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बोरलॉग संस्थान द्वारा की जा रही है नई तकनीकों से खेती, देखने पहुँचे कलेक्टर

खेती में नई तकनीकों का प्रयोग कर ना केवल उत्पादन लागत में कमी की जा सकती है बल्कि अच्छी पैदावार भी प्राप्त की जा सकती है। इस कड़ी में अंतर्राष्ट्रीय संस्थान बोरलॉग (बीसा) में नई तकनीकों से खेती कर शोध कार्य किए जा रहे हैं जिसको देखने शुक्रवार के दिन जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्‍सेना पहुँचें। उन्होंने कृषि एवं संबद्ध विभागों के द्वारा चलाई जा रही विभिन्न हितग्राही मूलक योजनाओं का निरीक्षण किया। इस दौरान बीसा के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. रवि गोपाल द्वारा संस्थान में किये जा रहे विभिन्न शोध कार्यों की जानकारी दी।

अंतर्राष्ट्रीय संस्थान बोरलॉग (बीसा) में इस तरह की जा रही है खेती

बीसा के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. रवि गोपाल ने कलेक्टर को हैप्पीसीडर से गेहूं के बाद सीधे मूंग की बोनी करना, ड्रोन के द्वारा मूंग की फसल पर नैनो यूरिया एवं डीएपी के छिड़काव का प्रदर्शन, बूमरेन द्वारा कीटनाशक के छिडकाव का प्रदर्शन, ट्रेक्टर के मूल पहिये हटाकर फील्ड में प्लान्ट से प्लांट की दूरी के अनुसार पतले एवं फसल की ऊंचाई से काफी ऊंचे चके ट्रैक्टर में लगाकर इंटर कल्‍चर का प्रदर्शन के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि ट्रेक्टर के पहिये बदलकर नये अटेचमेन्ट से फसल को कोई नुकसान नहीं होता। साथ ही इन्टर कल्चर गतिविधियाँ विधिवत संपादित हो पाती है। इसके साथ ही आलू की फसल के बाद जीरो टिल सीड ड्रिल से मक्के की बोनी का प्रदर्शन दिखाया गया है।

बीसी संस्था प्रमुख द्वारा बताया गया कि, संस्थान में लगभग 1000 विभिन्न किस्मों के गेंहू का बीजू तैयार कर भारत एवं साउथ एशिया के देशो में भेजा जाता है। ट्रैक्टर में मॉडीफाइड पावर ब्रीडर द्वारा खरपतवार नियंत्रण का प्रदर्शन किया गया। कलेक्‍टर ने बोरलॉग इंस्‍टीट्यूट के नवाचार को देखने के बाद डोंडी पिपरिया और धरहर गांव में किसानों द्वारा किये जा रहे कृषि क्षेत्र में किये जा रहे नवाचारों को भी देखा।

ड्रोन से किया गया यूरिया का छिड़काव

कृषि उत्‍पादन बढ़ाने तथा कृषि लागत को कम करने के लिये कृषि क्षेत्र में कृषि उपकरणों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिये निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। इसमें ड्रोन की मदद से नैनो यूरिया का छिड़काव प्रमुख है, जिसमें केवल 500 एमएल की एक बोतल से 1 एकड़ में लगभग 8 मिनट में यूरिया का छिड़काव हो जाता है। इससे लागत, श्रम व समय की बचत होती है। कलेक्‍टर सक्सेना ने ड्रोन द्वारा नैनो यूरिया का छिड़काव प्रदर्शन को देखा और कहा कि किसानों को अपने कृषि लागत, श्रम व समय की बचत के लिये इस तकनीक को अपनाना चाहिये।

नई तकनीकों से मिलते हैं बेहतर परिणाम

कलेक्‍टर ने कहा कि प्राय: परम्‍परागत रूप से किये जाने वाले सभी चीजों को अच्‍छी मानी जाती है। ठीक इसी प्रकार कृषि क्षेत्र में भी है। लेकिन नवीन तकनीकों के प्रयोग से बेहतर परिणाम को प्राप्‍त किया जा सकता है। परंपरागत खेती के स्‍थान पर अब खेत की बिना जुताई किये हैप्‍पी सीडर से बोनी करना निश्चित ही लाभकारी है। इसमें उत्‍पादन में वृद्धि के साथ समय, श्रम और लागत की बचत हो जाती है। अब समय की मांग है कि हैप्‍पी सीडर के संबंध में किसानों को जानकारी दी जाये जिससे वे इसका प्रयोग कर सकें।

