में नई उन्नत किस्मों के बीजों का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है, उन्नत बीजों से जहां किसानों की पैदावार बढ़ती है वहीं आमदनी भी अधिक प्राप्त होती है। नई उन्नत किस्मों के बीजों का उत्पादन बढ़ाने के लिए राजस्थान सरकार द्वारा मुख्यमंत्री बीज स्वावलंबन योजना चलाई जा रही है। इस योजना में किसानों को बीज उत्पादन के लिए कृषि विभाग द्वारा उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध कराए जाते हैं और उन्हें अपने उपयोग के लिए बीज उत्पादन के लिए प्रेरित किया जाता है। योजना के तहत 2 लाख से अधिक किसान अपने खेत में बीज का उत्पादन कर रहे हैं।

राजस्थान के सभी जिलों में किसानों को गेहूं, जौ, चना, ज्वार, सोयाबीन, मूंगफली, मूंग और उड़द सहित अन्य फसलों के बीजों का निःशुल्क वितरण किया गया है। योजना से किसानों की उपज बढ़ी है और उनकी आय में भी बढ़ोतरी हो रही है। फसल की बुवाई के समय उन्नत बीज उपलब्ध नहीं होने की समस्या भी हमेशा के लिए दूर हो गई है। 

किसानों को किया गया निःशुल्क बीज का वितरण

राजस्थान के कृषि आयुक्त श्री कानाराम ने बताया कि योजना के तहत विगत 4 वर्षो में 24 करोड़ 81 लाख रुपए की लागत से 2 लाख 24 हजार 268 किसानों को 46 हजार 326 क्विंटल उन्नत बीज का वितरण किया गया है। इन किसानों द्वारा 58.47 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बीज की बुवाई की गयी, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2019 से 2022 तक 2 लाख 14 हजार 262 क्विंटल उन्नत बीज उत्पादित किया गया है।

योजना की सफलता को देखते हुए मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में योजना के आकार को दोगुना कर दो वर्षों में 50 हजार किसानों को लाभान्वित करने की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री की इस घोषणा के मद्देनजर चालू वित्तीय वर्ष में 15 करोड़ रूपए की लागत से किसानों को 34 हजार 276 क्विंटल बीज का वितरण किया गया है, जिससे लगभग 4 लाख 95 हजार क्विंटल उन्नत बीज उत्पादन का लक्ष्य है।

अनुदान पर निःशुल्क बीज लेने के लिए क्या करें?

योजना में नि:शुल्क उन्नत बीज का वितरण 50 कृषकों का समूह बनाकर किया जाता है। समूह के चयन में विशेष ध्यान रखा जाता है कि 50 प्रतिशत लघु एवं सीमांत कृषकों की भागीदारी हो। समूह के प्रत्येक किसान के पास 0.2 हेक्टेयर भूमि होना आवश्यक है। उन्नत बीजों का वितरण संबंधित कृषि पर्यवेक्षक के द्वारा जन आधार कार्ड से राज किसान साथी पोर्टल के माध्यम से किया जाता है।

9 फरवरी से शुरू होगा कृषि यंत्रों का मेला, किसानों को मिलेगी कृषि यंत्र की खरीद पर भारी सब्सिडी

कृषि यंत्र अनुदान मेला

देश में कृषि क्षेत्र में कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा किसानों को कृषि यंत्रों की खरीद पर भारी सब्सिडी दी जाती है। अधिक से अधिक इन नई तकनीक के कृषि तकनीकों को अपना सकें इसके लिए सरकार द्वारा समय-समय पर प्रशिक्षण एवं प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है। इस कड़ी में बिहार सरकार भी राज्य में 9 फरवरी से 12 फरवरी 2023 के दौरान राज्य स्तरीय कृषि यंत्रीकरण मेले का आयोजन किया जा रहा है।

9 फरवरी 2023 से पटना के गांधी मैदान में प्रातः 10 बजे से आयोजित होने वाले इस राज्य स्तरीय कृषि मेले में किसान जाकर अनुदान पर कृषि यंत्र खरीद सकते है, साथ ही नए विकसित कृषि यंत्रों के बारे में जानकारी भी हासिल कर सकते हैं। किसानों को मेले में जाने के लिए प्रवेश निःशुल्क है। मेला में प्रवेश गांधी मैदान के गेट नम्बर 7 (उद्योग भवन के सामने) से किया जा सकता है।

