खेतों में चैनलिंक फेंसिंग के लिए सरकार दे रही है सब्सिडी, किसान अभी करें आवेदन

अनुदान पर चैनलिंक फेंसिंग हेतु आवेदन

देश में किसानों की खड़ी फसलों को आवारा पशु, नीलगाय एवं जंगली जानवरों से काफी नुकसान होता है। किसान अपनी फसलों को होने वाले इस नुकसान से बचाने के लिए खेतों की तारबंदी Fencing कराना तो चाहते हैं परंतु लागत अधिक होने के चलते नहीं करा पाते हैं। ऐसे में कई राज्य सरकारों के द्वारा किसानों को आर्थिक सहायता देने के लिए तारबंदी पर अनुदान उपलब्ध कराया जाता है। इस कड़ी में मध्य प्रदेश के उद्यानिकी विभाग द्वारा भी चयनित ज़िलों के विकास खंडों में चैनलिंक फैसिंग पर अनुदान देने के लिए लक्ष्य जारी किए हैं। 

मध्य प्रदेश के उद्यानिकी विभाग ने “राष्ट्रीय कृषि विकास योजना” वर्ष 2021-22 के अंतर्गत राज्य के 20 जिलों के मॉडल विकासखंड के किसानों के लिए लक्ष्य जारी किए हैं। इन ज़िलों के किसान मध्यप्रदेश उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं।

इन जिलों के किसान कर सकते हैं चैनलिंक फेंसिंग पर अनुदान हेतु आवेदन?

मध्य प्रदेश उद्यानिकी विभाग ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना 2021-22 के तहत राज्य के उज्जैन ज़िले के महिदपुर, शाजापुर ज़िले के शुजालपुर, सिहोर ज़िले के नरसूल्लागंज, होशंगाबाद ज़िले के होशंगाबाद, मंडला ज़िले के नारायणगंज, ग्वालियर ज़िले के मुरार, बालाघाट के परसवाडा, दतिया ज़िले के सेवढा, शिवपुरी के करेरा, बड़वानी के पाटी, सतना ज़िले के रामपुर बघेलान, छतरपुर ज़िले के राजनगर, उमरिया ज़िले के पाली, रीवा ज़िले के रीवा, दमोह ज़िले के पथरिया, पन्ना ज़िले के अजयगढ़, मुरैना ज़िले के पोरसा, झाबुआ ज़िले के झाबुआ, जबलपुर ज़िले के कुंडम एवं भोपाल ज़िले के बैरसिया विकासखंड के लिए लक्ष्य जारी किए गए हैं। 

चैन लिंक फेंसिंग पर अनुदान हेतु आवेदन कहाँ करें?

योजना का लाभ लेने के लिए राज्य के किसान उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, मध्य प्रदेश के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। किसानों को आवेदन करते समय अपने पास फ़ोटो, आधार, खसरा नम्बर/B1/ पट्टे की प्रति, बैंक पासबुक, जाति प्रमाण पत्र आदि आवश्यक दस्तावेज अपने पास रखना होगा। इसके अलावा किसान भाई यदि योजना के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उद्यानिकी विभाग की वेबसाइट पर देख सकते हैं अथवा विकासखंड/जिला उद्यानिकी विभाग में संपर्क करें। किसानों को आवेदन करने के लिए ऑनलाइन पंजीयन उद्यानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर जाकर करना होगा। 

सिंचित एवं असिंचित क्षेत्र में फसल नुकसान होने पर दिया जाएगा इतना मुआवजा

फसल नुकसान के लिए मुआवजा

विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के चलते किसानों की फसलों को काफी नुकसान होता है, किसानों को होने वाले इस नुकसान की भरपाई सरकार द्वारा योजना अनुसार की जाती है। पिछले वर्ष खरीफ सीजन में भारी वर्षा एवं बाढ़ से किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ था। जिसको लेकर राजस्थान में चल रहे विधानसभा सत्र में विधायक श्री प्रताप लाल ने वर्ष 2022 में जिला उदयपुर में अतिवृष्टि से हुई बाढ़ से तहसील सलूम्बर एवं झल्लारा में हुए नुकसान को लेकर सवाल पूछा।