पराली से बानई जा रही है ब्रिक्स

कलेक्‍टर सक्‍सेना ने विकासखंड पनागर के ग्राम जटवा में कृषक बृजेश विश्वकर्मा की वर्मी कम्पोस्ट इकाई का निरीक्षण किया। जिसमें किसान बृजेश विश्वकर्मा द्वारा बताया गया कि परियट में उत्पन्न लगभग 70 ट्रॉली गोबर को प्रत्येक दिन एकत्रित करके वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण किया जा रहा है। वर्मी कम्पोस्ट जैविक खेती में उपयोग किया जाता है, साथ ही गेंहू की पराली को एकत्रित करके ब्रिक्‍स का निर्माण किया जा रहा है। ब्रिक्‍स का उपयोग रेल्वे में कम्बल, बेड शीट की स्टीम वॉश के लिये उपयोग किया जाता है। पराली से निर्मित ब्रिक्‍स कोयले का एक विकल्‍प है।

पहली बार तिल और मूंगफली कि की जा रही है खेती

इस अवसर पर ग्राम सरसवां में कृषि विभाग द्वारा किसान प्रहलाद पटेल के खेत पर तिल का प्रदर्शन का अवलोकन कलेक्टर सक्‍सेना द्वारा किया गया। उप संचालक कृषि रवि कुमार आम्रवंशी द्वारा बताया गया है कि, जबलपुर जिले में पहली बार ग्रीष्मकालीन फसल के रूप में 100 हेक्टेयर में तिल एवं 100 हेक्टेयर में मूंगफली के प्रदर्शन नवाचार के रूप में कृषको के खेतो में आयोजित किये गये हैं।

सोयाबीन, तिल, मूंगफली जैसी तिलहनी की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे कम मात्रा में तेल का आयात किया जा सके। कलेक्टर के भ्रमण के समय परियोजना संचालक आत्मा एस.के. निगम्, उप संचालक कृषि श्री रवि कुमार आम्रवंशी, उप संचालक उद्यान श्रीमती नेहा पटेल, उप संचालक पशुपालन श्री मून, सहायक संचालक मत्स्य पालन श्री तरूण पटेल अनुविभागीय कृषि अधिकारी प्रतिभा गौर, सहायक संचालक कृषि कीर्ति वर्मा सहित अन्‍य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए ऑफलाइन गिरदावरी कर तुरंत पंजीकरण करा सकते हैं किसान

अभी देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गेहूं खरीदी का काम जोरों पर चल रहा है। ऐसे में गेहूं खरीद के सरकारी लक्ष्य को पूरा किया जा सके इसके लिए इस बार सरकार द्वारा गेहूं खरीद में किसानों को कई छूट दी गई है। साथ ही किसान आसानी से अपना पंजीयन कराकर एमएसपी पर गेहूं बेच सकें इसके लिए किसान पंजीकरण में भी छूट दी जा रही है। राजस्थान में अब किसान ऑफलाइन गिरदावरी प्राप्त कर तुरंत पंजीकरण करवा सकते है।

बता दें कि इस वर्ष केंद्र सरकार द्वारा गेहूं का समर्थन मूल्य यानि की एमएसपी 2275 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है जिसके उपर राज्य सरकार किसानों को 125 रुपये प्रति क्विंटल बोनस देगी। इस प्रकार किसानों को प्रति क्विंटल 2400 रुपये का भुगतान किया जाएगा। इस बार राजस्थान में किसानों को भारतीय खाद्य निगम द्वारा 48 घंटो से पहले ही उनके जन आधार लिंक खाते में गेहूं खरीद का भुगतान किया जा रहा है।

किसान MSP पर गेहूं बेचने के लिए करा सकते हैं पंजीयन

राजस्थान में रबी विपणन वर्ष 2024-25 के लिए समर्थन मूल्य पर गेंहू खरीद का काम दिनांक 10 मार्च से शुरू हो चुका है जो कि दिनांक 30 जून तक अनवरत रूप से जारी रहेगा। इसके लिए सरकार द्वारा पंजीकरण प्रक्रिया दिनांक 20 जनवरी से प्रारंभ कर दी गयी थी जो दिनांक 25 जून तक जारी रहेगी। अगर किसी किसान भाई ने अभी तक पंजीकरण नहीं करवाया है तो हाथों हाथ अपना पंजीकरण करवा सकता है इसके लिए आवश्यक दस्तावेज लेकर किसान खरीद केंद्र पर जाकर तुरंत अपना पंजीकरण करवा सकते हैं। इस काम में खरीद केंद्र पर पदस्थापित कर्मचारी आपकी पूरी मदद करेंगे।

