राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड (एनएससी) के द्वारा उत्पादित उन्नत प्रमाणित बीज कहाँ से प्राप्त करें

राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड (एनएससी) के द्वारा उत्पादित उन्नत प्रमाणित बीज कहाँ से प्राप्त करें

राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड (एनएससी) कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में भारत सरकार के पूर्ण स्वा्मित्व के अंतर्गत अनुसूची ‘बी’ की एक मिनीरत्नक श्रेणी-I कंपनी है। एनएससी की स्थातपना आधारीय तथा प्रमाणित बीजों की उत्पाकदन के लिए वर्ष 1963 में की गई ।

वर्तमान में यह अपने पंजीकृत बीज उत्पाथदकों के माध्यउम से लगभग 60 फसलों की 600 किस्मों के प्रमाणित बीजों का उत्पाथदन कर रही है। देश भर में इसके लगभग 8000 पंजीकृत बीज उत्पा्दक है, जो विभिन्नत कृषि जलवायु परिस्थितियों में बीज उत्पालदन का कार्य कर रहे हैं।

प्रचालन का प्रक्षेत्र

पार्टी का नाम

अहमदाबाद

राजकोटमैसर्स आदर्श एग्रो सीड्स, राजकोट

भोपाल

उज्जैन, शाजापुर, देवास (मध्य प्रदेश)मैसर्स मालवा एग्रीटेक, शाजापुर
रतलाम,  मंदसौर,  नीमच (मध्य प्रदेश)मैसर्स रवि सीड्स एण्ड रिसर्च,अलोटी
भोपाल,सिहोर,विदीसा,रायसेन,राजगढ़ (मध्य प्रदेश)मैसर्स खंडेलवाल मार्किटिग, इन्दौर
जबलपुर, कटनी,,बालाघाट(मध्य प्रदेश)मैसर्स खंडेलवाल मार्किटिग, इन्दौर
सियोनी,छिन्दवाड़ा,नरसिंगपुर

(मध्य प्रदेश)

मैसर्स खंडेलवाल मार्किटिग, इन्दौर
इंदौर, (मध्य प्रदेश)मैसर्स खंडेलवाल मार्किटिग, इन्दौर
खरगांव,खांडवा,बुरसानपुर (मध्य प्रदेश)मैसर्स खंडेलवाल मार्किटिग, इन्दौर
ग्वालियर, दतिया,मुरैना,(मध्य प्रदेश), भिंड,मैसर्स खंडेलवाल मार्किटिग, इन्दौर
रायपुर,महासमुद्र,धमतरि, दुर्ग, राजनंदगांव, कबीरधाम,(छतीसगढ़मैसर्स खंडेलवाल मार्किटिग, इन्दौर
धारमैसर्स सहकारी शीतग्रह संस्था मर्यादित, इंदौर
सहदोल, अमरिया, अनुपपुर,दिनधोड़ीमैसर्स सुहानी बीज भंडार, कटनी
जबुआ, अलीराजपुर, वर्दवानीमैसर्स ओकारलाल, जमनालाल एण्ड कंपनी, सॉवर
सागर, दमोहमैसर्स ओकारलाल, जमनालाल एण्ड कंपनी,  सॉवर
होशंगाबाद,मैसर्स खंडेलवाल मार्किटिग, इन्दौर
छत्तरपुर,टीकमगढ़, पन्नामैसर्स खंडेलवाल मार्किटिग, इन्दौर
बैतुल, हरदामैसर्स बायोबिलिस बीज उत्पादक स्वायक, बैतुल
लुधियानामैसर्स दुर्गा बीज भंडार, जागरण जिला लुधियाना
गुरदासपुर, नवाणसर,मैसर्स वालिया खेती स्टोर,कुदियान जिला गुरदास पुर
कैथल/ कुरूक्षेत्रमैसर्स श्रीगणेश पैस्टीसाइडस, माल गोदाम कैथल
हिसारमैसर्स जगदीश स्टोर, हिसार
रोहतक, झझरमैसर्स राजबीज कंपनी, रोहतक
पालघाट, त्रिसुर, कालीकट, मलापुरम, कानुर, वायअनड, कैसर गौड़े (प्रक्षेत्र कार्यालय )पालघाटमैसर्स केरला एग्रो सर्विस
कुडालुर, वैलौर,बिलुपुरम,थिरूबनामतल, तनजावर, नागापट्टनम, थ्रिरूवरूर, पुडुकोटल, (प्रक्षेत्र कार्यालय चैन्नई)मैसर्स. एग्रो इनपुट मार्किटिग
चैन्नई, कांजीपुरम,  थ्रिरूवलुरमैसर्स. जयप्रकाश एजेंसी
थ्रिरूनिलवेल, टुटुकोरिन, कन्याकुमारी, विरूद्धनगर, मदुरई, डिंडिगुल, शिवागगांल, थेनी,रामानदमैसर्स. के. सनमुगम

जयपुर

अजमेर, सिरोही, नागौर, भिलवाड़ामैसर्स शिव सीड्स कारपोरेशन,भिलवाड़ा, राजस्थान
जयपुर, दऊसा,  धोलपुर, करौली, टोंक, सिकर, अलवर, भरतपुर, चूरू,माधोपुर, झुनझुनुमैसर्स खंडेलवाल खाद बीज भंडार, दऊसा, राजस्थान
जोधपुर, पाली, बारमेर, जेसलमेर, जालोरमैसर्स किसान कृषि सेवा केन्द्र, जोधपुर, राजस्थान
कोटा, बुंदी, झालवर, बारनमैसर्स राम नारायण जगन्नाथ गोयल, कोटा, राजस्थान
श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेरमैसर्स गोयल एग्रीकल्चर स्टोर, भाद्रा, हनुमानगढ़, राजस्थान
बाशंवाड़ा, राजसमंद  ,प्रतापगढ़, डुंगरपूर  उदयपुर, चित्तौड़गढ़मैसर्स जैन कैमिकल्स एंड सीड्स सफ्लाइयर, उदयपुर, राजस्थान
खुर्द, पुरी, गंजम, गजपति, फुलवानीमैसर्स संसार एग्रोपोल प्रा.लि. उड़ीसा
बारगढ़मैसर्स संसार एग्रोपोल प्रा.लि. उड़ीसा
जगतसिंहपुर, जाजपुर,कौन्झार, बालाशोर, मयूरभंजमैसर्स मोहनंदा सीड्स, कटक, उड़ीसा
संभलपुरमैसर्स सजुंकता सीड, उड़ीसा
गंगटोक (सिक्किम)मैसर्स जे.पी.इन्टरप्राइज
नादिया (पश्चिम बंगाल)मैसर्स एन.सी. दास.के.नगर
मुर्शिदाबादमैसर्स पी.एस.नंदी, बेहरामपुर
गुवाहाटी, असममैसर्स ईर्स्टन ऐग्रों मार्केटिंग, ऐजेसी, गुवाहाटी
इम्फाल, मणिपुरमैसर्स ईर्स्टन ऐग्रों मार्केटिंग, ऐजेसी, गुवाहाटी
दीमापुर, नागालैंडमैसर्स ईर्स्टन ऐग्रों मार्केटिंग, ऐजेसी, गुवाहाटी
आइजोल, मिजोरममैसर्स ईर्स्टन ऐग्रों मार्केटिंग, ऐजेसी, गुवाहाटी

