स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ‘’एसबीआई कृषक उत्थान योजना” के तहत कृषकों को दिया जाने वाला ऋण

स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ‘’एसबीआई कृषक उत्थान योजना” के तहत कृषकों को दिया जाने वाला ऋण

उद्देश्य

इस स्कीम का उद्देश्य उत्पादन एवं उपभोग के लिए लघु अवधि के ऋण उपलब्ध करवाना है ताकि किराएदार किसानों, बंटाईदारों और मौखिक पट्टाधारियों की जरूरतें पूरी हो सकें, ये वे लोग हैं जिनके पास न तो जमीन होने का कोई अभिलेख होता है और न ही इनके पास फसल उगाने का दावा करने के कोई कागजात होते हैं | इस ऋण से कृषि उत्पादन कार्यों से उनकी आय बढाने में मदद मिलेगी |

पात्रता

भूमिहीन मजदूर, बंटाईदार, किराएदार किसान, मौखिक पट्टाधारी ( इसमें मौखिक किराएदार और सीमांत किसान भी शामिल हैं) जिनके नाम कोई भूमि अभिलेख नहीं हैं वे सभी पात्र हैं | उनके स्थायी आवासीय पते का प्रमाण होना चाहिए और वह यहाँ न्यूनतम विगत दो वर्ष से रह रहा हो|

  • इस स्कीम में प्रवासी खेतिहर शामिल नहीं हैं|

ऋण राशि

अधिकतम रू. 1 लाख , इसमें उपभोग ऋण अधिकतम रू. 20,000/- होगा |

क्या कागजात जरूरी होंगे?

  • आवास का प्रमाण पत्र
  • पहचान का प्रमाण
  • निर्धारित फॉर्मेट में नोटरीकृत शपथ-पत्र |

प्रतिभूति : 

निरंक

चुकौती कैसे होगी ?

बिक्री आय कैश क्रेडिट खाते में जमा की जाए |

आवेदन कैसे करें?

स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के नजदीकी शाखा से संपर्क करें या आपके गाँव में आने वाले हमारे विपणन अधिकारी से बात करें|

भेड एवं बकरी पालन पर सरकार द्वारा दी जानें वाली सहायता 

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भेड एवं बकरी पालन पर सरकार द्वारा दी जानें वाली सहायता 

भेड़ एवं बकरियों का पालन अत्यधिक गरीब ग्रामीणों द्वारा किया जाता है और ये पशु हमारे समाज को मांस, न और खाद प्रदान करते है, ये पशु विभिन्न प्रकार की कृषि जलवायु स्थितियों के अनुकूल होते है, तथापि उस क्षेत्र के पिछड़े होने के मुख्य कारणों में अत्यन्त निर्धन लोगों को इस क्षेत्र की भूमिका की कम जानकारी, योजनाकारों/ वित्तीय एजेन्सियों के द्वारा ध्यान के अभाव और पशुओं की उत्पादकता सुधारने की दिशा में कम ध्यान दिया जाना शामिल है।

इस पृष्ठभूमि में, भारत सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि 11-वीं पंचवर्षीय योजना की शेष अवधि के दौरान छोटे रोमन्थक भेड एवं बकरी के समन्वित विकास हेतु ष्जोखिम पूॅजी निधिष् के साथ एक योजना शुरु की जाए। इस योजना के दिशा-निर्देशों के पैरा 5-1 में यथा उल्लिखित विभिन्न घटकों के लिए कुल वित्तीय परिव्यय टीएफओ पर आधारित ब्याज मुक्त ऋण आईएफएल प्रदान किया जाएगा।

पात्रता :

व्यक्तिगत कृषक जिन्हें भेड एवं बकरी पालन का समुचित अनुभव हों। महिला, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के पालकों को प्राथमिकता दी जायेगी।

योजना लागत एवं ब्याज मुक्त ऋण :

क्र-सं- उद्येश्य कुल वित्तीय परिव्यय
राशि लाखों में
ब्याज मुक्त ऋण राशि
1. भेड-बकरी पालन (40+2) 1.00 योजना लागत की 50 प्रतिशत राशि – अधिकतम रुपये 50,000/

वित्तीय व्यवस्था:-

योजनान्तर्गत कुल लागत का निम्नानुसार निवेश किया जायेगा :-

1- कृषक अंशदान 10 प्रतिशत
2- ब्याज मुक्त ऋण राशि 50 प्रतिशत
3- बैंक ऋण राशि 40 प्रतिशत

ऋण स्वीकृति : 

बैंक, क्षेत्र के इच्छुक लाभार्थियों के प्रार्थना पत्र योजना प्रति सहित प्राप्त करेगी। योजनान्तर्गत ऋण केवल उन्हीं लाभार्थियों को दिया जाये जो कि पारम्परिक गड़रिया परिवार से हों, उन्हें भेड-बकरी पालन का समुचित अनुभव हों।
बैंक द्वारा चयनित लाभार्थियों की योजना, बैंक स्तर पर स्वीकृत कर योजनान्तर्गत देय ब्याज मुक्त राशि की स्वीकृति हेतु लाभार्थीवार राज्य बैंकको भिजवायी जायेगी। ब्याज मुक्त राशि की नाबार्ड से स्वीकृति प्राप्तहोने के उपरान्त ही ऋण व ब्याजमुक्त राशि का प्रार्थी को वितरण किया जायेगा। बैंक द्वारा ब्याज मुक्त राशि की प्राप्ति के एक माह की अवधि में ऋण वितरण किया जाना आवश्यक है। यदि किन्हीं कारणोंवश बैंक निर्धाराित अवधि में ऋण वितरण नहीं करती है तो ब्याज मुक्त राशि नाबार्ड को वापस करनी होगी। राशि केसाथ-साथ राशि की प्राप्ति दिनांक से राशि भिजवाने की दिनांक तक की अवधि का 10 प्रतिशत की दर सेब्याज भी देना होगा।

ऋण पुर्नभुगतान एवं ऋण वसूली :