गेहूं खरीद में दी गई छूट

बीते दिनों कई इलाकों मे पाला पड़ने व मावठ कम होने से दाने अपरिपक्व रह गए थे और फसल पकाई के समय हवा व तेज धूप के कारण गेंहू की चमक कम रही ऐसे मे किसानों को समर्थन मूल्य पर उपज बेचने मे दिक्कत हो रही थी जिसको देखते हुए केंद्र के खाद्य मंत्रालय ने गेंहू के गुणवत्ता मापदण्डों मे छूट दी है। अपरिपक्व व टूटे सिकुड़े हुए दाने के गेंहू की अधिकतम सीमा 6 प्रतिशत निर्धारित थी जिसे अब 20 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है वहीं गेंहू की चमकहीन की सीमा 70 प्रतिशत तक कर दी गई है।

सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए किसानों को करना होगा ऑनलाइन पंजीयन

देश में किसान हित में केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं। ऐसे में अधिक से अधिक किसानों को पारदर्शिता के साथ इन सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा अब किसानों का पंजीकरण ऑनलाइन कराया जा रहा है। इस कड़ी में मध्यप्रदेश सरकार ने सभी किसानों को ऑनलाइन ही योजनाओं के आवेदन की व्यवस्था शुरू की है। इसके लिए राज्य के किसानों को एमपी किसान एप पर ऑनलाइन अपना पंजीकरण कराना होगा।

इस संबंध में टीकमगढ़ एवं निवाड़ी जिले के कृषि उप संचालक अशोक कुमार शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि विभाग में संचालित विभिन्न हितग्राही मूलक योजनाओं का लाभ लेने के लिए शासन के नए दिशा निर्देशों के अनुसार राज्य के सभी किसानों को ऑनलाइन पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। ऐसे में सभी किसानों को सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ लेने के लिए “MP Kisan App” पर ऑनलाइन पंजीकरण करना होगा।

पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज

किसानों को एप पर पंजीकरण या आवेदन के लिए सबसे पहले कृषक प्रोफाईल बनाना होगा। इसके लिए किसानों के पास आधार नम्बर, भूमि से संबंधित जानकारी (खसरा/जिला, तहसील, ग्राम), समग्र आईडी, कृषक का जाति प्रमाण पत्र (यदि आवेदक अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति का हो), मोबाईल नम्बर, आधार से लिंक नम्बर वाला मोबाइल ओटीपी आधारित वेरीफिकेशन के लिए, किसान के सक्रिय बैंक खाते की जानकारी, विद्युत कनेक्शन होने की स्थिति में आईव्हीआरएस नम्बर की आवश्यकता होगी। वहीं वन अधिकार अंतर्गत भूमि धारक कृषक को एमपी किसान पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण करा सकते हैं।

किसान इस तरह करें अपना पंजीयन

राज्य के सभी किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन MP Kisan App पर पंजीकरण कराना होगा। किसान यह पंजीकरण स्वयं कंप्यूटर या मोबाईल से कर सकते हैं अथवा कृषक मित्र/कॉमन सर्विस सेंटर, कृषि विस्तार अधिकारियों, अन्य प्रसार कार्यकर्ताओं आदि से कहकर किसान अपनी कृषक की प्रोफाईल तैयार करा सकते हैं।

बता दें कि मध्य प्रदेश में पहले ही कृषि यंत्रों, सिंचाई यंत्रों सहित उद्यानिकी विभाग की योजनाओं को ऑनलाइन किया जा चुका है। जिससे किसान सीधे ही इन पोर्टल पर पंजीकरण कर विभिन्न योजनाओं का लाभ ले सकते हैं। वहीं अब किसान एमपी किसान एप पर अपना पंजीकरण कराकर सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ भी ले सकेंगे। योजनाओं का क्रियान्वयन ऑनलाइन होने से किसानों को अनुदान की राशि सीधे ही उनके बैंक खाते में भेजी जा सकेगी।

जानिए मई महीने में कैसा रहेगा मौसम, पड़ेगी गर्मी या होगी बारिश; मौसम विभाग ने जारी किया पूर्वानुमान

