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गेहूं की पत्ती पीली पड़ने पर किसान क्या करें, कृषि विशेषज्ञों ने जारी की सलाह

गेहूं की पत्ती पीली पड़ने पर क्या करें

रबी सीजन की सबसे मुख्य फसल है गेहूं, देश के अधिकांश राज्यों के किसान प्रमुखता से इसकी खेती करते हैं। ऐसे में किसान गेहूं की खेती की लागत कम कर अधिक से अधिक लाभ ले सकें इसके लिए समय-समय पर कृषि विभाग एवं कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा किसान हित में सलाह जारी की जाती है। इस कड़ी में भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान करनाल ने गेहूं की फसल में लगने वाले पीलेपन को लेकर सलाह जारी की है।

क‍िसान इसके ह‍िसाब से गेहूं की फसल का प्रबंधन करके अच्छा उत्पादन ले सकते हैं। किसानों को सलाह दी गई है कि अभी मौसम में परिवर्तन को देखते हुए लगातार अपने खेतों की निगरानी करें। यदि पत्तियों में पीलापन आ रहा है तो उसका निरीक्षण कर चेक करें कि कहीं गेहूं में पीला रतुआ रोग तो नहीं लग रहा है।

गेहूं की पत्ती पीली क्यों हो जाती है?

अभी देश के अधिकांश गेहूं उत्पादक राज्यों में तेज ठंड के साथ ही कोहरा एवं शीतलहर का दौर चल रहा है। ऐसे में लंबे समय तक कोहरा पड़ने से पत्तियों में पीलापन आ जाता है जो मौसम खुलने के साथ ही धीरे-धीरे ख़त्म भी हो जाता है। वहीं गेहूं में पीला रतुआ रोग लगने से भी इसकी पत्तियाँ पीली हो जाती है। पीला रतुआ रोग लगने पर गेहूं की पत्तियों पर पीले रंग की धारीदार लाइनें दिखाई देती हैं।

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गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग का नियंत्रण

भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा जारी की गई सलाह में बताया गया है कि मौसम में परिवर्तन आने के साथ ही गेहूं की फसल में पीला रतुआ (yellow rust) रोग लगने की संभावना बड़ती जा रही है। ऐसे में किसान भाई गेहूं की पीली पत्तियों का निरीक्षण करते रहें। यदि पीला रतुआ रोग लग गया है तो उसका उचित प्रबंधन समय रहते करें। पीला रतुआ रोग की पहचान के लिए किसान भाई गेहूं की पीली पत्ती को तोड़कर उस पर उँगली घुमाएँ यदि उँगली में पीलापन आ जाता है तो इसका मतलब यह है कि फसल में पीला रतुआ रोग लग गया है। किसान नीचे वीडियो में भी जानकारी देख सकते हैं।

कृषि विश्व विद्यालय द्वारा जारी सलाह में बताया गया है कि किसान गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग रोकने के लिए दो तरह की दवाइयों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें एक है प्रोपीकोनाजोल 25 ईसी 0.1 प्रतिशत एवं दूसरी टेबुकोनाजोल 50% + ट्राइफ्लोक्सीस्ट्रोबिन 25% डब्ल्यूजी 0.06%। किसान भाई उपलब्धता के आधार पर इनमें से किसी भी एक दवाई का इस्तेमाल पीला रतुआ रोग का नियंत्रण कर सकते हैं। इसके लिए एक लीटर पानी में एक मिलीलीटर केम‍िकल मिलाना चाहिए और इस प्रकार एक एकड़ गेहूं की फसल में 200 मिलीलीटर कवकनाशी (Fungicide) को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।

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मौसम साफ रहने पर ही किसानों को इन दवाओं का छिड़काव करना चाहिए। दवाई के छिड़काव के बाद भी किसान अपने खेतों की निगरानी करते रहें। यदि पीला रतुआ रोग का प्रकोप तब भी जारी रहता है तब किसान दोबारा से 15 दिन के अन्तराल पर इन दवा का छिड़काव करें। जिन किसानों ने पिछले वर्ष एक प्रकार के कवकनाशी का उपयोग किया है उन्हें इस वर्ष वैकल्पिक कवकनाशी का उपयोग करने का सुझाव दिया गया है।

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