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समन्वित कृषि प्रणाली से किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए शुरू हुआ वैज्ञानिकों का मंथन

समन्वित कृषि प्रणाली पर तीन दिनों की बैठक

देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने के साथ ही जलवायु अनुकूल खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वैज्ञानिकों के द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। इस क्रम में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में 29 जनवरी से समन्वित कृषि प्रणाली पर अखिल भारतीय समन्वित कृषि अनुसंधान परियोजना की तीन दिवसीय वार्षिक समूह बैठक का शुभारंभ किया गया। 31 जनवरी 2024 तक चलने वाली इस समूह बैठक में इस परियोजना के अंतर्गत संचालित देश के 74 अनुसंधान केन्द्रों के कृषि वैज्ञानिक शामिल हुए हैं।

इस बैठक में समन्वित कृषि प्रणाली परियोजना के अंतर्गत देश भर के विभिन्न केन्द्रों में संचालित अनुसंधान गतिविधियों, समन्वित कृषि प्रणाली के विभिन्न मॉडलों, चुनौतियों तथा संभावनाओं पर विचार-मंथन किया जाएगा तथा भविष्य हेतु रणनीति तैयार की जाएगी। बता दें कि इस तीन दिवसीय वार्षिक समूह बैठक का आयोजन भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, मोदीपुरम, मेरठ) तथा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।

आज की आवश्यकता है समन्वित कृषि प्रणाली

वार्षिक समूह बैठक का शुभारंभ करते हुए उप महानिदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद डॉ. एस.के. चौधरी ने कहा कि समन्वित कृषि प्रणाली आज के दौर में पूरे विश्व की आवश्यकता है और दुनिया के विभिन्न देशों में इसका सफलतापूर्वक प्रयोग किया जा रहा है। समन्वित कृषि प्रणाली के माध्यम से कृषि के उपलब्ध संसाधनों का समुचित तथा प्रभावी उपयोग हो पाता है, उत्पादकता बढ़ती है तथा खेती की लागत कम होती है।

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समन्वित कृषि प्रणाली फसल उत्पादन के साथ-साथ उद्यानिकी, वानिकी, पशुपालन, मछली पालन तथा कृषि से संबंधित सभी पहलुओं का समन्वित उपयोग कर अधिक उत्पादन एवं आय प्राप्त करने का उपयुक्त माध्यम है। समन्वित समन्वित कृषि प्रणाली के द्वारा ही कृषि के क्षेत्र में व्याप्त चुनौतियों जैसे खाद्य सुरक्षा, पोषण सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी असंतुलन आदि का समाधान किया जा सकता है। इस परियोजना के तहत संचालित देश के विभिन्न केन्द्रों में समन्वित कृषि प्रणाली के विविध मॉडलों पर अनुसंधान किया जा रहा है तथा जलवायु सहनशील मॉडलों का विकास किया जा रहा है।

समन्वित कृषि प्रणाली है एक बेहतरीन मॉडल

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने कहा कि कृषि एवं कृषकों के विकास के समन्वित कृषि प्रणाली एक बेहतरीन मॉडल है। इस प्रणाली के तहत किसान के पास उपलब्ध समस्त संसाधनों जैसे कि मानव संसाधन, पशु संसाधन, यंत्र एवं उपकरण, बीज, खाद, उर्वरक, सिंचाई जल आदि का समुचित उपयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस मॉडल को और अधिक सफल बनाने के लिए इसमें कृषि के क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले नवाचारों एवं आधुनिक तकनीकों जैसे ड्रोन टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स आदि का भी उपयोग किया जाना चाहिए।

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डॉ. चंदेल ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए फसलों एवं उनके उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग पर ध्यान देना होगा। उन्होंने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा समन्वित कृषि प्रणाली के क्षेत्र में किये जा रहे अनुसंधान कार्यों के बारे में भी जानकारी प्रदान की।

किसानों को किया गया सम्मानित

इस अवसर पर समन्वित कृषि प्रणाली के अंतर्गत उत्कृष्ट कार्य करने वाले दो किसानों नरसिंह राठौर, पिपरहटा, आरंग तथा निरंजन जांगडे, परसदा, आरंग को सम्मानित किया गया। साथ ही कार्यक्रम में समन्वित कृषि प्रणाली अनुसंधान परियोजना के तहत उल्लेखनीय कार्य करने वाले कृषि वैज्ञानिकों को भी सम्मानित किया गया। समारोह के दौरान समन्वित कृषि प्रणाली विषय पर प्रकाशित विभिन्न प्रकाशनों, वार्षिक प्रतिवेदन का विमोचन भी किया गया।

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