Weather Update: मई महीने में गर्मी, लू और बारिश का पूर्वानुमान

इस वर्ष जहां देश के दक्षिणी राज्य तेज गर्मी और लू से बेहाल हैं तो वहीं उत्तर एवं मध्य भारतीय राज्यों में अभी गर्मी का उतना असर देखने को नहीं मिला है। अप्रैल महीने में लगातार आये पश्चिमी विक्षोभ से अधिकांश उत्तर भारतीय राज्यों में बारिश से लोगों को बीच-बीच में गर्मी से राहत मिलती रही है। इस बीच भारतीय मौसम विभाग विभाग IMD ने मई 2024 के लिए मौसम का पूर्वानुमान जारी कर दिया है।

मौसम विभाग के मुताबिक मई महीने के दौरान देश के अधिकांश हिस्सों में अच्छी गर्मी पड़ने की संभावना है और उष्ण लहर यानि कि लू भी 5 से 8 दिनों तक चलेगी। वहीं बात की जाये वर्षा की तो देश के अधिकांश हिस्सों में मई महीने के दौरान सामान्य वर्षा होने की संभावना है।

गर्मी तोड़ेगी रिकॉर्ड

इस बार मई महीने में दिन और रात दोनों समय रिकॉर्ड गर्मी पड़ेगी। मौसम विभाग के मुताबिक़ पूर्वोत्तर भारत के अधिकतर भागों और उत्तर पश्चिमी भारत और मध्य भारत के कुछ हिस्सों को छोड़ दिया जाये तो देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। वहीं बात की जाए दक्षिण भारत की तो पूर्वोत्तर प्रायदीपीय क्षेत्र को छोड़कर वहाँ भी सामान्य से अधिक तापमान ही रहेगा। इसके अलावा उत्तर पश्चिमी भारत के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर, भारतीय गंगीय मैदानी इलाक़ों, मध्य भारत और पूर्वोत्तर भारत को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है।

वहीं बात की जाए लू यानि की उष्ण लहर की तो, दक्षिणी राजस्थान, पश्चिम मध्य प्रदेश, विदर्भ, मराठवाडा और गुजरात के क्षेत्रों में मई महीने के दौरान 5 से 8 दिनों तक चलेगी। इसके अलावा राजस्थान के शेष हिस्से, पूर्वी मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ के कुछ भागों में, आंतरिक उड़ीसा, गांगेय पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तरी कर्नाटक तेलंगाना, उत्तरी तमिलनाडु, आन्ध्रप्रदेश के कुछ हिस्सों में 2 से 4 दिनों तक लू चलने की संभावना है।

मई महीने में कैसी होगी बारिश

मौसम विभाग के मुताबिक़ देश में मई महीने के दौरान औसत वर्षा सामान्य ही रहेगी। जो एलपीए का 91 से 109 प्रतिशत तक है। मई महीने में उत्तर पश्चिमी भारत के अधिकांश हिस्सों, मध्य भारत के कुछ हिस्सों, दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत और पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से लेकर सामान्य से अधिक वर्षा हो सकती है। वहीं देश के शेष हिस्सों में सामान्य से नीचे वर्षा होने की संभावना है।

किसान इस साल करें धान की किस्म सबौर मंसूरी की खेती, कम खर्च में मिलेगा डेढ़ गुना से ज्यादा उत्पादन

धान की किस्म सबौर मंसूरी

धान की नर्सरी डालने का समय नजदीक आता जा रहा है, ऐसे में जहां किसान धान की उन्नत किस्मों की जानकारी हासिल करने में लगे हैं तो वहीं कृषि विभाग एवं कृषि वैज्ञानिकों द्वारा भी किसानों को धान की नई उन्नत किस्में लगाने की सलाह दी जा रही है। ऐसे में इस साल किसान अधिक पैदावार के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित धान की नई उन्नत किस्म सबौर मंसूरी की खेती कर सकते हैं।

कम पानी, उर्वरक और कम खर्च में सामान्य धान की तुलना में धान की नई वेराइटी सबौर मंसूरी से किसानों को लगभग डेढ़ गुना ज्यादा उत्पादन मिलेगा। केंद्र से इस वेराइटी की अधिसूचना एक महीने में जारी हो जाएगी, जिससे किसान इस खरीफ सीजन में इस किस्म की खेती कर सकेंगे।