कृषि यंत्रीकरण मेले में यह होगा खास

बिहार सरकार द्वारा प्रतिवर्ष राज्यस्तरीय मेले का आयोजन किया जाता है, ताकि किसानों को कृषि क्षेत्र की नई तकनीकों से अवगत कराया जा सके। इस वर्ष भी आयोजित होने वाले इस कृषि मेले में किसान पाठशाला का आयोजन किया जाएगा। साथ ही मेले के निम्न आकर्षण होंगे:-

  • देश के प्रमुख कृषि यंत्र निर्माताओं द्वारा निर्मित आधुनिक कृषि यंत्रों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी,
  • स्वीकृति पत्र प्राप्त किसानों के लिए कृषि यंत्र खरीदने पर सरकारी अनुदान दिया जाएगा,
  • आधुनिकतम कृषि यंत्रों के बारे में जानकारी देने हेतु प्रतिदिन किसान पाठशाला का आयोजन किया जाएगा,
  • प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

कृषि यंत्रों पर मेले में कितना अनुदान Subsidy दिया जाएगा?

पटना के गांधी मैदान में आयोजित होने वाले कृषि यंत्रीकरण मेले में किसानों को 90 प्रकार के कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जाएगा। जिसमें खेत की जुताई, बुआई, निकाई-गुड़ाई, सिंचाई, कटाई, दौनी इत्यादि तथा गन्ना एवं उद्यान से सम्बंधित कृषि यंत्र शामिल है। इसमें किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन से सम्बंधित यंत्रों पर 80 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाएगा वहीं अन्य कृषि यंत्रों की खरीद पर किसानों 50 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाएगा। 

किसान कृषि यंत्रों पर दिए जाने वाले अनुदान की विस्तृत जानकारी के लिए क्लिक करें 

जिन यंत्रों पर 8,000 रुपए या उससे अधिक अनुदान अनुमन्य है, उन यंत्रों की स्वीकृति पत्र सहायक निदेशक (कृषि अभियंत्रण) द्वारा जारी की जाएगी तथा पम्पसेट को छोड़ कर जिन यंत्रों में अनुदान 8,000 रुपए से कम है, उनकी स्वीकृति पत्र प्रखंड कृषि पदाधिकारी द्वारा जारी की जाएगी।

कृषि यंत्र पर अनुदान प्राप्त करने के लिए आवेदन कहाँ करें?

इच्छुक किसान कृषि यंत्रीकरण राज्य योजना वर्ष 2022-23 के तहत कृषि यंत्र पर अनुदान प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन आवेदन OFMAS पोर्टल पर 09 से 12 फरवरी 2023 के दौरान तक कर सकते हैं। आवेदन करने के लिए किसान के पास पहले से कृषि विभाग DBT पोर्टल की पंजीयन संख्या होना आवश्यक है, जिन किसानों के पास यह संख्या नहीं है वह कृषि विभाग के DBT पोर्टल dbtagriculture.bihar.gov.in पर पंजीयन करा सकते हैं। इसके बाद किसानों को अनुदानित दर पर कृषि यंत्र खरीदने के लिए farmech.bih.nic.in पर जाकर आवेदन करना होगा। 

किसान अपनी इच्छा अनुसार कहीं से भी ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन के सम्बंध में अधिक जानकारी के लिए अपने प्रखंड कृषि पदाधिकारी/ सहायक निदेशक (कृषि अभियंत्रण)/ ज़िला पदाधिकारी से सम्पर्क कर सकते हैं।

गन्ना बुआई के समय किसान रखें इन बातों का ध्यान, मिलेगी बंपर पैदावार

गन्ने की अधिक पैदावार के लिए किसान क्या करें

देश के कई राज्यों में किसानों द्वारा बसंतकालीन गन्ने की खेती प्रमुखता से की जाती है। ऐसे में किसान नई वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाकर गन्ने की पैदावार के साथ ही अपनी आमदनी भी बढ़ा सकते हैं। अभी की जाने वाली बसंतकालीन गन्ना बुआई को लेकर उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग श्री संजय भूसरेड्डी ने गन्ना बुआई को लेकर विस्तृत एडवाइजरी जारी की है।

