फसल उत्पादन में अच्छे बीजों का होना बहुत ही आवश्यक है, जिसके चलते सरकार द्वारा किसानों को अनुदान पर उन्नत किस्मों के प्रमाणित बीज अनुदान पर दिए जाते हैं। इसके लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं भी चलाई जा रही है। इस कड़ी में केंद्र सरकार ने किसानों के हित में “राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन” के दिशा-निर्देशों में बड़े बदलाव करने की स्वीकृति प्रदान की है। यह स्वीकृति केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण शिवराज सिंह चौहान ने 11 फरवरी के दिन कृषि विभाग की एक महत्वपूर्ण बैठक में दी।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के घटकों में किसानों के हित में कई परिवर्तन किए गए हैं। मिशन के दिशा-निर्देशों में संशोधन करते हुए किसानों और बीज उत्पादकों के लिए सब्सिडी बढ़ाई गई है। मिशन के तहत, पारंपरिक-देशी बीज किस्मों का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रावधान किया गया है, वहीं, पंचायत स्तर पर बीज प्रसंस्करण व भंडारण इकाई स्थापित करने की भी मंजूरी दी गई है। कृषि मंत्री ने समीक्षा बैठक में अफसरों को निर्देश दिए कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए ताकि किसानों का भला हो।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और पोषण मिशन का उद्देश्य
सरकार के द्वारा योजना में किए गए परिवर्तन के बाद अब “बीज और रोपण सामग्री” उप मिशन सहित “राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और पोषण मिशन (NFSNM) अब कृषि संवर्धन योजना का एक घटक होगा। इस मिशन के निम्न उद्देश हैं:-
- इस मिशन का उद्देश्य देश के चिन्हित जिलों में सतत् तरीके से क्षेत्र विस्तार और उत्पादकता वृद्धि के माध्यम से चावल, गेहूं, दलहन, मोटे अनाज (मक्का व जौ) व पोषक अनाज (श्री अन्न) का उत्पादन बढ़ाना है।
- व्यक्तिगत खेत स्तर पर मिट्टी की उर्वरता व उत्पादकता बहाल करना।
- किसानों में विश्वास बहाल करने के लिए कृषि स्तरीय अर्थव्यवस्था को बढ़ाना तथा कुशल बाजार संपर्कों के माध्यम से किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्ति के लिए खेत पर फसलोपरांत मूल्य संवर्धन को बढ़ाना और बीज प्रतिस्थापन दर और किस्म प्रतिस्थापन दर को बढ़ाना एवं देश के बीज क्षेत्र के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर ढांचे में सुधार करना।
बीजों पर सब्सिडी बढ़ाने को दी गई मंजूरी
समीक्षा बैठक में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नई प्रजातियों के प्रदर्शन, प्रमाणित बीज उत्पादन एवं प्रमाणित बीज वितरण के घटकों में किसानों के लिए सब्सिडी बढ़ाने की मंजूरी दी है। इसके साथ ही जलवायु अनुकूल, बायो-फोर्टिफाइड और उच्च उपज देने वाली किस्मों के उत्पादन को प्राथमिकता दी जाएगी। मिशन के सभी प्रावधानों पर डिजिटली मानीटरिंग की जाएगी। कृषि मैपर और साथी पोर्टल की सहायता भी इसमें ली जाएगी। कृषि मंत्री ने कहा कि स्कीम का फायदा किसानों को पूरी तरह से मिलना सुनिश्चित किया जाएं व स्कीम के केंद्र में किसान ही हों।
पारंपरिक किस्मों के उत्पादन को भी दिया जाएगा बढ़ावा
मिशन में नई उन्नत किस्मों से साथ ही पारंपरिक किस्मों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भी प्रावधान किए गए हैं। कृषि मंत्री ने कहा कि क्योंकि ये पारंपरिक किस्में फसल विकास, स्थानीय अनुकूलन, पोषण मूल्य व अन्य महत्वपूर्ण विशेषताओं में रणनीतिक महत्व रखती हैं। पारंपरिक किस्मों की पहचान, सूचीकरण, उनके उत्पादन के मुख्य क्षेत्रों की पहचान, जियो टैगिंग, उनके उत्पादन में वृद्धि, उनके उत्पादों को लोकप्रिय बनाने और उनकी विपणन क्षमता बढ़ाने जैसे समग्र दृष्टिकोण के साथ पारंपरिक किस्मों को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है। इसलिए, इस घटक में उनके बीज वितरण, उत्पादन, विभिन्न पहलुओं में क्षमता निर्माण व पीपीवीएफआरए व राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण द्वारा पंजीकृत ऐसी किस्मों के बीज बैंक के निर्माण/विकास पर सहायता/प्रोत्साहन का प्रावधान है।
ग्राम पंचायत स्तर पर किया जाएगा भंडारण
योजना के तहत किए गए संशोधन दिशा-निर्देशों में ग्राम पंचायत स्तर पर बीज प्रसंस्करण एवं भंडारण इकाई का प्रावधान भी किया गया है। इसके तहत ग्राम पंचायत स्तर पर बीज प्रसंस्करण एवं भंडारण इकाई को पुनर्जीवित करने की स्वीकृति भी दी गई है। ताकि देशभर के किसानों के आसपास के क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर बीज प्रसंस्करण, सफाई, ग्रेडिंग, पैकेजिंग व भंडारण कार्य किया जा सके।
गैर पारंपरिक तरीके से आलू बीज उत्पादन के लिए नए घटक के निर्देशों को भी केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने मंजूरी प्रदान की है, वहीं बीज उत्पादन, विधायन, प्रमाणीकरण एवं टेस्टिंग से जुड़ी विभिन्न सरकारी एजेंसियों को दी जाने वाली सहायता में भी वृद्धि की गई है, ताकि वे सशक्त होकर बेहतर कार्य कर सकें।