कई वर्षों के परीक्षण के बाद किसानों के लिए जारी होगी किस्म

पिछले 4 वर्षों तक बिहार सहित देश के 19 राज्यों में अखिल भारतीय समन्वित धान सुधार परियोजना के तहत 125 केंद्रों पर परीक्षण किया गया है। बिहार में इसका परीक्षण किशनगंज, सहरसा, मधेपुरा, भागलपुर, लख़ीसराय, बेगूसराय, बक्सर, औरंगाबाद, गया, रोहतास और पटना में किया गया। जाँच में वैज्ञानिकों ने बेहतर परिणाम सामने आने के बाद ही केंद्रीय प्रभेद चयन समिति द्वारा इसकी अनुशंसा की गई है। धान के नये प्रभेद की खोज बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने की है। वनस्पति अनुसंधान इकाई विक्रमगंज के वैज्ञानिक डॉ. प्रकाश सिंह और डॉ. कमलेश कुमार सहित वैज्ञानिकों की टीम ने धान की इस नई प्रजाति की खोज की है।

सबौर मंसूरी धान की उत्पादन क्षमता

देश के 9 राज्य सबौर मंसूरी धान की खेती के लिए अनुकूल हैं, इसमें बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना और पांडिचेरी राज्य शामिल हैं। किसान इस धान के बीज को बिना रोपनी के सीधे भी लगा सकते हैं। धान की इस किस्म की औसत उपज क्षमता 65 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। वहीं धान की इस किस्म से अधिकतम 122 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। वहीं बिहार में किसानों के खेतों में किए गए प्रयोग में इस किस्म से औसतन 107 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज प्राप्त हुई है।

सबौर मंसूरी धान मौसम के अनुकूल वेरायटी है। सीधी बुआई और कठिन परिस्थिति में भी 135-140 दिनों में यह किस्म 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से ज्यादा का उत्पादन देती है। इस वेराइटी के पौधे में औसतन 18 से 20 कल्ले होते हैं। इसमें 29 सेंटीमीटर की बालियाँ होती हैं। इसमें 300 से अधिक दाने पाये गये हैं। दाने का रंग सुनहरा होता है। यह नाटी मंसूरी के दाने जैसा होता है।

सबौर मंसूरी किस्म की खासियत क्या है?

धान की सबौर मंसूरी किस्म में रोग प्रतिरोधक क्षमता सबसे अधिक है जिससे इस किस्म में कीट और रोग दोनों ही कम लगते हैं। जीवाणु झुलसा, झोंका रोग के प्रति यह क़िस्म मध्यम प्रतिरोधी है। तना छेदक एवं भूरा पत्ती लपेटक कीट के प्रति सहनशील है। साथ ही इसका तना भी बहुत मजबूत है, जिससे ये बदलते जलवायु में बार-बार आने वाले आँधी तूफान में नहीं गिरेगी। कीट एवं रोग कम लगने एवं सीधी बुआई आदि गुणों के कारण किसान इस किस्म से कम पानी, कम खर्च और कम खाद-उर्वरक में भी अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

किसानों को अब यह खाद उर्वरक भी मिलेंगे बोतल में, सरकार ने नैनो जिंक और कॉपर को दी मंजूरी

देश में खेती की लागत कम करने और फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए नई-नई तकनीकों से रासायनिक खादों का निर्माण किया जा रहा है। इस क्रम में इफको ने नैनो यूरिया और नैनो डीएपी खाद का विकास किया था जिसके बाद इफ़को ने हाल ही में नैनो यूरिया प्लस भी जारी किया है। इफ़को के इस इनोवेशन से यूरिया की एक 45 किलो की बोरी छोटी सी बोतल 500 ml में आने लगी है।

लेकिन अभी भी नैनो यूर‍िया की प्रभावशीलता को लेकर देश-दुनिया में विवाद चल रहा है। इस बीच केंद्र सरकार ने IFFCO (इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड) के द्वारा तैयार किए गए दो नए खाद को मंजूरी दे दी है। इसमें नैनो जिंक लिक्विड (तरल) और नैनो कॉपर लिक्विड (तरल) शामिल है। केंद्र ने इसकी मंजूरी फर्ट‍िलाइजर कंट्रोल ऑर्डर 1985 के तहत तीन साल के ल‍िए दी है। इससे किसानों को अब यह खाद भी कम दरों पर बॉटल में उपलब्ध हो सकेगी।

