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किसान अधिक पैदावार के लिए लगाएं गेहूं की नई विकसित किस्म करण नरेंद्र DBW 222

गेहूं की नई विकसित किस्म -करण नरेंद्र DBW 222

देश में फसलों का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए गेहूं की नई-नई किस्में विकसित की जा रही है, जिससे कम लागत में अधिक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। इसी क्रम में भाकृअनुप-भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने गेहूं की एक किस्म विकसित की है जिसका नाम है करण नरेंद्र DBW 222। केंद्रीय किस्मों की विमोचन एवं उप समिति द्वारा इस किस्म को 6 जनवरी 2020 को अधिसूचित किया गया है।

गेहूं किस्म करण नरेंद्र DBW 222 उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों (पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीज़नों को छोड़कर) पश्चिमी उत्तर प्रदेश ( झाँसी मण्डल को छोड़कर)। हिमाचल प्रदेश ( ऊना व पाटा घाटी), जम्मू-कश्मीर के हिस्सों (जम्मू और कठुआ ज़िले), और उत्तराखंड (तराई क्षेत्र) के सिंचित क्षेत्रों में समय से बुआई के लिए उपयुक्त है।

करण नरेंद्र DBW 222 किस्म की विशेषताएँ

गेहूं की यह किस्म पीले रतुआ की सभी प्रमुख रोगजनक प्रकारों के लिए प्रतिरोधकता के साथ-साथ भूरा रतुआ रोग के लिये भी पूर्ण प्रतिरोधी पायी गई है। इस किस्म में करनाल बंट ( 9.1 प्रतिशत) एवं खुला कंडुआ ( कंगयारी 4.9 प्रतिशत) रोगों के प्रति अत्याधिक रोग प्रतिरोधक है। यदि इस किस्म के दानों की बात की जाए तो यह रोटी के लिये उत्तम (7.5) के साथ-साथ अधिक रोटी फुलाव आयतन (648), ब्रेड गुणवत्ता (8.24) तथा बिस्कुट फैलाव गुणांक 8.45 सेमी पाया गया है जो इस किस्म की उच्च गुणवत्ता को दर्शाता है।

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करण नरेंद्र DBW 222 किस्म की उत्पादकता

इस किस्म की औसत उपज 61.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है जो एचडी 2967 से 13 प्रतिशत, DBW 88 से 9.4 प्रतिशत एवं HD 3086 से 4.0 प्रतिशत अधिक है। करण नरेंद्र DBW 222 किस्म की अधिकतम उतापदन क्षमता 82.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। देरी से बुआई करने पर भी इस किस्म की उत्पादन क्षमता में अन्य किस्मों की तुलना में बहुत कम अंतर पाया गया है।  यदि एकड़ में बात की जाए तो इस किस्म से प्रति एकड़ औसतन 24.5 क्विंटल प्रति एकड़ तक की उपज प्राप्त की जा सकती है। वही अधिकतम उत्पादन क्षमता 32.8 क्विंटल प्रति एकड़ है।

करण नरेंद्र DBW 222 किस्म की खेती

गेहूं की इस किस्म की बुआई के लिए नवम्बर का महीना उपयुक्त रहता है। क़तारों में बुआई के लिए 40-45 किलोग्राम/एकड़ बीज की आवश्यकता होती है। वहीं मध्य उर्वरता वाली भूमि में 120-150 किलो नाइट्रोजन, 40-60 किलो फ़ास्फ़ोरस 40 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है। किसान मिट्टी के जाँच के आधार पर ही उर्वरकों का प्रयोग करें। फसल में सामान्यतः 5-6 सिंचाई की आवश्यकता होती है। जिसमें पहली सिंचाई 20-25 दिन बाद तथा उसके बाद 20 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए। गेहूं की यह किस्म औसतन 143 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।

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