लखनऊ

लखनऊ पूर्वमैसर्स दुर्गा ऐग्रो सीड फार्म, फैजाबाद रोड, डालगंज, लखनऊ
उनाव/रायबरेलीमैसर्स दुर्गा ऐग्रो सीड फार्म, फैजाबाद रोड, डालगंज, लखनऊ
सुलतानपुर/बाराबांकीमैसर्स दुर्गा ऐग्रो सीड फार्म, फैजाबाद रोड, डालगंज, लखनऊ
फैजाबादमैसर्स दुर्गा एग्रो सीड फार्म, फैजाबाद रोड, डालगंज, लखनऊ
लखनऊ (लखनऊ पश्चिम) परिवर्तित क्षेत्र के साथमैसर्स दुर्गा एग्रो सीड फार्म, फैजाबाद रोड, डालगंज, लखनऊ
मेरठमैसर्स दुर्गा एग्रो सीड फार्म, फैजाबाद रोड, डालगंज, लखनऊ
मैसर्स दुर्गा एग्रो सीड फार्म, फैजाबाद रोड, डालगंज, लखनऊ
आगरा, फिरोजाबाद, महामायानगरमैसर्स दुर्गा एग्रो सीड फार्म, फैजाबाद रोड, डालगंज, लखनऊ
गौंडा,  बलरामपुरमैसर्स दुर्गा एग्रो सीड फार्म, फैजाबाद रोड, डालगंज, लखनऊ
बेहराइच, सरावतीमैसर्स प्रसाद सीड कारपोरेशन, शाहजहांपुर
सीतापुर, लखीमपुर-खीरीमैसर्स प्रसाद सीड कारपोरेशन, शाहजहांपुर
शाहजंहापुर, हरदौईमैसर्स एग्रो पंतनगर सीड्स एवं कैमिकल्स प्रा. लि. मालखाना रोड शाहजहापुर
आजमगढ़मैसर्स स्वातिक ट्रेडर्स, सी-27, एफ-3, कालीगढ़ मार्केट, जगतगंज, वाराणसी
मिर्जापुरमैसर्स प्रभात एग्रो ट्रेडिंग कंपनी. सी-26/31 रामकटोरा, जगतगंज, वाराणसी
जौनपुर, संत रविदासनगरमैसर्स प्रभात एग्रो ट्रेडिंग कंपनी. सी-26/31 रामकटोरा, जगतगंज, वाराणसी
बलिया, मऊमैसर्स शिवम सर्विस स्टेशन, बलिया
रामपुर, मुरादाबादमैसर्स जीत राम एंड सन्स, शिव बाग, मंडी विलासपुर
बरैली, बदांयुमैसर्स बी.एम.ट्रेडर्स, 365, गंगापुर, बरेली
इलाहबाद, प्रतापगढ़मैसर्स स्वास्तिक ट्रेडर्स, सी‑27, एफ‑3,कालिगढ़ मार्किट, जगतगंज,वाराणसी
कानपुर नगरमैसर्स अवस्थी सीड्स प्राइवेट लिमिटेड, 108, बी,पोखरपुर, कानपुर
महाराजगंजमैसर्स साहू ब्रदर्स, जगतगंज, वाराणसी
बस्ती, संत कबीरनगरमैसर्स सुपर सीड्स डिस्टीब्यूटर, पादरी बाजार, गोरखपुर
सिद्धार्थनगरमैसर्स सुपर सीड्स डिस्टीब्यूटर, पादरी बाजार, गोरखपुर
अंबडेकरनगरमैसर्स स्वास्तिक ट्रेडर्स, सी‑27, एफ‑3,कालिगढ़ मार्किट, जगतगंज,वाराणसी

पटना

मोतीहारी (पूर्वी चंपारन)मैसर्स तरूण खाद बीज भंडार, स्टेशन रोड, मोतीहारी पूर्व. चम्पारन
भागलपुरमैसर्स श्याम ट्रेडिंग, स्टेशन रोड,        नौगाचिया, भागलपुर
बेगुसरायमैसर्स शिव कृषि निकेतन, मीरा भवन, अम्बेडकर चौक के पास, बेगुसराय
दरभंगामैसर्स श्री महाबीर जी राइस एंव आयॅल मिल, डॉनर रोड, दरभंगा
सिवानमैसर्स सरण बीज कंपनी, श्रदानंद मार्किट , सिवान
गोपलगंजमैसर्स किशुन शाह रामानंद प्रसाद, पोस्ट निचुआ, जलालपुर, गोपलगंज
वैशाली (हाजीपुर)मैसर्स आदित्य इन्टरप्राइजेस,    बालगोंविद भवन, सिनेमा रोड, हाजीपुर  (वैशाली)
पटनामैसर्स आदित्य इन्टरप्राइजेस,    बालगोंविद भवन, सिनेमा रोड, हाजीपुर  (वैशाली)
बक्सरमैसर्स रत्नागिरी सीड्स एंड फार्म, एमआईजी-77, हनुमान नगर, कंकड़  बाग, पटना
गयामैसर्स भारतीय उर्वरक केन्द्र दिग्गी तालाब गया
रोहताश (सासाराम)मैसर्स एग्रीकल्चर सेंटर रोहताश सासाराम
नालन्दा बिहार शरीफमैसर्स न्यू मेहता सीड्स स्टोर, बाजार समिति गेट के सामने, रामचन्द्र पुर बिहार शरीफ, थाना लहरी, जिला नालंदा
आरा भोजपुरमैसर्स जय प्रकाश नारायण, मिल रोड, नावदा आरा भोजपुर
मुजफरपुरमैसर्स हरियाली ट्रेडर्स र्मिचिया चौक, राजेन्द्र रोड, बरौनी , जिला बेगुसराय
मधुबनीमैसर्स हरगोविद सीड कंपनी कोर्ट कम्पाउंड मधुबनी
सीतामढ़ीमैसर्स प्रसाद एंव ब्रदर्स मथुरा हाई स्कूल रोड रिंगबंद , सीतामढ़ी
सारन छापरामैसर्स वर्मा खाद बीज भंडार, जगतपुरा बहारिया, सिवान
कटिहारमैसर्स हरियाली ट्रेडर्स र्मिचिया चौक, राजेन्द्र रोड, बरौनी , जिला बेगुसराय
पूर्णियामैसर्स गणपति ऐजेंसी, एनएच-31, बल्ब बाग पूर्णिया
अररियामैसर्स गणपति ऐजेंसी, एनएच-31, गुलाब बाग पूर्णिया
समस्तीपुर दक्षिणमैसर्स कुशवाह सीड्स कारपोरेशन, गोला रोड, समस्तीपुर
समस्तीपुर उत्तरमैसर्स गांधी ऐग्री क्लिनिक एंव एग्री बिजिनस सेंटर बाजार समिति, प्रागंण, समस्तीपुर मथुरापुर