जारी एडवाइजरी में उन्होंने बताया कि विभाग की पंचामृत योजना के अंतर्गत पाँच घटक जिसमें ट्रेंच विधि द्वारा गन्ना बुआई, गन्ने के साथ सहफ़सली खेती, पेड़ी प्रबंधन, ड्रिप विधि द्वारा सिंचाई तथा ट्रेश मल्चिंग शामिल है। किसान इन घटकों को अपनाकर अपनी पैदावार में वृद्धि कर सकते हैं। 

पंचामृत योजना के तहत बुआई से किसानों को होंगे यह लाभ

बसंतकाल में ट्रेंच विधि द्वारा गन्ना बुआई करके जहां 60-70 प्रतिशत जमाव प्राप्त कर सकते है, वहीं गन्ने के साथ मूँग व उड़द की सहफ़सली खेती द्वारा अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त कर सकते हैं। इन दलहनी फसलों को जड़ों में पाए जाने वाले बैक्टेरिया द्वारा वायुमंडलीय नत्रजन का अवशोषण कर मृदा उर्वरता में भी वृद्धि की जा सकती है। ड्रिप विधि द्वारा सिंचाई से जहां हम सिंचाई जल में बचत कर गन्ने की जड़ों के पास आवश्यक सिंचाई जल की पूर्ति कर उपज में अत्याधिक वृद्धि कर सकते हैं।

वहीं पेड़ी प्रबंधन तकनीक के अंतर्गत रैटून मैनेजमेंट डिवाइस द्वारा 20-25 प्रतिशत कम लागत में उतनी ही उपज प्राप्त कर सकते हैं। ट्रैश मल्चिंग द्वारा हम मृदा नमी को सरंक्षित कर मृदा में कार्बनिक पदार्थों की वृद्धि के साथ-साथ खरपतवार नियंत्रण भी कर सकते हैं।

गन्ना बुआई के लिए सही समय क्या है?

गन्ना बुआई के बारे में अधिक जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि तापमान को ध्यान में रखते हुए 15 फरवरी से बसंतकालीन गन्ने की बुआई प्रारम्भ कर देना चाहिए एवं अधिकतम 30 अप्रैल तक गन्ना बुआई के काम को पूरा कर लेना चाहिए। गन्ना विकास विभाग द्वारा गठित महिला स्वयं सहायता समूहों को सुझाव दिया कि सिंगल बड विधि द्वारा नवीन गन्ना किस्मों की अधिक से अधिक पौध तैयार करना अभी से प्रारम्भ कर दें जिससे कि 25-30 दिन बाद उन पौधों का वितरण कृषकों में किया जा सके।

किसान गन्ने की इन नई विकसित किस्मों की करें बुआई

गन्ना विकास विभाग के सचिव ने बताया कि किसान “बीज गन्ना एवं गन्ना किस्म स्वीकृत उपसमिति” द्वारा उत्तर प्रदेश हेतु स्वीकृत गन्ना किस्मों की ही बुआई करें, स्वीकृत किस्मों में उपज व चीनी परता में वृद्धि के साथ-साथ कीट व रोगों से भी लड़ने की क्षमता होती है। बसंतकालीन गन्ना बुआई हेतु नई गन्ना क़िस्में को.शा. 13235, को.15023, को.लख. 14201, को.शा. 17231, को.शा. 14233, को.शा. 15233, को.लख 14204, 15207 (मध्य एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश हेतु) को.लख. 15466 (पूर्वी उत्तर प्रदेश) यू.पी. (ऊसर भूमि हेतु) आदि की बुआई कर किसान अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं।

गन्ने की फसल में कितना खाद का छिड़काव करें

बसंतकालीन गन्ना बुआई में संतुलित रूप में उर्वरक के प्रयोग पर बल देते हुए गन्ना विकास विभाग के सचिव ने बताया कि उर्वरकों के प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर ही करें। अन्यथा की दशा में 180 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 80 कि.ग्रा. फ़ास्फोरस, 60 कि.ग्रा. पोटाश तथा 25 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट का प्रयोग प्रति हेक्टेयर की दर से करें। नाइट्रोजन की मात्रा को 03 हिस्सों में बाँटकर 03 अलग समय पर प्रयोग करना चाहिए।

