भोरमदेव शक्कर कारखाने द्वारा गन्ना किसानों को किया गया 44.99 करोड़ रुपये का भुगतान

देश की विभिन्न चीनी मिलों द्वारा अभी गन्ना पेराई का काम किया जा रहा है। इस क्रम में किसानों द्वारा चीनी मिलों को गन्ने की आपूर्ति की जा रही है। ऐसे में किसानों को समय पर भुगतान किया जा सके इसके लिए सरकार द्वारा चीनी मिलों को निर्देश दिए गए हैं। इस कड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार के निर्देश पर भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना मर्यादित, कवर्धा ने पेराई सत्र 2024-25 के अंतर्गत अब तक गन्ना किसानों को कुल 44 करोड़ 99 लाख रुपये का भुगतान किया है।

भोरमदेव चीनी मिल प्रबंधन ने गन्ना उत्पादक किसानों से अपील की है कि वे परिपक्व, साफ-सुथरा, बिना अगवा और बिना जड़ वाला गन्ना आपूर्ति करें। इससे शक्कर की रिकवरी दर में वृद्धि होगी, जिससे किसानों को बेहतर लाभ मिलेगा।

किसानों को अब तक किया गया 1210 करोड़ रुपये का भुगतान 

अपनी स्थापना से अब तक भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना गन्ना किसानों को समर्थन मूल्य, रिकवरी और बोनस मिलाकर लगभग 1210 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है, जिससे क्षेत्र के किसानों की आर्थिक और सामाजिक उन्नति को नई दिशा मिली है। कारखाना प्रबंधन का मुख्य उद्देश्य किसानों के हितों को प्राथमिकता देना और उनके आर्थिक सशक्तिकरण को सुनिश्चित करना है। समय पर भुगतान मिलने से किसानों का कारखाने और शासन-प्रशासन पर विश्वास लगातार बढ़ रहा है।

किसान सीधे कारखाने में करें गन्ने की आपूर्ति

वर्तमान पेराई सत्र 2024-25 में, कारखाने ने अब तक 2.72 लाख मीट्रिक टन गन्ने की पेराई कर 2.48 लाख क्विंटल शक्कर का उत्पादन किया है। इस उपलब्धि का श्रेय गन्ना उत्पादक किसानों के सहयोग, उनकी मेहनत और कारखाना प्रबंधन के कुशल संचालन को जाता है। कारखाना प्रबंधन ने गन्ना किसानों से अपील की है कि वे अपने गन्ने की आपूर्ति सीधे शक्कर कारखाने में करें, ताकि उन्हें समय पर उचित मूल्य प्राप्त हो सके।

सस्पेंस खत्म: किसानों को इस दिन जारी की जाएगी पीएम किसान योजना की 19वीं किस्त

देश भर के किसानों के लिए खुशखबरी है, सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PMKisan) की अगली किस्त यानि 19वीं किस्त किसानों को जारी करने के लिए तारीख का ऐलान कर दिया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 19वीं किस्त का हस्तांतरण किसानों को 24 फरवरी 2025 के दिन किया जाएगा। इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के भागलपुर जिले से एक कार्यक्रम में देश के किसानों को पीएम किसान योजना की किस्त जारी करेंगे। इस दिन देश के करोड़ों किसानों को 2000 रुपये की किस्त मिलेगी।

24 फ़रवरी को प्रधानमंत्री मोदी पीएम किसान योजना के अंतर्गत देश के 9.7 करोड़ किसानों को 21,000 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि जारी करेंगे। साथ ही प्रधानमंत्री इस दिन बिहार एवं देश के किसानों के लिए कई अन्य योजनाओं की घोषणा भी कर सकते हैं। पीएम किसान योजना की अगली किस्त का अग्रिम लाभ उठाने के लिए किसान eKYC का काम जरूर करवा लें।

अक्टूबर में दी गई थी किसानों को 18वीं किस्त

इससे पहले किसानों को 18वीं किस्त का वितरण 5 अक्टूबर 2024 के दिन किया गया था। प्रधानमंत्री मोदी ने महाराष्ट्र के वाशिम में आयोजित एक कार्यक्रम में पीएम किसान योजना की 18वीं किस्त के तहत लगभग 9 करोड़ 41 लाख किसानों के बैंक खातों में 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि जारी की थी। इसके बाद किसानों को अब 24 फ़रवरी के दिन 9.7 करोड़ किसानों को 19वीं किस्त जारी की जाएगी।

किसानों को अब तक जारी किए गए 3.46 लाख रुपये की राशि

24 फरवरी 2019 को लॉन्च की गई पीएम-किसान योजना के तहत 2000 रुपये की तीन बराबर किस्तों में भूमिधारक किसानों को सालाना 6,000 रुपये प्रदान किए जाते हैं। प्रधानमंत्री ने 5 अक्टूबर को पीएम-किसान योजना की 18वीं किस्त जारी की थी। योजना के तहत अब तक किसानों को 3.46 लाख करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता सीधे उनके बैंक खातों में हस्तांतरित की गई है। इस योजना का उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को खेती की लागत पूरी करने और उनकी आय बढ़ाने में मदद करना है। यह योजना किसानों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है, जिससे वे कृषि के क्षेत्र में अधिक उत्पादक और आत्मनिर्भर बन सकें। जिन किसानों को अब तक सभी 18 किस्तें मिली है उन किसानों को योजना के तहत अभी तक कुल 36,000 रुपये की राशि मिल चुकी है।