पूने

प्रभाणीमैसर्स स्वाति ऐग्रो सर्विस सेंटर, मौनधा     रोड , जिन्नटूर जिला,
औंरगाबादमैसर्स विजय बीज एंड मशीनरी स्टोर, मेंन रोड , सिलोड जिला औरंगाबाद
जालनामैसर्स संतोष बीज भंडार, जालना
लातूरमैसर्स कृषि सेवा केन्द्र,  लातूर
हिंगोलीमैसर्स श्री सिरतकी भंडार, प्रियदर्शनी, इन्दरा बाजार, कलमनूरी , जिला प्रभाणी
आकोलामैसर्स स्नेह सागर इन्टरप्राइजिज, माणिक टॉकीज के सामने, तिलक रोड, अकोला
नासिकमैसर्स नंदा सीड्स, 16, न्यू मूनसिपल मार्किट, यूला‑423 104, जिला नासिक
जलगांवमैसर्स खचाडु लाल चम्पा लाल बोरा, मेन रोड,जामनेर, जिला जलगांव
नंदूबारमैसर्स महावीर कृषि सेवा केन्द्र, महेशवार्ड शाहादा जिला, मंदूबार
यवातमलमैसर्स सुदर्शन कृषि केन्द्र, मेन रोड, अमी जिला यवतमल
यवातमलमैसर्स श्रीदत्ता कृषि केन्द्र, दुत्ता चौक, यवतमल
अमरावतीमैसर्स रवि एग्रो सीड्स कारपो., अमरावती
वर्धामैसर्स रामदेव ट्रेड, 12, महेश्वरी मार्किट, मेन रोड,  वर्धा
नागपुरमैसर्स चौधरी बद्रर्स, श्रीदेवी काम्प्लेक्स, सुभाष रोड, नागपुर
अहमदनगरमैसर्स श्रमिक कृषि उद्योग, श्रमिक प्रतिष्ठान, जिला संगमनेर, अहमदनगर‑422605
उस्मानाबादमैसर्स कृषि वस्तु भंडार, शोलापुर रोड,  उस्मानाबाद
नादेंड़मैसर्स मोदी एग्री जनेटिक प्राइवेट लि., 1-11-334, आर.बी. मोदी हाऊस,न्यू मोन्दह, नादेंड़
धूलियामैसर्स शांतिलाल लालचंद, 1730आगरा रोड, पी.बी नं. 34, धूलिया
चन्द्ररपुरश्री गुरूदेव कृषि सेवा केन्द्रम 2 कोपरेटिव बैंक मार्केट कम्पलैक्स बरोडा जिला चन्द्ररपुर-444 001
वासिममहा लक्ष्मी सीड्स एंड प्रोसेसिंग प्लांट , राजुकर कम्पाउंड, बंबई लोज के पीछे , तिलक रोड, अकोला-444 001
बंद्रामैसर्स सेतकारी कृषि सेवा  केन्द्र, लखुनंदर जिला, बंद्रा
पुणेमैसर्स पारेख ट्रेडर्स 18, माधवर्ती भवन,   सेतकारी निवास, मार्केट यार्ड पूने-411 037
पुणेमैसर्स सेठी उद्योग भंडार, 501, गोरपड़े पेठ , शिवाजी रोड, स्वरगेट पूने-411 042
सोलापुरमैसर्स आदित्य इंटरप्राईजेस, स्वामी विवेकानंद नगर, कुमठा रोड, एयर पोर्ट मसारेवादी, सोलापुर-413 224
कोल्हापुरमैसर्स याराना कृषि उद्योग, सनमित्रा चौक, कुरेन्दबाद, सिरोही जिला, कोल्हापुर
सतारामैसर्स संदीप  कृषि सेवा केन्द्र, विनय वाणिज्यिक कम्पलैक्स, शॉप नं- बी-5, दक्कन चौक लक्ष्मी नगर, पालतन जिला, सतारा
कुडापा जिलामैसर्स भारत सीड ऐजेन्सी
अदिलाबादमैसर्स श्री अरूणा ऐग्रो ऐजेन्सी
अंनतपुरमैसर्स रब्बानी सीड्स
पूर्व  गोदावरी, पश्चिम गोदावरी,श्रीकाकुलम, विजयनगरमं, विशाखापट्टनममैसर्स कृषक रत्ना, ऐग्रो केमिकल्स
कृष्णा एवं गुन्टूरमैसर्स  अरूणा ऐग्रो ऐजेन्सी
महबूबनगरमैसर्स रब्बानी सीड्स
नालगोडा जिला एवं महबूबनगर जिले के हिस्से (साधनगर, जडछारिया , कालावक्रोती, अचमपेट मंडल)मैसर्स रब्बानी सीड्स
करनुल का हिस्सा (अधोनी, डोनी, जुपाडू, बुगल्लो कुडूमूर, करनूल, मंत्रालयम, नन्दीकोटकुर, मिदतूर, ओरावकलम, पीपट्टीकोडा, पल्लाई , श्री सल्लम, मंडलम)मैसर्स रब्बानी सीड्स
करनूल का हिस्सा (उपरोक्त को छोड़कर )मैसर्स रब्बानी सीड्स
प्रकाशम एंव नैल्लौरमैसर्स शुभानी सीड्स
वारगंल (जिला)मैसर्स सुमनजाल सीड्स एंड फार्म
रंगा रेड्डीमैसर्स विक्टरी सीड्स, करनूल
स्त्रोत : राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड, भारत सरकार

जीएसटी लागू होने के बाद रासायनिक उर्वरकों के मूल्य में कमी

मध्यप्रदेश में जीएसटी लागू होने के बाद रासायनिक उर्वरकों के मूल्य में कमी

मध्यप्रदेश में एक जुलाई, 2017 से वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होने के बाद रासायनिक उर्वरकों के मूल्यों में कमी आई है।

रासायनिक उर्वरक डीएपी 10 रूपये 75 पैसे, यूरिया 6 रूपये, एनपीके 12:32:16 रूपये 20, एनपीके 10:26:26 पाँच रूपये, एमओपी 5 रूपये 38 पैसे और सिंगल बोरी फास्फेट के प्रति बोरी मूल्य पर 5 रूपये 14 पैसे की कमी आई है। सहकारी समिति और विपणन संघ को जीएसटी लागू होने के बाद रासायनिक उर्वरकों में कम हुई दरों पर किसानों को बिक्री किये जाने के निर्देश दिये गये हैं।

इन कृषि मशीनों से कृषि को बनाये आसान और करें कृषि की लागत को कम

इन कृषि मशीनों से कृषि को बनाये आसान और करें कृषि की लागत को कम

कृषि मशीनों के प्रयोग से उत्पादकता को बढाया जा सकता है | भारत वर्ष में कुल जोत का लगभग 63% क्षेत्रफल वर्षा पर आधारित है जिससे 42 – 44 % खाधान्न उत्पादन की प्राप्ति होती है और लगभग 500 मिलियन (35 % आबादी) लोगों का पेट भरता है बारानी क्षेत्रों में येसी फसलें लेते है जो कम वर्ष या सिंचाई की स्थिति में उग सकें |

खेती की समस्याएं :

अपर्याप्त, अनिश्चित वर्षा तथा इसका असामान्य वितरण, वर्षा का देर से आना व जल्दी ख़त्म होना, फसल के दौरान लम्बी सूखा अवधि, मृदा में कम जलधारण क्षमता, कम मृदाउर्वरा, शक्ति, उन्नत तकनीक की कमी, पशुओं का कम उत्पादन व चारे की कमी, संसाधनों की कमी आदि |

धान, मक्का, कोंदों, राई, सरसों, मूंगफली एवं दलहनी फसलें उत्तर प्रदेश के बारानी क्षेत्रों में उगाते हैं | इन क्षेत्रों में पैदावार भी कम होती है | अधिक पैदावार लेने के लिए नमी संरक्षण, समय पर उर्वरक प्रयोग, समय से बुवाई, खरपतवार नियंत्रण, उचित भूमि उपयोग, जलागम प्रबंधन तथा बारानी खेत के अन्य तरीके अपनाना आवश्यक है | इसके अतिरिक्त आजकल अनेक उन्नत कृषि यंत्र शोध संस्थनों द्वारा विकसित किये गये हैं जिनके प्रयोग से किसानों को लाभ होता है तथा 12 – 34 % तक उत्पादन में वृधि होती है |

