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मंगलवार, मार्च 19, 2024
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जानिए कृषि कानून और किसान आन्दोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा ?

कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

दिल्ली की सीमा पर तीन नए कृषि कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों का आज 47वां दिन हो गए हैं | इस दौरान सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच अब तक कई बैठक हो जाने के बाबजूद भी अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है | सरकार और किसान संगठनों के बीच अगले दौर की वार्ता 15 जनवरी को होनी है | इस बीच सुप्रीम कोर्ट में किसान आन्दोलन और कृषि कानूनों को लेकर सुनवाई हुई | भारत के मुख्य ​न्यायाधीश ने केंद्र सरकार से कहा कि आपने इसे ठीक से नहीं संभाला है हमें आज कोई कदम उठाना होगा।

भारत के मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि क्या अभी के लिए कृषि कानूनों को लागू करने को होल्ड पर रखा जा सकता है। अदालत आज 12 जनवरी के दिन किसानों के प्रदर्शन से जुड़े मुद्दों और कृषि कानून से जुड़ी याचिकाओं पर फैसला सुनाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से क्या कहा

कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर केंद्र सरकार कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक नहीं लगाना चाहती तो हम इन पर रोक लगाएंगे। इस पर भारत सरकार की और से अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पहले के ऐसे फैसले हैं जो कहते हैं कि कोर्ट कानून पर रोक नहीं लगा सकते हैं।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम कानूनों को असंवैधानिक करार नहीं दे रहे। हम बस उसके अमल पर रोक की बात कर रहे हैं। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि आप मसला सुलझाने में नाकाम रहे। सरकार को जिम्मेदारी लेनी होगी। कानूनों की वजह से आंदोलन हुआ और आंदोलन अब आपको खत्म कराना है।

सरकार की तरफ से कहा गया कि कई ऐसे भी किसान संगठन है जो इन कानूनों का समर्थन कर रहे हैं इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारे पास अब तक एक भी ऐसी अर्जी नहीं आई, जो कहती हो कि कृषि कानून अच्छे हैं। अगर ऐसा है तो किसान यूनियनों को कमेटी के सामने कहने दें कि कृषि कानून अच्छे हैं। आप तो हमें ये बताइए कि आप कानूनों के अमल को रोकना चाहते हैं या नहीं। दिक्कत क्या है?

सुप्रीम कोर्ट ने किसानों से क्या कहा

कोर्ट ने किसानों की तरफ से पुछा कि लोग आत्महत्या कर रहे हैं। वे ठंड से जूझ रहे हैं। उनके खानपान का ध्यान कौन रख रहा है? बुजुर्ग लोग और महिलाएं सड़कों पर हैं। बुजुर्गों को किसान आंदोलन में क्यों शामिल किया गया है?  इस पर किसानों की तरफ से पेश हुए वकीलों ने कहा कि सभी यहाँ अपनी मर्जी से आये हैं |

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किसान संगठनों के द्वारा 26 जनवरी को ट्रेक्टर परेड को लेकर भी सवाल उठाया गया जिसपर किसान संगठनों की तरफ से कहा गया गणतंत्र दिवस पर ऐसा कोई नुकसान नहीं होगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामलों से पुलिस को निपटने दीजिए। प्रदर्शन का अधिकार अटूट है।

अदालत में सरकार की हमें ये भरोसा मिलना चाहिए कि किसान कमेटी के सामने बातचीत करने आएंगे | किसान संगठन की ओर से दुष्यंत दवे ने कहा कि हमारे 400 संगठन हैं, ऐसे में कमेटी के सामने जाना है या नहीं हमें ये फैसला करना होगा | जिसपर अदालत ने कहा कि ऐसा माहौल ना बनाएं कि आप सरकार के पास जाएंगे और कमेटी के पास नहीं | सरकार की ओर से कहा गया है कि किसानों को कमेटी में आने का भरोसा देना चाहिए |

सुप्रीम कोर्ट ने किसानों का पक्ष रख रहे वकील से कहा कि आंदोलन में वरिष्ठ नागरिक और महिलाएं क्या कर रही हैं. इस ठंड में वह सड़कों पर हैं | हम चाहते हैं कि ये लोग घर जाएं | यह बात आप किसानों तक पहुंचाएं कि देश के मुख्य न्यायाधीश चाहते हैं कि वे लोग अपने घर लौट जाएं |

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