नवीनतम लेख

समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए किसान इस तरह करें स्लॉट की बुकिंग

देश के अधिकांश राज्यों में अभी समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी का काम चल रहा है। इस कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार ने गेहूं ख़रीदी की अंतिम तारीख को भी आगे बढ़ा कर 20 मई तक कर दिया है। ऐसे में जो भी किसान एमएसपी पर गेहूं बेचना चाहते हैं उन्हें स्वयं ही पोर्टल पर जाकर स्लॉट बुक करना होगा। जिसके बाद किसान निर्धारित तारीख और समय पर गेहूं बेचने के लिए खरीद केंद्र पर ले जा सकेंगे। बिना स्लॉट बुकिंग के किसानों से गेहूं नहीं खरीदा जाएगा।

मध्य प्रदेश सरकार ने इस साल किसानों से गेंहू खरीद के लिए एसएमएस भेजने का सिस्टम को बंद कर दिया है। अब किसानों से स्लॉट बुकिंग के आधार पर ही गेहूं की खरीद की जा रही है। ऐसे में जो किसान एमएसपी पर गेहूं बेचना चाहते हैं वे किसान ई-उपार्जन पोर्टल पर स्वयं ही स्लॉट बुक कर सकते हैं।

किसान ऐसे करें स्लॉट की बुकिंग

राज्य में किसानों को गेहूं स्लॉट की बुकिंग के लिए सबसे पहले mpeuparjan.nic.in पोर्टल पर जाना होगा। इसके बाद किसान को किसान स्लॉट बुकिंग (गेहूं)” ऑप्शन पर क्लिक करना होगा। यहाँ किसान को अपना पंजीयन कोड दर्ज करना होगा। कोड दर्ज करने पर पंजीकृत मोबाइल नम्बर पर ओटीपी प्राप्त होगा। ओटीपी दर्ज करने के बाद किसान तहसीलउपार्जन केन्द्र तथा उपज बिक्री का दिनांक दर्ज करें। इसके बाद स्लॉट बुक पर सबमिट करें। पोर्टल पर पंजीकृत किसान द्वारा बुक किए गए स्लॉट की जानकारी प्रदर्शित होगी। किसान इसका प्रिंट निकलवा सकते हैं।

कहाँ से करें स्लॉट की बुकिंग

किसान अपने एन्ड्रॉयड फोनलोक सेवा केन्द्रग्राम पंचायतएमपी ऑनलाइन के कियोस्क सेंटरउपार्जन केन्द्र तथा इंटरनेट कैफे का उपयोग कर गेंहू उपार्जन के लिए स्लॉट बुक कर सकते हैं। किसान प्रतिदिन सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक तथा दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे के बीच स्लॉट बुक कर सकते हैं। किसान द्वारा बुक किए गए स्लॉट की वैधता तीन कार्य दिवस की होगी। जिस तहसील में किसान की भूमि है उस तहसील के किसी भी खरीदी केन्द्र में अपना गेंहू बेच सकते हैं।

बता दें कि इस वर्ष गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि की MSP 2275 रुपये प्रति क्विंटल है जिस पर मध्य प्रदेश सरकार की ओर से किसानों को 125 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बोनस दिया जाएगा। इस तरह किसानों को गेहूं के भाव 2400 रुपये प्रति क्विंटल मिलेगा।

किसान अधिकृत विक्रेता से ही खरीदें खाद-बीज और दवा, साथ ही लें पक्का बिल

हर साल नकली और मिलावटी खाद-बीज और दवा से किसानों को काफी नुकसान होता है। ऐसे में किसानों को इस नुकसान से बचाया जा सके इसके लिए कृषि विभाग की और से अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें विभिन्न प्रतिष्ठानों पर उपलब्ध खाद बीज और उर्वरक की जाँच की जा रही है साथ ही अमानक खाद-बीज और दवा मिलने पर प्रतिष्ठान का लाइसेंस भी निरस्त किए जा रहे हैं।

इस कड़ी में राजस्थान के नागौर जिले के संयुक्त निदेशक (कृषि विस्तार) हरीश मेहरा के निर्देशानुसार नक़ली बीज की सूचना पर रविवार को कृषि विभाग के अधिकारी गोटान पहुँचे। उन्होंने कृषि आदान विक्रेता की दुकानों पर बीज की जाँच कर क्षेत्र में नकली बीज की जानकारी लेते हुए किसानों को जागरूक करने का काम किया। इस अवसर पर सहायक कृषि निदेशक कृषि शंकरराम ने बताया कि जिले में कपास बुआई का समय शुरू हो गया है। ऐसे में किसान अधिकृत विक्रेता से ही बीज, दवा एवं उर्वरक खरीदें।

