गोबर से बने कण्डे, गो काष्ठ, वर्मी कम्पोस्ट एवं गोबर पेंट के लिए शुरू किया गया शोरूम, जानें कितनी होती है कमाई

गोमूत्र एवं गोबर से बने उत्पाद की बिक्री से कमाई

देश में गोवंश के संरक्षण तथा किसानों एवं पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएँ शुरू की गई हैं। इसमें छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरू की गई “गोधन न्याय योजना” प्रमुख है। योजना के अंतर्गत पशु पालकों एवं ग्रामीणों से 2 रुपए किलो की दर से गोबर एवं 4 रुपए प्रति लीटर की दर से गोमूत्र की खरीदी की जा रही है। सरकार द्वारा गोठानों के माध्यम से खरीदे गए गोबर एवं गोमूत्र से महिला स्व सहायता समूह द्वारा विभिन्न उत्पाद तैयार किए जाते हैं। जिससे न केवल पशुपालकों की आमदनी बढ़ी है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोजगार बढ़ा है।

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गोबर से बने कण्डे एवं गोबर से बनी ब्रिक

इस कड़ी में छत्तीसगढ़ में अम्बिकापुर की महिलाओं ने नया बिजनेस आइडिया अपनाते हुए गोबर से निर्मित उत्पादों की बिक्री के लिए अंबिकापुर में एक्सक्लूसिव शोरूम शुरू किया गया है। इसे गोधन एम्पोरियम का नाम दिया गया है। इस एम्पोरियम में वर्मी कम्पोस्ट के साथ-साथ गौ काष्ठ, अगरबत्ती, कण्डा और गोबर से निर्मित पेंट की बिक्री की जा रही है।

गोबर से बने उत्पाद बेचकर हुई लाखों रुपए की आमदनी

गोधन एम्पोरियम से अब तक तीन वर्षों में कुल 12 लाख 49 हजार रूपए की आमदनी हो चुकी है। वर्ष 2020-21 में 4 लाख 50 हजार, वर्ष 2021-22 में 4 लाख 87 हजार और वर्ष 2022-23 में 3 लाख 12 हजार रूपए की आय हुई है। यहां कार्यरत महिला सदस्यों ने बताया कि यहां से हर महीने समूह की महिलाएं एम्पोरियम से लगभग 40 हजार रूपए कमा रही हैं। यहां गौठान महिला समूह की दो महिला सदस्य बारी-बारी से तैनात रहती हैं। अन्य दुकानों की तरह सप्ताह में एक दिन मंगलवार को एम्पोरियम में अवकाश भी रहता है।

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गोबर से तैयार की गई वर्मी कम्पोस्ट खाद

यह एम्पोरियम अम्बिकापुर शहरी गौठान का हिस्सा है। इसे गौठान से जुड़ी महिला समूह ही संचालित करती है, समूह की महिलाएं अम्बिकापुर सिटी लेवल फेडरेशन की सदस्य हैं, यह फेडरेशन अम्बिकापुर शहर में स्वच्छता के लिए काम कर रहा है। अब यहां गोबर से पेन्ट बनाने और दोना पत्तल तैयार करने की यूनिट भी शुरू कर दी गई है। गौठान समूहों की सदस्यों को लाभांश के रूप में हर माह 6 से 7 हजार रुपए मिल जाता है।

रोज़ाना आते हैं 50 से 60 ग्राहक

किसी छोटे शॉपिंग मॉल जैसे दिखने वाले इस अनोखे एम्पोरियम में पूजा-पाठ, हवन आदि के लिए अंबिकापुर शहर के लोग गौ काष्ठ, अगरबत्ती खरीदते हैं। इसी प्रकार छत्तीसगढ़ में लिट्टी-चोखा के शौकिन गोबर के कंडे यहां से खरीदीकर लिट्टी-चोखा तैयार करते हैं। वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग शहरी क्षेत्र के लोग घरों के गमलों के साथ ही अन्य बागवानी कार्यों के लिए कर रहे हैं।

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गोबर से बने दिए एवं अन्य उत्पाद