कृषि मशीनीकरण : मुख्य तकनिकी

फर्टीसीडड्रिल

फर्टीसीडड्रिल के प्रयोग से 20% तक बीज तथा 15 – 20 % तक उर्वरक की बचत होती है | फसल सघनता में 5 – 20% तक वृधि होती है | किसान की कुल आय में 30 – 50% तक बढ़ोत्तरी होती है | भूमि विकास, जुताई एवं खेती की तैयारी हेतु निम्नलिखित यंत्रों का उपयोग होता है |

जीरो टिलेज मशीन

जीरो टिलेज मशीनसे बगैर जुताई किए गेंहू व अन्य फसलों की बुवाई करते हैं | इस मशीन के प्रयोग से लगभग रु. 2000 – 3000 प्रति हेक्टेयर तक लागत में कमी आती है |

पशु चालित पटेला हैरो

पशु चालित पटेला हैरो ढेले तोड़ने, ठूंठ या घासपात इक्टठा करने, खेत को समतल करने हेतु बुवाई से पूर्व प्रयोग किया जाता है | इससे 58% खेत की तैयारी वाले खर्चे में कमी आती है, 20% श्रम की बचत होती है तथा 3 – 4% तक पैदावार में वृधि देशी हल से जुताई करने की तुलना में होती है |

ट्रैक्टर चालित डिस्क हैरो

ट्रैक्टर चालित डिस्क हैरो का उपयोग बगीचों, पेड़ों के बीच अच्छा होता है | इससे 40 % तक श्रम तथा 54% खेत की तैयारी की लागत कम आती है | पैदावार में 2% तक वृधि पुराने तरीके की तुलना में प्राप्त होती है |

डक – रुक कल्टीवेटर

डक – रुक कल्टीवेटर काली मिटटी कड़ी परत वाली भूमि में कम गहराई की जुताई करने में अच्छा कार्य करता है | इससे 30% श्रम की बचत, 35% परिचालन कीमत में कमी तथा 30% तक पैदावार में वृधि पशुचालित कल्टीवेटर की तुलना में होती है |

रोटावेटर

रोटावेटर से सीडबैड शुष्क व नमीयुक्त भूमि तैयार किया जाता है | इससे हरी खाद वाली फसलों एवं खेत में पड़े भूसा आदि को मिटटी में अच्छी तरह से मिलाया जा सकता है | इससे मिटटी भुरभुरी हो जाती है | इससे 60% श्रम की बचत होती है तथा ट्रैक्टर चालित हल की तुलना में 2% पैदावार बढ़ती है |

ट्रैक्टर चालित सबस्वायलर

ट्रैक्टर चालित सबस्वायलर भूमि की कड़ी परत को तोड़ने, मिटटी का ढीली करने तथा पानी को नीचे रिसने में मदद करता है | इससे छोटी – छोटी नाली भी बनाई जा सकती है जो की पानी के निकास के लिए प्रयोग हो सकती है | इसके उपयोग से 30% तक पैदावार में वृधि हो सकती है क्योंकि गहरी जुताई से जल धारण क्षमता बढ़ जाती है |

धान – ड्रम सीडर

से धान के पहले से जमे हुए बीजों को सीधे रूप से लेवा खेत में बोया जाता है | इससे 20% तक बीज की बचत होती है तथा हाथ से खरपतवार निकालने में पंक्तियों में बुवाई के कारण मदद मिलती है |

पशुचालित प्लान्टर, ट्रैक्टर चालित फर्टीसीडड्रिल, ट्रैक्टर चालित धान बुवाई यंत्र, बहुफसली सीडड्रिल एवं प्लान्टर, मूंगफली खुदाई यंत्र, मूंगफली थ्रैसर, मूंगफली दाना निकालने का यंत्र, मक्का छिलाई यंत्र, सूरजमुखी थ्रैसर, कम्बाइनड हार्वेस्टर आदि नविन यंत्र विकसित किये गये है जिन्हें प्रयोग कर कृषि उत्पादन में वृधि की जा सकती है |

किसान भाई अधिक उपज के लिए लगाएं मिर्च की सदाबहार किस्में

किसान भाई अधिक उपज के लिए लगाएं मिर्च की सदाबहार किस्में

मिर्च की सदाबहार किस्में :-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से विकसित पूसा सदाबहार किस्म के तैयार होने में मात्र 60 से 70 दिनों का समय लगता है। मिर्च की यह किस्म एक हेक्टेयर में 40 कुंटल तक की पैदावार देती है, जो मिर्च की किसी भी किस्म से अधिक है। मौजूदा समय में किसान इस किस्म की नर्सरी तैयार कर सकते हैं।

भारत के पूसा से विकसित की गई मिर्च की पूसा सदाबहार किस्म देश के किसी भी हिस्से में उगाई जा सकती है। पूसा सदाबदार मिर्च सबसे खास मानी जाती है। इस किस्म की बुवाई पूरे भारत में की जाती है, इसकी नर्सरी जून से जुलाई माह तक तैयार की जाती है। यह किस्म एक हेक्टेयर में करीब 40 कुंतल की पैदावार देती है।

पूसा सदाबहार किस्म की मिर्च छह से आठ सेमी. लंबी होती है और इस किस्म से करीब एक गुच्छे में 12 से 14 मिर्च पैदा होती हैं। यह किस्म रोपाई के 60 दिन बाद तैयार हो जाती है। इस किस्म की खेती में एक हेक्टेयर खेत में 150 ग्राम बीज की ज़रूरत पड़ती है।

खरपतवार एवं कीट नियंत्रण


पूसा सदाबहार मिर्च की नर्सरी तैयार करने के बाद सबसे ज़रूरी होता है फसल में । फसलों बोने के 25 से 30 दिनों के बाद खेत में अनावश्यक तौर पर उगे खरपतवार को हटाना बेहद ज़रूरी होता है। इस किस्म में फल छेदक, थ्रिप्स और माहू जैसे कीट का खतरा रहता है। कीटों के अधिक प्रभाव से फसल को बचाने के लिए 15 ग्राम एसीफेट या 10 एमएल इमीडाक्लोप्रिड दवा को 15 लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए।

मिर्च की फसल में रोग

फसल में मोजेक बहुत ज्यादा लगता है , जिसे हम लीफ कर्ल के नाम से पुकारते है ,यह मोजेक वाइट फलाई सफ़ेद मख्खी से फैलता है ,इसके नियंत्रण केडाइथेनियम ४५ अथवा  डाइथेनियम जेड ७८ तथा मेटा सिसटक १ लीटर प्रति हेक्टर के हिसाब से खड़ी फसल  में छिडकाव करना चाहिए इसके बचाव के लिए लगातार१० से १५ दिन पर छिडकाव करते रहना चाहिए जिससे की हमारी फसल अच्छी पैदावार दे सके

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सोयाबीन के विपुल उत्पादन हेतु जानें उर्वरक, खरपतवार एवं कीट नियंत्रण किसान भाई  किस प्रकार करें

सोयाबीन की खेती में अधिक उत्पादन के लिए फसल में संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करना उचित रहता है | सोयाबीन की फसल को कीट एवं रोगों से बचाकर रखना चाहिए | नीचे सोयाबीन की अच्छी उपज के लिए उर्वरक प्रवंधन एवं कीट रोग से बचाब के लिए सुझाव दिए गए हैं |