खाद-बीज और दवा लेते समय इन बातों का रखें ध्यान

सहायक कृषि निदेशक ने बताया कि बीटी कपास का बीज खरीदते समय किसान दुकानदार से पक्का बिल अवश्य प्राप्त करें। साथ ही किसी भी प्रकार का बीज, दवाई एवं उर्वरक ऑनलाइन मंगाने से बचें। ऑनलाइन ख़रीद एवं घूम-घूम कर बेचने वाले लोगों के द्वारा नक़ली बीज, दवाई एवं उर्वरक देने की संभावना ज्यादा रहती है। कोई भी बीज दवा या उर्वरक खरीदने से पहले किसान कृषि विभाग के कृषि विशेषज्ञ से सलाह लेकर ही अधिकृत विक्रेता से आदान प्राप्त करें। बिल प्राप्त करते समय बिल पर आदान का पूरा नाम, निर्माण तिथि, तिथि व उसका लॉट नंबर अवश्य लिखा हुआ हो। किसान बिल पर हस्ताक्षर अवश्य करें।

इसके अलावा कहीं भी घर-घर जाकर नक़ली बीज, दवाई एवं उर्वरक बेचने वाले व्यक्ति पर नजर आये तो कृषि विभाग को सूचित करें ताकि नकली आदानों पर अंकुश लगाया जा सके। दुकानदारों को भी निर्देश दिये हैं कि खरीदे गये आदान के बिल वाउचर, स्टॉक रजिस्टर, बिल बुक व आदान परिसर पर मूल्य की सूची अवश्य अपडेट करें। किसानों को गुणवत्ता पूर्ण आदान उपलब्ध करायें।

चना और सरसों की तुलाई में वजन और नमी को लेकर राजफैड ने कही यह बात

देश के अधिकांश राज्यों में अभी गेहूं के साथ-साथ रबी की अन्य मुख्य फसलों जैसे चना, मसूर और सरसों की खरीदी भी की जा रही है। इस कड़ी में राजस्थान में न्यूनतम समर्थन मूल्य चल रही चना और सरसों की खरीद में की जा रही तुलाई को लेकर राजफैड ने स्पष्टीकरण दिया है। राजफैड ने बारदाना के वजन और उपज में नमी को लेकर स्थिति साफ कर दी है। राजफ़ैड के मुताबिक़ नये और पुराने बारदाने के वजन में अन्तर होता है जिसके अनुसार ही तुलाई मान्य होगी।

इस संबंध में राजफैड के प्रबंध निदेशक नारायण सिंह ने बताया कि सरसों खरीद में प्रयोग में लिये जा रहे पिछले वर्ष के बारदाना का वजन 989 ग्राम है जबकि नये बारदाना का वजन 775 ग्राम है। इसलिये गत वर्ष के बारदाना के साथ सरसों की तुलाई करते समय 50 किलो 989 ग्राम तथा नये बारदाना के साथ 50 किलो 775 ग्राम की ही तुलाई मान्य है।

सरसों में कितनी नमी होगी मान्य

राजफैड के प्रबंध निदेशक ने जानकारी देते हुए बताया कि सरसों में नमी की मात्रा अधिकतम 8 प्रतिशत तक ही मान्य है। उन्होंने सभी खरीद केन्द्र प्रभारियों को निर्देश दिये हैं कि खरीद केन्द्रों पर एफ.ए.क्यू. से संबंधित मापदण्डों का स्पष्ट रूप से प्रकाशन करवाया जाना सुनिश्चित करें ताकि किसानों को किसी प्रकार की परेशानी न हो।

प्रबंध निदेशक ने बताया कि समर्थन मूल्य पर सरसों या चना का विक्रय करने के लिये स्वयं के वाहन से तुलाई कांटे तक लाने के लिये लगने वाली मजदूरी का भुगतान संबंधित किसान द्वारा ही किया जायेगा। यह मजदूरी राशि संबंधित मण्डी की धारा के अनुसार होगी। उन्होंने कहा कि राज्य में समर्थन मूल्य पर सरसों या चना के विक्रय के संबंध में समस्याओं के निराकरण हेतु हेल्पलाइन नम्बर 18001806030 स्थापित किया हुआ है जहां से किसान खरीद संबंधी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं।

