किसानों की श्रेणी का वर्गीकरण
भारत एक कृषि प्रधान देश हैं यहाँ की अर्थव्यवस्था में 17 प्रतिशत का योगदान कृषि एवं सम्बंधित क्षेत्रों से आता है, जबकि रोजगार देने में लगभग 58 प्रतिशत का योगदान रखता है | लेकिन देश में बढती जनसंख्या के कारण किसानों के पास प्रति परिवार भूमि में कमी आई है | जिसके कारण देश में किसान खेती को छोड़ शहरों के तरफ बढ़ रहे हैं | खेती के लिए पर्याप्त भूमि नहीं होने के कारण कई किसान मजदुर की श्रेणी में आ गए हैं | किसानों की पहचान कर उन्हें योजनाओं का लाभ मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा किसानों का श्रेणी के अनुसार वर्गीकरण किया जाता है |
लोकसभा में सांसद श्री आर.के.सिंह पटेल ने देश में किसानों के वर्गीकरण को लेकर सवाल किया कि क्या सरकार ने किसानों को लघु, सीमांत, ग़रीबी रेखा से नीचे के तथा अन्य पिछड़े वर्गों में वर्गीक्रत किया है, उसके बारे में पूरी जानकरी दें । जिसको लेकर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विस्तार पूर्वक दिया। इस सवाल के जवाब में कृषि मंत्री ने राज्यवार किसानों के पास भूमि की जानकारी पटल पर रखी |
देश में किसानों को इन श्रेणियों में बाँटा गया है
भारत सरकार देश के किसानों को भूमि के आधार पर 5 श्रेणी में बांटा है | इसके आधार पर ही किसानों को योजनाओं में लाभ दिया जाता है | किसानों की श्रेणी इस प्रकार है :-
- सीमांत–1 हेक्टेयर से कम भूमि रखने वाले किसान
- छोटा–1 हेक्टेयर से लेकर 2 हेक्टेयर भूमि रखने वाले किसान
- अर्द्ध मध्यम–2 से 4 हेक्टेयर भूमि रखने वाले किसान
- मध्यम–4 से 10 हेक्टेयर भूमि रखने वाले किसान
- बड़े -10 हेक्टेयर और उससे अधिक भूमि रखने वाले किसान
किसानों के पास औसतन कितनी भूमि है ?
भारत में बढ़ती जनसंख्या के तहत प्रति किसान परिवार भूमि कम हो रही है | देश में प्रति किसान परिवार औसतन भूमि 1.08 हेक्टेयर हैं जो कि वर्ष 2010–11 में प्रति परिवार 1.18 हेक्टेयर भूमि थी| देश में नागालैंड के किसानों के पास सबसे ज्यादा भूमि है | नागालैंड में प्रति परिवार भूमि 4.87 हेक्टेयर है तो वहीँ पंजाब में 3.62 हेक्टेयर/परिवार तथा हरियाणा में 2.22 हेक्टेयर भूमि/परिवार है | सबसे कम केरल में 0.18 हेक्टेयर/परिवार, लक्ष्य द्वीप में 0.27 हेक्टेयर/परिवार है | राज्यों के अनुसार किसान परिवार के मौजूदा समय में भूमि की जानकारी इस प्रकार है:-