प्रश्नकाल के दौरान इस संबंध में सदस्यों द्वारा पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए आपदा प्रबंधन एवं सहायता मंत्री श्री गोविन्द राम मेघवाल ने विधानसभा में कहा कि उदयपुर जिले की सलूम्बर तथा झल्लारा तहसील में 33 प्रतिशत से अधिक हुए फसल खराबे में प्रभावित किसानों का डेटा अपलोड करने का काम किया जा रहा है। इसके लिए तहसीलदार को पाबंद किया जा चुका है।

पोर्टल पर अपलोड किया जा रहा है किसानों का डेटा

आपदा प्रबंधन एवं सहायता मंत्री ने बताया कि खरीफ फसल संवत् 2079 (वर्ष 2022) के तहत उदयपुर की सलूम्बर तथा झल्लारा में 33 प्रतिशत से अधिक हुए फसल खराबे में 52 हजार 631 किसान प्रभावित हुए हैं। जिसके लिए डीएमआईएस पोर्टल खोला जा चुका है तथा इस पोर्टल पर इन प्रभावित किसानों का डेटा अपलोड करने के लिए तहसीलदार को पाबंद किया जा चुका है।

फसल ख़राब होने पर कितना मुआवजा

आपदा प्रबंधन एवं सहायता मंत्री श्री गोविन्द राम मेघवाल ने एसडीआरएफ नियमों की जानकारी देते हुए बताया कि किसानों को सिंचित एवं असींचित क्षेत्र के लिए अलग-अलग कृषि आदान-अनुदान दिया जाता है। जिसमें यदि किसान के द्वारा बोई गई फसल सिंचित क्षेत्र में है तो उसे 17 हजार रुपए तक तथा असींचित क्षेत्र में है तो 8 हजार 500 रुपए तक का मुआवजा दिया जाता है। 

वर्ष 2022 में तहसील सलूम्बर एवं झल्लारा में 33 प्रतिशत एवं इससे अधिक फसल खराबा वाले प्रभावित पात्र कृषकों को एसडीआरएफ नोर्म्स के अनुसार कृषि आदान-अनुदान देय है, जिसके लिए दिशा-निर्देश जारी किये जा चुके है।

पशु उपचार के लिए जल्द शुरू की जाएगी एंबुलेंस सेवा, घर पर होगा पशुओं का उपचार

पशु उपचार एंबुलेंस सेवा

देश में पशुपालन किसानों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में आय एवं रोजगार का एक अच्छा ज़रिया है, परंतु यह एक जोखिम भरा व्यवसाय है। इस व्यवसाय में पशु यदि स्वस्थ है तो यह काफ़ी लाभकारी है परंतु यदि पशु बीमार है तो पशुपालक को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में बीमार पशुओं को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा मिल सके इसके लिए राज्य सरकारों के द्वारा एंबुलेंस सेवा शुरू की जा रही है। इस कड़ी में हरियाणा सरकार भी राज्य में पशुओं के उपचार के लिए जल्द 200 एंबुलेंस शुरू करने जा रही है।

हरियाणा के पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री जे.पी. दलाल ने कहा कि प्रदेश की डायल 112 योजना की तर्ज पर जल्द ही पशु उपचार एंबुलेंस सेवा आरंभ की जाएगी। पशुपालन व्यवसाय में जोखिम को कम करने के लिए आरंभ की जाने वाली पशु उपचार एंबुलेंस सेवा केंद्रीकृत होगी, जिसके लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाएगा।

पशु उपचार के लिए तैनात की जाएँगी 200 एंबुलेंस

पशुपालन एवं डेयरी मंत्री ने कहा कि पशु उपचार एंबुलेंस सेवा के लिए शुरुआत में 200 एंबुलेंस तैनात की जाएगी, जिनमें पशु चिक्तिसक व स्टॉफ के साथ-साथ जरूरी दवाएं उपलब्ध रहेंगी। उन्होंने कहा कि पशुपालक द्वारा हेल्पलाइन पर उपचार एंबुलेंस सेवा की मांग करने पर उसके नजदीकी स्थान की एंबुलेंस को मैसेज भेजा जाएगा। इस योजना के तहत पशुपालक तक एंबुलेंस के पहुंचने में लगने वाले समय, उपचार गुणवत्ता तथा पशुपालक की फीडबैक आदि की मॉनिटरिंग भी की जाएगी।

उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वे सब्जी, फल, फूल, बागवानी उत्पादन, पशुपालन व मछली पालन जैसे व्यवसायों को अपनाएं, ताकि उनकी आय में वृद्धि हो सके। ऐसी फसलों पर सरकार द्वारा अनुदान भी दिया जा रहा है।