योजनान्तर्गत देय ऋण की पुर्नभुगतान अवधि 9 वर्ष है जिसमें अनुग्रह अवधि के 2 वर्ष भी सम्मिलित है। प्रार्थी को देय ऋण एवं ब्याज मुक्त राशि की एक साथ वसूली करनी आवश्यक है तथा अर्द्धवार्षिक किश्तों के रुप में ब्याज मुक्त राशि वर्ष में दो बार आनुपातिक आधार पर नाबार्ड को वापस करनी होगी। सुविधा के लिये आप योजनान्तर्गत मासिक वसूली निर्धारित करें तथा जनवरी से जून तक की गई वसूली माह जुलाई में तथा जुलाई से दिसम्बर तक की गई वसूली जनवरी में नाबार्ड को वापस भिजवाने हेतु राज्य बैंक को भिजवायें। बैंक को समुचित ऋण ़ऋण एवं ब्याज मुक्त राशि की वसूली हेतु सुनिश्चित व्यवस्था व प्रयास करने चाहिये।
बैंक को वार्षिक आधार पर योजनान्तर्गत वित्त पोषित इकाईयों का विवरण एनेक्सर- III में आवश्यक रुप से भिजवाना होगा।

ब्याज दर : 

वर्तमान प्रचलित ब्याज दर। समय – समय पर परिवर्तित ब्याज दर देय होगी।

प्रतिभूति : 

कृषक स्वयं के स्वामित्व की कृषि भूमि।

ऋण क्षमता, ऋण चुकौती क्षमता का निर्धारण :

प्रार्थी की ऋण क्षमता का निर्धारण, रहन हेतु प्रस्तुत कृषि भूमि के गत तीन वर्षो के सम्बन्धित तहसीलदारन/ सब-रजिस्टार द्वारा प्रदत्त बिक्री दरों के औसत आधार पर संगणित मूल्य की 60 प्रतिशत राशि के आधार पर किया जायेगा।
ऋण चुकौती क्षमता का निर्धारण इकाई से प्राप्त होने वाली शुद्ध आय की 75 प्रतिशत राशि के आधार पर संगणित की जायेगी।

योजना का मूल्यॉकन :

नाबार्ड क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा समय≤ पर योजनान्तर्गत वित्त पोषित इकाईयों का निरीक्षण भी किया जायेगा। यहॉ यह भी उल्लेखनीय है किआप अपने स्तर से भी त्रैमासिक आधार पर योजनान्तर्गत वित्त पोषित इकाईयों का निरीक्षण करें एवं निरीक्षण रिपोर्ट राज्य बैंक को भिजवायें ताकि रिपोर्ट नाबार्ड को भिजवायी जा सकेंं।
योजना की प्रगति रिपोर्ट एनेक्सर-प् में प्रत्येक माह की 7 तारीख तक इस बैंक को भिजवाना सुनिश्चित करें।
प्रत्येक योजना प्रस्ताव भिजवाते समय योजना एवं सम्बन्धित लाभार्थी के सम्बन्ध में सूचना एनेक्सर- II में आवश्यक रुप से भिजवायें।

अन्य महत्वपूर्ण बिन्दु :

बैंक यह सुनिश्चित करें कि :
1- प्रार्थी द्वारा इकाई का आवश्यक रुप से बीमा एवं उसका प्रति वर्ष नवीनीकरण आवश्यक रुप से करवाया जायें।
2- इकाई स्थल पर “Assistted by Department of Animal Husbandry Dairying and Fisheries, Ministry of Agriculture, Government of India through NABARD” लिखा हुआ बोर्ड लगााया जाना आवश्यक होगा।
3- ऋण वितरण से पूर्व एवं पश्चात्‌ इकाई स्थल का निरीक्षण किया जाये ताकि योजना की वास्तविक प्रगति का मूल्यॉकन किया जा सकें।

उत्तरप्रदेश में ट्रेक्टर एवं पॉवर टिलर पर किसानों को दी जाने वाली सहायता

उत्तरप्रदेश में ट्रेक्टर एवं पॉवर टिलर पर किसानों को दी जाने वाली सहायता

अगर कोई किसान ट्रैक्टर या पावर टिलर खरीदना चाहता है तो सरकार उसपर भारी छूट दे रही है, किसान जिसका फायदा ले सकते हैं। उद्यान विभाग की तरफ से किसानों को ट्रैक्टर (20 हार्सपावर से कम के ट्रैक्टर), 8 हार्सपावर से कम के पावर टिलर और 8 हार्सपावर से बड़े पावर टिलर पर सरकार अनुदान दे रही है। यह अनुदान एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एम.आई.डी.एच.) -राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत दिया जाता है I

ट्रैक्टर पर सरकार 75 हज़ार रुपए सब्सिडी देती है, जिस ट्रैक्टर की कीमत करीब 3 लाख होती है, जबकि SC और ST कटैगरी में आने वाले किसानों को सरकार एक लाख रुपए की सब्सिडी देती है। इसके अलावा सरकार दो तरीके के पावर टिलर पर अनुदान देती है। पहला 8 हार्स पावर से कम के पावर टिलर पर और 8 हार्स पावर से अधिक के पावर टिलर पर।

दी जाने सहायता निम्नानुसार है

क्र.सं. शक्तिचालित मशीन / उपकरण अनुमन्य लागत प्रति यूनिट  अनुमन्य अनुदान
सामान्य वर्ग के लिए लघु एवं सीमान्त कृषक / अनु.जाति /
अनु.जनजाति / महिलाओं के लिए
1- टैक्टर 20 बीएचपी तक 3.00 लाख रूपये लागत का 25% अधिकतम 75,000 रुपये अधिकतम 1 लाख रुपये
2- पावर टिलर 8 बीएचपी से कम 1.00 लाख रुपये अधिकतम अधिकतम 40,000 रुपये 50 हज़ार रुपये
3- पावर टिलर 8 बीएचपी एवं उससे अधिक 1.50 लाख रुपये  अधिकतम अधिकतम 60,000 रुपये 75,000 रुपये
4- सोइंग,प्लाण्टिंग, रीपिंग, डिगिंग उपकरण 30 हज़ार रुपये  अधिकतम अधिकतम 15,000 रुपये 12,000 रुपये

 

कौन ले सकता है इसका लाभ ?

