आम के फूल (मंजर) में कीट तथा रोग
भारत में आम एक महत्वपूर्ण फल है | इस फल के उत्पादन तथा उपभोगता दोनों में पहले स्थान पर हैं | वर्ष में एक बार फल देने के कारण इसकी देख भाल करना जरुरी है , जिससे इसकी उत्पादकता में बढ़ोतरी किया जा सके | जनवरी तथा फरवरी माह आम के फूल लगने का है | किसी भी आम की खेती में फल इस बात पर निर्भर करता है की उसमें फूल (मंजर) कितना लगा है | आम का मंजर मीठा तथा सुगंधित रहने के कारण कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है, जिसकी रोक – थाम जरुरी है | इसके आलावा पौधों में रोगों का भी प्रकोप बना रहता है | जैसे फूल (बौर) का सुखना तथा झड़कर गिर जाना , पौधों में फल लगना , फल में कीड़े लगना इत्यादी | इन सभी कीटों तथा रोग की रोकथाम की पूरी जानकारी लेकर किसान समाधान आया है |
कीट एवं रोग का नियंत्रण :-
मैंगो हापर :- यह कीट फ़रवरी तथा मार्च में मंजर पर आक्रमण करता है | जिससे फूल – फल झड जाते हैं , एवं फफूंदी पैदा होती है |
नियंत्रण :- किनालाफास का एक एम.एल. दावा एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें |
मिलीबग :- यह कीट फ़रवरी माह में टहनियों एवं बौरों से रस चूसते हैं जिससे फूल – फल झड जाते हैं |
नियंत्रण :- क्लोरपायरीफास का 200 ग्राम धूल प्रति पौधा भुरकाव करें |
मालफारमेंषन :- इस रोग की पहचान यह है की पौधों की पत्तियां गुच्छे का रूप धारण करती है एवं फूल में नर फूलों की संख्या बाद पाती है |
नियंत्रण :- प्रभावित फूल को काटकर दो एम.एल. नेप्थलीन एसटीक का छिड़काव 15 दिन के अंतराल से 2 बार करें |
मैंगो माल्फार्मेंषन (बंधा रोग) :-
इस रोग में छोटे पौधों की पत्तियां छोटी होकर गुच्छे का रूप धारण कर लेती हैं एवं बड़े पौधों में पुष्पों के सभी अंग मोटे हो जाते हैं पुष्पक्रम की बढवार कम हो जाती है तथा उसमें नर फूलों की संख्या बढ़ जाती है, पुष्पक्रम के फूल बड़े आकार के हो जाते हैं एवं पुष्पक्रम गुच्छे का रूप धारण कर लेता है , उन पर फल नहीं बनते व कुछ समय बाद पुष्पक्रम मुद जाते हैं |
नियंत्रण :- समस्त प्रभावित पुष्पक्रम को 15 से.मी. पीछे से कटकर नष्ट कर एवं अक्तूबर माह में 2 एम.जी. नेप्थलीन एसिटिक एसिड हार्मोन का छिड़काव 15 दिन के अंतर से 2 से 3 बार करें एवं किनालफास का 0.05 प्रतिशत का छिड़काव करें |