सब्सिडी पर यह कृषि यंत्र लेने के लिए किसान 18 फरवरी तक करें आवेदन

देश में अधिक से अधिक किसान कृषि यंत्रों का उपयोग कर खेती-किसानी के कामों को आसान बनाने के साथ ही अपनी आमदनी बढ़ा सकें इसके लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जाता है। इसके लिए अलग-अलग राज्य सरकारों के द्वारा किसानों से समय-समय पर आवेदन मांगे जाते हैं, जिसके बाद चयनित किसानों को कृषि यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है।

इस कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में किसानों से विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्रों पर अनुदान उपलब्ध कराने के लिए आवेदन मांगे गए हैं। किसान इन यंत्रों को सब्सिडी पर प्राप्त करने के लिए 18 फरवरी 2025 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। जिसके बाद 19 फरवरी 2025 दिन लॉटरी के माध्यम से किसानों का चयन किया जाएगा। विभिन्न कृषि यंत्रों पर अनुदान का लाभ प्राप्त करने के लिए किसानों को बैंक से डिमांड ड्राफ्ट बनवाकर आवेदन करना होगा। जिसकी जानकारी नीचे दी गई है।

इन कृषि यंत्रों पर अनुदान के लिए किसान कर सकते हैं आवेदन

कृषि अभियांत्रिकी विभाग, मध्य प्रदेश द्वारा विभिन्न कृषि यंत्रों पर अनुदान उपलब्ध कराने के लिए लक्ष्य जारी किए गए हैं। जो इस प्रकार है:

  1. पॉवर वीडर,
  2. पॉवर टिलर (8 HP से अधिक)
  3. पॉवर हैरो,
  4. श्रेडर/ मल्चर,
  5. स्ट्रॉ रीपर,
  6. रीपर (स्व-चलित/ ट्रैक्टर चलित)।

कृषि यंत्रों पर कितना अनुदान (Subsidy) मिलेगा?

प्रदेश में किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराने के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं। जिसमें महिला तथा पुरुष वर्ग, जाति वर्ग एवं जोत श्रेणी के अनुसार किसानों को अलग-अलग सब्सिडी दिये जाने का प्रावधान है। इसमें किसानों को 40 से 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है। किसान भाई जो भी कृषि यंत्र अनुदान पर लेना चाहते हैं वे किसान ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर उपलब्ध सब्सिडी कैलकुलेटर पर कृषि यंत्र की लागत के अनुसार उनको मिलने वाली सब्सिडी की जानकारी देख सकते हैं।

किसानों को देना होगा डिमांड ड्राफ्ट (डीडी)

योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को स्वयं के बैंक खाते से धरोहर राशि का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) सम्बंधित जिले के सहायक कृषि यंत्री (सूचि देखने के लिए क्लिक करें) के नाम से बनवाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसमें किसानों को पॉवर वीडर के लिए 3100/- रुपये का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी), पॉवर टिलर के लिए 5000/- रुपये का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी), पॉवर हैरो के लिए 3500/- रुपये का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी), श्रेडर/मल्चर के लिए 5500/- रुपये का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी), स्ट्रॉ रीपर के लिए 10,000/- रुपये का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी), रीपर के लिए 3300/- रुपये का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) बनवाना होगा।

योजना के तहत किसानों का चयन नहीं होने पर डिमांड ड्राफ्ट की राशि वापस कर दी जाएगी। धरोहर राशि (डीडी) के बिना आवेदन मान्य नहीं किया जायेगा। किसान यह डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) ऊपर दी गई कृषि यंत्री की सूची के नाम से बनवा सकते हैं जो अलग-अलग जिले के लिए अलग-अलग है।

आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज

ऊपर दिये गये सभी कृषि यंत्रों के लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। योजना का लाभ लेने के लिए किसानों के पास कुछ आवश्यक दस्तावेज होना आवश्यक है, जिनका इस्तेमाल आवेदन के समय एवं कृषि यंत्र लेने के बाद उसके सत्यापन के समय होगा। जो इस प्रकार है:-

  • आधार कार्ड,
  • मोबाइल नंबर (जिस पर OTP, एवं अन्य आवश्यक सूचना एसएमएस द्वारा भेजी जाएगी),
  • बैंक पासबुक के पहले पेज की छाया प्रति,
  • डिमांड ड्राफ्ट (डीडी),
  • खसरा/खतौनी, बी1 की नकल,
  • ट्रैक्टर चालित कृषि यंत्र के लिए ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन कार्ड।

अनुदान पर कृषि यंत्र लेने के लिए आवेदन कहाँ करें?

मध्यप्रदेश में किसानों को सभी प्रकार के कृषि यंत्रों को अनुदान पर लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होता है। ऐसे में जो किसान ऊपर दिये गये कृषि यंत्रों पर अनुदान प्राप्त करना चाहते हैं वे किसान e-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। जो किसान पहले से पोर्टल पर पंजीकृत है वे आधार OTP के माध्यम से लॉगिन कर आवेदन प्रस्तुत कर सकते है।

वहीं वे किसान जिन्होंने ने अभी तक पोर्टल पर अपना पंजीकरण नहीं किया है उन किसानों को एमपी ऑनलाइन या सीएससी सेंटर पर जाकर बायोमैट्रिक आधार अथेन्टिकेशन के माध्यम से अपना पंजीकरण कराना होगा और इसके बाद किसान कृषि यंत्र के लिए आवेदन कर सकते हैं। योजना से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए किसान अपने ब्लॉक या जिले के कृषि कार्यालय में संपर्क करें।