किसान फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए अभी जरुर करायें मिट्टी की जांच

रबी फसलों की कटाई के बाद अभी खेत ख़ाली पड़े हैं, ऐसे में मृदा परीक्षण करवाने के लिए यह समय सबसे उपयुक्त है। मिट्टी की जाँच या मृदा परीक्षण कराकर किसान मृदा में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा, पीएच मान और मृदा में उपलब्ध सूक्ष्म जीवों की संख्या के बारे में जान सकते हैं। जिससे किसान मिट्टी की वर्तमान सेहत के बारे में पता करके उसमें सुधार के लिए आवश्यक कदम उठा सकते हैं और सही अनुपात में पोषक तत्वों (खाद-उर्वरक) का चयन कर सकते हैं। इसके अलावा किसान खेत की मिट्टी के अनुसार फसल चक्र अपना सकते हैं।

मृदा परीक्षण की विधि

मिट्टी की जाँच के लिए किसान को अपने खेत से लगभग 15 स्थानों से 15 से 20 सेंटीमीटर की गहराई तक खुदाई करके खुरपी की सहायता से मिट्टी के नमूने लेने चाहिए। मृदा का नमूना या सैंपल खेत के किनारे किसी खाद वाले स्थान, छायादार स्थान व सिंचाई की नाली के पास से नहीं लेना चाहिए। एक खेत में इकट्ठे किए गए नमूनों को मिट्टी को आपस में अच्छी तरह से मिलाकर अंत में 500 ग्राम मृदा को एक कपड़े की थैली में भरकर पूरे विवरण के साथ मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में भेजें।

प्रयोगशाला में भेजने के बाद मिट्टी की नमूनों की जाँच कम्प्लीट होने पर किसान मृदा स्वास्थ्य कार्ड जरुर प्राप्त करें ताकि अगली फसल में मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर ही अनुशंसित खाद एवं उर्वरक का प्रयोग किया जा सके। मिट्टी की जांच के बाद किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड में फसल विशेष के उत्पादन के लिए भी खाद एवं उर्वरकों की सिफारिश मात्रा की अनुशंसा की जाती है।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड क्या होता है?

खेत की मिट्टी के नमूनों या सैंपल की जाँच के बाद किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) दिया जाता है, यह एक प्रिंटेड कार्ड होता है जिसे किसान को उसके प्रत्येक जोत के लिए दिया जाता है। इसमें 12 पैरामीटरों जैसे एनपीके (मुख्य पोषक तत्व), सल्फर (गौण पोषक तत्व), जिंक, फेरस, कॉपर, मैग्निशियम, बोरान (सूक्ष्म पोषक तत्व) और पीएच, इसी, ओसी (भौतिक पैरामीटर) के संबंध में जानकारी दी जाती है। इसके आधार पर ही मृदा स्वास्थ्य कार्ड में किसानों को खेती के लिए मिट्टी सुधार के लिए उर्वरकों की सिफारिशें की जाती है।

सस्ते में मिल रहे हैं गेंदे की किस्म पूसा बहार के बीज, किसान यहाँ से करें ऑनलाइन ऑर्डर

देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार फल और फूलों की खेती को बढ़ावा दे रही है साथ ही ज्यादा मुनाफा देने के चलते किसान भी इनकी खेती करना पसंद कर रहे हैं। गेंदा भारतीय फूलों में अत्यंत लोकप्रिय है बाजार में इसकी मांग साल भर बनी रहती है जिसके चलते किसान बहुत ही कम समय में गेंदा की खेती से अच्छा पैसा कमा सकते हैं। ऐसे में किसान अच्छी पैदावार के लिए गेंदे की हाइब्रिड किस्म पूसा बहार की खेती कर सकते हैं।

ऐसे में किसानों को गेंदे की किस्म पूसा बहार के बीज आसानी से मिल सके इसके लिए राष्ट्रीय बीज निगम NSC द्वारा किसानों को यह बीज ऑनलाइन उपलब्ध कराया जा रहा है। किसान यह बीज ओएनडीसी के ऑनलाइन स्टोर से ऑर्डर कर घर बैठे खरीद सकते हैं।

