इस साल सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि की MSP पर ज्यादा गेहूं खरीद करने जा रही है। केंद्र सरकार इस बार बिहार, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में बंपर गेहूं की खरीद करेगी। इसके लिए वह खरीद प्रक्रिया में तेजी लाने की योजना बना रही है। रबी विपणन सीजन 2024-25 में पिछले साल के मुकाबले इस बार 7 गुना अधिक गेहूं की खरीद की जाएगी। सरकार ने इन तीनों राज्यों से कुल 50 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा है। इससे सरकार को 310 लाख टन के खरीद लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी।
खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने बताया कि अभी गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि यूपी, बिहार और राजस्थान अपनी क्षमता से बहुत कम योगदान दे रहे हैं। हम इस साल कुल 310 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रख रहे हैं। जिसमें से हम तीन गैर-पारंपरिक खरीद वाले राज्यों से कम से कम 50 लाख टन खरीद की उम्मीद कर रहे हैं।
सरकार ने बढ़ाया गेहूं खरीद का लक्ष्य
उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार ने विपणन वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के दौरान केंद्रीय पूल में केवल 6.7 लाख टन का योगदान दिया था। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने कुल गेहूं खरीद लक्ष्य का 16 प्रतिशत इन तीनों राज्यों से खरीदने का फैसला किया है। वहीं, चालू वर्ष के लिए गेहूं का समर्थन मूल्य 2,275 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। ऐसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की खरीद आम तौर पर केंद्र की नोडल एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य एजेंसियों द्वारा की जाती है। हालांकि, सहकारी समितियां नेफेड और एनसीसीएफ को भी इस वर्ष 5 लाख टन के खरीद लक्ष्य के साथ जोड़ा गया है।
अक्टूबर से केंद्र इन तीन राज्यों के साथ खरीद स्तर बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि कमियों को दूर करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं और इससे तीन राज्यों में खरीद स्तर को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। खाद्य सचिव ने कहा कि 2024 के आम चुनावों से गेहूं खरीद पर असर पड़ने की संभावना नहीं है। सचिव ने कहा कि गैर-पारंपरिक राज्यों से गेहूं खरीद में वृद्धि से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत गेहूं के आवंटन को बहाल करने में मदद मिलेगी।
किसानों को 48 घंटों में होगा भुगतान
खाद्य सचिव ने बताया कि सरकार ने उत्पादन हॉटस्पॉट को लक्षित करते हुए अधिक खरीद केंद्र भी खोले हैं। साथ ही मोबाइल खरीद केंद्र स्थापित किए हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, सरकार ने किसानों को 48 घंटे के भीतर एमएसपी का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए एजेंसियों को कार्यशील पूंजी के माध्यम से संस्थागत तैयारी सुनिश्चित की है। सचिव ने आगे उल्लेख किया कि विभिन्न एजेंसियों के बीच खरीद और समन्वय की वास्तविक समय की निगरानी के लिए दिल्ली में एफसीआई मुख्यालय में एक केंद्रीय नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है।