सब्सिडी पर कृषि यंत्र लेने के लिए आवेदन हेतु क्लिक करें

किसान इस तरह एप से खुद ही करें खेतों में लगाई गई फसलों की गिरदावरी, मिलेंगे यह लाभ

देश में किसानों को बहुत सी सरकारी योजनाओं का लाभ फसलों की गिरदावरी के आधार दिया जाता है। फसलों की गिरदावरी का काम रबी, खरीफ एवं जायद सीजन में अलग-अलग फसलों के लिए किया जाता है। ऐसे में किसान आसानी से अपनी फसलों की गिरदावरी करा सकें इसके लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें राजस्थान सरकार ने किसानों को सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से किसानों को स्वयं द्वारा गिरदावरी करने के प्रावधान किया है।

जिसके तहत अब राज्य के किसान रबी फसलों की गिरदावरी स्वयं ही कर सकेंगे। प्रदेश में रबी फसलों की गिरदावरी का काम 1 जनवरी 2025 से शुरू कर दिया गया है। इसके लिए किसान अपने मोबाइल में गुगल प्ले स्टोर के माध्यम से “राज किसान गिरदावरी एप” डाउनलोड कर अपने जन आधार से लॉगिन कर ई-गिरदावरी कम खुद से ही कर सकते हैं।

किसानों को पटवारी पर नहीं रहना होगा निर्भर

राज्य सरकार की इस पहल से अब किसानों को पटवारी पर निर्भर नहीं रहना होगा और फसलों का सही आंकलन होकर गिरदावरी कार्य समय पर पूर्ण हो जाएगा। राज्य के सभी किसान राज किसान गिरदावरी एप का अधिक से अधिक उपयोग कर अपनी रबी फसल की गिरदावरी का काम खुद ही कर सकेंगे। वह किसान भी गिरदावरी का काम अवश्य करें जिन्होंने अपने खेतों में कोई फसल नहीं लगाई है। इसके लिए किसानों को गिरदावरी एप में निल फसल (कोई फसल नहीं है) को सलेक्ट करते हुए गिरदावरी सबमिट करना होगा।

फसल नुकसान होने पर मिलेगा मुआवजा

राज्य सरकार द्वारा किसानों के द्वारा अधिक से अधिक ई-गिरदावरी किये जाने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है। सभी पटवारियों को ई-गिरदावरी करने हेतु किसानों को जागरूक करने के लिए निर्देशित किया गया है। किसान इस कार्य में किसी भी प्रकार की समस्या होने पर अपने क्षेत्र के पटवारी से सम्पर्क कर गिरदावरी कार्य में सहायता ले सकते हैं। किसानों द्वारा ई-गिरदावरी स्वयं के स्तर पर करने से फसल नुकसान की वास्तविक स्थिति का आंकलन होने के साथ ही राज्य सरकार द्वारा भविष्य में यदि किसी प्रकार का मुआवजा दिया जाता है तो किसानों को उसका सम्पूर्ण लाभ मिल सकेगा।

किसान ऐसे करें एप से गिरदावरी

एप से गिरदावरी करने के लिए किसान को सबसे पहले संबंधित ग्राम के पटवारी को अपना जन आधार भिजवाकर जन आधार अपने खसरे के साथ सीडिंग करना होगा। जिसके बाद राज किसान गिरदावरी एप डाउनलोड करने पर अपने जनआधार से एप में लॉगिन कर सकते है। आधार से जुड़े मोबाइल नम्बर पर ओ.टी.पी. प्राप्त होगा, जिससे वेरिफाई होने के बाद ऐप लॉगिन हो जाएगा। उसके बाद फसल विवरण जोड़ें पर क्लिक करना होगा।

फिर ऊपर की साइड में जनाधार से जुड़े खसरे का ऑप्शन आयेगा, उस पर क्लिक कर अपना जिला सलेक्ट कर आगे बढ़ना होगा। जिसके पश्चात् अपने खेत का खसरा नम्बर प्रदर्शित होगा उस पर कैलिब्रेट पर क्लिक करना होगा। कैलिब्रेट करने बाद गिरदावरी सीजन एवं फसल सलेक्ट करते हुए खसरे का एरिया हेक्टेयर में अंकित करना होगा।

इसके बाद फसल सिंचित है या असिंचित एवं सिंचाई का स्रोत तथा फलदार पेड़ है तो उनकी संख्या आदि जानकारी अंकित करते हुए खेत-खसरे में जो फसल बो रखी है उसकी उच्च गुणवत्ता की फोटो अपलोड करनी होगी ताकि पटवारी स्तर की जांच में फसल की स्थिति स्पष्ट हो सके। उक्त प्रक्रिया के बाद प्रिंट प्रिव्यू का ऑप्शन दिखेगा, यहां क्लिक करने के बाद सबमिट का ऑप्शन रहेगा। सबमिट के ऑप्शन पर क्लिक करने पर काश्तकार द्वारा की गई गिरदावरी सबमिट होते हुए, पंजीकरण संख्या प्राप्त हो जाएगी।