  • किसी भी श्रेणी के किसान ट्रेक्टर का खरीद कर सकते हैं।
  • केवल वे ही किसान पात्र होगे जिन्होने बीते 7 वर्षो में ट्रेक्टर या पावरटिलर खरीद पर विभाग की किसी भी योजना के अंतर्गत अनुदान का लाभ प्राप्त नही किया है।
  • ट्रेक्टर एवं पावरटिलर में से किसी एक पर ही अनुदान का लाभ प्राप्त किया जा सकेगा।

आवेदन कैसे करें ?

किसान को इसका लाभ लेने के लिए सबसे पहसे कृषि विभाग उत्तर प्रदेश की वेबसाइट https://www.upagriculture.com/ पर रजिष्ट्रेशन करना होता है उसके बाद जिला उद्यान अधिकारी के पास सब्सिडी के लिए एप्लीकेशन देना होता है। जिसके साथ में ये प्रूफ देना होता है कि जो यंत्र आप खरीदने जा रहे हैं उसके लिए आपके पास पैसे उपलब्द हैं, क्योंकि सब्सिडी की राशि यंत्र खरीद लेने के बाद किसान को मिलती है, पहले किसान को पूरा पैसे का भुगतान करना होता है

कौन से दस्तावेज लगेंगे ?

पंजीकरण के लिए किसान को बैंक खाते की पास बुक की फोटो कापी व आधार कार्ड की कॉपी लाना जरूरी है। यंत्र के मिलने के बाद अनुदान किसान के बैंक खाते में पहुंच जाता है। सब्सिडी के लिए आवेदन करने के लिए एक 10 रुपए का स्टांप सपथ पत्र के रूप में लगाना होता है।

आवेदन करने के लिए क्लिक करें 

डाउनलोड करें किसान समाधान एंड्राइड एप्प और जाने कहाँ कोन सी योजनायें चल रही हैं 

 

सौर सुजला योजना के तहत विद्युतविहीन खेतों मे लगेंगे सोलर पंप : छत्तीसगढ़

सौर सुजला योजना के तहत विद्युतविहीन खेतों मे लगेंगे सोलर पंप : छत्तीसगढ़

वित्तीय वर्ष 2017-18 में सौर सुजला योजना के तहत विद्युतविहीन क्षेत्रों में 1000 सोलर पंप प्रदाय किये जायेगें। कलेक्टर श्री टामन सिंह सोनवानी द्वारा कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में प्रत्येक समय-सीमा बैठक में योजना की प्रगति की समीक्षा की जाएगी। कलेक्टर द्वारा शासन से प्राप्त लक्ष्य की पूर्ति हेतु कृषि विभाग एवं क्रेडा विभाग को अधिक से अधिक विद्युतविहीन क्षेत्रों एवं जिले के ऐसे नदी नाले जहॉ पर सिंचाई हेतु पर्याप्त जल उपलब्ध हो अधिक से अधिक प्रकरण बनाकर कृषकों को सोलर पंप वितरण करने हेतु निर्देशित किये।

इस वर्ष 01 एच.पी. से लेकर 05 एच.पी. क्षमता तक के सोलर पंप वितरत किये जायेंगेः-

वित्तीय वर्ष 2017-18 में शासन से प्राप्त निर्देशानुसार सिंचाई हेुत 01 एच.पी., 02 एच.पी., 03 एच.पी. एवं 05 एच.पी. के सोलर पंप प्रदाय किये जायेगें। इस वर्ष इस योजना अंतर्गत 01एच.पी. एवं 02एच.पी. के सोलर पंप सम्मिलित किये गये है पहले इस योजना के तहत 03एच.पी. एवं 05एच.पी. के सोलर पंप लगाये जा सकते थे जिसके लिए किसानों के पास लगभग 1 हेक्टेयर जमीन रहना जरूरी था।

इसके पाबंदी के चलते छोटे किसान इा योजना का लाभ लेने से वंचित हो जाते थे। इस साल इस बाध्यता को समाप्त करते हुए किसानों को 01एच.पी. एवं 02एच.पी. के सोलर पंप लगाने की सुविधा दी जा रही है, जिससे कोयलीबेड़ा, अंतागढ़, दुर्गूकोंदल जैसे अन्य ब्लाकों में पहाड़ी क्षेत्रों मे बसे हुए छोटे कृषकों को भी सिंचाई हेतु अच्छा साधन उपलब्ध होगा। जहॉ पर वर्तमान में परम्परागत बिजली से सिंचाई कर पाना संभव नही है ऐसे क्षेत्रों के लिए सोलर पंप से सिंचाई करना कृषकों के लिए वरदान है।

सोलर पंप स्थापना हेतु किसानों के अंशदान का विवरणः-

अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के लिए एक एचपी पंप में 3500 रूपये अंशदान, दो एचपी के पंप में 5000 हजार, तीन एच पी के पंप के लिए 07 हजार रूपये की अंशदान मिलेगी और 5 एचपी के लिए 10 हजार रूपये की अंशदान राशि प्राप्त होगी। इसी प्रकार अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए एचपी पंप में 6000 रूपये अंशदान, दो एचपी के पंप में 9 हजार, तीन एच पी के पंप के लिए 12 हजार रूपये की अंशदान मिलेगी और 5 एचपी के लिए 15 हजार रूपये की अंशदान राशि प्राप्त होगी।

सामान्य वर्ग के लिए एचपी पंप में 14 हजार रूपये अंशदान, दो एचपी के पंप में 16 हजार, तीन एच पी के पंप के लिए 18 हजार रूपये की अंशदान मिलेगी और 5 एचपी के लिए 20 हजार रूपये की अनुदान मिलेगी। एक एचपी पंप के लिए प्रोसेसिंग शुल्क 12 सौ रूपये, दो एचपी के लिए 1800, तीन एचपी के लिए 03 हजार और 05 एचपी के लिए 4800 रूपये की प्रोसेसिंग शुल्क देनी होगी।

सौर सुजला योजना के तहत कैसे पंजीकृत हो:-

इस योजना के लाभार्थियों के लिए छत्तीसगढ़ सरकार का कृषि विभाग मुख्य पंजीयन प्राधिकरण है। किसान आवेदन करने के लिए मुक्त है पर रियायती दरों में सोलर पंप बांटने के लिए योग्य पात्रों को चयन कृषि विभाग द्वारा किया जायेगा। इस योजना के लिए आवेदन पत्र ब्लॉक कार्यालयों और कृषि कार्यालयों में उपलब्ध है। आवेदन को ठीक से भर कर आवश्यक दस्तावेजों के साथ केवल कृषि कार्यालयों में प्रस्तुत करना होगा। इस योजना के लिए आवेदन शुल्क भी है। आवेदन प्राप्त होने के बाद क्रेडा द्वारा जांच की जाती है की आवेदक इस योजना के लिए योग्य पात्र है या नही।