 

खुशखबरी: जल्द किसानों को आधी कीमत पर मिलेगा डीएपी खाद

डीएपी खाद के दाम Price

अंतराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे माल की कीमतों के बढ़ने से डीएपी एवं अन्य खादों के दाम में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे सरकार को अब इन उत्पादों के मूल्य नियंत्रित करने के लिए भारी सब्सिडी खर्च करनी पड़ रही है। इसके अलावा डीएपी एवं अन्य खादों के दाम बढ़ने से किसानों की लागत भी बढ़ती जा रही है। ऐसे में सरकार जल्द ही नैनो यूरिया की सफलता एवं इससे होने वाले लाभ को देखते हुए इसकी तर्ज़ पर नैनो डीएपी बाज़ार में लाने वाली है जो अभी मौजूद डीएपी की बोरी से आधी से भी कम कीमत पर मिलेगी।

केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने उत्तर प्रदेश के आंवला और फूलपुर में इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको – आईएफएफसीओ) के नैनो यूरिया तरल (लिक्विड) संयंत्रों का उद्घाटन करते समय नैनो डीएपी के बारे में जानकारी दी।

जल्द आधी कीमत पर उपलब्ध होगा नैनो डीएपी

केंद्रीय मंत्री महोदय ने नैनो यूरिया से मिलने वाले लाभों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह एक वैकल्पिक उर्वरक है। हम वर्षों से उत्पादकता बढ़ाने के लिए यूरिया और डीएपी का इस्तेमाल करते रहे हैं। जब हम सामान्य यूरिया का उपयोग करते हैं तो केवल 35% नाइट्रोजन (यूरिया का ही) उपज द्वारा प्रयोग किया जाता है और अप्रयुक्त यूरिया मिट्टी पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इससे अब  मिट्टी की उत्पादकता कम हो रही है और फसल उत्पादन स्थिर हो चुका है, इसलिए भी वैकल्पिक उर्वरकों का चयन किया जाना आवश्यक था। यह सबसे अच्छी हरित प्रौद्योगिकी है जो प्रदूषण का समाधान प्रदान करती है। यह मिट्टी को खराब होने से बचाने के साथ ही उत्पादन भी बढ़ाती है और इसलिए यह किसानों के लिए सबसे अच्छी है।

उन्होंने आगे कहा कि सरकार की विशेषज्ञ समिति ने नैनो डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) को मंजूरी दे दी है और जल्द ही यह सामान्य डीएपी की जगह लेगी। आगे कहा कि नैनो- डीएपी से हमारे किसानों को अत्यधिक लाभ होगा और यह डीएपी से आधे मूल्य  पर उपलब्ध होगा। नैनो डीएपी का प्रयोग बीज उपचार एवं खड़ी फसल में छिड़काव के रूप में किया जा सकेगा, जिससे फसल की जड़ों के विकास, वानस्पतिक वृद्धि एवं उपज की गुणवत्ता में वृद्धि होगी।

किसानों को दी नैनो यूरिया के उपयोग की सलाह

डॉ. मांडविया ने किसानों को नैनो यूरिया के उपयोग की सलाह दी। उन्होंने कहा कि एक किसान दूसरे किसान की सलाह को अच्छे से सुनता है। जब कोई किसान अपने खेत में नैनो यूरिया का प्रयोग करता है और देखता है कि उत्पादन बढ़ गया है, मिट्टी पर भी बुरा प्रभाव नहीं हो रहा है और लागत भी कम हो रही है, तो ऐसे में उसे दूसरों को भी नैनो यूरिया के उपयोग की सलाह देनी चाहिए।

किसानों को नैनो DAP किस कीमत (Price) पर मिलेगा

नैनो डीएपी की आधे लीटर की एक बोतल कीमत 600 रुपए के आसपास होगी। आज के समय में जहां किसान को 50 किलो सामान्य डीएपी 1350 रुपए में उपलब्ध होती है, वही नैनो डीएपी मात्र 600 रुपए में मिलेगी। जिससे किसान की फसल उत्पादन लागत में भारी कमी आएगी तथा भारत सरकार को अनुदान के मद में लगभग 2500 रुपए प्रति बोरी की बचत होगी।