गोबर पेंट में तापमान को रोकने की क्षमता के कारण यहां इसकी बिक्री भी हो रही है। इस एम्पोरियम की लोकप्रियता लगातार बढ़ते जा रही है। वर्तमान में यहां प्रतिदिन 40 से 60 ग्राहक का आना-जाना होता है। गोबर के उत्पादों की लोकप्रियता को देखते हुए यहां और भी बिक्री बढ़ने की संभावना है।

वर्ष 2024 तक पशु पालन के लिए बनाए जाएँगे 15 लाख नए किसान क्रेडिट कार्ड, किसानों को आसानी से मिलेगा सस्ता लोन

पशुपालन के लिए किसान क्रेडिट कार्ड

केंद्र सरकार द्वारा किसानों की आय को बढ़ाने के लक्ष्य की पूर्ति के लिए किसान क्रेडिट कार्ड योजना चलाई जा रही है। पशु पालन क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा किसानों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड KCC को पशु पालन एवं मछली पालन से जोड़ दिया है। KCC भारत सराकर की मुख्य योजनाओं में से एक है, जिसके तहत वर्ष 2024 तक उत्तर प्रदेश में 15.00 लाख नए किसान क्रेडिट कार्ड बनाए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 

सरकार द्वारा पूरे देश भर में यह अभियान 15 नवम्बर, 2021 से शुरू किया गया है जो 30 सितम्बर, 2024 तक चलेगा। इस योजना के जरिए किसान व पशुपालक लोन लेकर अपने पशुओं की देखभाल कर सकते हैं। इससे पशुपालन व्यवसाय में वृद्धि होगी एवं पशुपालक के परिवार को आसानी से आर्थिक सहायता मिल सकेगी।

किसान क्रेडिट कार्ड पर पशु पालन के लिए कितना लोन मिलता है?

केंद्र सरकार की योजना के अनुसार पशुपालकों को इस किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए 01 लाख 60 हजार तक का लोन बिना किसी जमीन आदि की आवश्यकता के भारत सरकार के साथ राष्ट्रीय बैंक द्वारा प्रदान किया जाएगा तथा 03 लाख रुपए तक का अधिकतम लोन निर्धारित समयावधि में भुगतान करने पर मात्र 4 प्रतिशत की दर से ब्याज लगता है।

इस कार्यक्रम के अंतर्गत पशु पालन घटक से सम्बंधित गोवंशीय, महिषवंशीय, बकरी, सुकर, कुक्कुट एवं अन्य पशुओं का पालन करने वाले पात्र पशुपालकों को आच्छादित कराते हुए समस्त पात्र पशुपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ दिया जाएगा।

शिविर लगाकर किसानों को दिए जा रहे हैं किसान क्रेडिट कार्ड

अधिक से अधिक किसानों को योजना से जोड़ने के लिए समय-समय पर राज्य सरकारों द्वारा शिविरों का आयोजन किया जाता है। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मासिक तथा त्रैमासिक (जनपदवार) लक्ष्य निर्धारित करते हुए जनपद स्तर पर साप्ताहिक शिविर में आवेदन पत्र मुख्य पशु चिकित्साधिकारी द्वारा एल.डी.एम. को उपलब्ध कराए जाते हैं तथा आवेदन पत्रों का निस्तारण भी सुनिश्चित किया जाता है। जनवरी 2023 महीने तक उत्तर विभाग द्वारा एल.जी.एम. को प्रेषित आवेदन पत्रों की संख्या 421502 एवं कुल 191107 किसान क्रेडिट कार्ड निर्गत किए जा चुके हैं, जो लक्ष्य का 77.95 प्रतिशत है, जिसे मार्च तक पूरा किया जाना है।

पशु पालन के लिए किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए क्या करें?

इच्छुक किसान योजना का लाभ लेने के लिए एवं योजना की अधिक जानकारी के लिए जनपद स्तर पर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी कार्यालय तथा जनपद स्तरीय नोडल अधिकारी से सम्पर्क कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त राज्य के किसान agrilicense.upagriculture.com/pmkisankcc/#/ पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं। 

सभी किसानों को दिया जाएगा बिना किसी ब्याज के फसली ऋण

किसानों को फसली ऋण

कृषि क्षेत्र में निवेश के लिए किसानों को सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत कम दरों पर अल्पकालीन फसली ऋण उपलब्ध कराया जाता है। इस कड़ी में राजस्थान सरकार राज्य के किसानों को सहकारी बैंकों से बिना किसी ब्याज के ऋण उपलब्ध करा रही है। राजस्थान के सहकारिता मंत्री श्री उदयालाल आंजना ने विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के सभी किसानों को ऋण देने का फैसला किया गया है।

