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सरसों,राई एवं तोरई में सिंचाई तथा खाद का प्रयोग कब और कैसे करें?

सरसों,राई एवं तोरई में सिंचाई तथा उर्वरक (खाद)

किसी भी फसल में सिंचाई तथा उर्वरक का सही प्रयोग मत्वपूर्ण विषय है | सिंचाए तथा उर्वरक (खाद) का सही प्रयोग करके अपने उत्पादन में 20 प्रतिशत का इजाफा कर सकते है | इसलिए किसान समाधान किसानों की जानकारी के लिए जानकारी लेकर आया है |

सिंचाई :-

उचित समय पर सिंचाई करने से उत्पादन में 25-50 प्रतिशत तक वृद्धि पाई गई है। इस फसल में 1-2 सिंचाई करने से लाभ होता है |

तोरियाँ :-

फसल में पहली सिंचाई बुआई के 20-25 दिन पर (फूल प्रारंभ होना) तथा दूसरी सिंचाई 50-55 दिन पर फली में दाना भरने की अवस्था पर करना लाभप्रद होगा |

सरसों :

 बोनी बिना पलेवा दिये की गई हो तो पहली सिंचाई बुआई के 30-35 दिन पर करें। इसके बाद अगर मौसम शुष्क रहे अर्थात पानी नही बरसे तो बोनी के 60-70 दिन की अवस्था पर जिस समय फली का विकास या फली में दाना भर रहा हो सिंचाई अवश्य करें। द्विफसलीय क्षेत्र में जहाँ पर सिंचित अवस्था में सरसों की फसल पलेवा देकर बोनी की जाती है, वहाँ पर पहली सिंचाई फसल की बुवाई के 40-45 दिन पर व दूसरी सिंचाई मावठा न होने पर 75-80 दिन पर करना चाहिए |

सिंचाई की विधि एवं सिंचाई जल की मात्रा :-

राई-सरसों की फसल में सिंचाई पट्टी विधि द्वारा करनी चाहिए। खेत की ढाल व लंबाई के अनुसार 4-6 मीटर चैडी पट्टी बनाकर सिंचाई करने से सिंचाई जल का वितरण समान रूप से होता है तथा सिंचाई जल का पूर्ण उपयोग फसल द्वारा किया जाता है। यह बात अवश्य ध्यान रखें कि सिंचाई जल की गहराई 6-7 से0मी0 से ज्यादा न रखें |

उर्वरक का प्रयोग :-

राई-सरसों को नत्रजन, स्फुर एवं पोटाश जैसे प्राथमिक तत्वों के अलावा गंधव तत्व की आवश्यकता अन्य फसलों की तुलना में अधिक होती है। साधारणतः इन फसलों से निम्नांकित  संतुलित उर्वरकों का प्रयोग कर अधिकतम उपज प्राप्त की जा सकती है-

तोरिया:-

तोरी में 60 किलोग्राम / हेक्टयर नत्रजन (नाईट्रोजन), 30 किलोग्राम / हेक्टयर फास्फोरस, 20 किलोग्राम / हेक्टयर पोटाश, 20 किलोग्राम / हेक्टयर गंधक का प्रयोग करें |

सरसों :-

असिंचित क्षेत्र में उर्वरक का प्रयोग सिंचित क्षेत्र से कम काटना चाहिए | असिंचित क्षेत्र में 40 किलोग्राम / हेक्टयर नाईट्रोजन, 20 किलोग्राम / हेक्टयर फास्फोरस, 10 किलोग्राम / हेक्टयर पोटाश तथा 15 किलोग्राम / गंधक का प्रयोग करें |

सिंचित क्षेत्र में 100 किलोग्राम / हेक्टयर नाईट्रोजन, 50 किलोग्राम / हेक्टयर फास्फोरस, 25 किलोग्राम / हेक्टयर पोटाश तथा 40 किलोग्राम / गंधक का प्रयोग करें |

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