जिंक और कॉपर क्यों है फसलों के लिए महत्वपूर्ण

जिंक और कॉपर दोनों सूक्ष्म पोषक तत्वों की श्रेणी में आते हैं जो कि फसलों की अच्छी पैदावार के लिए अत्याधिक महत्वपूर्ण है। वर्ष में लगातार फसल उत्पादन के चलते मिट्टी में माइक्रो न्यूट्रिएंट (सूक्ष्म पोषक तत्व) की कमी आती जा रही है जिससे इनका असंतुलन बढ़ गया है। ऐसे में यह उर्वरक किसानों के लिए वरदान साबित होंगे। इफ़को के प्रबंध निदेशक डॉ. अवस्थी ने बताया कि जिंक की कमी पौधों के विकास को कम करती है वहीं कॉपर की कमी के चलते पौधों में बीमारी लगने की संभावना बढ़ जाती है। यह दोनों उत्पाद फसलों में जिंक और कॉपर की कमी को दूर कर सकते हैं। माइक्रो न्यूट्रिएंट की कमी कुपोषण की एक बड़ी वजह है। उन्होंने इन उर्वरकों के अधिसूचित होने को इफ़को की टीम के लिए के बड़ी उपलब्धि बताया है।

पौधों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए फसल पोषण पर दो और नैनो टेक्नोलॉजी आधारित नए प्रोडक्ट जल्द ही बाजार में आ जाएंगे। हालांक‍ि, इफको ने अभी यह नहीं बताया है क‍ि नैनो ज‍िंक और नैनो कॉपर की बोतल क‍ितनी बड़ी होगी, इसका दाम क्या होगा, क‍िस प्लांट में इसे बनाया जाएगा और क‍िसानों तक यह कब तक पहुंच जाएगा।

अब 20 मई तक होगी न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पर गेहूं की खरीदी

देश में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP की खरीदी का काम जोरों पर चल रहा है। ऐसे में अधिक से अधिक किसान समर्थन मूल्य योजना का लाभ ले सके इसके लिए सरकार ने गेहूं खरीदी की तारीख को आगे बढ़ा दिया है। अब मध्य प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद 20 मई 2024 तक की जाएगी। इससे पहले राज्य के कई जिलों में गेहूं खरीद का काम 7 मई तक किया जाना था। इससे सरकार को गेहूं खरीदी के लक्ष्य को भी पूरा करने में मदद मिलेगी।

राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर खाद्य और आपूर्ति विभाग ने गेहूं खरीदी की तिथि को आगे बढ़ाया है। रबी विपणन वर्ष 2024-25 में अभी तक इंदौर, उज्जैन, भोपाल और नर्मदापुरम संभागों में गेहूं खरीद की अंतिम तारीख 7 मई थी। वहीं शहडोल, रीवा, सागर, ग्वालियर और चंबल संभागों में ये तारीख 15 मई थी। ऐसे में गेहूं की खरीद का लक्ष्य पूरा करने के लिए अब अंतिम तारीख 20 मई तक कर दी गई है।

गेहूं खरीदी में दी गई छूट

मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में गेहूं की अब तक हुई कम सरकारी खरीद से सरकार चिंतित है। जिसको देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा गेहूं खरीदी के नियमों में छूट दी गई है। इसमें 50 प्रतिशत तक खराब चमक वाले गेहूं को भी अब सरकारी खरीद में शामिल किया गया है। अब तक मध्य प्रदेश में लगभग 35 लाख मीट्रिक टन ही गेहूं की खरीद हुई है जो पिछले वर्ष लगभग 56 लाख मीट्रिक टन से काफी कम है। ऐसे में गेहूं खरीद की तारीख आगे बढ़ाने से हो सकता है लक्ष्य की पूर्ति की जा सके।

बता दें कि इस वर्ष सरकार द्वारा घोषित गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2275 रुपये प्रति क्विंटल है जिस पर मध्य प्रदेश सरकार किसानों को 125 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बोनस देगी। इससे राज्य के किसानों को इस वर्ष गेहूं का दाम 2400 रुपये प्रति क्विंटल मिलेगा।

किसान यहाँ से ऑनलाइन ऑर्डर करें धान की उन्नत किस्म पूसा बासमती PB 1692 के बीज

मई महीने की शुरुआत से ही धान की खेती करने वाले किसान उसकी तैयारी में जूट जाएँगे। ऐसे में धान की अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सके इसके लिए किसानों के पास उन्नत किस्मों के प्रमाणित बीज का होना बहुत जरुरी है। किसान अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुसार अनुशंसित धान की किस्मों की खेती कर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। इस कड़ी में राष्ट्रीय बीज निगम NSC द्वारा किसानों को बासमती धान की उन्नत किस्म PB-1692 के प्रमाणित बीज ऑनलाइन उपलब्ध कराये जा रहे है।