रंग ला रही है किसानों कि मेहनत, इस वर्ष फसलों का होगा रिकॉर्ड उत्पादन, सरकार ने जारी किया अनुमान

वर्ष 2022-23 में गेहूं, मक्का, चना, मूंग, रेपसीड एवं सरसो और गन्ने का उत्पादन

कृषि क्षेत्र दिन प्रतिदिन किसानों की अथक मेहनत, वैज्ञानिकों की कुशलता एवं सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास अब रंग लाने लगे हैं । इसका असर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय द्वारा जारी कृषि वर्ष 2022-23 के लिए मुख्‍य फसलों के उत्‍पादन के दूसरे अग्रिम अनुमान में साफ दिख रहा है । जिसमें चावल, गेहूं, मक्का, चना, मूंग, रेपसीड एवं सरसो और गन्ने का रिकार्ड उत्पादन होने का अनुमान लगाया गया है।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि वर्तमान कृषि वर्ष में 3235.54 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान है। कृषि मंत्री ने अग्रिम अनुमानों में मोटे अनाज के उत्पादन में वृद्धि की सराहना करते हुए आशा जताई कि आने वाले वर्षों में मोटे अनाज/पोषक अनाज के उत्पादन और प्रयोग में और अधिक वृद्धि होगी।

2022-23 के लिए मुख्य फसलों का का अनुमानित उत्पादन इस प्रकार है:-

वर्ष 2022-23 के लिए दूसरे अग्रिम अनुमानों के अनुसार, देश में कुल खाद्यान्‍न उत्‍पादन रिकॉर्ड 3235.54 लाख टन अनुमानित है, जो पिछले वर्ष 2021-22 की तुलना में 79.38 लाख टन अधिक है। 

गेहूं एवं चावल के उत्पादन में कितनी वृद्धि हुई है?

इस वर्ष के दौरान चावल का कुल उत्‍पादन (रिकॉर्ड) 1308.37 लाख टन अनुमानित है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 13.65 लाख टन अधिक है। वहीं गेहूं का उत्‍पादन (रिकॉर्ड) 1121.82 लाख टन अनुमानित है, जो पिछले वर्ष के उत्पादन की तुलना में 44.40 लाख टन अधिक है।

दलहन फसलों के उत्पादन में कितनी वृद्धि हुई है?

वर्ष 2022-23 के दौरान कुल दलहन उत्‍पादन 278.10 लाख टन अनुमानित है जो पिछले वर्ष के 273.02 लाख टन उत्पादन की तुलना में 5.08 लाख टन एवं विगत पांच वर्षों के औसत दलहन उत्‍पादन की तुलना में 31.54 लाख टन अधिक है। वहीं मूंग का उत्पादन 35.45 लाख टन के नए रिकार्ड पर अनुमानित है, जो पिछले वर्ष के उत्पादन की तुलना में 3.80 लाख टन अधिक है।

तिलहन फसलों के उत्पादन में कितनी वृद्धि हुई है?

वर्ष 2022-23 के दौरान देश में कुल तिलहन उत्‍पादन रिकॉर्ड 400.01 लाख टन अनुमानित है, जो पिछले वर्ष के तिलहन उत्पादन की तुलना में 20.38 लाख टन अधिक है। सोयाबीन तथा रेपसीड एवं सरसो का उत्पादन क्रमश: 139.75 लाख टन एवं 128.18 लाख टन अनुमानित है जो पिछले वर्ष 2021-22 के उत्पादन की तुलना में क्रमश: 9.89 लाख टन और 8.55 लाख टन अधिक है।

अन्य फसलों के उत्पादन में कितनी वृद्धि होने का अनुमान है?

  • जारी आकड़ों के अनुसार वर्ष 2022-23 के दौरान देश में गन्‍ने का उत्‍पादन रिकॉर्ड 4687.89 लाख टन अनुमानित है। 2022-23 के दौरान गन्‍ने का उत्‍पादन पिछले वर्ष के उत्‍पादन की तुलना में 293.65 लाख टन अधिक है।
  • कपास का उत्‍पादन 337.23 लाख गांठें (प्रति गांठ 170 किग्रा) तथा पटसन एवं मेस्‍ता का उत्‍पादन 100.49 लाख गांठें (प्रति गांठ 180 किग्रा) अनुमानित है।
  • वर्ष 2022-23 के दौरान देश में मक्का का उत्‍पादन रिकॉर्ड 346.13 लाख टन अनुमानित है, जो पिछले वर्ष के 337.30 लाख टन उत्पादन की तुलना में 8.83 लाख टन अधिक है।
  • श्रीअन्न (पोषक-अनाज) का उत्पादन 527.26 लाख टन अनुमानित है, जो पिछले वर्ष के उत्पादन की तुलना में 16.25 लाख टन अधिक है।