योजना मे शामिल होने देने होंगे आवश्यक दस्तावेजः-

इस योजना के लिए कृषि  विभाग आवेदक से आवश्यक जानकारी एकत्रित करने के लिए जिम्मेदार है। लाभार्थी का नाम व पता उचित दस्तावेज जैसे पहचान पत्र और निवास के साथ एकत्रित करना। इस योजना में शामिल होने के लिए आधार नंबर अनिवार्य हैं इन दस्तावेजों के सत्यापन के बाद लाभार्थी के बैंक खाते  की जानकारी आवश्यक होती है।

आवेदक को अपनी किसी एक बचत बैंक खाते की जानकारी प्रदान करनी होगी । आवेदक को अपना मोबाईल नम्बरभी अनिवार्य रूप से प्रदान करना होगा । लाभार्थियों को एसएमएस के माध्यम से परियोजना के बारे में नचकंजम करते रहा जायेगा। निवास प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, बिजली बिल, वोटर आईडी की सत्यापित छायाप्रति, भूमि का खसरा, रकबा ,वं कार्य स्थल का सत्यापित नक्शा, बैंक पासबुक की छायाप्रति, जाति प्रमाण पत्र की सत्यापित छायाप्रति, प्रोसेसिंग शुल्क का डिमांड ड्राफ्ट, स्थापना स्थल के फोटोग्राफ, हितग्राही के दो फोटो देने होंगे

नीलगाय से खेत का बचाव; कुछ परम्परगत तरीके

नीलगाय से खेत का बचाव; कुछ परम्परगत तरीके

नीलगाय झुंड में रहती हैं तो जितना ये फसलों को खाकर नुकसान करती हैं उससे ज्यादा इनके पैरों से नुकसान पहुंचता है। सरसों और आलू के पौधे एक बार टूट गए तो निकलना मुश्किल हो जाता है। कुछ परंपरागत तरीके किसानों को जरुर आज़माने चाहिए। हालांकि लंबे समय के लिए ये कारगर नहीं है क्योंकि ये (नीलगाय) बहुत चालाक जानवर हैं तो बाड़ लगवाना सबसे बेहतर रहता है।

नीलगाय रोकने के लिए इस तरह बनायें हर्बल घोल

  • खेतों में नीलगाय को आने से रोकने के लिए 4 लीटर मट्ठे में आधा किलो छिला हुआ लहसुन पीसकर मिलाकर इसमें 500 ग्राम बालू डालें। इस घोल को पांच दिन बाद छिड़काव करें। इसकी गंध से करीब 20 दिन तक नीलगाय खेतों में नहीं आएगी। इसे 15 लीटर पानी के साथ भी प्रयोग किया जा सकता है।
  • बीस लीटर गोमूत्र, 5 किलोग्राम नीम की पत्ती, 2 किग्रा धतूरा, 2 किग्रा मदार की जड़, फल-फूल, 500 ग्राम तंबाकू की पत्ती, 250 ग्राम लहसुन, 150 लालमिर्च पाउडर को एक डिब्बे में भरकर वायुरोधी बनाकर धूप में 40 दिन के लिए रख दें। इसके बाद एकलीटर दवा 80 लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करने से महीना भर तक नीलगाय फसलों को नुकसान नहीं पहुंचाती है। इससे फसल की कीटों से भी रक्षा होती है
  • चारों ओर कंटीली तार, बांस की फंटियां या चमकीली बैंड से घेराबंदी करें।
  •  मेड़ों के किनारे पेड़ जैसे करौंदा, जेट्रोफा, तुलसी, खस, जिरेनियम, मेंथा, एलेमन ग्रास, सिट्रोनेला, पामारोजा का रोपण भी नीलगाय से सुरक्षा देंगे।
  • आदमी के आकार का पुतला बनाकर खड़ा करने से रात में नीलगाय देखकर डर जाती हैं।
  • नीलगाय के गोबर का घोल बनाकर मेड़ से एक मीटर अन्दर फसलों पर छिड़काव करने से अस्थाई रूप से फसलों की सुरक्षा की जा सकती है।
  • एक लीटर पानी में एक ढक्कन फिनाइल के घोल के छिड़काव से फसलों को बचाया जा सकता है।
  • गधों की लीद, पोल्ट्री का कचरा, गोमूत्र, सड़ी सब्जियों की पत्तियों का घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करने से नीलगाय खेतों के पास नहीं फटकती।
  • देशी जीवनाशी मिश्रण बनाकर फसलों पर छिड़काव करने से नीलगाय दूर भागती हैं।

डेयरी विकास हेतु नाबार्ड द्वारा दी जाने वाली सहायता

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डेयरी विकास हेतु नाबार्ड द्वारा दी जाने वाली सहायता

उद्देश्य

  1. दो से चार दुधारू पशुओं के साथ लघु डेयरी इकाई स्थापित करना ।
  2. नई मध्यम/वृहद् इकाई स्थापित करना ।
  3. दूध का संग्रह, प्रसंस्करण, वितरण तथा दुग्ध-उत्पादों का निर्माण करना ।
  4. उन्नत/संकर नस्ल के दुधारू पशुओं की खरीद ।
  5. पशुशाला का निर्माण ।

पात्रता

  • किसान, व्यक्तिगत उद्यमी, गैर सरकारी संगठन , कंपनियां , असंगठित और संगठित क्षेत्र के समूह इत्यादि . संगठित क्षेत्र के समूह में स्वयं सहायता समूह (एसएचजी), डेयरी सहकारी समितियां , दूध संगठन , दूध महासंघ आदि शामिल हैं .
  • एक व्यक्ति इस योजना के तहत सभी घटकों के लिए सहायता ले सकता है लेकिन प्रत्येक घटक के लिए केवल एक बार ही पात्र होगा
  • योजना के तहत एक ही परिवार के एक से अधिक सदस्य को सहायता प्रदान की जा सकती है, बशर्ते कि इस योजना के अंतर्गत  वे अलग-अलग स्थानों पर अलग बुनियादी सुविधाओं के साथ अलग इकाइयां स्थापित करें . इस तरह की दो परियोजनाओं की चहारदीवारी के  बीच की दूरी कम से कम 500 मीटर होनी चाहिए.