गिरदावरी करते समय इन बातों का रखें ध्यान

एक खाते में एक से अधिक खातेदार होने की स्थति में किसी भी एक खातेदार द्वारा संपूर्ण खसरे की गिरदावरी करें। एक खसरे में एक से अधिक फसल है तो एक से अधिक फसल की गिरदावरी सबमिट करनी होगी। गिरदावरी करते समय फसल के साथ खुद की सेल्फी फोटो की आवश्यकता नहीं है। गिरदावरी सबमिट से पहले भली भांति देखलें की गिरदावरी से संबंधित समस्त विवरण सही है या नहीं। क्योंकि गिरदावरी एक बार सबमिट करने के बाद किसान उस गिरदावरी में किसी प्रकार का एडिट नहीं कर पायेंगे। किसी प्रकार के एडिट की आवश्यकता रहे तो पटवारी से सम्पर्क कर वांछित एडिट करवाया जा सकता है।

ई-गिरदावरी के फायदे 

किसानों द्वारा स्वयं गिरदावरी करने से गिरदावरी कार्य में पटवारी स्तर पर निर्भरता कम रहेगी एवं वास्तविक फसल की गिरदावरी करना सम्भव हो सकेगा। साथ ही फसल का अंकन समुचित रुप से हो पाएगा। इसके अलावा फसल नुकसान होने पर मुआवजा भी आसानी से मिल जाएगा। वहीं किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी उपज बेचने के लिए पंजीयन में आसानी भी होगी।

मनरेगा योजना के तहत दो सालों में बनाए गए 13245 खेत तालाब, किसानों को मिली सिंचाई और मछली पालन की सुविधा

ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए चलाई जा रही मनरेगा योजना किसानों के लिए काफी लाभकारी साबित हो रही है। मनरेगा योजना के तहत किसानों के लिए पशु शेड निर्माण, खेत तालाब का निर्माण, कूप का निर्माण आदि कार्य भी किए जा रहे हैं जिससे ना केवल किसानों को लाभ हो रहा ही बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार भी मिल रहा है। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश में सरकार ने मनरेगा योजना के तहत पिछले दो वर्षों में 13,245 खेत तालाब बनवायें हैं। जिससे किसानों को सिंचाई के साथ ही मछली पालन की सुविधा भी मिली है।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) सरकार की एक महत्वकांक्षी योजना है, इसके अंतर्गत व्यक्तिगत लाभार्थीपरक कार्यों का लाभ लेकर ग्रामीण परिवार अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर कर रहे हैं। मनरेगा योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में निवास कर रहे लोगों को उनके गाँव में ही रोजगार देने का कार्य तो कर ही रही है, साथ ही योजना के तहत अपना जीवन स्तर सुधारने के इच्छुक लोगों को विभिन्न लाभार्थीपरक कार्यों का लाभ देकर उनके जीवन स्तर में सुधार लाने की कोशिश की जा रही है।

मनरेगा योजना के तहत बनाए गए 13245 खेत तालाब

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मनरेगा योजना के अंतर्गत व्यक्तिगत लाभार्थीपरक कार्य खेत तालाब का निर्माण कराकर किसानों की आजीविका में संवर्धन का कार्य किया जा रहा है। बीते दो सालों में 13,245 खेत तालाब का निर्माण योजना के तहत किया गया है। मनरेगा योजना के अंतर्गत बीते वर्ष 2023-24 में 5,509 खेत तालाब के निर्माण के कार्य पूरे किए गए थे, जबकि वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक 7,736 खेत तालाब के निर्माण का कार्य पूरा किया जा चुका है।

खेत तालाब के माध्यम से मत्स्य पालन व अन्य संबंधित व्यवसाय कर किसानों की आमदनी बढ़ाने का काम तो हो ही रहा है। साथ ही खेत तालाब में संरक्षित जल द्वारा कम से कम संसाधन से खेतों में बेहतर सिंचाई की व्यवस्था भी की जा सकती है। तालाब में सिंघाड़ा की फसल को कम से कम लागत में उत्पादन कर व्यवसाय का साधन बनाया जा सकता है। जिससे किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। खेत तालाब के माध्यम से वर्ष जल का संरक्षण होता है, जिससे उस क्षेत्र का भूमि जलस्तर का संतुलन भी बना रहता है। साथ ही सूखे व गर्मी के मौसम में सिंचाई हेतु व पीने योग्य पानी की समस्या से भी निजात मिल रही है।

खेत तालाब के लिए दी जा रही है सब्सिडी

सरकार द्वारा खेत तालाब निर्माण प्रोत्साहन हेतु सब्सिडी एवं इसके साथ बोरिंग, मत्स्य पालन, सिंचाई फसल इत्यादि हेतु सब्सिडी व अन्य बैंकिंग सुविधाओं का लाभ भी दिए जाने का प्रावधान किया गया है। वन विभाग द्वारा खेत तालाब निर्माण के तहत बांधों पर निःशुल्क वृक्षारोपण का कार्य कराया जाने का भी प्रावधान है, जिससे उस क्षेत्र का पर्यावरण भी स्वच्छ व बेहतर बन सके।

पीएम कुसुम योजना: किसान 60 प्रतिशत की सब्सिडी पर सोलर पम्प लेने के लिए आवेदन करें

फसलों की लागत कम करने के साथ ही किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा किसानों को खेतों में सोलर पम्प की स्थापना पर अनुदान दिया जा रहा है। इसके लिए देशभर में प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PMKusum) योजना चलाई जा रही है। योजना के कम्पोनेंट ‘बी’ के तहत राजस्थान सरकार के उद्यानिकी विभाग द्वारा किसानों हाईटेक सिंचाई के लिए 3, 5 एवं 7.5 एचपी के सोलर पम्प पर अनुदान दिया जा रहा है। इसके लिए किसान फरवरी अंत तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