इन तत्वों की पूर्ति हेतु बुआई के समय प्रति हेक्टेयर 130 कि.ग्रा. यूरिया, 500 कि.ग्रा.सिंगल सुपर फास्फेट, 100 कि.ग्रा. म्यूरेट आफ पोटाश तथा 25 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट का प्रयोग करें। यूरिया की शेष 260 कि.ग्रा. मात्रा को बुआई के बाद एवं मानसून से पहले दो बार में टॉप ड्रेसिंग के रूप में दें। इसके लिए नैनो यूरिया का उपयोग करने से उर्वरकों की दक्षता बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि गन्ने में फ़ास्फोरस की पूर्ति सिंगल सुपर फास्फेट से करने पर 11 प्रतिशत सल्फर की अतिरिक्त पूर्ति होती है जिससे उपज शर्करा प्रतिशत में वृद्धि होती है।

मृदा में कार्बनिक पदार्थों की पूर्ति हेतु प्रति हेक्टेयर की दर से 100 क्विंटल गोबर की सड़ी खाद अथवा 50 क्विंटल प्रेसमड अथवा 25 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट के साथ 10 किलोग्राम पी.एस.बी. का प्रयोग खेत की तैयारी के समय अवश्य करें। कार्बनिक पदार्थों के प्रयोग से मृदा की जलधारण क्षमता व मृदा में सूक्ष्म जीवों की संख्या में वृद्धि होती है जिससे मृदा की उर्वरता एवं उत्पादकता में वृद्धि होती है। कीट नियंत्रण हेतु फिप्रोनिल 0.3 जी 20 कि.ग्रा.प्रति हेक्टेयर की दर से नालियों में पैडों के ऊपर डाल कर ढकें।

गन्ना बीज उपचार कैसे करें?

गन्ने की फसल में लाल सड़न एक बीज जनित बीमारी है अर्थात् इस बीमारी का प्राथमिक संक्रमण बीज गन्ने से होता है इसलिए किसान गन्ना बुआई से पूर्व बीज का उपचार अवश्य करें। बीज उपचार हेतु कार्बेन्डाजिम अथवा थायोफ़िनेट मेथिल 0.1 प्रतिशत की दर से 112 लीटर पानी में 112 ग्राम रसायन मिलाकर गन्ने के एक अथवा दो आँख के टुकड़ों को 10 मिनट तक शोधित करने के बाद बुआई करें। इस बीमारी से पूर्ण बचाव हेतु रोग रहित शुद्ध स्वस्थ विभागीय नर्सरी, पंजीकृत गन्ना बीज उत्पादकों की नर्सरी या अपने स्वस्थ खेत से ही बीज लेकर बुआई करें।

लाल सड़न रोग से संक्रमित खेत में कम से कम एक वर्ष तक गन्ना न बोयें तथा गन्ने के स्थान पर अन्य फसल की बुआई कर फसल चक्र अपनाएँ क्योंकि लाल सड़न रोग का रोगजनक बिना पोषक पौधे अर्थात् गन्ने के बिना भी 06 माह तक सक्रिय रहता है। संक्रमित गन्ने की पेड़ी न लें। 

कीट नियंत्रण के लिए क्या करें?

भूमिगत कीटों जैसे दीमक, व्हाइट ग्रब तथा रूट बोरर से बचाव हेतु जैविक कीटनाशक कवक मेटा राइजियम एनिसोपली व बवेरिया बैसियाना की 5 कि.ग्रा. मात्रा प्रति हेक्टेयर को 2 क्विंटल गोबर की सड़ी खाद में मिलाकर अवश्य प्रयोग करें।

खेत की तैयारी के समय गहरी जुताई कर अंतिम जुताई के समय यदि 10 कि.ग्रा. ट्राइकोडर्मा (अंकुश) को 2-3 क्विंटल गोबर की सड़ी खाद में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में प्रयोग करने से लाल सड़न रोग के रोगजनक “कोलेटोट्राइकम फल्केटम” का मृदा में संक्रमण नहीं होगा। जिससे लाल सड़न रोग फैलने की सम्भावना बहुत कम हो जाती है।

ट्राइकोडर्मा एक जैव उत्पाद है जो गन्ने की फसल को लाल सड़न रोग के साथ-साथ उकठा (विल्ट) एवं पाइन एप्पिल जैसे मृदाजनित रोगों से भी गन्ना फसल को बचाता है तथा इन रोगों के फफूँद को खाकर नष्ट कर देता है।