पूसा बहार गेंद किस्म की खासियत

यह अफ़्रीकी गेंदा समूह से संबंधित है जिसमें बुआई के 90 से 100 दिन बाद फूल आते हैं। पौधे हृष्ट-पुष्ट होते हैं जिनकी ऊंचाई 75 से 85 सेमी तक होती है। फूल सघन, चपटे, आकर्षक और आकार में बड़े (8-9 सेमी) पीले रंग के होते हैं। किसान गेंदे की इस किस्म से औसतन प्रति पौधा औसतन 50 से 60 फूल प्राप्त कर सकते हैं। अत्यधिक सर्दियों के दौरान यानी जनवरी से मार्च में प्रचुर मात्रा में खिलते हैं। यह सजावट आदि कामों के लिए उपयुक्त है।

देश में गेंदे की खेती वर्ष भर की जा सकती है। वर्षा ऋतु में गेंदे की खेती करने के लिए किसान मध्य जून में बीज की बुआई कर मध्य जुलाई तक पौधों का रोपण कर सकते हैं। वहीं रबी सीजन में इसकी खेती के लिए किसान मध्य सितंबर में बीजों की बुआई करके मध्य अक्टूबर के दौरान इसकी रोपाई कर सकते हैं। इसके अलावा गर्मी में गेंदे की उपज प्राप्त करने के लिए जनवरी-फरवरी के दौरान बीज की बुआई कर फरवरी मार्च में इसके पौधों की रोपाई कर सकते हैं।

किसान कहाँ से खरीदे पूसा बहार के बीज

किसानों की सुविधा के लिए पूसा बहार की किस्म को नेशनल बीज निगम यानि की NSC द्वारा ऑनलाइन उपलब्ध कराया जा रहा है। किसान इसके बीज घर बैठे www.mystore.in से ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं। अगर आप भी गेंदे की उन्नत किस्म पूसा बहार की खेती करना या अपने घर में लगाना चाहते हैं तो पूसा बहार किस्म के 1000 बीज फिलहाल 43 फीसदी की छूट के साथ 2079 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट पर मिल जाएंगे। इसे खरीद कर आप आसानी से गेंदे के फूल की खेती कर बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं।

बोरलॉग संस्थान द्वारा की जा रही है नई तकनीकों से खेती, देखने पहुँचे कलेक्टर

खेती में नई तकनीकों का प्रयोग कर ना केवल उत्पादन लागत में कमी की जा सकती है बल्कि अच्छी पैदावार भी प्राप्त की जा सकती है। इस कड़ी में अंतर्राष्ट्रीय संस्थान बोरलॉग (बीसा) में नई तकनीकों से खेती कर शोध कार्य किए जा रहे हैं जिसको देखने शुक्रवार के दिन जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्‍सेना पहुँचें। उन्होंने कृषि एवं संबद्ध विभागों के द्वारा चलाई जा रही विभिन्न हितग्राही मूलक योजनाओं का निरीक्षण किया। इस दौरान बीसा के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. रवि गोपाल द्वारा संस्थान में किये जा रहे विभिन्न शोध कार्यों की जानकारी दी।

अंतर्राष्ट्रीय संस्थान बोरलॉग (बीसा) में इस तरह की जा रही है खेती

बीसा के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. रवि गोपाल ने कलेक्टर को हैप्पीसीडर से गेहूं के बाद सीधे मूंग की बोनी करना, ड्रोन के द्वारा मूंग की फसल पर नैनो यूरिया एवं डीएपी के छिड़काव का प्रदर्शन, बूमरेन द्वारा कीटनाशक के छिडकाव का प्रदर्शन, ट्रेक्टर के मूल पहिये हटाकर फील्ड में प्लान्ट से प्लांट की दूरी के अनुसार पतले एवं फसल की ऊंचाई से काफी ऊंचे चके ट्रैक्टर में लगाकर इंटर कल्‍चर का प्रदर्शन के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि ट्रेक्टर के पहिये बदलकर नये अटेचमेन्ट से फसल को कोई नुकसान नहीं होता। साथ ही इन्टर कल्चर गतिविधियाँ विधिवत संपादित हो पाती है। इसके साथ ही आलू की फसल के बाद जीरो टिल सीड ड्रिल से मक्के की बोनी का प्रदर्शन दिखाया गया है।

बीसी संस्था प्रमुख द्वारा बताया गया कि, संस्थान में लगभग 1000 विभिन्न किस्मों के गेंहू का बीजू तैयार कर भारत एवं साउथ एशिया के देशो में भेजा जाता है। ट्रैक्टर में मॉडीफाइड पावर ब्रीडर द्वारा खरपतवार नियंत्रण का प्रदर्शन किया गया। कलेक्‍टर ने बोरलॉग इंस्‍टीट्यूट के नवाचार को देखने के बाद डोंडी पिपरिया और धरहर गांव में किसानों द्वारा किये जा रहे कृषि क्षेत्र में किये जा रहे नवाचारों को भी देखा।