संतुलित उर्वरक प्रबंधन

  • उवर्रक प्रबंधन के अंतर्गत रसायनिक उर्वरकों का उपयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर ही किया जाना सर्वथा उचित होता है ।
  • रसायनिक उर्वरकों के साथ नाडेप खाद, गोबर खाद, कार्बनिक संसाधनों का अधिकतम (10-20 टन/हे.) या वर्मी कम्पोस्ट 5 टन/हे. उपयोग करें ।
  • संतुलित रसायनिक उर्वरक प्रबंधन के अन्र्तगत संतुलित मात्रा 20:60 – 80:40:20 (नत्रजन: स्फुर: पोटाश: सल्फर) का उपयोग करें ।
  • संस्तुत मात्रा खेत में अंतिम जुताई से पूर्व डालकर भलीभाँति मिट्टी में मिला देंवे ।
  • नत्रजन की पूर्ति हेतु आवश्यकता अनुरूप 50 किलोग्राम यूरिया का उपयोग अंकुरण पश्चात 7 दिन से डोरे के साथ डाले ।

जस्ता एवं गंधक की पूर्ति:-

अनुशंसित खाद एवं उर्वरक की मात्रा के साथ जिंक सल्फेट 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर मिट्टी परीक्षण के अनुसार डालें । 2. गंधक युक्त उर्वरक (सिंगल सुपर फास्फेट) का उपयोग अधिक लाभकारी होगा । सुपर फास्फेट उपयोग न कर पाने की दशा में जिप्सम का उपयोग 2.50 क्वि. प्रति हैक्टर की दर से करना लाभकारी है । इसके साथ ही अन्य गंधक युक्त उर्वरकों का उपयोग किया जा सकता है ।

किसान भाई आप अपने सोयाबीन के फसल के लिए उर्वरक जरुरी है ,तथा यह भी मालूम होना चाहिए की फसल में कितना उर्वरक तथा कौन – कौन सा उर्वरक डाला जाये |

सोयाबीन फसल में उर्वरकों की अनुशंसित मात्रा

पोषक तत्वका विवरण (किलोग्राम/हे.)विकल्प 1विकल्प 2विकल्प 3
उर्वरक का नाममात्र

(कि.ग्रा./हे. )

उर्वरक का नाममात्र

(कि.ग्रा./हे. )

उर्वरक का नाममात्र

(कि.ग्रा./हे. )

नत्रजन 20यूरिया44डी.ए.पी.130एन.पी.के.200
फास्फोरस 60 – 80सुपर फास्फेट400 – 500
पोटाश 40म्यूरेट ऑफ़

पोटाश

67म्यूरेट ऑफ़

पोटाश

67
सल्फर 20जिप्सम200जिप्सम200

 

सोयाबीन फसल के लिये अनुशंसित

क्र.खरपतवारनाशकरसायनिक नाममात्रा/हे.
1.बोवनी के पूर्व उपयोगी (पीपीआई)फ्लुक्लोरेलीन2.22 ली.
ट्राईफलूरेलिन2.00 ली.
2.बोवनी के तुरन्त बाद (पीआई)मेटालोक्लोर2.00 ली.
क्लोमाझोन2.00 ली.
पेंडीमेथिलीन3.25 ली.
डाइक्लोसुलम26 ग्राम.
3.15 – 20 दिन की फसल में उपयोगीइमेजाथायपर1.00 ली.
किवजलोफाप1.00 ली.
फेनाकसीफाप0.75 ली.
हेलाक्सिफाप135 मी.ली.
4.10 – 15 दिन की फसल में उपयोगीक्लोरीम्यूरण36 ग्राम

सोयाबीन फसल की सुरक्षा कीटों से कैसे करें

एकीकृत कीट नियंत्रण के उपाय अपनाएं जैसे निम् तेल व लाईट ट्रेप्स का उपयोग तथा प्रभावित एवं क्षतिग्रस्त पौधों को निकालकर खेत के बाहर मिटटी में दबा दें | कीटनाशकों के छिड़काव हेतु 7 – 8 टंकी (15 लीटर प्रति टंकी) प्रति बीघा या 500 ली./हे. के मान से पानी का उपयोग करना अतिआवश्यक है |

जैविक नियंत्रण – खेत में ‘T’ आकर की खूंटी 20 – 25 /हे. लगाएं | फेरोमोन ट्रेप 10 – 12 /हे. का उपयोग करें | लाईट ट्रेप का उपयोग कीटों के प्रकोप की जानकारी के लिए लगाएं |

रासायनिक नियंत्रण

क्र.कीटनियंत्रण
1.ब्लू बीटलक्लोरपायरीफास / क्यूनालफास 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर
2.गर्डल बीटलट्राईजोफास 0.8 ली./हे. या इथोफेनप्राक्स 1 ली./हे. या थायोक्लोप्रीड 0.75 ली./हे.
3.तम्बाकू की इल्ली एवं रोयेंदार इल्लीक्लोरपायरीफास 20 इ.सी. 1.5 ली./हे. या इंडोक्साकार्ब 14.5 एस.पी. 0.5 ली./हे. या रेनेक्सीपायर 20 एस.सी. 0.10ली/हे.
4.सेमीलूपर इल्लीजैविक नियंत्रण हेतु बेसिलस थुरिजिएंसिस / ब्यूवेरिया बेसियामा 1 ली. या किलो / हे.
5.चने की इल्ली एवं तम्बाकू की इल्लीजैविक नियंत्रण – चने की इल्ली हेतु एच.ए.एन.पी.वी. 250 एल.ई./हे. तथा तम्बाकू की इल्ली हेतु एस.एल.एन.पी.वी. 250 एल.ई./हे. या बेसिलस थुरिजिएंसिस / ब्यूवेरिया बेसियामा 1 ली. या किलो / हे. का उपयोग करें |

 

रासायनिक नियंत्रण हेतु रेनेक्सीपायर 0.10ली/हे. या प्रोफेनोफास 1.25 ली./हे. या इंडोक्साकार्ब 0.5 ली./हे. या लेम्डा सायहेलोथ्रिन 0.3 ली./हे. या स्पीनोसेड 0.125 ली./हे. का उपयोग करें |

6.तना मक्खी या सफ़ेद मक्खीथायोमिथाक्सम 25 डब्लू जी. 100 ग्राम./हे.