यहाँ कुक्कुट पालन के लिए प्रशिक्षण के साथ ही व्यवसाय हेतु दिए जा रहे हैं चूजे

कुक्कुट पालन व्यवसाय के लिए प्रशिक्षण

देश में स्वरोज़गार के अवसर विकसित करने के लिए पशुपालन को बढ़ावा दिया जा रहा है, इसके लिए समय-समय पर इच्छुक व्यक्तियों को सरकार द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है। राजस्थान में कुक्कुट पालन में व्यावसायिक संभावनाओं को रोजगार के अवसरों में बदलने के लिए खातीपुरा स्थित राजकीय कुक्कुट शाला में किसानों एवं अध्ययनरत चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

प्रशिक्षण केंद्र पर लाभार्थी व्यक्तियों को कुक्कुट पालन की प्रक्रिया, कुक्कुट पालन में आने वाली समस्याओं के समाधान और उच्च नस्लीय एवं गुणवत्तायुक्त कुक्कुट पालन के विभिन्न वैज्ञानिक तरीकों की जानकारी दी जा रही है। ताकि राज्य में कुक्कुट पालन बेहतर होने के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी सृजित हो सके।

प्रशिक्षण के बाद उपलब्ध कराए जा रहे हैं चूजे 

कुक्कुट शाला के उप निदेशक डॉ. लोकेश शर्मा ने प्रशिक्षण के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रीय कृषि योजना के अंतर्गत राज्य में उच्च नस्लीय कुक्कुट विकास, किसानों की आय में वृद्धि और ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं व बच्चों में पोषण की पूरकता के उद्देश्य से पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसके अंतर्गत अब तक कुल 90 किसानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के पश्चात् किसानों को निम्न दरों पर व्यवसाय हेतु आवश्यकतानुसार चूजे उपलब्ध कराये जा रहे है।

कुक्कुट पालन सम्बंधित इन विषयों पर दिया जा रहा है प्रशिक्षण

प्रशिक्षण कार्यक्रम में मौजूद विषय-विशेषज्ञ उप निदेशक डॉ. रविंद्र मलिक ने कुक्कुट पालन प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि प्रशिक्षण के दौरान किसानों, अध्ययनरत पशु चिकित्सक व इंटर्न्स को कुक्कुट पालन की प्रक्रिया, कुक्कुट पालन में आने वाली समस्याओं के समाधान और उच्च नस्लीय एवं गुणवत्तायुक्त कुक्कुट पालन के विभिन्न वैज्ञानिक तरीकों की जानकारी दी जा रही है। ताकि राज्य में कुक्कुट पालन बेहतर होने के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी सृजित हो सके।

काले गेहूं के बाद अब शुरू हुई नीले रंग के गेहूं की खेती, विदेशों में होगा निर्यात

नीले गेहूं की खेती

खेती से अधिक आमदनी प्राप्त करने के लिए किसान आजकल नवाचार को अपना रहे हैं। अब किसान परम्परागत फसलों से हटकर नई उन्नत किस्मों का उत्पादन कर रहे हैं। इसी क्रम में मध्य प्रदेश के किसानों ने काले गेहूं की खेती के बाद नीले गेहूं की खेती भी शुरू कर दी है। मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि जी-20 के कृषि समूह की बैठक में विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधियों का प्रदेश में कृषि के क्षेत्र में नीला गेहूँ, शुगर फ्री आलू और बीज बैंक के रूप में हुए नवाचारों ने ध्यान आकर्षित किया है। इंदौर में जी-20 देशों के कृषि समूह की बैठक जारी है, जिसमें 30 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।

जी-20 देशों के कृषि समूह की बैठक में मध्य प्रदेश के किसानों की सफलता की कहानियाँ भी प्रदर्शित की गई है। यहाँ पीले और काले गेहूं के साथ ही सीहोर के नीले गेहूं का स्टाल भी है। स्टाल पर जानकारी दी गई कि बेकरी में इसका इस्तेमाल हो रहा है। अगले साल के लिए निर्यात के ऑर्डर भी उन्हें मिले हैं। 