योजना का उद्देश्य ऐसे किसान, जिनके पास सिंचाई के लिए कृषि विद्युत कनेक्शन नही हैं एवं सिंचाई के लिए डीजल चलित संयंत्र अथवा अन्य वैकल्पिक साधन पर निर्भर हैं, उन्हें प्राथमिकता से सिंचाई के लिए सौर ऊर्जा पम्प संयंत्र अनुदान पर उपलब्ध करवाया जाना है। इस वित्त वर्ष में पीएम-कुसुम योजना के तहत शेष रह गए लक्ष्यों को पूरा करने के लिए किसानों से आवेदन मांगे गए हैं।

सोलर पम्प पर कितनी सब्सिडी मिलेगी

उद्यान विभाग के अधिकारी मुकेश गहलोत ने बताया कि स्टेण्ड अलोन सौर ऊर्जा पम्प परियोजना में पीएम कुसुम कम्पोनेंट ‘बी’ के तहत किसानों को 60 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती है। जिसमें 30 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार एवं 30 प्रतिशत राशि राज्य सरकार द्वारा वहन की जाती है। किसानों को सोलर पम्प की स्थापना के लिए मात्र 40 प्रतिशत राशि देनी होती है, जिसमें वे 30 प्रतिशत राशि बैंक ऋण की मदद से ले सकते हैं। योजना के तहत अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के कृषकों को राज्य मद से 45 हजार रुपए प्रति कृषक प्रति संयंत्र अतिरिक्त अनुदान दिया जाता है।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 7.5 एचपी क्षमता तक के सौर ऊर्जा संयंत्रों पर ही अनुदान का प्रावधान किया गया है। यदि किसानों द्वारा इससे अधिक क्षमता यानि 10 एचपी का सोलर पम्प लगवाना है तो समस्त अन्तर राशि का वहन किसान को ही करना होगा। कृषक द्वारा कृषक हिस्सा राशि कुल लागत का शेष 40 प्रतिशत राशि स्वयं वहन की जाएगी। कृषक द्वारा वहन की जाने वाली लागत की 40 प्रतिशत राशि में से 30 प्रतिशत तक की राशि का, कृषक बैंक ऋण भी प्राप्त कर सकता है।

इन किसानों को मिलेगा सोलर पम्प अनुदान का लाभ

बीकानेर जिले के उद्यान विभाग की उपनिदेशक रेणु वर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि योजना का लाभ लेने के लिए किसानों के पास न्यूनतम 0.4 हेक्टेयर भूमि होना आवश्यक है। वहीं अधिसूचित अनुसूचित जनजाति क्षेत्र के जनजाति किसानों के लिए 3 व 5 हॉर्स क्षमता के पम्प संयंत्रों हेतु न्यूनतम 0.2 हेक्टेयर का भू-स्वामित्व होना आवश्यक है। कार्यदायी फर्म द्वारा तकनीकी सर्वे के आधार पर पम्प क्षमता का निर्धारण किया जाता है। तकनीकी सर्वे के अनुसार कृषक द्वारा आवेदित पम्प क्षमता में बदलाव किया जा सकेगा। योजना का लाभ लेने के लिए किसान फरवरी अंत तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं ताकि इस वित्त वर्ष में शेष रह गए लक्ष्यों को पूरा किया जा सके।

यह किसान योजना का लाभ लेने के लिए होंगे पात्र

  • इस योजना के तहत वे किसान पात्र होंगे, जो कृषि एवं उद्यानिकी फसलों में सिंचाई हेतु ड्रिप, मिनी स्प्रिंकलर, माइक्रो स्प्रिंकलर या स्प्रिंकलर संयंत्र काम में ले रहे हैं।
  • उच्च उद्यानिकी तकनीक जैसे ग्रीन हाउस, शेड नेट हाउस और लो-टनल्स आदि लेने वाले कृषक भी पात्र होगे।
  • किसान द्वारा जलस्त्रोत होने व डीजल चलित संयंत्र से सिंचाई करने का स्व-घोषित शपथ-पत्र प्रस्तुत करने पर, योजना का पात्र माना जायेगा।
  • विद्युत कनेक्शन विहीन कृषक द्वारा उसके भू-स्वामित्व में सिंचाई हेतु जल संग्रहण ढांचा, डिग्गी, फार्म पौण्ड व जल हौज निर्मित हो तो, कृषक द्वारा शपथ-पत्र प्रस्तुत करने पर योजना हेतु पात्र माना जाएगा।
  • योजना के तहत लघु एवं सीमांत किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी।
  • जिन कृषकों के पास कृषि विद्युत कनेक्शन हैं या सौर ऊर्जा पम्प संयंत्र परियोजना अन्तर्गत अनुदान प्राप्त कर लिया है, ऐसे कृषक इस योजना के अंतर्गत पात्र नहीं होंगे।
  • विद्युत विभाग में कृषक द्वारा कृषि विद्युत कनेक्शन आवेदन होने की स्थिति में, आवेदित कृषक द्वारा स्वयं की सहमति से विद्युत कनेक्शन आवेदन को समर्पित करने पर, योजना में पात्र माना जाएगा।