उन्होंने विधानसभा में बताया कि जिन डिफॉल्टर किसानों ने अपना पूरा ऋण जमा करा दिया है, उन्हें भी फसली ऋण दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा 11 अगस्त 2020 को आदेश जारी किया गया है।

किसानों को दिया जाता है 1 लाख 50 हजार रुपए तक का लोन

सहकारिता मंत्री ने प्रश्नकाल के दौरान इस संबंध में सदस्य द्वारा पूछे गये पूरक प्रश्न के जवाब में कहा कि वर्ष 2019-20 में डिफॉल्टर किसानों को ऋण नहीं दिया गया था। योजना के तहत अधिकतम 1 लाख 50 हजार तक का ऋण दिये जाने का प्रावधान है। जिन डिफॉल्टर किसानों ने अपना पूरा ऋण जमा करा दिया है, उन्हें भी फसली ऋण दिया जा रहा है।

इस वर्ष किसानों को कितना लोन दिया जाएगा ब्याज मुक्त फसली ऋण

राजस्थान सरकार ने इस वर्ष अपने बजट 2023-24 में प्रदेश के किसानों को 22 हजार करोड़ रूपये का ब्याज मुक्त फसली ऋण वितरित करने लक्ष्य रखा है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में अकृषि क्षेत्र जैसे हस्तशिल्प, लघु उद्योग, कताई-बुनाई, रंगाई-छपाई एवं दुकान के लिए 1 लाख 50 हज़ार परिवारों को सहकारी बैंकों के माध्यम से 3 हजार करोड़ रूपये के ब्याज मुक्त ऋण वितरित किए जाएंगे।

नहीं होगी किसानों की जमीन नीलाम

राजस्थान के प्रमुख शासन सचिव, सहकारिता श्रीमती श्रेया गुहा ने कहा कि लघु एवं सीमान्त किसानों, भूमिहीन श्रमिकों तथा कमजोर वर्ग के किसानों को परिस्थतिवश परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति का स्थाई समाधान करने के लिए ऋण भार में राहत व ऐसी स्थिति में किसानों की जमीन की नीलामी रोकने के लिए राजस्थान किसान ऋण राहत एक्ट लाया जाएगा। एक्ट में ऋण राहत आयोग का गठन किया जाएगा।

खेतों में चैनलिंक फेंसिंग के लिए सरकार दे रही है सब्सिडी, किसान अभी करें आवेदन

अनुदान पर चैनलिंक फेंसिंग हेतु आवेदन

देश में किसानों की खड़ी फसलों को आवारा पशु, नीलगाय एवं जंगली जानवरों से काफी नुकसान होता है। किसान अपनी फसलों को होने वाले इस नुकसान से बचाने के लिए खेतों की तारबंदी Fencing कराना तो चाहते हैं परंतु लागत अधिक होने के चलते नहीं करा पाते हैं। ऐसे में कई राज्य सरकारों के द्वारा किसानों को आर्थिक सहायता देने के लिए तारबंदी पर अनुदान उपलब्ध कराया जाता है। इस कड़ी में मध्य प्रदेश के उद्यानिकी विभाग द्वारा भी चयनित ज़िलों के विकास खंडों में चैनलिंक फैसिंग पर अनुदान देने के लिए लक्ष्य जारी किए हैं। 

मध्य प्रदेश के उद्यानिकी विभाग ने “राष्ट्रीय कृषि विकास योजना” वर्ष 2021-22 के अंतर्गत राज्य के 20 जिलों के मॉडल विकासखंड के किसानों के लिए लक्ष्य जारी किए हैं। इन ज़िलों के किसान मध्यप्रदेश उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं।

इन जिलों के किसान कर सकते हैं चैनलिंक फेंसिंग पर अनुदान हेतु आवेदन?