नीले गेहूं की माँग दूसरे देशों से आने लगी है

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश गेहूँ निर्यात में पूरे देश में प्रथम है। साथ ही काले गेहूँ के निर्यात के बाद अब नीले रंग के गेहूँ का उत्पादन भी प्रदेश में शुरू हुआ है। बेकरी उत्पादों में काम आने वाले नीले गेहूँ की माँग दूसरे देशों से भी आ रही है, इसका पेटेंट भी करा लिया गया है। 

उन्होंने बताया कि सिमरौल की सुश्री निशा पाटीदार ने विशेष प्रकार के शुगर फ्री आलू का उत्पादन आरंभ किया है। विलुप्त हो चुके मोटे अनाजों का बीज बैंक विकसित करने वाली डिण्डौरी की लाहरी बाई ने भी जी-20 सम्मेलन में अपना स्टॉल लगाया है। श्री अन्न का यह बीज बैंक विदेशों से आए प्रतिनिधियों के आकर्षण का केन्द्र बन गया है। प्रदेश में कृषि के क्षेत्र में नवाचार जारी हैं, इसमें भी हम रिकार्ड बनाएंगे।

जानकर हो जाएँगे हैरान! देश में एक किसान परिवार पर औसतन इतना कर्ज बकाया है

किसान परिवार पर बकाया औसतन ऋण

देशभर में किसानों को कृषि सम्बंधित कार्यों में निवेश के लिए ऋण लेना पड़ता है, जो कई बार किसान चुका नहीं पाते हैं। जिससे किसानों के ऊपर यह ऋण धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। 13 फरवरी को लोकसभा में श्री सुखबीर सिंह बादल ने अपने सवाल में सरकार से पूछा कि पंजाब सहित देश के सभी राज्यों के किसानों पर कुल कितना ऋण बकाया है? साथ ही उन्होंने यह भी पूछा की क्या सरकार का विचार पंजाब के किसानों द्वारा बैंकों तथा ऋण प्रदाताओं से लिए गए ऋण को माफ करने का है?

सांसद श्री सुखबीर सिंह बादल के द्वारा पूछे गए सवाल के जबाब में सरकार ने साफ़ किया कि सरकार का विचार पंजाब के किसानों द्वारा बैंक तथा ऋण प्रदाताओं से लिए गए ऋण को माफ करने का अभी कोई विचार नहीं हैं। वहीं उनके द्वारा पूछे गए एक सवाल का जबाब देते हुए वित्त मंत्रालय के राज्य मंत्री डॉ. भागवत कराड ने राज्यवार प्रति कृषक परिवार के सम्बंध में औसत बकाया ऋण की राशि का विवरण दिया पटल पर रखा।

राज्यवार किसान परिवार पर औसतन कितना ऋण बकाया है? 

वित्त मंत्रालय के राज्य मंत्री डॉ. भागवत कराड ने विस्तृत जानकारी देते हुए देश के सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में प्रति कृषक परिवार के सम्बंध में बकाया ऋण की औसत की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पूरे देश में प्रति कृषक परिवार औसतन 74,121 रुपए का ऋण बकाया है। जिसके अनुसार सबसे अधिक आंध्र प्रदेश के कृषि परिवार पर 2,45,554 रुपए, केरल 2,42,482 रुपए, पंजाब 2,03,249 रुपए है। वही सबसे कम बकाया ऋण नागालैंड 1,750 रुपए, मेघालय 2,237 रुपए और अरुणाचल प्रदेश 3,581 रुपए है। 

प्रति कृषक परिवार के सम्बंध में विभिन्न राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के समूह/पूर्वोत्तर राज्यों के समूह की बकाया औसत राशि (रुपए में) 

राज्य/पूर्वोत्तर राज्यों का समूह/ संघ राज्य क्षेत्रों का समूह

प्रति कृषक परिवार के सम्बंध में बकाया ऋण की औसत राशि (रुपए में)