ड्रोन से किया गया यूरिया का छिड़काव

कृषि उत्‍पादन बढ़ाने तथा कृषि लागत को कम करने के लिये कृषि क्षेत्र में कृषि उपकरणों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिये निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। इसमें ड्रोन की मदद से नैनो यूरिया का छिड़काव प्रमुख है, जिसमें केवल 500 एमएल की एक बोतल से 1 एकड़ में लगभग 8 मिनट में यूरिया का छिड़काव हो जाता है। इससे लागत, श्रम व समय की बचत होती है। कलेक्‍टर सक्सेना ने ड्रोन द्वारा नैनो यूरिया का छिड़काव प्रदर्शन को देखा और कहा कि किसानों को अपने कृषि लागत, श्रम व समय की बचत के लिये इस तकनीक को अपनाना चाहिये।

नई तकनीकों से मिलते हैं बेहतर परिणाम

कलेक्‍टर ने कहा कि प्राय: परम्‍परागत रूप से किये जाने वाले सभी चीजों को अच्‍छी मानी जाती है। ठीक इसी प्रकार कृषि क्षेत्र में भी है। लेकिन नवीन तकनीकों के प्रयोग से बेहतर परिणाम को प्राप्‍त किया जा सकता है। परंपरागत खेती के स्‍थान पर अब खेत की बिना जुताई किये हैप्‍पी सीडर से बोनी करना निश्चित ही लाभकारी है। इसमें उत्‍पादन में वृद्धि के साथ समय, श्रम और लागत की बचत हो जाती है। अब समय की मांग है कि हैप्‍पी सीडर के संबंध में किसानों को जानकारी दी जाये जिससे वे इसका प्रयोग कर सकें।

पराली से बानई जा रही है ब्रिक्स

कलेक्‍टर सक्‍सेना ने विकासखंड पनागर के ग्राम जटवा में कृषक बृजेश विश्वकर्मा की वर्मी कम्पोस्ट इकाई का निरीक्षण किया। जिसमें किसान बृजेश विश्वकर्मा द्वारा बताया गया कि परियट में उत्पन्न लगभग 70 ट्रॉली गोबर को प्रत्येक दिन एकत्रित करके वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण किया जा रहा है। वर्मी कम्पोस्ट जैविक खेती में उपयोग किया जाता है, साथ ही गेंहू की पराली को एकत्रित करके ब्रिक्‍स का निर्माण किया जा रहा है। ब्रिक्‍स का उपयोग रेल्वे में कम्बल, बेड शीट की स्टीम वॉश के लिये उपयोग किया जाता है। पराली से निर्मित ब्रिक्‍स कोयले का एक विकल्‍प है।

पहली बार तिल और मूंगफली कि की जा रही है खेती

इस अवसर पर ग्राम सरसवां में कृषि विभाग द्वारा किसान प्रहलाद पटेल के खेत पर तिल का प्रदर्शन का अवलोकन कलेक्टर सक्‍सेना द्वारा किया गया। उप संचालक कृषि रवि कुमार आम्रवंशी द्वारा बताया गया है कि, जबलपुर जिले में पहली बार ग्रीष्मकालीन फसल के रूप में 100 हेक्टेयर में तिल एवं 100 हेक्टेयर में मूंगफली के प्रदर्शन नवाचार के रूप में कृषको के खेतो में आयोजित किये गये हैं।

सोयाबीन, तिल, मूंगफली जैसी तिलहनी की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे कम मात्रा में तेल का आयात किया जा सके। कलेक्टर के भ्रमण के समय परियोजना संचालक आत्मा एस.के. निगम्, उप संचालक कृषि श्री रवि कुमार आम्रवंशी, उप संचालक उद्यान श्रीमती नेहा पटेल, उप संचालक पशुपालन श्री मून, सहायक संचालक मत्स्य पालन श्री तरूण पटेल अनुविभागीय कृषि अधिकारी प्रतिभा गौर, सहायक संचालक कृषि कीर्ति वर्मा सहित अन्‍य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए ऑफलाइन गिरदावरी कर तुरंत पंजीकरण करा सकते हैं किसान