(वाणिज्यिक डेयरी के लिए परियोजना रिपोर्ट आवश्यक है।)

रिपोर्ट:-

रिपोर्ट में आपको डेयरी में लगने वाली लागत, स्थान और होने वाली आय का ब्यौरा देना होगा I

वित्तपोषण की प्रमात्रा

नाबार्ड द्वारा अनुमोदित इकाई लागत/परियोजना लागत के अनुसार

प्रतिभूति

  • रु.1 लाख तक की ऋण सीमा
  • पशुधन आदि का दृष्टिबंधक

रु.1 लाख से अधिक की ऋण सीमा
1) पशुधन आदि का दृष्टिबंधक
2) भूमि का बंधक या कृषि ऋण अधिनियम के अनुसार घोषणा अथवा समुचित मूल्य कीसं पार्श्विकप्र तिभूति
3) समुचित मूल्य की थर्ड पार्टी गारंटी

अर्थात रू. 10 लाख तक के ऋणों के लिए बैंक वित्त से बनाई गई संपत्तियों का हाइपोथिकेशन ( गिरवी ) एवं रू 1 लाख से अधिक के ऋणों के लिए भू-संपत्ति को गिरवी रखना या ऋण राशि के बराबर की थर्ड पार्टी गारंटी या दो अन्य डेयरी किसानों की सामूहिक गारंटी |

मार्जिन

  • रु.1 लाख तक के ऋण – शून्य
  • रु.1 लाख से अधिक के ऋण – 15% से 25 %

ब्याज दर

बैंक द्वारा समय-समय पर यथा निर्धारित ब्याज दर

चुकौती

2 से 3 महीने की ऋणस्थगन अवधि के साथ 5से 6 वर्षों में चुकौती की जानी चाहिए।

अधिक जानकरी के लिए आप नजदीकी राष्ट्रीकृत बैंक, सहकारी बैंक, कोआपरेटिव बैंक या ग्रामीण बैंक में संपर्क करें I आप नाबार्ड में जाकर भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं I

कपास की फसल में सफेद मक्खी से निपटने के लिए क्या करें किसान भाई

कपास की फसल में सफेद मक्खी से निपटने के लिए क्या करें किसान भाई

केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान के क्षेत्रीय केन्द्र सिरसा ने कपास की फसल में सफेद मक्खी की संख्या में बढ़ोतरी के मद्देनजर किसानों से अपील की है कि वे अपने खेत का लगातार निरीक्षण करते रहें। अनुसंधान संस्थान के एक प्रवक्ता ने आज यह जानकारी देते हुए बताया कि केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय स्टेशन सिरसा व अन्य विभागों द्वारा उत्तर भारत (पंजाब, हरियाणा तथा राजस्थान) में एक सर्वेक्षण किया गया है। उन्होंने बताया कि यदि कपास की फसल में प्रति पत्ता सफेद मक्खी के व्यस्क 4-6 के आसपास या इससे अधिक दिखाई दें तो विभिन्न प्रकार के उपाय करके सफेद मक्खी का नियंत्रण किया जा सकता है

कपास की फसल में पहला छिडक़ाव नीम आधारित कीटनाशक जैसे निम्बीसीडीन 300 पीपीएम या अचूक 1500 पीपीएम की 1.0 लीटर मात्रा को 150-200 लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करें। इसके अतिरिक्त जिन किसानों ने अपनी कपास की फसल में नीम आधारित कीटनाशकों का प्रयोग कर लिया है तथा फिर भी खेत में सफेद मक्खी एवं हरे तेेले का प्रकोप दिखाई दे रहा है तो वे किसान अब फसल में 80 ग्राम प्रति एकड़ की दर से फ्लोनिकामिड उलाला नामक दवा का छिडक़ाव करके सफेद मक्खी पर नियंत्रण कर सकते हैं।

 अधिक संख्या होने पर

सफेद मक्खी के बच्चों की संख्या प्रति पत्ता 8 से ज्यादा दिखाई दे तो स्पाइरोमेसिफेन (ओबेरोन) 200 मि.ली. या पायरीप्रोक्सीफेन (लेनो) नामक दवा की 400-500 मि.ली. मात्रा को प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करें। कपास की फसल में नीचे के पत्तों का चिपचिपा होकर काला होना खेत में सफेद मक्खी के बच्चों की संख्या ज्यादा होने को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि यदि खेतों में सफेद मक्खी के व्यस्क ज्यादा दिखाई दें तो किसान डाईफेन्थाईयूरान (पोलो) नामक दवा की 200 ग्राम मात्रा को प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करें।

पोलो दवा के प्रयोग से पहले व प्रयोग करने के बाद खेत में नमी की मात्रा भरपूर होना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि अधिक जानकारी के लिए किसान केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय स्टेशन या अपने निकटतम कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सकते हैं।

सावधानी 

किसान भाई विभाग या अन्य सरकारी संस्थान द्वारा सिफारिश की गई दवाओं को ही खरीदे और इन दवाओं को खरीदते वक्त विक्रेता से बिल जरूरी लें। उन्होंने कहा कि कपास की फसल में अपने आप से बदल-बदल कर दवाईयों का छिडक़ाव करना नुकसान देह हो सकता है। उन्होंने कहा कि किसान कपास की फसल पर प्रति एकड़ एक लीटर नीम के तेल को 200 लीटर पानी में मिलाकर इसका छिडक़ाव करे तो सफेद मक्खी के प्रकोप को समाप्त किया जा सकता है। इसके अलावा, दो किलोग्राम यूरिया में आधा किलोग्राम जिंक (21 प्रतिशत) के साथ इसे 200 लीटर पानी में मिलाकर भी इस बीमारी से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है