 

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ऋण मोचन योजना के लिए किसानों के लिए जाने क्या है पात्रता

ऋण मोचन योजना के लिए किसानों के लिए जाने क्या है पात्रता

धारित भूमि के आधार पर पात्रता मापदण्ड क्या है ?
किसान के स्वामित्व वाली समस्त भूमि का कुल क्षेत्रफल 2 हेक्टेयर से अधिक नहीं होना चाहिए |
किसानों के लिये गये ऋणों के संदर्भ में पात्रता मानदण्ड क्या है ?
उत्तर प्रदेश में निवास करने वाले किसान जिनकी कृषि भूमि उत्तर प्रदेश में स्थित हो एवं उनके द्वारा उत्तर प्रदेश स्थित बैंक शाखा से फसली ऋण लिया गया हों |

किसान के स्वामित्व की विभिन्न भूमि का कुल क्षेत्रफल 02 हेक्टेयर से अधिक नहीं होगा |

येसा किसान जिसकी फसली ऋण की रिजर्व बैंक के दिशा – निर्देश के अनुसार प्राकृतिक आपदाओं के होने के कारण पुनसंरचना कर दी गयी हो, इस योजना के अन्तर्गत आच्छादित होगा |

सरकार द्वारा राजस्व अभिलेखों के आधार पर पट्टे पर दी गयी भूमि पर खेती करने के लिए किसान द्वारा लिया गया फसली ऋण |

ऋण प्राप्त करने की कट आफ डेट क्या है ?
एसे लघु एवं सीमान्त किसानों को जिनके द्वारा फसल ऋण दिनाक 31 मार्च 2016 या इसके पूर्व ऋण प्रदाता संस्थाओं से प्राप्त किया गया है |
अधिकतम कितनी धनराशि का ऋण मोचन प्रदान किया जाना है ?
राज्य सरकार द्ववारा रु. 1 लाख तक की धान राशि का ऋण मोचन प्रदान किया जायेगा |
 क्या मेरी ऋण मोचन की धनराशि में मूल धन राशि /मूल धनराशि एवं ब्याज सम्मिलित है ?
ऋण मोचन धनराशि की गणना के प्रयोजना हेतु दिनांक 31 मार्च, 2016 को बकाया (ब्याज सहित) से वित्तीय वर्ष 2016 -17 की अवधि में किसान द्वारा आहरित धान राशि या नई स्वीकृतियों पर विचार किये बिना वित्तीय वर्ष 2016 – 17 की अवधि (दिनांक 31 मार्च, 2016 के पश्चात् और दिनांक 31 मार्च, 2017 तक) में किसान से प्राप्त प्रतिभुगतान को घटा दिया जायेगा |
फसली ऋण मोचन योजनान्तर्गत ऋण मोचन हेतु कौन – कौन से दस्तावेज प्रस्तुत किये जाने होंगे ?
आधार कार्ड (यदि उपलब्ध हो), यदि यह उपलब्ध न हो तो किसान द्वारा इसे जागरूकता शिविरों के माध्यम से प्राप्त किया जाय|

जिला स्तरीय समिति एसे सभी किसानों की सूचि जिन्होंने सूचना पत्र प्राप्त किया है, लेकिन ‘आधार विवरण’ अंकन हेतु सहमति नहीं दी है , एसी सूची पोर्टल से प्राप्त करेगी |

जिला स्तारिय समिति निर्धारित दिशा निर्देशों के अनुसार उनकी अर्हता पर निर्णय लेगी | एसी अर्ह किसान पूर्व में प्रारम्भ की गयी प्रक्रिया के अनुसार तृतीय जागरूकता अभियान के अन्तर्गत लगे कैम्प में ऋण – मोचन विवरण पत्र प्राप्त करेंगे |

 किसानों द्वारा ग्राम एवं ब्लाक स्तर सर्वप्रथम किस्से सम्पर्क स्थापित किया जाय ?
किसान सर्वप्रथम संबंधित शाखा से संपर्क करें जिससे उनके द्वारा ऋण लिया गया है | कोइ शिकायत होने पर तहसील / जनपद स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किये जा रहे है जिनके दूरभाष नम्बर जिला कृषि अधिकारी कार्यालय से प्राप्त किये जा सकते हैं |
यदि किसान उत्तर प्रदेश के बहार का निवासी है, लेकिन उसकी कृषि भूमि उत्तर प्रदेश स्थित बैंक से ऋण प्राप्त किया हो, तो क्या एसा किसान योजनान्तर्गत पात्र होगा ?
नहीं | एसे किसान ऋण मोचन हेतु पात्र नहीं होंगे |
 क्या कोइ किसान, जिसने विभिन्न बैंकों से रु. 1 लाख से कम फसली ऋण लिया है योजनान्तर्गत पात्र होगा ?
हाँ,

यदि किसान द्वार एक से अधिक बैंकों से विभिन्न फसलों हेतु विभिन्न कृषि भूमियों को बंधक रखे जाने के सापेक्ष ऋण लिया गया है, तो ऋण – मोचन अधिकतम 1 लाख रूपये की सीमा तक आनुपातिक रूप में ही अनुमन्य होगा |

 कृषि से सम्बद्ध कार्यकलापों का क्या तात्पर्य है ?
कृषि उत्पाद ऋण जिसमें वेयर हॉउस रिसीट | गैर – परम्परागत खेती जैसे : ग्रीनहॉउस फार्मिंग मत्स्य पालन हेतु दिये गये सावधि ऋण |

अधिक लाभ के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली को अपनाएं किसान

एकीकृत कृषि प्रणाली:- देश में जहाँ चावल – गेंहू फसल प्रणाली को मूख्यताया अपनाया जाता है, भरपूर उत्पादकता प्राप्ति हेतु उन्नतशील अधिक उपज देने वाली विभिन्न प्रजातियों के चयन एवं सघन कृषि पद्धतियों के उपयोग के फलस्वरूप भूमिगत जल – स्तर में लगातार गिरावट हुई है | प्रदेश के मध्यभाग के 63% ट्यूबवेल का जल स्तर तीव्रगति से गिर गया है | ईएसआई के साथ – साथ उत्तरी भाग जो पहाड़ों के तराई का है, उसमें भी 9 प्रतिशत ट्यूबवेलों का जल स्तर अत्यधिक नीचे चला गया है |

इसके विपरीत उन क्षेत्रों के ट्यूबवेलों में जों नहरों के पास है, मृदाजल – स्तर में वृधि देखि गयी है जिसका प्रतिशत मात्र 28 है | मृदा जलस्तर में लागातार उत्तार चढ़ाव, पोषक तत्वों की कमी, खरपतवारों, रोग एवं अन्य के बुरे प्रभाव के फलस्वरूप आशानुरूप उपज प्राप्त करने हेतु सम्पूर्ण खर्च में 3 – 4% तक वृधि करना पड़ रहा है | ऐसी दशा में उत्पादकता में निरंतर वृधि बनाये रखना एक कठिन चुनौती है | मुख्य फसल प्रणाली की साथ – साथ अन्य कृषि आधारित उधोग अपनाने से भरपूर उपज के साथ से अधिक लाभकारी भी होता है | एसी पद्धति अपनाने से प्रक्षेत्र की उपलब्धियाँ निम्नलिखित है |

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  • मछली, मुर्गी एवं सुअर पालन करने से कुल रु. 79.064 / हे. प्राप्त हुआ जो चावल – गेंहू द्वारा प्राप्त धनराशि रु. 53.221 / हे. से 48.6% अधिक थी | इसके अतिरिक्त 500 दिनों का रोजगार भी मिला |
  • चावल – गेंहू फसल चक्र + मुर्गी पालन + डेयरी + सुअर + मच्छली + पापलर पेड़ द्वारा सर्वाधिक आय रु. 73.973/हे./वर्ष प्राप्त हुई जो की चावल – गेंहू प्रणाली से प्राप्त आय से 39 प्रतिशत अधिक है | इसके अतिरिक्त 483 दिन / हे./ वर्ष रोजगार भी प्राप्त हुआ |
  • चावल – गेंहू की अकेली खेती से जंहा प्रतिदिन रु. 190 मात्र प्राप्त हुआ वहीँ दूसरी ओर एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाने से रु. 203 प्रतिदिन प्राप्त किया गया |
  • एकीकृत खेती से प्राप्त आय द्वारा उक्त किसानों ने 6 वर्ष में 07 हे. अतिरिक्त जमीन खरीद ली |
  • जल उत्पादकता की दृष्टि से चावल – गेंहू फसल प्रणाली र. 2.6 प्रति घनमीटर जबकि मछली + सुअर पालन से रु. 5.67 प्रति घनमीटर प्राप्त हुआ |
  • उक्त कृषकों ने अपने दुग्धशाला के पशुओं को चीनी मिलों से प्राप्त प्रेसमड को खिलाया, फलत: उत्पादकता एवं लाभ में वृधि हुई |
  • उक्त कृषकों ने सस्ते दर (रु. 2.39 प्रति किलो) से मछली आहार बनाने के अवयवों को खरीद कर रु. 6.50 प्रति किलो की दर से बेच कर लगभग 63 % लागत में कमी किया |
  • इस फसल – प्रणाली से प्राप्त आय – व्यय के आकड़ों से यह पता चला की देश के एसे क्षेत्रों में जहाँ उथले जल – स्तर एवं जल – मग्नता आदि की समस्या है, खाद्यान्न फसलों के साथ – साथ पशु, मुर्गी, मछली, सुअर तथा वानिकी वृक्षों की एकीकृत खेती अधिक लाभकारी होगी |