सोलर पम्प अनुदान के लिए आवेदन कहाँ करें

सरकार द्वारा किसानों को पीएम कुसुम योजना के तहत अनुदान प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। किसान फरवरी अंत तक योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए किसानों को राज किसान साथी पोर्टल या ई मित्र केंद्र से आवश्यक दस्तावेजों के साथ ऑनलाइन आवेदन करना होगा। किसान आवेदन के साथ कृषक का जन आधार कार्ड, भूमि की जमाबंदी या पासबुक की प्रतिलिपि (भू-स्वामित्व), सिंचाई जल स्त्रोत ऑनलाइन स्व-घोषित, विद्युत कनेक्शन न होने का शपथ ऑनलाइन स्व-घोषित इत्यादि ऑनलाइन प्रस्तुत किया जाना है।

सब्सिडी पर सोलर पम्प लेने के लिए आवेदन हेतु क्लिक करें

14 से 16 फरवरी के दौरान यहां किया जाएगा किसान मेले का आयोजन, मेले में यह रहेगा खास

देश में किसानों को आधुनिक तकनीकों की जानकारी उपलब्ध कराने के साथ ही उन्हें खेती में आ रही समस्याओं के समाधान, उन्नत बीज, कृषि यंत्र आदि उपलब्ध कराने के लिए समय-समय पर किसान मेलों का आयोजन किया जाता है। इस कड़ी में रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झाँसी द्वारा 14 से 16 फ़रवरी 2025 के दौरान तीन दिवसीय “किसान मेला एवं कृषि प्रदर्शनी” का आयोजन किया जाएगा। इसमें किसानों को खेती की नई तकनीकों की जानकारी दी जाएगी।

किसान मेला एवं प्रदर्शनी के अंतर्गत आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रदर्शन, फसल कैफ़ेटेरिया, मधुमक्खी एवं मशरूम उत्पादन इकाई, मोबाइल पादप स्वास्थ्य क्लिनिक वैन, पशु-प्रदर्शनी, उन्नतशील बीज और पौध की बिक्री के साथ-साथ विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यानमाला एवं किसान गोष्ठी का आयोजन भी किया जाएगा।

पशुपालन, मछली पालन और बागवानी के किसानों को भी मिलेगा लाभ

किसान मेला एवं कृषि प्रदर्शनी में जलवायु-समावेशी कृषि प्रणाली से संबंधित मुद्दों, वैज्ञानिक पद्धति आधारित कृषि, जल संरक्षण जैसे विषयों पर इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में वैज्ञानिक एवं ज्ञानविद अपने ज्ञान और अनुभव को साझा करेंगे। यह मंच उन सभी किसानों, उत्पादकों, विक्रेताओं, आयातकों, निर्यातकों और कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों जैसे बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन आदि के सभी हितधारकों के लिए है जो अपने व्यवसाय के विस्तार और विविधीकरण में रुचि रखते हैं। इस किसान मेला एवं कृषि प्रदर्शनी में सभी प्रमुख क्षेत्रों से 100 से अधिक स्टाल प्रमुख लागत कंपनी आदि के भागीदारी भी होनी है।

कृषि मेले में क्या रहेगा खास

किसान मेला एवं कृषि प्रदर्शनी में किसानों के लिए यह रहेगा ख़ास:-

  • तकनीकी सत्र: श्री अन्न (मिलेट्स), प्राकृतिक खेती, जलवायु- समावेशी खाद्य प्रणाली,
  • आधुनिक कृषि यंत्र प्रदर्शनी,
  • प्रक्षेत्र भ्रमण,
  • फसल, सब्जी एवं फूल तकनीकी कैफ़ेटेरिया,
  • मधुमक्खी पालन एवं प्रसंस्करण इकाई,
  • मशरूम उत्पादन एवं प्रसंस्करण इकाई,
  • मोबाइल प्लांट हेल्थ क्लिनिक वैन,
  • उन्नत बीजों की बिक्री,
  • किसान-विज्ञान गोष्ठी,
  • पशु प्रदर्शनी,
  • सांस्कृतिक कार्यक्रम

किसान मेले एवं कृषि प्रदर्शनी में कैसे पहुंचे

किसान मेला एवं कृषि प्रदर्शनी मेला 2025 का आयोजन रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी, उत्तरप्रदेश में आयोजित किया जा रहा है। यह विश्वविद्यालय राष्ट्रीय राजमार्ग-75, ग्वालियर रोड, पहुज बांध, झाँसी के पास स्थित है। जो झाँसी रेलवे स्टेशन से लगभग 10 किलोमीटर और झांसी बस स्टैंड से 12 किलोमीटर दूर है। राजमाता विजया राजे सिंधिया हवाई अड्डा झांसी से 103 किलोमीटर दूर है। किसान मेला 14 से 16 फरवरी के दौरान किया जाएगा। मेले की अधिक जानकारी किसान विश्वविद्यालय की वेबसाइट rlbcau.ac.in पर देख सकते हैं। विश्वविद्यालय की और से किसान भाइयों एवं बहनों से अनुरोध किया है की अधिक से अधिक संख्या में इस आयोजन में भाग लें और कृषि की नवीनतम तकनीकों का लाभ उठाएँ।

किसानों के लिए वरदान है किसान कल्याण योजना, सालाना मिलते हैं 6 हजार रुपये: कृषि मंत्री

देश में किसानों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों के द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही है, जिसमें किसानों को सीधे राशि जारी की जाती है। इस कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना चलाई जा रही है। जिसको लेकर मध्य प्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री एदल सिंह कंषाना ने कहा है कि मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना किसानों के लिए वरदान है। यह योजना प्रदेश के किसानों को आर्थिक मजबूती प्रदान कर रही है।