सफेद मक्खी छोटा सा तेज उडऩे वाला पीले शरीर और सफेद पंख का कीड़ा है। छोटा एवं हल्के होने के कारण ये कीट हवा द्वारा एक दूसरे से स्थान तक आसानी से चले जाते हैं। इसके अंडाकार शिशु पतों की निचली सतह पर चिपके रहकर रस चूसते रहते हैं। भूरे रंग के शिशु अवस्था पूरी होने के बाद वहीं पर यह प्यूपा में बदल जाते हैं। ग्रसित पौधे पीले व तैलीय दिखाई देते हैं। जिन काली फंफूदी लग जाती है। यह कीड़े न कवेल रस चूसकर फसल को नुकसान करते हैं।

सोलर पंप सब्सिडी योजना मध्यप्रदेश

मुख्यमंत्री सोलर पम्प योजना मध्यप्रदेश सम्पूर्ण जानकारी, आवेदन कैसे एवं किस दस्तावेज के साथ कहाँ जमा करें एवं अनुमानित लागतI

मध्यप्रदेश के किसानों से ‘‘मुख्यमंत्री सोलर पम्प योजना’’ के तहत् आवेदन पत्र आमंत्रित किए जाते हैं, जिसमें भारत शासन व मध्य प्रदेश शासन द्वारा अधिकतम 90 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। यदि योजना के अंतर्गत लक्ष्य से अधिक आवेदन प्राप्त हों, तब उन आवेदकों को प्राथमिकता दी जाएगी जहाँ पर विद्युत अधोसंरचना विकसित नहीं है/जहाँ कृषि पम्पों हेतु स्थाई कनेक्शन नहीं है/जहाँ विद्युत कम्पनियों की वाणिज्यिक हानि अधिक है एवं ट्रान्सफार्मर हटा लिए गए हैं/जहाँ खेत की दूरी बिजली की लाईन से 300 मीटर से अधिक है या नदी या बाँध के समीप ऐसे स्थान जहाँ पानी की पर्याप्त उपलब्धता हो, एवं फसलों के चयन के कारण जहाँ वाटर पंपिंग की आवश्यकता ज्यादा रहती हो (जैसे-बुरहानपुर का केला क्षेत्र)।

मुख्यमंत्री सोलर पम्प योजना

असिंचित क्षेत्रों में व डीजल पम्पों के स्थान पर सोलर पम्पों के उपयोग से प्रदेश में सिंचित भूमि का क्षेत्रफल बढ़ेगा, कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी, किसान व्यवसायिक व अन्य फायदे की फसल उगा सकेंगें और किसानों के लिये कृषि लाभ का व्यवसाय हो सकेगा, जो राज्य शासन का प्रमुख ध्येय है। उक्त परिपेक्ष्य में, माननीय मुख्यमंत्री जी ने ‘ग्राम भ्रमण कार्यक्रम’ के उपरांत दिनाँक 03/11/2015 को सोलर पम्प को प्रोत्साहित करने की घोषणा की थी। इसके दृष्टिगत, सिंचाई प्रयोजन के लिये सोलर पम्प स्थापना की योजना ‘मुख्यमंत्री सोलर पम्प योजना’ तैयार की गई है।

उद्देश्य :-

  • उत्पादकता बढ़ाने के लिए राज्य में सिंचिंत क्षेत्र बढ़ाना,
  • जिन क्षेत्रों में बिजली की उपलब्धता नहीं है, वहाँ सिंचाई की व्यवस्था कराना,
  • सिंचाई में डीजल उपयोग करने में किसानों पर आने वाले वित्तीय भार से उन्हें बचाना,
  • विद्युत वितरण कम्पनियों द्वारा दिए जाने वाले अस्थाई विद्युत कनेक्शनों में कमी लाना,
  • किसानों को सक्षम बनाने के लिए, उच्च मूल्य बागवानी की फसलों को बढ़ावा देना,
  • कुशल सिंचाई विधियों के माध्यम से भूजल का संरक्षण, और
  • डीजल पम्प से होने वाले प्रदूषण को कम करना।
  • उपरोक्त के अतिरिक्त, सिंचाई के लिए उपयोग न होने पर और उसके साथ भी, सौर पेनलों का उपयोग विभिन्न वैकल्पिक उपयोगों, जैसे लाईंटिंग, बैटरी चार्जिंग, सूक्ष्म ग्रिड, आदि के लिए किया जा सकता है।

नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना द्वारा देय अनुदान के माध्यम से सिंचाई प्रयोजन के लिए सोलर पम्प स्थापना की योजना में 3 एच.पी. तक सोलर पम्प के लिए लागत का 10 प्रतिशत और उससे अधिक क्षमता के सोलर पम्प के लिए लागत का 15 प्रतिशत होगा, तथापि 5 एच.पी. से अधिक क्षमता के सोलर पम्पों पर 5 एच.पी. का राज्य अनुदान व निर्धारित केन्द्रांश ही लागू होगा।

जाने किसानों को कितनी राशि का भुगतान करना होगा 

10 एच.पी. डी.सी. सबर्मसिबल9,36,2504,68,00050 मी. के लिए 1,89,000, शट आफ डायनामिक हेड 70 मी.//70 मी. के लिए 1,26,000, शट आफ डायनामिक हेड 100 मी.//100 मी. के लिए 85,500, शट आफ डायनामिक हेड 150 मी.10 एच.पी. ए.सी. सबर्मसिबल7,14,7603,57,50050 मी. के लिए 1,71,000, शट आफ डायनामिक हेड 70 मी.//70 मी. के लिए 1,17,000, शट आफ डायनामिक हेड 100 मी.//100 मी. के लिए 76,500, शट आफ डायनामिक मिक हेड 150 मी.

