पशुओं में ब्रुसोलोसिस रोग, लक्षण एवं उपचार
समय–समय पर पशुओं को विभिन्न तरह के रोग लगने से पशुपालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। जिसको देखते हुए सरकार पशुओं में होने वाले बहुत से रोगों की रोकथाम के लिए टिकाकरण अभियान चलाती है। ऐसा ही एक रोग है “ब्रुसेलोसिस (Brucellosis) रोग”। इस रोग से पशुओं में बाँझपन एवं गर्भपात जैसी बीमारी होती है। यह बीमारी गाय, भैंस, भेड़, बकरी, शुकर एवं कुत्तों में होती है। इस बीमारी को टीकाकरण के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
ब्रुसेलोसिस गाय, भैंस, भेड़, बकरी, शुकर एवं कुत्तों में फैलने वाली एक संक्रामक बीमारी हैं। ये एक प्राणीरूजा अथवा जीव जनित बीमारी है जो पशुओं से मनुष्यों एवं मनुष्यों से पशुओं में फैलने की आशंका बनी होती है। इस बीमारी से ग्रस्त पशु का 7-9 महीने के गर्भकाल में गर्भपात हो जाता है, जिससे पशुधन की हानि होती है।
ब्रुसेलोसिस Brucellosis रोग के लक्षण क्या है?
पशुओं में ब्रुसेलोसिस रोग के लक्षण जो देखने को मिलते हैं, उनमें पशु का तीसरी तिमाही (6-7 महीने) में गर्भपात हो जाता है। मरा हुआ बच्चा या समय से पहले ही कमजोर बच्चा पैदा होता है। दूध की पैदावार कम हो जाती है। पशु बाँझ हो जाता है । नर पशु में वृषणों में सूजन हो जाती है प्रजनन शक्ति कम हो जाती है। शूकर में गर्भपात के साथ जोड़ो और वृषणों में सूजन पाई जाती है। भेड़, बकरियों में भी गर्भपात हो जाता है।
वहीं मनुष्यों में ब्रुसेलोसिस ग्रस्त पशुओं के दूध का सेवन करने से बुखार का रोज बढ़ना और घटना इस बीमारी का मुख्य लक्षण है। थकान, कमजोरी लगना, रात को पसीना आना और शरीर में कंपकपी होना, भूख न लगना और वजन घटना, पीठ एवं जोड़ो में दर्द होना भी इसके लक्षण होते हैं।
इस तरह फैलती है ब्रुसेलोसिस बीमारी
गाय, भैंस में यह रोग ब्रूसेल्ला एबोरटस नामक जीवाणु द्वारा होता है। ये जीवाणु गाभिन पशु के बच्चेदानी में रहता है तथा अंतिम तिमाही में गर्भपात कराता है। एक बार संक्रमित हो जाने पर पशु जीवन काल तक इस जीवाणु को अपने दूध तथा गर्भाशय के स्त्राव में निकालता है।
पशुओं में ब्रुसेलोसिस रोग संक्रमित पदार्थ के खाने से, जननांगों के स्त्राव के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सम्पर्क से, योनि स्त्राव से, संक्रमित चारे के प्रयोग से तथा संक्रमित वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान द्वारा फैलता है। प्रायः यह देखा जाता है कि मनुष्यों में ब्रुसेलोसिस रोग सबसे ज्यादा रोगग्रस्त पशु के कच्चे दूध पीने से फैलता है। इसके अलावा गर्भपात होने पर पशु चिकित्सक या पशुपालक असावधानी पूर्व जेर या गर्भाशय के स्त्राव को छूते है, जिससे ब्रुसेलोसिस रोग का जीवाणु त्वचा के किसी कटाव या घाव से शरीर में प्रवेश कर जाता है।
पशुपालक कब लगवायें ब्रुसेलोसिस का टीका
पशुओं में होने वाली इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए 4 से 8 माह की मादा वत्सो में ब्रुसेलोसिस Brucellosis का टीकाकरण अवश्य करवाना चाहिए। यह टीकाकरण पशुपालक अपने यहाँ के सरकारी पशु चिकित्सालय से करा सकते हैं। इसके अतिरिक्त पशुपालन विभाग द्वारा समय–समय पर घर–घर जाकर भी पशुओं को निःशुल्क ब्रुसेलोसिस का टीका लगाया जाता है उस समय पशुपालक यह टीकाकरण अवश्य करवायें। साथ ही ऐसे पशुओं के रखरखाव, चारे आदि की व्यवस्था उचित ढंग से करें ताकि इस बीमारी का असर मनुष्य पर न हो।