अभी देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गेहूं खरीदी का काम जोरों पर चल रहा है। ऐसे में गेहूं खरीद के सरकारी लक्ष्य को पूरा किया जा सके इसके लिए इस बार सरकार द्वारा गेहूं खरीद में किसानों को कई छूट दी गई है। साथ ही किसान आसानी से अपना पंजीयन कराकर एमएसपी पर गेहूं बेच सकें इसके लिए किसान पंजीकरण में भी छूट दी जा रही है। राजस्थान में अब किसान ऑफलाइन गिरदावरी प्राप्त कर तुरंत पंजीकरण करवा सकते है।

बता दें कि इस वर्ष केंद्र सरकार द्वारा गेहूं का समर्थन मूल्य यानि की एमएसपी 2275 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है जिसके उपर राज्य सरकार किसानों को 125 रुपये प्रति क्विंटल बोनस देगी। इस प्रकार किसानों को प्रति क्विंटल 2400 रुपये का भुगतान किया जाएगा। इस बार राजस्थान में किसानों को भारतीय खाद्य निगम द्वारा 48 घंटो से पहले ही उनके जन आधार लिंक खाते में गेहूं खरीद का भुगतान किया जा रहा है।

किसान MSP पर गेहूं बेचने के लिए करा सकते हैं पंजीयन

राजस्थान में रबी विपणन वर्ष 2024-25 के लिए समर्थन मूल्य पर गेंहू खरीद का काम दिनांक 10 मार्च से शुरू हो चुका है जो कि दिनांक 30 जून तक अनवरत रूप से जारी रहेगा। इसके लिए सरकार द्वारा पंजीकरण प्रक्रिया दिनांक 20 जनवरी से प्रारंभ कर दी गयी थी जो दिनांक 25 जून तक जारी रहेगी। अगर किसी किसान भाई ने अभी तक पंजीकरण नहीं करवाया है तो हाथों हाथ अपना पंजीकरण करवा सकता है इसके लिए आवश्यक दस्तावेज लेकर किसान खरीद केंद्र पर जाकर तुरंत अपना पंजीकरण करवा सकते हैं। इस काम में खरीद केंद्र पर पदस्थापित कर्मचारी आपकी पूरी मदद करेंगे।

गेहूं खरीद में दी गई छूट

बीते दिनों कई इलाकों मे पाला पड़ने व मावठ कम होने से दाने अपरिपक्व रह गए थे और फसल पकाई के समय हवा व तेज धूप के कारण गेंहू की चमक कम रही ऐसे मे किसानों को समर्थन मूल्य पर उपज बेचने मे दिक्कत हो रही थी जिसको देखते हुए केंद्र के खाद्य मंत्रालय ने गेंहू के गुणवत्ता मापदण्डों मे छूट दी है। अपरिपक्व व टूटे सिकुड़े हुए दाने के गेंहू की अधिकतम सीमा 6 प्रतिशत निर्धारित थी जिसे अब 20 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है वहीं गेंहू की चमकहीन की सीमा 70 प्रतिशत तक कर दी गई है।

सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए किसानों को करना होगा ऑनलाइन पंजीयन

देश में किसान हित में केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं। ऐसे में अधिक से अधिक किसानों को पारदर्शिता के साथ इन सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा अब किसानों का पंजीकरण ऑनलाइन कराया जा रहा है। इस कड़ी में मध्यप्रदेश सरकार ने सभी किसानों को ऑनलाइन ही योजनाओं के आवेदन की व्यवस्था शुरू की है। इसके लिए राज्य के किसानों को एमपी किसान एप पर ऑनलाइन अपना पंजीकरण कराना होगा।

इस संबंध में टीकमगढ़ एवं निवाड़ी जिले के कृषि उप संचालक अशोक कुमार शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि विभाग में संचालित विभिन्न हितग्राही मूलक योजनाओं का लाभ लेने के लिए शासन के नए दिशा निर्देशों के अनुसार राज्य के सभी किसानों को ऑनलाइन पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। ऐसे में सभी किसानों को सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ लेने के लिए “MP Kisan App” पर ऑनलाइन पंजीकरण करना होगा।

पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज

किसानों को एप पर पंजीकरण या आवेदन के लिए सबसे पहले कृषक प्रोफाईल बनाना होगा। इसके लिए किसानों के पास आधार नम्बर, भूमि से संबंधित जानकारी (खसरा/जिला, तहसील, ग्राम), समग्र आईडी, कृषक का जाति प्रमाण पत्र (यदि आवेदक अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति का हो), मोबाईल नम्बर, आधार से लिंक नम्बर वाला मोबाइल ओटीपी आधारित वेरीफिकेशन के लिए, किसान के सक्रिय बैंक खाते की जानकारी, विद्युत कनेक्शन होने की स्थिति में आईव्हीआरएस नम्बर की आवश्यकता होगी। वहीं वन अधिकार अंतर्गत भूमि धारक कृषक को एमपी किसान पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण करा सकते हैं।

