गोबर खरीदी एवं वर्मी कम्पोस्ट खाद
देश में किसानों एवं पशुपालकों की आय बढ़ाने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा कई नई योजनाएँ शुरू की गई हैं। जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की गोधन न्याय योजना देश-दुनिया में काफ़ी प्रसिद्ध हो गई है। योजना के तहत किसानों से गोबर एवं गोमूत्र की खरीदी कर उससे वर्मी कम्पोस्ट खाद, बिजली, जैविक कीटनाशक, प्राकृतिक पेंट आदि तैयार किए जा रहे हैं जिससे किसानों की आमदनी तो बढ़ ही रही है साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार भी मिल रहा है।
छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना की सफलता को देखते हुए अब झारखंड सरकार ने भी अपने राज्य में गोधन न्याय योजना शुरू कर दी है। इस कड़ी में झारखंड पशुपालन विभाग के सभागार में राज्य के कृषि मंत्री श्री बादल ने गोधन न्याय योजना का लोकार्पण किया।
किसानों से किस भाव पर खरीदा जाएगा गोबर
झारखंड सरकार भी अपने राज्य में छत्तीसगढ़ राज्य की तरह ही किसानों से गोबर की खरीदी कर उन्हें कम कीमत पर जैविक खाद उपलब्ध कराएगी। राज्य के कृषि मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि गोपालकों से 2 रुपए किलो की दर से गोबर सरकार लेगी और प्रसंस्करण के बाद किसानों को वर्मी कंपोस्ट के रूप में उपलब्ध कराएगी। इस योजना के तहत राज्य के किसानों को 8 रुपए किलो की दर से वर्मी कंपोस्ट खाद उनके इलाके में ही उपलब्ध हो सकेगा।
श्री बादल ने कहा कि राज्य में ज्यादा से ज्यादा जैविक खाद्य पदार्थों का उपयोग हो, हमारे उत्पादों को जैविक की मान्यता मिले, इसके लिए एजेंसी और सेंटर बनाने की तैयारी सरकार कर रही है। वर्मी कंपोस्ट के लिए हमने 10 करोड़ के बजट का प्रावधान किया है, अगर यह सफल रहा, तो 100 करोड़ की योजना भी बनाई जाएगी।
अभी 5 जिलों में लागू की जाएगी योजना
कृषि मंत्री बादल ने बताया कि राज्य के पांच जिलों से गोधन न्याय योजना की शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में हो रही है। इस प्रोजेक्ट की सफलता की समीक्षा के उपरांत पूरे राज्य में इसे चलाने की योजना बनाएंगे, इसलिए सभी गोपालकों से निवेदन है कि वह राज्य को जैविक झारखंड बनाने की दिशा में आगे बढ़ें। योजना के प्रथम चरण में 5 जिलों के अंदर कुल 572 वर्मी कम्पोस्ट यूनिट बनाई जाएगी, जिससे इन जिलों के लगभग 10 हजार किसानों को लाभ होगा।
क्या है गोधन न्याय योजना झारखंड राज्य
इस योजना का उद्देश्य झारखंड राज्य में उपलब्ध गोवंश के द्वारा उत्सर्जित गोबर का उपयोग वर्मी कंपोस्ट तैयार करते हुए कृषक की रासायनिक खादों पर निर्भरता को कम करने एवं कृषकों की आय में वृद्धि करना है। साल 2019 के आर्थिक सर्वे के अनुसार राज्य में 12.57 मिलियन गोवंश हैं। एक अनुमान के तौर पर गोवंश के द्वारा 504 लाख टन गोबर का उत्सर्जन प्रति वर्ष किया जाता है। बता दें कि गोवंश द्वारा उत्सर्जित गोबर कृषि के पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि ये मिट्टी के जलधारण क्षमता को बढ़ाते हुए मिट्टी की जैविक मात्रा में वृद्धि करते हैं।
गोबर को कृषि कार्यों में प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करने के लिए एक प्रभावी प्रबंधन की जरूरत है, जो कृषकों के लिए लाभदायक होगा। पूरे राज्य में उत्पादित गोबर को गोपालकों से क्रय कर वर्मी कंपोस्ट में परिवर्तित कर अनुदानित दर पर कृषकों को उपलब्ध कराने का ये पायलट प्रोजेक्ट है। प्रोजेक्ट की शुरुआत वर्तमान समय में प्रत्येक प्रमंडल के एक जिला से की जा रही है।
गोधन न्याय योजना से क्या लाभ होगा?
यह योजना अपने आप में एक अनूठी योजना है, इस योजना से एक साथ कई लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं। जिसमें रोजगार सृजन, पशु पालन को लाभकारी बनाना, किसानों की फसलों को आवारा पशुओं से बचाना आदि शामिल है । सरकार के अनुसार योजना से निम्न लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं:-
- पशुपालकों की आय में वृद्धि।
- पशुधन विचरण एवं खुली चराई पर रोक।
- जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा एवं रसायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करना।
- स्थानीय स्तर पर जैविक खाद की उपलब्धता।
- स्थानीय स्वयं सहायता समूह/ बेरोजगार युवकों को रोजगार के अवसर/गोशालाओं का सुदृढ़ीकरण।
- भूमि की उर्वरता को बढ़ाने में मदद।
- रासायनिक रहित खाद पदार्थों की उपलब्धता।