आंध्र प्रदेश 

2,45,554

अरुणाचल प्रदेश 

3,581

असम 

16,407

बिहार

23,534

छत्तीसगढ़

21,443

गुजरात

56,568

हरियाणा

1,82,922

हिमाचल प्रदेश 

85,825

जम्मू और कश्मीर

30,435

झारखंड

8,415

कर्नाटक

1,26,240

केरल

2,42,482

मध्य प्रदेश

74,420

महाराष्ट्र

82,085

मणिपुर 

5,551

मेघालय

2,237

मिजोरम

23,485

नागालैंड

1,750

ओडिशा

32,721

पंजाब

2,03,249

राजस्थान

1,13,865

सिक्किम

32,185

तमिलनाडु 

1,06,553

तेलंगाना

1,52,113

त्रिपुरा 

23,944

उत्तराखंड

48,338

उत्तर प्रदेश 

51,107

पश्चिम बंगाल 

26,452

पूर्वोत्तर राज्यों का समूह

10,034

संघ शासित प्रदेशों का समूह

25,629

समग्र भारत 

74,121

स्त्रोत: एनएसएस रिपोर्ट संख्या 587: ग्रामीण भारत में कृषक परिवारों की स्थिति और परिवारों की भूमि एवं पशुधन धृतियों का मूल्यांकन, 2019 

28 मार्च से शुरू होगी समर्थन मूल्य पर सरसों की खरीद, जानिए अन्य फसलें कब से ख़रीदेगी सरकार

समर्थन मूल्य MSP पर सरसों की खरीद

देश में रबी फसलों की कटाई का समय नजदीक आ रहा है, ऐसे में राज्य सरकारों के द्वारा विभिन्न रबी फसलों की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पर करने के लिए तैयारियाँ शुरू कर दी गई हैं। इस कड़ी में मध्य प्रदेश एवं हरियाणा में किसान पंजीयन की प्रक्रिया चल रही है, इस बीच हरियाणा सरकार ने राज्य में सरसों, चना एवं सूरजमुखी मंडियों में खरीदने के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है।

हरियाणा में 13 फरवरी को हुई फसल खरीदी को लेकर समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल ने अधिकारियों को खरीद की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करने, खरीद केन्द्रों को चिन्हित करने, भण्डारण एवं बारदानों की समुचित व्यवस्था करने तथा रबी फसलों की समय पर खरीद प्रारंभ करने के निर्देश दिये हैं।

इस दिन से शुरू होगी रबी फसलों की खरीद

हरियाणा में रबी फसलों की खरीद 28 मार्च से आरंभ होगी। 28 मार्च से सरसों, 1 अप्रैल से चना एवं 1 जून, 2023 से सूरजमुखी की खरीद की जाएगी। हरियाणा राज्य सहकारी आपूर्ति एवं विपणन संघ (हैफेड) भारत सरकार की मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) की ओर से सूरजमुखी के बीज और चने की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर करेगा। इसके अलावा, हरियाणा राज्य भण्डारण निगम पीएसएस के तहत सरसों की एमएसपी पर खरीद करेगा।

13.89 लाख मीट्रिक टन सरसों उत्पादन होने की संभावना

बैठक में बताया गया कि राज्य में वर्ष 2022-23 के दौरान सरसों की खेती 18.16 लाख एकड़ भूमि में की गई है, जबकि चना और सूरजमुखी की खेती क्रमशः 93,000 एकड़ और 37,000 एकड़ भूमि में की गई है। इस वर्ष 765 किलोग्राम प्रति एकड़ के अनुसार सरसों की 13.89 लाख मीट्रिक टन उत्पादन की संभावना है। इसी प्रकार, 436 किलोग्राम प्रति एकड़ के अनुसार चने की 40,000 मीट्रिक टन तथा 800 किलोग्राम प्रति एकड़ के अनुसार सूरजमुखी का 30,000 मीट्रिक टन उत्पादन की संभावना है।

इस वर्ष केंद्र सरकार ने गेहूं का मूल्य 2125 रुपए प्रति क्विंटल, जौ का मूल्य 1735 रुपए प्रति क्विंटल, चना का मूल्य 5335 रुपए प्रति क्विंटल, मसूर का मूल्य 6000 रुपए प्रति क्विंटल, रेपसीड/ सरसों का मूल्य 5450 रुपए प्रति क्विंटल, कुसुम का मूल्य 5650 रुपए प्रति क्विंटल घोषित किया है। राज्य सरकार ने मूल्य समर्थन योजना के तहत बाजार शुल्क पर जीएसटी की प्रतिपूर्ति के लिए प्लान योजना के अंतर्गत 311.84 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति-सह-वित्तीय स्वीकृति (आरई) प्रदान की है।

