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शुक्रवार, जुलाई 18, 2025
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किसान गर्मी के मौसम में अधिक पैदावार के लिए लगायें मूंग की यह नई उन्नत किस्में

देश के कई राज्यों में जहां सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है वहाँ किसान अतिरिक्त आमदनी के लिए गेहूं, सरसों आदि रबी फसलों की कटाई के बाद मूंग या उड़द की खेती करते हैं। गर्मी के मौसम में मूँग या उड़द की खेती किसानों के लिए बोनस की तरह है जो खेती से अतिरिक्त आमदनी का एक अच्छा ज़रिया है। ऐसे में किसान इस गर्मी (जायद) के सीजन में मूँग की उन्नत क़िस्मों का चयन कर अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

ग्रीष्मकालीन या बसंत मूँग की बुआई का उपयुक्त समय 10 मार्च से 10 अप्रैल तक है। किसान सरसों, गेहूं और आलू की कटाई के बाद 70 से 80 दिनों में पकने वाली किस्मों का चयन कर उनकी बुआई कर सकते हैं। यदि किसी कारणवश खेत समय पर तैयार न हो तो वहाँ पर किसान मूँग की 60 से 65 दिनों में पकने वाली प्रजातिओं का चयन कर सकते हैं। बुआई में देरी होने पर फसल पर कई तरह के कीट रोगों का प्रकोप होने का अंदेशा रहता है वहीं अगली फसल की बुआई में भी देरी होती है। ऐसे में किसानों को मूँग की बुआई समय पर ही कर लेना चाहिए।

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मूंग की उन्नत किस्में कौन सी हैं?

देश में विभिन्न कृषि संस्थानों के द्वारा अलग-अलग जलवायु क्षेत्रों के लिए मूँग की अलग- अलग किस्में विकसित की गई है। किसान इन किस्मों में से अपने क्षेत्र के लिए अनुकूल किसी भी उन्नत किस्म के बीजों का चयन कर सकते हैं। इन किस्मों में पूसा 1431, पूसा 9531, पूसा रत्ना, पूसा 672, पूसा विशाल, केपीएम 409-4 (हीरा), वसुधा (आईपीएम 312-20), सूर्या (आईपीएम 302-2), वर्षा (आईपीएम 2 के 14-9), विराट (आईपीएम 205-7), शिखा (आईपीएम 410-3), सम्राट, मेहा, अरुण (केएम 2328), आरएमजी-62, आरएमजी 268, आरएमजी 344 प्रमुख है।

किसान बीज के आकार, नमी की स्थिति, बुआई का समय, पौधों की पैदावार तथा उत्पादन तकनीक के अनुसार बुआई के लिए बीज ले सकते हैं। सामान्यतः गर्मी में मूँग की बुआई के लिए प्रति हेक्टेयर 20-25 किलोग्राम मूंग का बीज पर्याप्त होता है। जायद में किसानों को मूँग की बुआई के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेंटीमीटर रखनी चाहिए साथ ही किसानों को बुआई के लिए प्रमाणित बीजों का ही उपयोग करना चाहिए।

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