किसान कल्याण योजना के तहत पात्र किसानों को प्रति वर्ष 6 हजार रुपये की आर्थिक सहायता तीन समान किस्तों में दी जाती है। साथ ही कृषकों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से भी 6 हजार रुपये प्रति वर्ष की सहायता मिल रही है। इस प्रकार किसानों को साल में 12 हजार रुपए प्राप्त हो रहे हैं। बता दें कि योजना का लाभ पीएम किसान योजना के लाभार्थी किसानों को ही दिया जाता है।

किसानों को अब तक जारी की गई हैं 11 किस्तें  

कृषि मंत्री ने बताया कि 10 फरवरी को मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव द्वारा देवास में मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के अंतर्गत वर्ष 2024-25 की तृतीय किस्त और कुल 11वीं किस्त का सिंगल क्लिक के माध्यम से भुगतान किया गया। योजना के तहत 81 लाख से अधिक किसानों को लाभ प्राप्त हुआ। किसानों के बैंक खातों में 1624 करोड़ रुपए की राशि अंतरित की गई।

योजना के तहत किसानों को एक वित्त वर्ष में तीन किस्त दी जाती है। जिसमें पहली किस्त किसानों को अप्रैल महीने से जुलाई महीने के बीच, दूसरी किस्त अगस्त महीने से नवंबर महीने के बीच एवं तीसरी किस्त दिसंबर से मार्च महीने के बीच दी जाती है। किसानों को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सभी तीन किस्तें दे दी गई हैं। किसानों को अब अगली किस्त का भुगतान अप्रैल से जुलाई महीने के बीच किया जाएगा।

कृषि मंत्री ने कहा कि यह योजना न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही है, बल्कि उन्हें खेती के लिए प्रोत्साहित कर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

गन्ने की इन नई उन्नत किस्मों को खेती के लिए किया गया जारी, जाने उत्पादन एवं विशेषताएं

फसलों का उत्पादन बढ़ाने के साथ ही किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए विभिन्न फसलों की नई उन्नत किस्में तैयार की जा रही हैं। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त ने 11 फरवरी के दिन हुई बीज गन्ना एवं गन्ना किस्म स्वीकृति उप समिति की बैठक में गन्ने की नई किस्मों को किसानों के लिए जारी किया। बैठक में नई गन्ना किस्मों के अवमुक्त करने पर चर्चा हुई तथा बैठक में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के किसान एवं चीनी मिल प्रतिनिधि प्रस्तुत हुए।

बैठक में गन्ना किस्म को.से. 17451 को पूर्वी उत्तर प्रदेश में, को.शा. 19231 को सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में अगेती खेती के लिए एवं को.लख. 16470 (मध्य-देर) को पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए जारी किया गया। बैठक में इन किस्मों की उत्पादकता और शर्करा के आंकड़े भी जारी किए गए।

गन्ना किस्म को.शा. 19231 की उत्पादन क्षमता

उत्तर प्रदेश गन्ना किस्म को.शा. 19231 एवं को.से. 17451 के उपज एवं गन्ने में शर्करा के आंकड़े प्रस्तुत किए गए। नई गन्ना किस्म को.शा. 19231 पूर्व में प्रचलित गन्ना किस्म को.से. 95422 के पॉलीक्रॉस द्वारा शाहजहांपुर संस्थान पर विकसित की गई है। आंकड़ों के अनुसार पौधा ज्ञान की औसत उपज 92.05 टन प्रति हेक्टेयर पायी गई है। जनवरी महीने में रस में शर्करा 17.85 प्रतिशत एवं गन्ने में शर्करा 13.20 प्रतिशत पाई गई है। वहीं प्रति हेक्टेयर चीनी का अनुमानित उत्पादन 12.23 टन प्रति हेक्टेयर दर्ज किया गया है। को.शा. 19231 गन्ना किस्म को काकोरी कांड के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में शहीद राजेंद्र नाथ लाहिड़ी के नाम पर इस किस्म को लाहिड़ी नाम दिया गया है।

गन्ना किस्म को.से. 17451 की उत्पादन क्षमता

गन्ना किस्म को.से. 17451 पुरानी गन्ना किस्म बि.उ. 120 जी.सी. द्वारा सेवरही संस्थान पर विकसित की गई है। आंकड़ों के अनुसार पौधा गन्ना की औसत उपज 87.96 टन प्रति हेक्टेयर है। वहीं जनवरी महीने में रस में शर्करा 16.63 प्रतिशत एवं गन्ने में शर्करा 12.82 प्रतिशत, नवंबर एवं जनवरी महीने में क्रमशः 17.82 एवं 13.73 प्रतिशत शर्करा पायी गई है तथा प्रति हेक्टेयर चीनी का अनुमानित उत्पादन 10.81 टन प्रति हेक्टेयर दर्ज किया गया है। गन्ना किस्म को.से. 17451 को विकसित करने वाले वैज्ञानिक डॉ कृष्णानंद के सड़क दुर्घटना में असामयिक निधन के कारण उनके नाम पर इस किस्म को कृष्णा नाम दिया गया है।

यह दोनों अगेती गन्ना किस्मों का गन्ना मध्यम मोटा, ठोस, पोरी लंबी होती है। को.शा. 19231 में गूदे के मध्य बारीक छिद्र तथा अगोला पर हल्के रोयें पाये जाते हैं। यह लाल सड़न रोग के प्रति मध्यम रोगरोधी है।

