अधिक उत्पादन के लिए आम की खेती कैसे करें ?

आधुनिक तरीके से करें आम की खेती

भारत में सभी फलों में आम सबसे ऊपर हैं आम के फल की देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बहुत मांग रहती है | भारत में आम लगभग सभी प्रदेशों में होते हैं लेकिन अलग – अलग राज्यों में आम फल की वेराइटी भी अलग – अलग होती है | आज आम की खेती से देश के किसान अच्छी आमदनी कर रहे है | आम की खेती तो सभी करते हैं लेकिन वैज्ञानिक तरीके से करने पर कम समय में ही अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है |  भारत सरकार ने इसके लिए नेशनल मेंगो डाटाबेस ( National Mango Database ) तैयार कर रखा है | किसान समाधान आप सभी के लिए आम की उत्तम खेती की जानकारी लेकर आया है | 

भूमि की तैयारी कैसे करें ?

आम की फसल का उत्पादन तो प्रायः सभी तरह की भूमि में किया जाता है लेकिन अच्छी जल धारण क्षमता वाली गहरी, बलुई दोमट सबसे उपयुक्त मानी जाती है। भूमि का पी.एच. मान 5.5-7.5 तक इसकी खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है |

आम के पौधे रोपने के लिए उचित समय क्या है ?

आम उष्णकटिबन्धीय पौधों वाला फल है फिर भी इसे उपोष्ण क्षेत्र में सफलतापूर्वक पैदा किया जा सकता है | 25-27 डिग्री सेन्टीग्रेट तापमान तक इसकी खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है। मानसून के दौरान 125 से. मी. वर्षा होती है जो इसके लिए उपयुक्त है |

आम की उपयुक्त किस्में कौन – कौन सी है ?

देश भर में आम की कितनी किस्में है बता पाना सम्भव नहीं है | लेकिन जो चर्चित प्रजातियाँ है तथा अधिक उत्पादन के साथ – साथ किसी भी भूमि में हो जाता है इन सभी तरह के प्रजातियों का विवरण दिया जा रहा है |

किस्म का नाम पौधा
कुल वनज ग्राम
पल्प प्रतिषत
टी.एस.एस.
उत्पादन कीलो प्रति
खास गुण

आम्रपाली

200-300

73.75

23.5

40

नियमित फलन साघनवागवानी हेतु उपयुक्त

दशहरी

150-200

76.75

24.6

80

उत्तम स्वाद, छोटी गुठली

लंगड़ा

200-250

76.75

22.5

75

रेशा रहित गूधा छोटी गुठली

सुंदरजा

300-350

75.95

22.5

65

मनमोहक सुगंध-मीण

मल्लिका

200-350

72.20

22.20

65

नियमित फलन

हर राज्य के अनुसार आम की अन्य किस्में जानने के लिए क्लिक करें

आम की फसल रोपने का सही समय विधि क्या है ?

आम के पौधों को 10×10 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है, किन्तु सघन बागवानी में इसे 2.5 से 4 मीटर की दूरी पर लगाते हैं पौधे लगाने के लिए 1×1×1 मीटर का गढ्ढा खोदते हैं वर्षा प्रारंभ होने के पूर्व जून के माह में 20-30 कि. ग्रा. वर्मीकम्पोस्ट 2 कि.ग्रा. नीम की खली 1 कि. ग्रा. हड्डी का चूरा अथवा सिंगल सुपर फास्फेट एवं 100 ग्राम थीमेट (दीमक हेतु) 10 जी. को खेत की उपरी सतह की मिट्टी के साथ मिलाकर गड्ढ़े को अच्छी तरह भर देना चाहिए |

पौधों की देख-भाल कैसे करें ?

अच्छे उत्पादन के लिए पौधों की देख – भाल करना जरुरी है शुरूआती तीन – चार वर्ष तक तो आवश्य ध्यान देने की जरुरत है | शुरूआत के दो तीन वर्षों तक आम के पौधों को विशेष देखरेख की आवष्यकता होती है। जाड़े में पाले से बचाने के लिए एवं गर्मी में लू से बचाने के लिए सिंचाई का प्रबंधन करना चाहिए। जमीन से 80 से. मी. तक की शाखाओं को निकाल देना चाहिए |

आम के पौधों में खाद एवं उर्वरक का प्रयोग कितना करें ?

वर्ष

गोबर की खाद (कि. ग्रा.)

यूरिया (ग्राम)

सिंगल सुपर फास्फेट (ग्राम)

म्यूरेट आफ पोटाष (ग्राम)

1.3

2.5

200

150

150

4.10

10.00

900

800

600

10 वर्ष बाद

75.00

2000

1500

800

सिंचाई कब – कब करें ?

 छोटे पौधों को गर्मियों में 4-7 दिन के अन्तर से तथा ठंड में 10-12 दिन के अन्तर से सिंचाई करनी चाहिए लेकिन फल वाले पेड़ों की अक्टूबर से जनवरी तक सिंचाई नहीं करनी चाहिए क्योंकि कि अक्टूबर के बाद यदि भूमि में नमी अधिक रहती है तो फल कम आते हैं, तथा नई शाखाएं ज्यादा आ जाती है |

आम पौधों के साथ दूसरी फसल कौन सी लें ?