मध्य प्रदेश उद्यानिकी विभाग ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना 2021-22 के तहत राज्य के उज्जैन ज़िले के महिदपुर, शाजापुर ज़िले के शुजालपुर, सिहोर ज़िले के नरसूल्लागंज, होशंगाबाद ज़िले के होशंगाबाद, मंडला ज़िले के नारायणगंज, ग्वालियर ज़िले के मुरार, बालाघाट के परसवाडा, दतिया ज़िले के सेवढा, शिवपुरी के करेरा, बड़वानी के पाटी, सतना ज़िले के रामपुर बघेलान, छतरपुर ज़िले के राजनगर, उमरिया ज़िले के पाली, रीवा ज़िले के रीवा, दमोह ज़िले के पथरिया, पन्ना ज़िले के अजयगढ़, मुरैना ज़िले के पोरसा, झाबुआ ज़िले के झाबुआ, जबलपुर ज़िले के कुंडम एवं भोपाल ज़िले के बैरसिया विकासखंड के लिए लक्ष्य जारी किए गए हैं। 

चैन लिंक फेंसिंग पर अनुदान हेतु आवेदन कहाँ करें?

योजना का लाभ लेने के लिए राज्य के किसान उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, मध्य प्रदेश के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। किसानों को आवेदन करते समय अपने पास फ़ोटो, आधार, खसरा नम्बर/B1/ पट्टे की प्रति, बैंक पासबुक, जाति प्रमाण पत्र आदि आवश्यक दस्तावेज अपने पास रखना होगा। इसके अलावा किसान भाई यदि योजना के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उद्यानिकी विभाग की वेबसाइट पर देख सकते हैं अथवा विकासखंड/जिला उद्यानिकी विभाग में संपर्क करें। किसानों को आवेदन करने के लिए ऑनलाइन पंजीयन उद्यानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर जाकर करना होगा। 

सिंचित एवं असिंचित क्षेत्र में फसल नुकसान होने पर दिया जाएगा इतना मुआवजा

फसल नुकसान के लिए मुआवजा

विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के चलते किसानों की फसलों को काफी नुकसान होता है, किसानों को होने वाले इस नुकसान की भरपाई सरकार द्वारा योजना अनुसार की जाती है। पिछले वर्ष खरीफ सीजन में भारी वर्षा एवं बाढ़ से किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ था। जिसको लेकर राजस्थान में चल रहे विधानसभा सत्र में विधायक श्री प्रताप लाल ने वर्ष 2022 में जिला उदयपुर में अतिवृष्टि से हुई बाढ़ से तहसील सलूम्बर एवं झल्लारा में हुए नुकसान को लेकर सवाल पूछा।

प्रश्नकाल के दौरान इस संबंध में सदस्यों द्वारा पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए आपदा प्रबंधन एवं सहायता मंत्री श्री गोविन्द राम मेघवाल ने विधानसभा में कहा कि उदयपुर जिले की सलूम्बर तथा झल्लारा तहसील में 33 प्रतिशत से अधिक हुए फसल खराबे में प्रभावित किसानों का डेटा अपलोड करने का काम किया जा रहा है। इसके लिए तहसीलदार को पाबंद किया जा चुका है।

पोर्टल पर अपलोड किया जा रहा है किसानों का डेटा

आपदा प्रबंधन एवं सहायता मंत्री ने बताया कि खरीफ फसल संवत् 2079 (वर्ष 2022) के तहत उदयपुर की सलूम्बर तथा झल्लारा में 33 प्रतिशत से अधिक हुए फसल खराबे में 52 हजार 631 किसान प्रभावित हुए हैं। जिसके लिए डीएमआईएस पोर्टल खोला जा चुका है तथा इस पोर्टल पर इन प्रभावित किसानों का डेटा अपलोड करने के लिए तहसीलदार को पाबंद किया जा चुका है।

फसल ख़राब होने पर कितना मुआवजा

आपदा प्रबंधन एवं सहायता मंत्री श्री गोविन्द राम मेघवाल ने एसडीआरएफ नियमों की जानकारी देते हुए बताया कि किसानों को सिंचित एवं असींचित क्षेत्र के लिए अलग-अलग कृषि आदान-अनुदान दिया जाता है। जिसमें यदि किसान के द्वारा बोई गई फसल सिंचित क्षेत्र में है तो उसे 17 हजार रुपए तक तथा असींचित क्षेत्र में है तो 8 हजार 500 रुपए तक का मुआवजा दिया जाता है। 