गन्ना किस्म 0238 से बेहतर हैं यह दोनों किस्में

परीक्षण आंकड़ों के अनुसार बहुप्रचलित गन्ना किस्म को 0238 की औसत उपज 82.97 टन प्रति हेक्टेयर पायी गई तथा नवम्बर, जनवरी एवं मार्च में रस में शर्करा 16.01, 17.88 व 19.19 प्रतिशत एवं माह नवंबर, जनवरी व मार्च में शर्करा क्रमशः 11.69. 13.09 व 14.21 प्रतिशत पायी गई है। वहीं प्रति हेक्टेयर चीनी का अनुमानित उत्पादन 10.89 टन प्रति हेक्टेयर है। इस प्रकार नवीन प्रस्तावित दोनों नई अगेती किस्मों को.शा. 19231 एवं को.से. 17451 गन्ना किस्म को 0238 व को.लख.  94184 से उपज एवं चीनी आंकड़ो में बेहतर पायी गई है।

गन्ना किस्म को.लख. 16470

भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ द्वारा विकसित एवं भारत सरकार द्वारा नोटिफाइड गन्ना किस्म को.लख. 16470 मध्य देर से पकने वाली गन्ना किस्म है। इसकी औसत उपज 82.50 टन प्रति हेक्टेयर है एवं 12 माह पर रस में शर्करा 17.37 प्रतिशत पायी गई है तथा गन्ने में शर्करा 13.20 प्रतिशत है।

इन क्षेत्रों में खेती के लिए किया गया है अनुमोदित

गन्ना शोध परिषद द्वारा नई विकसित अगेती गन्ना किस्मों कोशा 19231 को सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश के लिए एवं कोसे 17451 को पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए अवमुक्त किए जाने का निर्णय लिया गया है। तथा मध्य-देर की क़िस्म को.लख. 16470 को पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए अनुमोदित किया गया है। इसके अलावा पहले स्वीकृत की गई गन्ना किस्मों को. 12029, को.शा. 99259 एवं को.शा. 96268 को नगण्य क्षेत्रफल एवं अलोकप्रिय होने के कारण स्वीकृत गन्ना किस्मों की सूची से विलोपित किया गया है।

खेजड़ी के पेड़ मनुष्यों और पशुओं के साथ ही फसलों के लिए भी है लाभकारी, संरक्षण को दिया जाएगा बढ़ावा

खेजड़ी जिसे रेगिस्तान का राजा भी कहा जाता है यह मनुष्यों, किसानों और पशुओं के साथ ही फसलों के लिए भी लाभकारी है। जिसको देखते हुए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में खेजड़ी के संरक्षण और बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने की। बैठक में नलवा के विधायक रणधीर पनिहार, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज व अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

हरियाणा के राज्यपाल व विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि खेजड़ी शुष्क क्षेत्र का बहुत महत्वपूर्ण वृक्ष है। इसका सम्पूर्ण भाग मनुष्य और पशुओं के लिए लाभदायक है तथा पर्यावरण को संतुलित करने में अहम भूमिका निभाता है। खेजड़ी एक नाइट्रोजन-फिक्सिंग पेड़ है जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है। खेजड़ी का उपयोग आयुर्वेद और अन्य पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों का उपयोग लंबे समय से विभिन्न बीमारियों के इलाज में किया जाता रहा है।

खेजड़ी के पेड़ों के संरक्षण को दिया जाएगा बढ़ावा

खेजड़ी के औषधीय और अन्य गुणों के चलते इसके वृक्षों का संरक्षण व इसको बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए विश्वविद्यालय द्वारा शोध कर किसानों को पौधे उपलब्ध कराए जाएँगे। इसके लिए किसानों और युवाओं को प्रोत्साहित किया जाएगा। साथ ही सामाजिक संगठनों व कार्यकर्ताओं को भी इस मुहिम से जोड़ा जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रोत्साहित किया जा सके। विधायक रणधीर पनिहार ने इस अवसर पर कहा कि किसान खेतों की बाउंड्री पर खेजड़ी के पेड़ जरूर लगाएं। साथ ही विश्वविद्यालय को शोध के लिए ज़मीन व अन्य प्रकार की सहायता देने का भी आश्वासन दिया।

खेजड़ी के पेड़ों से बढ़ता है फसलों का उत्पादन

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी. आर. काम्बोज ने बताया कि खेजड़ी जिसे रेगिस्तान का राजा भी कहा जाता है, पारंपरिक वानिकी प्रणालियों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। हरियाणा में मुख्य रूप से सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और चरखी दादरी जिलों में पाया जाता है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वानिकी विभाग द्वारा किए गए परीक्षण में पाया गया है कि खेजड़ी के साथ जो फसलें बोई जाती है उस फसल की उत्पादकता सामान्य से अधिक होती है। यह मिट्टी की उर्वरा क्षमता को बढ़ाता है।

इस वृक्ष की फलियाँ स्थानीय रूप से सांगरी के रूप में जानी जाती है, जिसमें पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। खेजड़ी की फलियाँ जिनका मूल्य संवर्धन करके सब्जी, आचार, लड्डू, चटनी, बिस्किट इत्यादि खाद्य उत्पाद निर्मित करके पोषण सुरक्षा व उद्यमिता को बढ़ावा मिल सकता है। इस पेड़ की छाल का अर्क का उपयोग बिच्छु और सांप के काटने के लक्षणात्मक उपचार में किया जाता रहा है, यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि खेजड़ी थार रेगिस्तान के नाजुक पारिस्थितिक तंत्र में एक आधारशिला प्रजाति है।