किसान इस तरह करें अपना पंजीयन

राज्य के सभी किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन MP Kisan App पर पंजीकरण कराना होगा। किसान यह पंजीकरण स्वयं कंप्यूटर या मोबाईल से कर सकते हैं अथवा कृषक मित्र/कॉमन सर्विस सेंटर, कृषि विस्तार अधिकारियों, अन्य प्रसार कार्यकर्ताओं आदि से कहकर किसान अपनी कृषक की प्रोफाईल तैयार करा सकते हैं।

बता दें कि मध्य प्रदेश में पहले ही कृषि यंत्रों, सिंचाई यंत्रों सहित उद्यानिकी विभाग की योजनाओं को ऑनलाइन किया जा चुका है। जिससे किसान सीधे ही इन पोर्टल पर पंजीकरण कर विभिन्न योजनाओं का लाभ ले सकते हैं। वहीं अब किसान एमपी किसान एप पर अपना पंजीकरण कराकर सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ भी ले सकेंगे। योजनाओं का क्रियान्वयन ऑनलाइन होने से किसानों को अनुदान की राशि सीधे ही उनके बैंक खाते में भेजी जा सकेगी।

जानिए मई महीने में कैसा रहेगा मौसम, पड़ेगी गर्मी या होगी बारिश; मौसम विभाग ने जारी किया पूर्वानुमान

Weather Update: मई महीने में गर्मी, लू और बारिश का पूर्वानुमान

इस वर्ष जहां देश के दक्षिणी राज्य तेज गर्मी और लू से बेहाल हैं तो वहीं उत्तर एवं मध्य भारतीय राज्यों में अभी गर्मी का उतना असर देखने को नहीं मिला है। अप्रैल महीने में लगातार आये पश्चिमी विक्षोभ से अधिकांश उत्तर भारतीय राज्यों में बारिश से लोगों को बीच-बीच में गर्मी से राहत मिलती रही है। इस बीच भारतीय मौसम विभाग विभाग IMD ने मई 2024 के लिए मौसम का पूर्वानुमान जारी कर दिया है।

मौसम विभाग के मुताबिक मई महीने के दौरान देश के अधिकांश हिस्सों में अच्छी गर्मी पड़ने की संभावना है और उष्ण लहर यानि कि लू भी 5 से 8 दिनों तक चलेगी। वहीं बात की जाये वर्षा की तो देश के अधिकांश हिस्सों में मई महीने के दौरान सामान्य वर्षा होने की संभावना है।

गर्मी तोड़ेगी रिकॉर्ड

इस बार मई महीने में दिन और रात दोनों समय रिकॉर्ड गर्मी पड़ेगी। मौसम विभाग के मुताबिक़ पूर्वोत्तर भारत के अधिकतर भागों और उत्तर पश्चिमी भारत और मध्य भारत के कुछ हिस्सों को छोड़ दिया जाये तो देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। वहीं बात की जाए दक्षिण भारत की तो पूर्वोत्तर प्रायदीपीय क्षेत्र को छोड़कर वहाँ भी सामान्य से अधिक तापमान ही रहेगा। इसके अलावा उत्तर पश्चिमी भारत के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर, भारतीय गंगीय मैदानी इलाक़ों, मध्य भारत और पूर्वोत्तर भारत को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है।

वहीं बात की जाए लू यानि की उष्ण लहर की तो, दक्षिणी राजस्थान, पश्चिम मध्य प्रदेश, विदर्भ, मराठवाडा और गुजरात के क्षेत्रों में मई महीने के दौरान 5 से 8 दिनों तक चलेगी। इसके अलावा राजस्थान के शेष हिस्से, पूर्वी मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ के कुछ भागों में, आंतरिक उड़ीसा, गांगेय पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तरी कर्नाटक तेलंगाना, उत्तरी तमिलनाडु, आन्ध्रप्रदेश के कुछ हिस्सों में 2 से 4 दिनों तक लू चलने की संभावना है।

मई महीने में कैसी होगी बारिश

मौसम विभाग के मुताबिक़ देश में मई महीने के दौरान औसत वर्षा सामान्य ही रहेगी। जो एलपीए का 91 से 109 प्रतिशत तक है। मई महीने में उत्तर पश्चिमी भारत के अधिकांश हिस्सों, मध्य भारत के कुछ हिस्सों, दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत और पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से लेकर सामान्य से अधिक वर्षा हो सकती है। वहीं देश के शेष हिस्सों में सामान्य से नीचे वर्षा होने की संभावना है।

