Saturday, April 1, 2023

किसान अधिक लाभ के लिए करें सिर्फ नीम लेपित यूरिया का ही उपयोग

नीम लेपित यूरिया के लाभ

रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी होती है परन्तु इसके परिणाम स्वरूप मृदा संरचना एवं पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है | इससे मृदा में जल अधिग्रहण क्षमता, वायु संरचना और कार्बनिक पदार्थों की मात्रा में कमी आती है | इन दुष्परिणामों को ध्यान में रखकर कृषि वैज्ञानिकों ने नीम लेपित यूरिया का विकास किया है | इस नीम लेपित यूरिया के प्रयोग से किसानों तथा कृषि की बहुत सी समस्याओं को कम किया जा सकता है | इसके फसलों में नाईट्रोजन कि पूर्ति करने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण में भी प्रभावी है |

क्या है नीम लेपित यूरिया

नीम लेपित यूरिया में एक साधारण यूरिया को नीम के तेल से आवरित किया जाता है| इससे नाईट्रोजन, मृदा में धीरे–धीरे समावेशित होती है | साधारण यूरिया का अधिकांश भाग पौधों द्वारा उपयोग किये बिना ही नष्ट हो जाता है | सर्वप्रथम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद– भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के वैज्ञानिक डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और उनकी टीम ने नीम लेपित यूरिया तैयार किया था | सबसे पहले धान की फसल में इसका प्रयोग कर फसल की वृद्धि और उत्पादन में बढ़ोतरी दर्ज की थी |

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सामान्यत: नाइट्रापायरिन, सल्फाथायाजोल आदि की लागत अधिक होने के कारण अब इनका प्रयोग यूरिया के लेपन में नहीं किया जा रहा है | ऐसे में नीम लेपित यूरिया एक अच्छे विकल्प के रूप में उभरा है | उम्मीद है कि आने वाले समय में हमारे किसान नीम लेपित यूरिया का उपयोग कर मृदा स्वास्थ्य के साथ–साथ अधिक फसलोत्पादन प्राप्त करने में मदद मिलेगी | इससे भूमिगत जल में नाईट्रोजन की मात्रा में कमी आएगी | परिणामस्वरूप मानव स्वास्थ्य की भी रक्षा होगी |

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क्यों जरुरी है नीम लेपित यूरिया

जब किसान सामान्य यूरिया का प्रयोग करते हैं, तो नाईट्रोजन की लगभग आधी मात्रा ही पौधों द्वारा ग्रहण की जाती है तथा शेष मात्रा की विभिन्न रूपों में क्षति हो जाती ही है | यूरिया के जलीयकरण और नाईट्रोजन द्वारा क्षति भी एक गंभीर समस्या है | इस समय से बचाने का सबसे सरल और प्रभावी उपाय नीम लेपित यूरिया है, जो नाईट्रोजन निरोधी के रूप में कार्य करता है |

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इसके प्रयोग से नाईट्रीकरण की प्रक्रिया मंद गति से होने लगती है, जिससे नाईट्रोजन के लीचिंग व वाष्पीकरण द्वारा ह्रास में कमी आ जाती है | नाईट्रोजन अधिक समय तक मृदा में रहने से पौधे इसे लंबे समय तक ग्रहण कर सकते हैं | इससे यूरिया की कम मात्रा में प्रयोग कर उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है, जिससे लागत में कमी आयेगी | इसके साथ ही नीम को एक अच्छा कीटनाशक और बैक्टीरियारोधी भी माना जाता है, जिससे विभिन्न फसलीय रोगों एवं कीटों के प्रकोप को कम किया जा सकता है |

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कैसे काम करता है नीम लेपित यूरिया

नीम लेपित यूरिया नीम के तेल की परत से ढका होता है | इससे यह मृदा में नमी के सम्पर्क में आने पर धीरे–धीरे घुलता रहता है और पौधों को नाईट्रोजन की उपलब्धता लंबे समय तक बनी रहती है | यह फसलों की वृद्धि, विकास और उपज बढ़ोतरी में सहायक होता है | इस प्रकार से मृदा में नाईट्रोजन की हानि को काफी हद तक कम किया जा सकता है |

नीम लेपित यूरिया के लाभ एवं पैदावार में वृद्धि

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इसके प्रयोग से जहाँ कृषि लागत में कमी आती है वहीँ मिट्टी में नाईट्रोजन की उपलब्धता लम्बे समय तक रहती है | इसके प्रयोग से मिट्टी की सेहत तो सुधरती ही है वहीँ प्रदुषण भी कम होता है | विभिन्न प्रयोगों के माध्यम से यह देखा गया है कि इसके प्रयोग से धान के पैदावार  में 5.79 प्रतिशत, गेहूं के पैदावार में 12.07 प्रतिशत, गन्ना की पैदावार में 17.5 प्रतिशत, मक्का की पैदावार में 7.14 प्रतिशत, अरहर की पैदावार 10.08 प्रतिशत, सोयाबीन की पैदावार में 16.88 प्रतिशत, आलू एवं कपास की पैदावार में 5.21 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है |

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