वर्ष 2022 में तहसील सलूम्बर एवं झल्लारा में 33 प्रतिशत एवं इससे अधिक फसल खराबा वाले प्रभावित पात्र कृषकों को एसडीआरएफ नोर्म्स के अनुसार कृषि आदान-अनुदान देय है, जिसके लिए दिशा-निर्देश जारी किये जा चुके है।

पशु उपचार के लिए जल्द शुरू की जाएगी एंबुलेंस सेवा, घर पर होगा पशुओं का उपचार

पशु उपचार एंबुलेंस सेवा

देश में पशुपालन किसानों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में आय एवं रोजगार का एक अच्छा ज़रिया है, परंतु यह एक जोखिम भरा व्यवसाय है। इस व्यवसाय में पशु यदि स्वस्थ है तो यह काफ़ी लाभकारी है परंतु यदि पशु बीमार है तो पशुपालक को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में बीमार पशुओं को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा मिल सके इसके लिए राज्य सरकारों के द्वारा एंबुलेंस सेवा शुरू की जा रही है। इस कड़ी में हरियाणा सरकार भी राज्य में पशुओं के उपचार के लिए जल्द 200 एंबुलेंस शुरू करने जा रही है।

हरियाणा के पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री जे.पी. दलाल ने कहा कि प्रदेश की डायल 112 योजना की तर्ज पर जल्द ही पशु उपचार एंबुलेंस सेवा आरंभ की जाएगी। पशुपालन व्यवसाय में जोखिम को कम करने के लिए आरंभ की जाने वाली पशु उपचार एंबुलेंस सेवा केंद्रीकृत होगी, जिसके लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाएगा।

पशु उपचार के लिए तैनात की जाएँगी 200 एंबुलेंस

पशुपालन एवं डेयरी मंत्री ने कहा कि पशु उपचार एंबुलेंस सेवा के लिए शुरुआत में 200 एंबुलेंस तैनात की जाएगी, जिनमें पशु चिक्तिसक व स्टॉफ के साथ-साथ जरूरी दवाएं उपलब्ध रहेंगी। उन्होंने कहा कि पशुपालक द्वारा हेल्पलाइन पर उपचार एंबुलेंस सेवा की मांग करने पर उसके नजदीकी स्थान की एंबुलेंस को मैसेज भेजा जाएगा। इस योजना के तहत पशुपालक तक एंबुलेंस के पहुंचने में लगने वाले समय, उपचार गुणवत्ता तथा पशुपालक की फीडबैक आदि की मॉनिटरिंग भी की जाएगी।

उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वे सब्जी, फल, फूल, बागवानी उत्पादन, पशुपालन व मछली पालन जैसे व्यवसायों को अपनाएं, ताकि उनकी आय में वृद्धि हो सके। ऐसी फसलों पर सरकार द्वारा अनुदान भी दिया जा रहा है।

 

खुशखबरी: जल्द किसानों को आधी कीमत पर मिलेगा डीएपी खाद

डीएपी खाद के दाम Price

अंतराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे माल की कीमतों के बढ़ने से डीएपी एवं अन्य खादों के दाम में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे सरकार को अब इन उत्पादों के मूल्य नियंत्रित करने के लिए भारी सब्सिडी खर्च करनी पड़ रही है। इसके अलावा डीएपी एवं अन्य खादों के दाम बढ़ने से किसानों की लागत भी बढ़ती जा रही है। ऐसे में सरकार जल्द ही नैनो यूरिया की सफलता एवं इससे होने वाले लाभ को देखते हुए इसकी तर्ज़ पर नैनो डीएपी बाज़ार में लाने वाली है जो अभी मौजूद डीएपी की बोरी से आधी से भी कम कीमत पर मिलेगी।

केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने उत्तर प्रदेश के आंवला और फूलपुर में इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको – आईएफएफसीओ) के नैनो यूरिया तरल (लिक्विड) संयंत्रों का उद्घाटन करते समय नैनो डीएपी के बारे में जानकारी दी।