धान की किस्म पूसा बासमती PB 1692 को दिल्ली, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए 2020 में केंद्रीय किस्म विमोचन समिति के द्वारा अधिसूचित किया गया था। धान की इस किस्म की खेती खरीफ सीजन में सिंचित अवस्था में कर सकते हैं।

पूसा बासमती PB 1692 किस्म की विशेषताएँ

धान की यह किस्म एक मध्यम अवधि की किस्म है जो 110 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। धान की इस किस्म से किसान औसतन 52.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज प्राप्त कर सकते हैं तो वहीं इस क़िस्म की अधिकतम पैदावार 73.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है। वहीं बात की जाए PB 1692 किस्म की अन्य ख़ासियतों के बारे में तो यह एक अर्ध-बौनी, छोटी अवधि एवं उच्च उपज देने वाली किस्म है।

54.4 प्रतिशत हेड राइस रिकवरी के साथ अतिरिक्त लंबे एवं पतले पारभासी दाने इसकी पहचान है। पकाने से पहले इसके दानों की लंबाई 8.44 मिलीमीटर होती है जो पकाने के बाद 17 मिलीमीटर तक हो जाती है। साथ ही यह सुगंधित बासमती धान की किस्म है।

पूसा बासमती PB 1692 बीज कहाँ से खरीदें

किसानों की सुविधा के लिए पूसा बासमती PB 1692 की किस्म को नेशनल बीज निगम यानि की NSC द्वारा ऑनलाइन उपलब्ध कराया जा रहा है। किसान इसके बीज घर बैठे www.mystore.in से ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं। वहीं बात की जाये इस किस्म के बीज के दामों (PB 1692 Price) की तो अभी ऑनलाइन स्टोर पर इसके प्रमाणित बीजों के 10 किलो के बैग की क़ीमत 800 रुपये है। यानि की 80 रुपये प्रति किलो के भाव पर किसानों को यह बीज अभी ऑनलाइन मिल जाएगा।

किसान यहाँ कराएं मिट्टी की जांच, कृषि विभाग ने जारी की सलाह

गर्मी के दिनों में जब खेत ख़ाली रहते हैं तब किसान मिट्टी की जाँच कराकर उसकी सेहत के बारे में जान सकते हैं। जिसको देखते हुए किसान कल्याण एवं कृषि विभाग ने किसानों को खेतों को अधिक उपजाऊ बनाने के लिये मृदा परीक्षण कराने की सलाह दी है। जबलपुर कृषि विभाग के उपसंचालक रवि आम्रवंशी ने कहा है कि मृदा परीक्षण एक वैज्ञानिक उपयोगी और आवश्यक प्रक्रिया है तथा इसे हर किसान को अपनाना चाहिये।

उपसंचालक आम्रवंशी के अनुसार मृदा परीक्षण से किसानों को उनकी खेतों के स्वास्थ्य और उपजाऊ क्षमता की जांच करनें में मदद मिलती है। यह किसानों को मिट्टी के प्राकृतिक गुणों, उसमें कितने खनिज तत्व हैं और उसकी क्षमता के बारे में भी जानकारी प्रदान करती है। इस प्रकिया में खेत की मिट्टी का विश्लेषण किया जाता है। इसमें मिट्टी के प्राकृतिक गुणों, खनिज तत्वों की मात्रा और पोषक तत्वों की उपलब्धता का मापदंड होता है।

किसान मिट्टी की जाँच के अनुसार कर सकते हैं उर्वरक का चयन

उपसंचालक किसान कल्याण ने बताया कि मृदा परीक्षण से किसान सही उर्वरकों का चयन कर सकते हैं और अपने खेतों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इससे किसान यह भी जान सकते हैं कि मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्वों की कमी है और उन्हें कैसे पूरा किया जा सकता है। किसान इसके लिये सही उर्वरक का चयन भी कर सकता है।