सोलर पम्पसेट राशि 

क्र. सोलर पंपिंग सिस्टम के प्रकार कुल राशि हितग्राही (किसान) अंश डिस्चार्ज (लीटर में प्रतिदिन)
1. 1 एच.पी. डी.सी. सबर्मसिबल 1,75,480 17,500 30 मी. के लिए 42,000, शट आफ डायनामिक हेड 45 मी.
2. 2 एच.पी. डी.सी. सरफेस 2,12,395 21,000 10 मी. के लिए 1,80,000, शट आफ डायनामिक हेड 12 मी.
3. 2 एच.पी. डी.सी. सबर्मसिबल 2,34,319 23,500 30 मी. के लिए 63,000, शट आफ डायनामिक हेड 45 मी.
4. 3 एच.पी. डी.सी. सबर्मसिबल 3,41,330 34,000 30 मी. के लिए 1,05,000, शट आफ डायनामिक हेड 45 मी.//50 मी. के लिए 63,000, शट आफ डायनामिक हेड 75 मी.//70 मी. के लिए 42,000, शट आफ डायनामिक हेड 100 मी.
5. 5 एच.पी. डी.सी. सबर्मसिबल 4,53,680 68,000 50 मी. के लिए 1,00,800, शट आफ डायनामिक हेड 70 मी.//70 मी. के लिए 67,200, शट आफ डायनामिक हेड 100 मी.//100 मी. के लिए 45,600, शट आफ डायनामिक हेड 150 मी.
6. 5 एच.पी. ए.सी. सबर्मसिबल 4,11,950 68,000 50 मी. के लिए 91,200, शट आफ डायनामिक हेड 70 मी.//70 मी. के लिए 62,400, शट आफ डायनामिक हेड 100 मी.//100 मी. के लिए 40,800, शट आफ डायनामिक हेड 150 मी.
7. 7.5 एच.पी. डी.सी. सबर्मसिबल 6,45,510 2,60,000 50 मी. के लिए 1,41,750, शट आफ डायनामिक हेड 70 मी.//70 मी. के लिए 94,500, शट आफ डायनामिक हेड 100 मी.//100 मी. के लिए 64,125, शट आफ डायनामिक हेड 150 मी.
8. 7.5 एच.पी. ए.सी. सबर्मसिबल 5,70,310 2,60,000 50 मी. के लिए 1,28,250, शट आफ डायनामिक हेड 70 मी.//70 मी. के लिए 87,750, शट आफ डायनामिक हेड 100 मी.//100 मी. के लिए 57,375, शट आफ डायनामिक हेड 150 मी.
9.
10.

 

सोलर पम्प के क्रियान्वयन हेतु दिशा-निर्देश

  1. यह योजना सम्पूर्ण प्रदेश में जिलेवार निर्धारित लक्ष्य अनुसार समस्त कृषकों के लिए लागू होगी।
  2. निर्धारित आवेदन के साथ निर्धारित राशि रू. 5,000/- डी.डी./ऑनलाइन माध्यम से ‘‘मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड सी. एम. सोलर पंप स्कीम’’ को देयक के साथ प्राप्त होना अनिवार्य है, अन्यथा आवेदन निरस्त किया जा सकता है।
  3. स्थल का उपयुक्त/चयन न होने पर पंजीयन राशी रू. 5,000/- निगम द्वारा आवेदक को वापिस होगी।
  4. निर्धारित लक्ष्य से अधिक आवेदन प्राप्त होने की स्थिति में प्राप्त हुए समस्त आवेदनों का लाॅटरी के माध्यम से हितग्राही कृषक का चयन किया जावेगा।
  5. चयन की सूचना मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड द्वारा दिये जाने पर हितग्राही कृषक को शेष राशि डी.डी./आॅनलाईन माध्यम से 20 दिवस में मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड भोपाल को देनी होगी।
  6. राशि प्राप्त होने के पश्चातलगभग 120 दिवस में सोलर पम्पों की स्थापना का कार्य पूर्ण कर दिया जाएगा। विशेष परिस्थितियों में समयावधि बढ़ाई जा सकती है।
  7. स्थापना एवं संतोषप्रद प्रदर्शन उपरांत समस्त संयंत्र हितग्राही को सौंप दिया जाएगा।
  8. कन्ट्रोलर इत्यादि में किसी भी प्रकार से छेड़-छाड़ न करें अतः खराबी आने पर पूर्णतः हितग्राही की जिम्मदारी होगी।
  9. समय समय पर सोलर पैनल की सफाई करना आवश्यक है।

आवेदन हेतु सम्पर्क सूत्र :-

आपके जिले के – जिला अक्षय ऊर्जा अधिकारी, म.प्र. ऊर्जा विकास निगम एवं उप संचालक, किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग

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उड़द की खेती में उर्वरकों का प्रयोग, निंदाई-गुड़ाई एवं कीट, रोग का नियंत्रण किस प्रकार करें ?

उड़द की खेती में उर्वरकों का प्रयोग, निंदाई-गुड़ाई एवं कीट, रोग का नियंत्रण किस प्रकार करें ?

खाद एवं उर्वरक

उड़द एक दलहनी फसल हैं जिसके कारण नाइट्रोजन की अधिक आवश्यकता नही होती हैं। लेकिन पोधो की प्रारम्भिक अवस्था में जड़ो एवं जड़ ग्रंथियों की वृद्धि एवं विकास के लिए 15- 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40- 45 किलोग्राम फास्फोरस तथा 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हैक्टेयर देना चहिये।

निराई- गुड़ाई एवं खरपतवार नियंत्रण

उड़द की बुवाई के 15- 20 दिन की अवस्था में गुड़ाई हाथो द्वारा खुरपी की सहायता से करनी चाहिए। रासायनिक विधि से नियंत्रण हेतु फ्लुक्लोरीन 1 किलोग्राम सक्रीय तत्व प्रति हैक्टेयर की दर से 800- 1000 लीटर पानी में गोल बनाकर छिडकाव करना चाहिए।

बीज की बुवाई के बाद परंतु बीज के अंकुरण के पूर्व पेन्थिमेथलीन 1.25 किलोग्राम संक्रिय तत्व की दर से 800- 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से खरपतवारो का नियंत्रण किया जा सकता हैं।

उड़द में लगने वाले रोग एवं उनका उपचार किस प्रकार करें ?

पिला मोजेक:-

इस रोग के लक्षण पतियो पर गोलाकार धब्बो के रूप में दिखाई देता हैं। यह दाग एक साथ मिलकर तेजी से फैलते हैं। जो बाद में बिलकुल पिले हो जाते हैं। यह रोग सफ़ेद मक्खी द्वारा फैलता हैं इस रोग के नियंत्रण हेतु डाइमेथोएट 30 ई. सी. की एक लीटर मात्रा 800 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।

पर्ण दाग:-

इस रोग के लक्षण सबसे पहले पत्तियो पर गोलाई लिए भूरे रंग के कोणीय धब्बे के रूप में दिखाए देते हैं, जिसके बीच का भाग राख या हल्का भूरा तथा किनारा बैंगनी रंग का होता हैं। इस रोग के नियंत्रण हेतु कार्बेडाजिम 500 ग्राम पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।

उड़द में लगने वाले कीट एवं उनका नियंत्रण ?