किसान 15 फरवरी तक करा सकते हैं फसल बेचने के लिए पंजीयन

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरियाणा ने न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पर फसल बेचने के लिए मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीयन अवधि को 15 फरवरी तक बढ़ा दिया है। राज्य के किसान 15 फरवरी 2023 तक “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” fasal.haryana.gov.in पोर्टल पर पंजीकरण अपने नज़दीकी सी.एस.सी. सेंटर के माध्यम से कर सकते हैं। जिन किसानों का पोर्टल पर पंजीकरण होगा, वही किसान अपनी फसल को बेच पाएँगे और इसके साथ कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं जैसे:-भावांतर भरपाई योजना, मेरा पानी मेरी विरासत, इम्पलिमेंट आदि का लाभ भी किसान ले सकते हैं। 

क्या किसानों को भी देना होगा टैक्स? जानिए इस सवाल पर सरकार ने संसद में क्या कहा?

कृषि आय पर इनकम टैक्स

अभी तक कृषि से होने वाली आय को टैक्स फ्री रखा गया है, जिससे किसानों को कृषि से होने वाली आय पर किसी प्रकार का टैक्स नहीं देना रहता है। परंतु 13 फरवरी को सोमवार के दिन लोकसभा में सांसद श्री श्याम सिंह यादव ने सरकार से सवाल किया कि क्या सरकार की भारत में कृषि आय को कर योग्य बनाने के लिए आयकर अधिनियम, 1961 की धारा (1) में परिवर्तन करना चाहती है यदि हाँ, तो इससे सम्बंधित जानकारी साझा की जाए और यदि न तो इसके क्या कारण है ?

इसके अलावा उन्होंने सरकार से अपने सवाल में पूछा कि क्या इस मुद्दे का अध्ययन करने के लिए कोई समिति गठित की गई है और यदि की गई है तो इसके क्या परिणाम रहे हैं?

नहीं लगेगा कृषि आय पर टैक्स

सांसद श्री श्याम सिंह यादव द्वारा पूछे गए इन सवालों का जबाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी ने बताया की अभी सरकार के पास ऐसे कोई प्रस्ताव नहीं है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 246 के अनुसार, कृषि आय पर कर राज्य सूची के अंतर्गत आता है। उन्होंने यह साफ़ कर दिया कि पिछले पाँच साल में कृषि आय पर टैक्स लागने को लेकर कोई समिति गठित नहीं की गई है। 

क्या मंडियों में गेहूं और चावल बेचने पर लगेगा जीएसटी

वहीं श्रीमती हरसीमरत कौर बादल ने लोकसभा में सरकार से सवाल किया की क्या माल और सेवा कर (जीएसटी) परिषद की राष्ट्रीय समिति ने मंडियों में गेहूं और चावल जैसे खाद्यानों की बिक्री पर जीएसटी लगाने की अनुशंसा की गई है और यदि हैं तो इसकी जानकारी दी जाए। जिसका जबाब देते हुए वित्त मंत्रालय में राज्यमंत्री श्री पंकज चौधरी ने बताया कि जीएसटी परिषद ने दिनांक 28 जून, 2022 को चंडीगढ़ में आयोजित अपनी 47वीं बैठक में सिफ़ारिश है कि ब्रांड नाम वाले कुछ विनिदृष्ट वस्तुओं पर जीएसटी लगाए जाने की बजाय “प्री-पैकेज्ड और लेबल वाली/लगी हुई वस्तुओं पर जीएसटी लगाना चाहिए।

दरों के युक्तिकरण और कर की चोरी को रोकने के उपाय के रूप में त्रिस्तरीय में ऐसी प्रक्रिया के पश्चात किया गया था जिसमें राज्यों के अधिकारियों की फिटमेंट समिति, इसके बाद परिषद द्वारा गठित दर युक्तिकरण पर मंत्रियों के समूह (जीओएम) शामिल थे, और अंत में जीएसटी परिषद द्वारा सिफ़ारिश की गई थी। हालाँकि, जब ऐसी वस्तुओं को खुले रूप में या 25 किलोग्राम से अधिक मात्रा के बड़े पैकेट में बेचा जाता है तो ऐसी वस्तुओं को बेचने पर जीएसटी से छूट मितली रहेगी। सिफ़ारिश को केंद्र और राज्यों द्वारा लागू किया गया था।