वृक्ष को पूर्ण रूप से तैयार होने में 10-12 वर्ष का समय लगता है, आरंभ में 3-4 वर्षों में जब पेड़ छोटे रहते हैं, उनके बीच खाली जगह में, खरीफ में जई, मूंग, लोबिया, रबी में मटर, चना, मसूर या फ्रेंचबिन तथा गर्मियों में लोबिया मिर्ची या भिण्डी की फसलं लेकर आम फसल प्राप्त की जा सकती है अन्तराषस्य फसलों से अतिरिक्त आय प्राप्त होती है, साथ ही भूमि की उर्वराशक्ति भी बढ़ती है |

 आम के पुराने वृक्षों का जीर्णोद्धार कैसे करें ?

 पौधे का जीवन 50 वर्ष का होता है | पौधे की उम्र जैसे – जैसे बढ़ते जाती है वैसे – वैसे पेड़ का मुख्य तना खोखला होते जाता है तथा शाखाएं आपस में मिल जाती हैं, तथ बहुत सघन हो जाती हैं आम के ऐसे पौधों में बारिश का पानी खोखली जगह में भर जाता है । जिससे सड़न व गलन कि समस्या उत्पन्न होती है तथा, पौधे कमजोर हो जाते हैं और थोड़ी सी हवा में टूट जाते हैं, ऐसे में उपचार के लिए सबसे पहले सभी अनुत्पादक शाखाओं को हटा देना चाहिए 100 कि.ग्रा. अच्छी पकी हुई गोबर की खाद तथा 2.5 कि.ग्रा. नीम की खली प्रति पौधा देना चाहिए। जिससे अगले सीजन में लगी शाखाओं में वृद्धि होती है |

पौधे में फल कब आते है ?

6-8 माह पुरानी शाखाओं मे फरवरी माह में फूल पूर्ण रूप से विकसित होकर खिल जाते हैं |

पौधों को कीट तथा रोग (Diseases and Pests)से कैसे बचायें ?

आम के पौधों में ज्यादा रोग तथा कीट नहीं लगतें है लेकिन कुछ रोग एसे जरुर हैं जिसके कारण पौधा ही सुख जाता है | इन सभी तरह के रोग से बचाव के लिए यह सभी उपाय करना जरुरी है |

कीट का नाम
लक्षण
नियंत्रण

मैंगो हापर

फरवरी मार्च में कीट आक्रमण करता है। जिससे फूल-फल झाड़ जाते है एवं फफूँद पैदा होती है।

क्विीनालाफास का एक एम.एल दवा एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

मिलीबग

फरवरी में कीट टहनियों एवं बौरों से रस चूसते हैं जिससे फूल फल झाड़ जाते है।

क्लोरपायरीफास का 200 ग्राम धूल प्रति पौधा भुरकाव करें।

मालफारर्मेषन

पौधों की पत्तियां गुच्छे का रूप धारण करती है एवं फूल में नर फूलों की संख्या बड़ पाती है।

प्रभावित फूल को काटकर दो एम.एल. नेप्थलीन ऐसटिक एसिड का छिड़काव 15 दिन के अंतर से 2 बार करें।

आम के फूल (मंजर) में कीट तथा रोग

मैंगो मालफारमेंषन  (बंधा रोग)

इस रोग में छोटे पौधों की पत्तियां छोटी होकर गुच्छे का रूप धारण कर लेती हैं एवं बड़े पौधों में पुष्पों के सभी अंग मोटे हो जाते हैं पुष्पक्रम की बढ़वार कम हो जाती है तथा उसमें नर फूलों की संख्या बढ़ जाती है, पुष्पक्रम के फूल बड़े आकार के हो जाते हैं एवं पुष्पक्रम गुच्छे का रूप धारण कर लेता है, उन पर फल नहीं बनते व कुछ समय बाद पुष्पक्रम मुड़ जाता है |

इस रोग से बचाब कैसे करें ?

समस्त प्रभावित पुष्पक्रम को 15 से. मी. पीछे से काटकर नष्ट करें एवं अक्टूबर माह में 2 एम. जी. नेप्थलीन ऐसिटिक एसिड हार्मोन का छिड़काव 15 दिन के अंतर से 2 से 3 बार करें एवं क्वीनालफास का 0.05 प्रतिषत का छिड़काव करें |

आम का प्रति हेक्टयर उत्पादन कितना है ?

एक हेक्टयर क्षेत्रफल में 10 × 10 मीटर में रोपण हेतु 100 पौधों की जरूरत पड़ती है | आम का प्रति हेक्टयर उत्पादन 80 किवंटल है | जिससे किसान को लगभग 2.5 लाख की आमदनी हो जाती है |

आम की खेती की अधिक जानकरी के लिए देखें

नेशनल मेंगो डेटाबेस ( National Mango Database )

आम की बागवानी से जुड़े विडियो देखने के लिए central Institute of Sub tropical Horticulture , Lakhnow  क्लिक करें