थ्रिप्स:-

इस किट के शिशु एवं वयस्क दोनों पत्तितो से रस चूसकर नुकसान पहुचाते हैं। इस किट के नियंत्रण हेतु डायमेथोएट 30  ई. सी. 1 लीटर दवा 600- 800 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।

हरे फुदके:-

यह कीट पत्ती की निचली सतह पर बड़ी संख्या में पाए जाते है। प्रौढ़  का रंग हरा,इसकी पीठ के निचले भाग में काले धब्बे पाए जाते है। इस किट के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोरपिड का 0.3 मिली दवा प्रति लीटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करना चाहिए।

फली बेधक:-

इस कीट की सुंडी उड़द की पत्तियों में छेद करके उसमे विकसित हो रहे बीज को खा जाती है। इस किट के नियंत्रण के लिए क्युनोल्फोस 25 ई. सी. की 1.25 लीटर दवा 600- 800 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।

सम्पूर्ण जानकारी के लिए क्लिक करें 

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई का लाभ प्राप्त करने हेतु जानकारी

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई का लाभ प्राप्त करने हेतु जानकारी

प्रमुख कार्यक्रम :

 

ड्रिप सिंचाई :

भारत सरकार के ऑपरेशनल गाईडलाइन्स 2017 के अनुसार बागवानी, कृषि एवं गन्ना फसल में अधिक दूरी एवं कम दूरी वाली फसलों के 14 विभिन्न लेटरेल स्पेसिंग के आधार पर उपयुक्त फसलों में ड्रिप सिंचाई पद्धति को लगाकर उन्नतिशील उत्पादन एवं जल संचयन किया जा सकेगा ।

 

स्प्रिंकलर सिंचाई

मटर, गाजर, मूली , विभिन्न प्रकार की पत्तेदार सब्जियाँ ,दलहनी फसलें , तिलहनी फसलें , अन्य कृषि फसलें,औषधीय एवं सगंध फसलों में मिनी स्प्रिंकलर, माइक्रो स्प्रिंकलर,सेमी परमानेन्ट, पोर्टेबल एवं लार्ज वैक्यूम स्प्रिंकलर(रेनगन) द्वारा सरलता से सिंचाई प्रबन्धन किया जा सकेगा ।

मानव संसाधन विकास

योजनान्तर्गत लाभार्थी कृषकों के 2 दिवसीय प्रशिक्षण , प्रदेश से बाहर कृषक भ्रमण एवं मण्डल स्तर पर कार्यशाला / गोष्ठी का आयोजन कर इस विधा के अंगीकरण हेतु लाभार्थी कृषकों के लिये तकनिकी जानकारी एवं कौशल अभिवृद्धि की सुविधा उपलब्ध है ।

योजना के लाभार्थी/पात्रता :

  • सभी वर्ग के कृषकों के लिए अनुमन्य है।
  • इच्छुक कृषक के पास स्वयं की भूमि एवं जल स्रोत उपलब्ध हों।
  • सहकारी समिति के सदस्यों, सेल्फ हेल्प ग्रुप, इनकार्पोरेटेड कम्पनीज, पंचायती राज संस्थाओं, गैर सहकारी संस्थाओं, ट्रस्ट्स, उत्पादक कृषकों के समूह के सदस्यों को भी अनुमन्य।
  • ऐसे लाभार्थियों/संस्थाओं को भी योजना का लाभ अनुमन्य होगा जो संविदा खेती (कान्टै्क्ट फार्मिंग) अथवा न्यूनतम 07 वर्ष के लीज एग्रीमेन्ट की भूमि पर बागवानी/खेती करते हैं।
  • एक लाभार्थी कृषक/संस्था को उसी भू-भाग पर दूसरी बार 7 वर्ष के पश्चात् ही योजना का लाभ अनुमन्य होगा।
  • लाभार्थी कृषक अनुदान के अतिरिक्त अवशेष धनराशि स्वयं के स्रोत से अथवा ऋण प्राप्त कर वहन करने हेतु सक्षम व सहमत हों।

निर्माता फर्मों का चयन

ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली स्थापित करने वाली पंजीकृत निर्माता फर्मां में से किसी भी फर्म से कृषक अपनी इच्छानुसार आपूर्ति/स्थापना का कार्य कराने के लिए स्वतंत्र हैं।

निर्माता फर्मों अथवा उनके अधीकृत डीलर/डिस्ट्रीब्यूटर द्वारा बी.आई.एस. मानकों के अनुरूप विभिन्न घटकों की आपूर्ति करना अनिवार्य होगा और न्यूनतम 3 वर्ष तक फ्री ऑफ्टर सेल्स सर्विस की सुविधा की व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी।

अनुदान भुगतान :

निर्माता फर्मां के स्वयं मूल्य प्रणाली के आधार पर भारत सरकार द्वारा निर्धारित इकाई लागत के सापेक्ष जनपद स्तरीय समिति द्वारा भौतिक सत्यापन के उपरान्त अनुदान की धनराशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांस्फर (डी.वी.टी.) द्वारा सीधे लाभार्थी के खाते में अन्तरित की जायेगी।

पंजीकरण कैसे करायें

उत्तरप्रदेश में पंजीकरण करवाने के लिए क्लिक करें

मध्यप्रदेश में पंजीकरण करवाने के लिए क्लिक करें 

हरयाणा में पंजीकरण करवाने के लिए क्लिक करें 

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छत्तीसगढ़ में पंजीकरण करवाने के लिए क्लिक करें 

 

  • पर अपना पंजीकरण कराकर प्रथम आवक प्रथम पावक के सिंद्धात पर योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं ।
  • पंजीकरण हेतु किसान के पहचान हेतु आधार कार्ड, भूमि की पहचान हेतु खतौनी एवं अनुदान की धनराशि के अन्तरण हेतु बैंक पासबुक के प्रथम पृष्ठ की छाया प्रति अनिवार्य है।
  • यदि ऑनलाइन पंजीकरण में किसी प्रकार की समस्या है तो नजदीकी उद्यानिकी या कृषि विभाग में संपर्क करें I