किसानों की आत्महत्या एवं आन्दोलन की वजह यह भी: जाने किसान से
भारत में पिछले कुछ वर्षों से लगातार किसान आन्दोलन कर रहें हैं साथ ही किसानों की आत्महत्या करने की दर में भी बढ़ोतरी हुई है | यह आन्दोलन सिर्फ दिल्ली या महारष्ट्र में ही नहीं बल्कि देश के सभी राज्यों जैसे राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा जैसे हिंदी प्रदेशों में इनकी संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है | किसान आन्दोलन सिर्फ उत्तर भारत में ही नहीं दक्षिण भारत में भी जारी हैं | तमिलनाडु, कर्नाटक आदि सभी दक्षिण प्रदेशों में भी किसान आन्दोलन करने को मजबूर हैं | किसान समाधान ने दतिया मध्यप्रदेश के एक किसान से बात की है आप भी देखें और समझे आखिर किसानों की आत्महत्या एवं आन्दोलन की वजह क्या है |
किसान समाधान से You-Tube पर जुड़ने के लिए नीचे दिए गए बटन को दबाएँ
इस कारण किसानों को खेती से लाभ नहीं होता
देश में प्रति वर्ष 12,000 से 15,000 किसान आत्महत्या करते है | इसकी मुख्य वजह यह है की किसानों पर बैंक और साहूकार का कर्ज इतना ज्यदा हो जाता है की किसान उसे चूका नहीं पाता है | किसान कर्ज क्यों लेता है पहली बात यह है की किसान कि पैदावार अच्छी नहीं होती है या प्राकृतिक कारणों से बिलकुल नष्ट हो जाती है | इस कारण किसान को अगली फसल के लिए कर्ज लेना पड़ता है परन्तु कुछ किसान इसलिए कर्ज लेते हैं की पहली फसल की पैदावार बेचने पर या तो पैसा बहुत देर से दिया जाता है या फिर दिया ही नहीं जाता है यानि किसान से व्यापारी फसल तो खरीद लेते हैं, लेकिन भुगतान नहीं करते हैं |
इसी तरह का एक मामला मध्य प्रदेश के दतिया जिले में हुआ है | यहाँ के किसान अपनी गन्ने की फसल को ट्रैक्टर और ट्रक पर रखकर गुना के चीनी कम्पनी तथा ग्वालियर के डबरा तहसील के चीनी कम्पनी को देते हैं | किसान को गन्ने की धुलाई में ही 40,000 से 80,000 रु. तक लागत आती है लेकिन कम्पनी के द्वारा किसान को फर्जी चेक दे दिया जाता है जो बैंक में बाउंस हो जाता है |
अब किसान कोर्ट का चक्कर लगा रहे हैं | अगर किसान की कुल कमाई का लागत भी नहीं दिया जा रहा है | जो कुछ किसान के पास है वह भी ले लिया जाता है तो एसे अवस्था में किसान आत्महत्या ही कर सकता है | देश में 1.3 करोड़ किसान परिवार गन्ना तथा कपास की खेती करते हैं तथा देश में आत्महत्या करने वाले यही दो तरह के किसानों की संख्या ज्यादा है |