फसल चक्र अपनाने का महत्व एवं उससे होने वाले लाभ

फसल चक्र अपनाने का महत्व एवं उससे होने वाले लाभ

उपजाऊ भूमि का क्षरण, जीवांश की मत्रा में कमी, भूमि से लाभदायक सूक्षम जीवों की कमी, मित्र जीवों की संख्या में कमी, हानिकारक कीट पतंगों का बढ़ाव, खरपतवार की समस्या में बढ़ोत्तरी, जलधारण क्षमता में कमी, भूमि के भौतिक, रासायनिक गुणों में परिवर्तन, क्षारीयता में बढ़ोत्तरी, भूमिगत जल का प्रदुषण, कीटनाशियों का अधिक प्रयोग तथा नाशीजीवों में उनके प्रति प्रतिरोधक क्षमता का विकाश, हमारे प्रदेश की सबसे लोकप्रिय फसल उत्पादक प्रणाली धान – गेंहू मृदा – उर्वरता के टिकाऊपन के खतरे को स्पष्ट आभार कराती प्रतीत हो रही है |

आज न तो केवल उत्पाद वृद्धि रुक गयी है बल्कि एक निश्चित मात्र में उत्पादन प्राप्त करने के लिए पहले की अपेक्षा न बहुत अधिक मात्र में उर्वरकों का प्रयोग करना पड़ रहा है क्योंकि भूमि में उर्वरक क्षमता उपयोग का ह्रास बढ़ गया है | इन सब विनाशकारी अनुभवों से बचने के लिए हमें फसल चक्र, फसल सघनता, के सिद्धांतों को दृष्टिगत रखते हुए फसल चक्र में दलहनी फसलों का समावेश जरुरी हो जायेगी क्योंकि दलहनी फसलों से एक टिकाऊ फसल उत्पादन प्रक्रिया विकसित होती है |

दलहनी फसलें

अधिक मूल्यवान फसलों के साथ चुने गये फसल चक्रों में मुख्य दलहनी फसलें, चना, मात्र, मसूर, अरहर, उर्द, मूंग, लोबिया, राजमा, आदि का समावेश जरुरी हो गया है | आदिकाल से ही मानव अपने भरन पोषण हेतु अनेक प्रकार की फसले उगाता चला आ रहा है | जो फसलें मौसम के अनुसार भिन्न – भिन्न होती है |

सभ्यता के प्रारम्भ से ही किसी खेत में एक निश्चित फसल न उगाकर फसलों को अदल – बदल कर उगाने की परम्परा चली आ रही है | फसल उत्पादन की इसी परंपरा को फसल चक्र कहते हैं अर्थात किसी निश्चित क्षेत्र पर निश्चित अवधि के लिए भूमि की उर्वरता को बनाये रखने के उद्देश्य से फसलों को अदल – बदल कर उगाने की क्रिया को फसल चक्र कहते है |

मूलभूत सिद्धांत

अथवा किसी निश्चित क्षेत्रों में एक नियत अवधि में फसलों को इस क्रम में उगाया जाना की उर्वरा शक्ति का कम से कम ह्रास हो फसल चक्र कहलाता है | फसल चक्र के निर्धारण में कुछ मूलभूत सिद्धांतों को ध्यान में रखना जरुरी होता है जैसे अधिक खाद चाहने वाली फसलों के बाद कम खाद चाहने वाली फसलों का उत्पादन अधिक पानी चाहने वाली फसल के बाद कम पानी चाहने वाली फसल |

अधिक निराई गुडाई चाहने वाली फसल के बाद निराई गुडाई चाहने वाली फसल दलहनी फसलों के बाद अहदलनी फसलों का उत्पान अधिक मात्र में पोषक तत्व शोषण करने वाली फसल के बाद खेत को परती रखना, एक ही नाशी जीवों से प्रभावित होने वाली फसलों को लगातार नहीं उगाना, फसलों का समावेश स्थानीय बाजार की मांग के अनुरूप रखना चाहिए|

फसल का समावेश जलवायु तथा किसान की आर्थिक क्षमता के अनुरूप करना चाहिए | उथली जड़ वाली फसल की बाद गहरी जड़ वाली फसल को उगाना चाहिए उत्तर प्रदेश में कुछ प्रचलित फसल चक्र इस प्रकार है जैसे परती पर आधारित फसल चक्र है परती – गेंहू, परती – आलू, परती – सरसों, परती – धान, है हरी खाद पर आधारित फसल चक्र इसमें फसल उगाने के लिए हरी खाद का प्रयोग किया जाता है |

हरी खाद का प्रयोग

जैसे हरी खाद – गेंहू, हरी खाद – धान, हरी खाद – केला, हरी खाद – आलू, हरी खाद – गन्ना, आदि दलहनी फसलों पर आधारित फसल चक्र – मूंग – गेंहू, धान – चना, कपास – मटर – गेंहू, ज्वार – चना, बाजरा – चना, मूंगफली – अरहर, मूंग – गेंहू, धान – मटर, धान – मटर – गन्ना, मूंगफली – अरहर – गन्ना, मसूर – मेंथा, मटर – मेंथा |

अन्न की फसलों पर आधारित फसल चक्र मक्का – गेंहू, धान – गेंहू, ज्वार – गेंहू, बाजरा – गेंहू, गन्ना – गेंहू, धान – गन्ना – पेडी, मक्का – जौ, धान – बरसीम, चना – गेंहू, मक्का – उर्द – गेहूं सब्जी आधारित फसल चक्र भिण्डी – मटर, पालक – टमाटर, फूलगोभी + मूली – बंदगोभी + मूली, बैंगन + लौकी, टिंडा – आलू – मूली, करेला, भिण्डी – मूली – गोभी – तरोई, घुईया – शलजम – भिण्डी – गाजर, धान – आलू – टमाटर, धान – लहसुन – मिर्च, धान – आलू + लौकी इत्यादि है |

किसी खेत में लगातार एक ही फसल उगाने के कारण कम उपज प्राप्त होती है तथा भूमि की उर्वरता खराब होती है | फसल चक्र से मृदा उर्वरता बढ़ती है, भूमि में कार्बन – नाइट्रोजन के अनुपात में वृद्धि होती है | भूमि के पी.एच. तथा क्षारीयता में सुधार होता है | भूमि की संरचना में सुधार होता है | मृदा क्षरण की रोक थाम होती है |

फसलों का बिमारियों से बचाव होता है, कीटों का नियंत्रण होता है, खरपतवारों की रोकथाम होती है,, वर्ष भर आय प्राप्त होती रहती है, भूमि में विषाक्त पदार्थ एकत्र नहीं होने पते हैं | उर्वरक अवशेषों का पूर्ण उपयोग हो जाता है सीमित सिंचाई सुविधा का समुचित उपयोग हो जाता है |

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का फॉर्म कैसे प्राप्त करें? कहाँ कोन से कागजात के साथ जमा करें?