जल्द आधी कीमत पर उपलब्ध होगा नैनो डीएपी

केंद्रीय मंत्री महोदय ने नैनो यूरिया से मिलने वाले लाभों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह एक वैकल्पिक उर्वरक है। हम वर्षों से उत्पादकता बढ़ाने के लिए यूरिया और डीएपी का इस्तेमाल करते रहे हैं। जब हम सामान्य यूरिया का उपयोग करते हैं तो केवल 35% नाइट्रोजन (यूरिया का ही) उपज द्वारा प्रयोग किया जाता है और अप्रयुक्त यूरिया मिट्टी पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इससे अब  मिट्टी की उत्पादकता कम हो रही है और फसल उत्पादन स्थिर हो चुका है, इसलिए भी वैकल्पिक उर्वरकों का चयन किया जाना आवश्यक था। यह सबसे अच्छी हरित प्रौद्योगिकी है जो प्रदूषण का समाधान प्रदान करती है। यह मिट्टी को खराब होने से बचाने के साथ ही उत्पादन भी बढ़ाती है और इसलिए यह किसानों के लिए सबसे अच्छी है।

उन्होंने आगे कहा कि सरकार की विशेषज्ञ समिति ने नैनो डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) को मंजूरी दे दी है और जल्द ही यह सामान्य डीएपी की जगह लेगी। आगे कहा कि नैनो- डीएपी से हमारे किसानों को अत्यधिक लाभ होगा और यह डीएपी से आधे मूल्य  पर उपलब्ध होगा। नैनो डीएपी का प्रयोग बीज उपचार एवं खड़ी फसल में छिड़काव के रूप में किया जा सकेगा, जिससे फसल की जड़ों के विकास, वानस्पतिक वृद्धि एवं उपज की गुणवत्ता में वृद्धि होगी।

किसानों को दी नैनो यूरिया के उपयोग की सलाह

डॉ. मांडविया ने किसानों को नैनो यूरिया के उपयोग की सलाह दी। उन्होंने कहा कि एक किसान दूसरे किसान की सलाह को अच्छे से सुनता है। जब कोई किसान अपने खेत में नैनो यूरिया का प्रयोग करता है और देखता है कि उत्पादन बढ़ गया है, मिट्टी पर भी बुरा प्रभाव नहीं हो रहा है और लागत भी कम हो रही है, तो ऐसे में उसे दूसरों को भी नैनो यूरिया के उपयोग की सलाह देनी चाहिए।

किसानों को नैनो DAP किस कीमत (Price) पर मिलेगा

नैनो डीएपी की आधे लीटर की एक बोतल कीमत 600 रुपए के आसपास होगी। आज के समय में जहां किसान को 50 किलो सामान्य डीएपी 1350 रुपए में उपलब्ध होती है, वही नैनो डीएपी मात्र 600 रुपए में मिलेगी। जिससे किसान की फसल उत्पादन लागत में भारी कमी आएगी तथा भारत सरकार को अनुदान के मद में लगभग 2500 रुपए प्रति बोरी की बचत होगी।

रंग ला रही है किसानों कि मेहनत, इस वर्ष फसलों का होगा रिकॉर्ड उत्पादन, सरकार ने जारी किया अनुमान

वर्ष 2022-23 में गेहूं, मक्का, चना, मूंग, रेपसीड एवं सरसो और गन्ने का उत्पादन

कृषि क्षेत्र दिन प्रतिदिन किसानों की अथक मेहनत, वैज्ञानिकों की कुशलता एवं सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास अब रंग लाने लगे हैं । इसका असर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय द्वारा जारी कृषि वर्ष 2022-23 के लिए मुख्‍य फसलों के उत्‍पादन के दूसरे अग्रिम अनुमान में साफ दिख रहा है । जिसमें चावल, गेहूं, मक्का, चना, मूंग, रेपसीड एवं सरसो और गन्ने का रिकार्ड उत्पादन होने का अनुमान लगाया गया है।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि वर्तमान कृषि वर्ष में 3235.54 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान है। कृषि मंत्री ने अग्रिम अनुमानों में मोटे अनाज के उत्पादन में वृद्धि की सराहना करते हुए आशा जताई कि आने वाले वर्षों में मोटे अनाज/पोषक अनाज के उत्पादन और प्रयोग में और अधिक वृद्धि होगी।

2022-23 के लिए मुख्य फसलों का का अनुमानित उत्पादन इस प्रकार है:-

वर्ष 2022-23 के लिए दूसरे अग्रिम अनुमानों के अनुसार, देश में कुल खाद्यान्‍न उत्‍पादन रिकॉर्ड 3235.54 लाख टन अनुमानित है, जो पिछले वर्ष 2021-22 की तुलना में 79.38 लाख टन अधिक है। 

गेहूं एवं चावल के उत्पादन में कितनी वृद्धि हुई है?