आम्रवंशी के अनुसार सही उर्वरक की उपलब्धता से खेतों की उपज में वृद्धि होती हैं। मृदा परीक्षण करने से किसान अपने खेतों को और भी उपजाऊ बना सकते हैं। मृदा परीक्षण करके किसान प्राकृतिक संतुलन को बनाए रख सकते हैं। उन्होंने बताया कि मृदा परीक्षण करवाने किसान अपने स्थानीय कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क कर सकते है। मृदा परीक्षण विभागीय प्रयोगशाला में मुफ्त कराया जा सकता है।

सरकार ने प्याज के निर्यात को दी मंजूरी, किसानों को अब प्याज की मिलेगी अच्छी कीमत

कई दिनों से प्याज के निर्यात पर लगाये गये प्रतिबंध को हटाने की माँग करने वाले किसानों के लिए राहत भरी खबर आई है। केंद्र सरकार ने 27 अप्रैल के दिन प्याज के निर्यात पर लगाये गए प्रतिबंध को हटा दिया है। केंद्र सरकार ने 6 देशों को तय मात्रा में प्याज निर्यात करने की अनुमति दे दी है। इसके लिए सरकारी एजेंसी नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (एनसीईएल) प्याज की खरीद और निर्यात की व्यवस्था कर रही है।

सरकार के इस फैसले के चलते लंबे समय से निर्यात पर बैन झेल रहे किसानों और ट्रेडर्स को थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद जगी है। बता दें कि इससे पहले भारत सरकार ने मध्य-पूर्व और कुछ यूरोपीय देशों के निर्यात बाजारों के लिए 2000 मीट्रिक टन सफेद प्याज के निर्यात की अनुमति दी थी।

6 देशों को किया जाएगा प्याज का निर्यात

सरकार ने छह पड़ोसी देशों बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), भूटान, बहरीन, मॉरीशस और श्रीलंका को 99,150 एमटी प्याज के निर्यात की अनुमति दी है। पिछले वर्ष की तुलना में 2023-24 में खरीफ एवं रबी फसलों की अनुमानित कम उपज को देखते हुए घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित करने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग बढ़ाने हेतु प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया था।

इन देशों को प्याज का निर्यात करने वाली एजेंसी, नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (एनसीईएल) ने ई-प्लेटफॉर्म के माध्यम से निर्यात किए जाने वाले घरेलू प्याज को एल1 कीमतों पर हासिल किया है। और साथ ही गंतव्य देश की सरकार द्वारा नामित एजेंसी या एजेंसियों को शत-प्रतिशत अग्रिम भुगतान के आधार पर तय दर पर आपूर्ति की जाएगी।

प्याज उत्पादक किसानों को मिलेगी राहत

देश में प्याज के सबसे बड़े उत्पादक के रूप में महाराष्ट्र निर्यात के लिए एनसीईएल को सबसे बड़ा प्याज आपूर्तिकर्ता है। बैन के दौरान प्याज निर्यात के इस फैसले से महाराष्ट्र के किसानों को प्याज की अच्छी कीमतें मिलने की उम्मीद है। वहीं, इससे पहले केंद्र सरकार ने मध्य-पूर्व और कुछ यूरोपीय देशों के निर्यात बाजारों के लिए 2000 मीट्रिक टन सफेद प्याज के निर्यात की भी अनुमति दी थी। इससे गुजरात के क‍िसानों को सर्वाधिक लाभ मिलेगा, क्योंक‍ि वहीं पर सफेद प्याज की खेती सबसे ज्यादा होती है।

स्टोरेज में प्याज नुकसान में आई कमी

उपभोक्ता कार्य विभाग के मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) के तहत रबी-2024 में से प्याज की बफर खरीद का लक्ष्य इस वर्ष पांच लाख टन निर्धारित किया गया है। केन्द्रीय एजेंसियां यानी एनसीसीएफ और नेफेड किसी भी भंडारण योग्य प्याज की खरीद शुरू करने के लिए खरीद, भंडारण और किसानों के रजिस्ट्रेशन का समर्थन करने के लिए एफपीओ, एफपीसी, पीएसी जैसी स्थानीय एजेंसियों को साथ जोड़ रही हैं।

इसके साथ ही प्याज स्टोरेज में होने वाली हानि को कम करने के लिए कोल्ड स्टोरेज वाले स्टॉक की मात्रा को पिछले वर्ष के 1200 मीट्रिक टन से बढ़ाकर इस वर्ष 5000 मीट्रिक टन से अधिक करने का निर्णय लिया। पिछले वर्ष शुरू की गई इस प्रक्रिया से होने वाली हानि घटकर 10 प्रतिशत से भी कम रह गई है।