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अधिक पैदावार के लिए धान की फसल में किसान इस समय करें यूरिया का छिड़काव

धान की फसल में यूरिया का छिड़काव

देश में अभी किसानों द्वारा खरीफ फसलों की खेती की जा रही है, जिसमें धान, मक्का एवं सोयाबीन की खेती महत्वपूर्ण है | धान की खेती उत्तर भारत से दक्षिण भारत तक सभी राज्यों में की जाती है | धान की खेती के लिए अलग-अलग राज्यों के किसानों के द्वारा अलग-अलग समय पर बुआई की गई है, जिससे अभी धान की फसल अलग-अलग अवस्था में हैं | जहाँ धान की फसल में कन्से निकलना प्रारंभ हो गए हैं इस अवस्था में पौधों को ज्यादा से ज्यादा पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है | इसको देखते हुए छत्तीसगढ़ कृषि विभाग के द्वारा किसानों धान की फसल में उर्वरक कब एवं कितना देना है इसके लिए सलाह जारी की गई है |

किसान कब करें धान में यूरिया का छिड़काव

धान की फसल में जहां कन्से निकलने की अवस्था आ गई हो वहां किसान नत्रजन की दूसरी मात्रा का छिड़काव कर सकते हैं । इससे धान के कन्से की स्थिति में सुधार आएगा। फसल में कीट या खरपतवार होने की स्थिति में दोनों को नियंत्रित करने के बाद ही प्रति हेक्टेयर 40 किलो यूरिया के छिड़काव करने की सलाह किसानों को दी गई है।

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कृषि विभाग के अधिकारियों ने धान फसल के प्रारंभिक गभोट अवस्था में मध्यम एवं देर अवधि वाले धान फसल के 60-75 दिन के होने पर नत्रजन की तीसरी मात्रा का छिड़काव करने को कहा है । पोटाश की सिफारिश मात्रा का 25 प्रतिशत भाग फूल निकलने की अवस्था पर छिड़काव करने से धान के दानों की संख्या और वजन में वृद्धि होती है।

धान में कीट-रोग लगने पर क्या करें

अभी धान फसल पर पीला तना छेदक कीट के वयस्क दिखाई देने पर तना छेदक के अण्डा समूह हो एकत्र कर नष्ट करने के साथ ही सूखी पत्तियों को खींचकर निकालने की सलाह दी गई है। तना छेदक की तितली एक मोथ प्रति वर्ग मीटर में होने पर फिपरोनिल 5 एससी एक लीटर प्रति दर से छिडकाव करने की सलाह कृषकों को दी गई है।

पत्ती मोडक (चितरी) रोग के नियंत्रण के लिए प्रति पौधा एक-दो पत्ती दिखाई देने पर फिपरोनिल 5 एससी 800 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने को कहा गया है। धान की फसल में रोग के प्रारंभिक अवस्था में निचली पत्ती पर हल्के बैगनी रंग के धब्बे पड़ते हैं जो धीरे-धीरे बढ़कर चौड़े और किनारों में सकरे हो जाते हैं, इन धब्बों के बीच का रंग हल्का भूरा होता है। इसके नियंत्रण के लिए टेबूकोनाजोल 750 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह किसानों को दी गई है।

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