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शनिवार, अप्रैल 27, 2024
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किसान अनुदान पर लें गेहूं की अधिक पैदावार वाली किस्म एचडी 2967 का प्रमाणित बीज

HD-2967 प्रमाणित बीज अनुदान

देश में बुआई का रकबा सिमित है इसमें भी सिंचाई क्षेत्र कम है | ऐसे में केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय लगातार कम क्षेत्र में अधिक उत्पदान एवं रोगरोधी किस्मों का विकास किया जा रहा है | किसानों को उन्नत एवं प्रमाणित बीज राज्य सरकारों के द्वारा किसानों को अनुदान पर दिए जाते हैं जिससे सभी किसान इन बीजों कि बुआई कर अधिक उत्पदान प्राप्त कर सकें | गेहूं की खेती करने वाले किसानों के लिए एक ऐसी ही किस्म विकसित की गई है एचडी 2967 ( पूसा सिन्धु गंगा) | गेहूं की किस्म एच.डी.-2967 भारत सरकार द्वारा अक्तूबर, 2011 को अधिसूचित की गई थी | हरियाणा सरकार ने गेहूं की किस्म एच.डी.-2967 के प्रमाणित बीज पर अनुदान की समयसीमा को रबी 2021-22 तक बढ़ाने का निर्णय लिया है।

एच.डी. 2967 प्रमाणित बीज पर अनुदान की समय सीमा को बढाया गया

राज्य सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत सरकारी एजेन्सियों द्वारा बेचे जाने वाले गेहूं के प्रमाणित बीजों पर किसानों को प्रति वर्ष अनुदान प्रदान किया जाता है। यह अनुदान गेहूं की उन्हीं किस्मों पर दिया जाता है जिन किस्मों की अधिसूचना की सीमा 10 वर्ष से कम हो। गेहूं की किस्म एच.डी.-2967 अनुदान की समयावधि अक्टूबर,2021 में समाप्त हो जाएगी। सरकार द्वारा इस किस्म की अच्छी पैदावार को देखते हुए इसके प्रमाणित बीज पर अनुदान की समयसीमा को रबी 2021-22 तक बढ़ाया गया है।

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 गेहूं की किस्म HD 2967 में पीला रतुआ रोग

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा गेहूं की यह किस्म को पीला रतुआ रोग के प्रति अति संवेदनशील बताया गया है। इस रोग के मुख्यतया: लक्षण पत्तों की सतह पर पीले रंग की धारियां दिखाई देना, पाउडरनुमा पीला पदार्थ पत्तो पर होना, शुरू में इस रोग से ग्रस्त खेत में कहीं-कहीं गोलाकार दायरों का दिखना तथा तापमान बढने पर पीली धारियों के नीचे की सतह पर काले रंग में बदलाव आना है।

पीला रतुआ रोग का उपचार

गेहूं में पीले रतुए रोग के उपचार के लिए किसानों को उक्त लक्षण दिखाई देने पर प्रोपिकोनाजोल 25 प्रतिशत ई0सी0 की 200 मिलीलीटर मात्रा को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिडक़ाव करना चाहिए। यदि रोग फसल की आरम्भिक अवस्था में आ जाए तो पानी की मात्रा कम कर देनी चाहिए। रोग का प्रकोप बढऩे पर दूसरा छिडकाव 10-15 दिन के बाद दोहराया जा सकता है।

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गेहूं की किस्म एच.डी. 2967 की विशेषताएं

यह किस्म पंजाब,हरियाणा दिल्ली, राजस्थान (कोटा एवं उदयपुर संभागों के आलावा), पूर्वी उत्तरप्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर के मैदानी क्षेत्र, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखण्ड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आसाम व उत्तरी पूर्वी राज्यों के मैदानी क्षेत्रों के लिए अनुमोदित की गई है | यह किस्म वृहत क्षेत्रों में अच्छी उपज देती है | इस किस्म पत्ती झुलसा रोग के प्रति भी अच्छी प्रतिरोधी है |इसकी पकने की अवधि उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में 143 दिन हैं | गेहूं की यह किस्म उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों में 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पदान देती है |

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