इस वर्ष के दौरान चावल का कुल उत्‍पादन (रिकॉर्ड) 1308.37 लाख टन अनुमानित है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 13.65 लाख टन अधिक है। वहीं गेहूं का उत्‍पादन (रिकॉर्ड) 1121.82 लाख टन अनुमानित है, जो पिछले वर्ष के उत्पादन की तुलना में 44.40 लाख टन अधिक है।

दलहन फसलों के उत्पादन में कितनी वृद्धि हुई है?

वर्ष 2022-23 के दौरान कुल दलहन उत्‍पादन 278.10 लाख टन अनुमानित है जो पिछले वर्ष के 273.02 लाख टन उत्पादन की तुलना में 5.08 लाख टन एवं विगत पांच वर्षों के औसत दलहन उत्‍पादन की तुलना में 31.54 लाख टन अधिक है। वहीं मूंग का उत्पादन 35.45 लाख टन के नए रिकार्ड पर अनुमानित है, जो पिछले वर्ष के उत्पादन की तुलना में 3.80 लाख टन अधिक है।

तिलहन फसलों के उत्पादन में कितनी वृद्धि हुई है?

वर्ष 2022-23 के दौरान देश में कुल तिलहन उत्‍पादन रिकॉर्ड 400.01 लाख टन अनुमानित है, जो पिछले वर्ष के तिलहन उत्पादन की तुलना में 20.38 लाख टन अधिक है। सोयाबीन तथा रेपसीड एवं सरसो का उत्पादन क्रमश: 139.75 लाख टन एवं 128.18 लाख टन अनुमानित है जो पिछले वर्ष 2021-22 के उत्पादन की तुलना में क्रमश: 9.89 लाख टन और 8.55 लाख टन अधिक है।

अन्य फसलों के उत्पादन में कितनी वृद्धि होने का अनुमान है?

  • जारी आकड़ों के अनुसार वर्ष 2022-23 के दौरान देश में गन्‍ने का उत्‍पादन रिकॉर्ड 4687.89 लाख टन अनुमानित है। 2022-23 के दौरान गन्‍ने का उत्‍पादन पिछले वर्ष के उत्‍पादन की तुलना में 293.65 लाख टन अधिक है।
  • कपास का उत्‍पादन 337.23 लाख गांठें (प्रति गांठ 170 किग्रा) तथा पटसन एवं मेस्‍ता का उत्‍पादन 100.49 लाख गांठें (प्रति गांठ 180 किग्रा) अनुमानित है।
  • वर्ष 2022-23 के दौरान देश में मक्का का उत्‍पादन रिकॉर्ड 346.13 लाख टन अनुमानित है, जो पिछले वर्ष के 337.30 लाख टन उत्पादन की तुलना में 8.83 लाख टन अधिक है।
  • श्रीअन्न (पोषक-अनाज) का उत्पादन 527.26 लाख टन अनुमानित है, जो पिछले वर्ष के उत्पादन की तुलना में 16.25 लाख टन अधिक है।

यहाँ कुक्कुट पालन के लिए प्रशिक्षण के साथ ही व्यवसाय हेतु दिए जा रहे हैं चूजे

कुक्कुट पालन व्यवसाय के लिए प्रशिक्षण

देश में स्वरोज़गार के अवसर विकसित करने के लिए पशुपालन को बढ़ावा दिया जा रहा है, इसके लिए समय-समय पर इच्छुक व्यक्तियों को सरकार द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है। राजस्थान में कुक्कुट पालन में व्यावसायिक संभावनाओं को रोजगार के अवसरों में बदलने के लिए खातीपुरा स्थित राजकीय कुक्कुट शाला में किसानों एवं अध्ययनरत चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

प्रशिक्षण केंद्र पर लाभार्थी व्यक्तियों को कुक्कुट पालन की प्रक्रिया, कुक्कुट पालन में आने वाली समस्याओं के समाधान और उच्च नस्लीय एवं गुणवत्तायुक्त कुक्कुट पालन के विभिन्न वैज्ञानिक तरीकों की जानकारी दी जा रही है। ताकि राज्य में कुक्कुट पालन बेहतर होने के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी सृजित हो सके।