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का फॉर्म कैसे प्राप्त करें? कहाँ कोन से कागजात के साथ जमा करें?

 फार्म कहाँ से ले और कहाँ पर जमा करें

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (के लिए फॉर्म भरने के दो तरीके हैं।

  1. ऑफ लाइन (बैंक जाकर)
  2. दूसरा ऑनलाइन।

 

ऑफ लाइन आवेदन किस प्रकार करें

आपके नजदीक जो भी बैंक है उस बैंक में जाकर आप प्रधानमंत्री फसल बीमा का फॉर्म लेकर वहीं पर जमा कर दीजिए।

फॉर्म भरने के लिए क्या-क्या कागजात चाहिए ?

  1. आवेदक का एक फोटो
  2. किसान का आईडी कार्ड (पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट, आधार कार्ड)
  3. किसान का एड्रेस प्रूफ (ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट, आधार कार्ड)
  4. अगर खेत आपका खुद का है तो खेत का खसरा नंबर / खाता नंबर का पेपर जरूर साथ लें।
  5. खेत पर फसल बोई है, इसका प्रूफ। प्रूफ के तौर पर किसान पटवारी, सरपंच, प्रधान जैसे जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों से एक पत्र लिखवाकर जमा कर सकते हैं। हर राज्य में ये व्यवस्था अलग अलग है। नजदीकी बैंक जाकर इस बारे में ज्यादा जानकारी ले सकते हैं।
  6. अगर खेत बटाई या किराए पर लेकर फसल बोई गई है, तो खेत के असली मालिक के साथ करार की कॉपी की फोटोकॉपी साथ जरूर लें। इसमें खेत का खरसा नंबर / खाता नंबर जरूर साफ तौर पर लिखा होना चाहिए।
  7. अगर आप चाहते हैं कि फसल को नुकसान होने की स्थिति में पैसा सीधे आपके बैंक खाते में जाए, तो एक कैंसिल्ड चैक भी लगाना जरूरी होगा।

कुछ जरुरी बातें

  • फसल बोने के अधिकतम 10 दिनों के अंदर ही आपको प्रधानमंत्री बीमा फसल योजना का फॉर्म भरना जरूरी हैं।
  • फसल कटाई से लेकर अगले 14 दिनों तक अगर आपकी फसल को प्राकृतिक आपदा के कारण नुकसान होता है, तो भी आप इस बीमा योजना का लाभ उठा सकते हैं।
  • इस योजना में आपको फसल खराब होने पर तभी बीमा की रकम मिल सकेगी जब आपकी फसल किसी भी प्राकृतिक आपदा के ही कारण खराब हुई हो। जैसे औला, जलभराव, बाढ़, तूफान, तूफानी बरसात, जमीन धंसना इत्यादि।

अगर खेत किराए पर लिया है तो?

देश में करोड़ों ऐसे किसान हैं जो खेती के लिए खेत किराए पर लेते देते हैं। किराए (बटाई) पर खेत लेकर खेती करने वाले किसानों को भी इस योजना में शामिल किया गया है।

ऑनलाइन आवेदन करने के लिए क्लिक करें 

उतरप्रदेश में 2 और 3 हार्सपावर के सोलर पम्प पर 75 प्रतिशत तथा 5 हार्सपावर के सोलर पम्प पर 50 प्रतिशत अनुदान योजना

उतरप्रदेश में 2 और 3 हार्सपावर के सोलर पम्प पर 75 प्रतिशत तथा 5 हार्सपावर के सोलर पम्प पर 50 प्रतिशत अनुदान योजना

उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को दो हार्सपावर, तीन हार्सपावर और पांच हार्सपावर वाले सोलर पंप अनुदान दे रही है। इसमें दो और तीन हार्सपावर वाले पंपों पर 75 प्रतिशत और पांच हार्सपावर वाले सोलर पंप पर 50 प्रतिशत अनुदान लाभार्थी को दिया जा रहा है। प्रदेश के कृषि विभाग ने किसानों का रुझान सोलर पंपों की तरफ बढ़ता देख भारत सरकार से अधिक संख्या में सोलर पंप मुहैया करने की मांग की है।

अनुदान अनुमानित दर पर सोलर पंप लेने के लिए किसानों को पहले ऑनलाइन पंजीकरण कराना होगा। इसके साथ ही विकल्प देना होगा कि दो, तीन या पांच कितने हार्स पावर का पंप उसे चाहिए। यह योजना पहले पंजीकरण कराओ, पहले लाभ पाओ के सिद्धान्त पर किसानों को मुहैया कराई जाती है। सोलर पम्प के ऑनलाइन पंजीकृत कृषकों की विकास खण्डवार लक्ष्य के अनुसार सूची तैयार होती है। इसके बाद जनपदीय उप कृषि निदेशक द्वारा सत्यापन कराया जायेगा कि दो हार्स पावर के सोलर पम्प के लिए पंजीकृत किसान के पास चार इंच और तीन व पांच हार्स पावर सोलर पंप के लिए छह इंच क्रियाशील बोरिंग उपलब्ध है या नहीं।

सोलर पंप से किसानों को काफी लाभ मिल रहा है, जिन्होंने सोलर पंप लगाया है उनके खेत की सिंचाई में कोई दिक्कत नहीं आ रही है। इस योजना का लाभ कृषि विभाग में पंजीकृत किसानों को मिलेगा। इसके अलावा किसान को सोलर पंप या अन्य कृषि यंत्र को लगाने के लिए अलग से पंजीकरण कराना होगा क्योंकि अनुदान की राशी सीधे किसान के बैंक खाते में जाती है।

चयन प्रक्रिया

इसमें किसानों का चयन कृषि विभाग के द्वारा किया जाता हैं और टेक्निकल गाइड यूपीनेडा का रहता है। किसानों को इसका लाभ लेने के लिये ऑनलाइन किसान पंजीकरण कराना आवश्यक होता हैं। इसके बाद वो जिले के उपकृषि निदेशक के दफ्तर में सोलर पम्प लगवाने के लिये आवेदन कर सकता है। किसान को केवल अपने कृषक अंश का ड्राफ्ट सम्बन्धित फार्म के नाम का बनवा के कृषि विभाग में ही जमा करना होता है, तत्पश्चात उसके यहां सोलर पम्प लग जाता है।

किसानों को पंजीकरण कराने के लिए अपने साथ खतौनी, बैंक पासबुक और पहचान पत्र के साथ उनकी फोटोकॉपी ले जाकर अपने ब्लॉक आफिस से पंजीकरण करा सकता है। इसके बाद लाभार्थी का चयन हो जाने पर उसके द्वारा चुने गए सोलर वॉटर पंप को लगवाने के लिए उसे एक डिमांड ड्रफ्ट बनवा कर जमा करना होगा। जिसके बाद सोलर वॉटर पंप उसके खेत या बताई गई जगह पर कंपनी द्वारा लगा दिया जाएगा।

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