किसान इस साल करें धान की किस्म सबौर मंसूरी की खेती, कम खर्च में मिलेगा डेढ़ गुना से ज्यादा उत्पादन

धान की किस्म सबौर मंसूरी

धान की नर्सरी डालने का समय नजदीक आता जा रहा है, ऐसे में जहां किसान धान की उन्नत किस्मों की जानकारी हासिल करने में लगे हैं तो वहीं कृषि विभाग एवं कृषि वैज्ञानिकों द्वारा भी किसानों को धान की नई उन्नत किस्में लगाने की सलाह दी जा रही है। ऐसे में इस साल किसान अधिक पैदावार के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित धान की नई उन्नत किस्म सबौर मंसूरी की खेती कर सकते हैं।

कम पानी, उर्वरक और कम खर्च में सामान्य धान की तुलना में धान की नई वेराइटी सबौर मंसूरी से किसानों को लगभग डेढ़ गुना ज्यादा उत्पादन मिलेगा। केंद्र से इस वेराइटी की अधिसूचना एक महीने में जारी हो जाएगी, जिससे किसान इस खरीफ सीजन में इस किस्म की खेती कर सकेंगे।

कई वर्षों के परीक्षण के बाद किसानों के लिए जारी होगी किस्म

पिछले 4 वर्षों तक बिहार सहित देश के 19 राज्यों में अखिल भारतीय समन्वित धान सुधार परियोजना के तहत 125 केंद्रों पर परीक्षण किया गया है। बिहार में इसका परीक्षण किशनगंज, सहरसा, मधेपुरा, भागलपुर, लख़ीसराय, बेगूसराय, बक्सर, औरंगाबाद, गया, रोहतास और पटना में किया गया। जाँच में वैज्ञानिकों ने बेहतर परिणाम सामने आने के बाद ही केंद्रीय प्रभेद चयन समिति द्वारा इसकी अनुशंसा की गई है। धान के नये प्रभेद की खोज बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने की है। वनस्पति अनुसंधान इकाई विक्रमगंज के वैज्ञानिक डॉ. प्रकाश सिंह और डॉ. कमलेश कुमार सहित वैज्ञानिकों की टीम ने धान की इस नई प्रजाति की खोज की है।

सबौर मंसूरी धान की उत्पादन क्षमता

देश के 9 राज्य सबौर मंसूरी धान की खेती के लिए अनुकूल हैं, इसमें बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना और पांडिचेरी राज्य शामिल हैं। किसान इस धान के बीज को बिना रोपनी के सीधे भी लगा सकते हैं। धान की इस किस्म की औसत उपज क्षमता 65 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। वहीं धान की इस किस्म से अधिकतम 122 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। वहीं बिहार में किसानों के खेतों में किए गए प्रयोग में इस किस्म से औसतन 107 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज प्राप्त हुई है।

सबौर मंसूरी धान मौसम के अनुकूल वेरायटी है। सीधी बुआई और कठिन परिस्थिति में भी 135-140 दिनों में यह किस्म 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से ज्यादा का उत्पादन देती है। इस वेराइटी के पौधे में औसतन 18 से 20 कल्ले होते हैं। इसमें 29 सेंटीमीटर की बालियाँ होती हैं। इसमें 300 से अधिक दाने पाये गये हैं। दाने का रंग सुनहरा होता है। यह नाटी मंसूरी के दाने जैसा होता है।

सबौर मंसूरी किस्म की खासियत क्या है?

धान की सबौर मंसूरी किस्म में रोग प्रतिरोधक क्षमता सबसे अधिक है जिससे इस किस्म में कीट और रोग दोनों ही कम लगते हैं। जीवाणु झुलसा, झोंका रोग के प्रति यह क़िस्म मध्यम प्रतिरोधी है। तना छेदक एवं भूरा पत्ती लपेटक कीट के प्रति सहनशील है। साथ ही इसका तना भी बहुत मजबूत है, जिससे ये बदलते जलवायु में बार-बार आने वाले आँधी तूफान में नहीं गिरेगी। कीट एवं रोग कम लगने एवं सीधी बुआई आदि गुणों के कारण किसान इस किस्म से कम पानी, कम खर्च और कम खाद-उर्वरक में भी अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।