प्रशिक्षण के बाद उपलब्ध कराए जा रहे हैं चूजे 

कुक्कुट शाला के उप निदेशक डॉ. लोकेश शर्मा ने प्रशिक्षण के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रीय कृषि योजना के अंतर्गत राज्य में उच्च नस्लीय कुक्कुट विकास, किसानों की आय में वृद्धि और ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं व बच्चों में पोषण की पूरकता के उद्देश्य से पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसके अंतर्गत अब तक कुल 90 किसानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के पश्चात् किसानों को निम्न दरों पर व्यवसाय हेतु आवश्यकतानुसार चूजे उपलब्ध कराये जा रहे है।

कुक्कुट पालन सम्बंधित इन विषयों पर दिया जा रहा है प्रशिक्षण

प्रशिक्षण कार्यक्रम में मौजूद विषय-विशेषज्ञ उप निदेशक डॉ. रविंद्र मलिक ने कुक्कुट पालन प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि प्रशिक्षण के दौरान किसानों, अध्ययनरत पशु चिकित्सक व इंटर्न्स को कुक्कुट पालन की प्रक्रिया, कुक्कुट पालन में आने वाली समस्याओं के समाधान और उच्च नस्लीय एवं गुणवत्तायुक्त कुक्कुट पालन के विभिन्न वैज्ञानिक तरीकों की जानकारी दी जा रही है। ताकि राज्य में कुक्कुट पालन बेहतर होने के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी सृजित हो सके।

काले गेहूं के बाद अब शुरू हुई नीले रंग के गेहूं की खेती, विदेशों में होगा निर्यात

नीले गेहूं की खेती

खेती से अधिक आमदनी प्राप्त करने के लिए किसान आजकल नवाचार को अपना रहे हैं। अब किसान परम्परागत फसलों से हटकर नई उन्नत किस्मों का उत्पादन कर रहे हैं। इसी क्रम में मध्य प्रदेश के किसानों ने काले गेहूं की खेती के बाद नीले गेहूं की खेती भी शुरू कर दी है। मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि जी-20 के कृषि समूह की बैठक में विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधियों का प्रदेश में कृषि के क्षेत्र में नीला गेहूँ, शुगर फ्री आलू और बीज बैंक के रूप में हुए नवाचारों ने ध्यान आकर्षित किया है। इंदौर में जी-20 देशों के कृषि समूह की बैठक जारी है, जिसमें 30 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।

जी-20 देशों के कृषि समूह की बैठक में मध्य प्रदेश के किसानों की सफलता की कहानियाँ भी प्रदर्शित की गई है। यहाँ पीले और काले गेहूं के साथ ही सीहोर के नीले गेहूं का स्टाल भी है। स्टाल पर जानकारी दी गई कि बेकरी में इसका इस्तेमाल हो रहा है। अगले साल के लिए निर्यात के ऑर्डर भी उन्हें मिले हैं। 

नीले गेहूं की माँग दूसरे देशों से आने लगी है

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश गेहूँ निर्यात में पूरे देश में प्रथम है। साथ ही काले गेहूँ के निर्यात के बाद अब नीले रंग के गेहूँ का उत्पादन भी प्रदेश में शुरू हुआ है। बेकरी उत्पादों में काम आने वाले नीले गेहूँ की माँग दूसरे देशों से भी आ रही है, इसका पेटेंट भी करा लिया गया है। 

उन्होंने बताया कि सिमरौल की सुश्री निशा पाटीदार ने विशेष प्रकार के शुगर फ्री आलू का उत्पादन आरंभ किया है। विलुप्त हो चुके मोटे अनाजों का बीज बैंक विकसित करने वाली डिण्डौरी की लाहरी बाई ने भी जी-20 सम्मेलन में अपना स्टॉल लगाया है। श्री अन्न का यह बीज बैंक विदेशों से आए प्रतिनिधियों के आकर्षण का केन्द्र बन गया है। प्रदेश में कृषि के क्षेत्र में नवाचार जारी हैं, इसमें भी हम रिकार्ड बनाएंगे।