फसलों को पाले से बचाने के उपाय
इस समय देश के कई स्थानों पर तेज ठंड पड़ रही हैं यहाँ तक कि मौसम विभाग ने आगामी दिनों में कई राज्यों के लिए कोल्ड डे की चेतावनी भी जारी की है। इस मौसम में फसलों को सबसे अधिक खतरा पाला लगने का होता है। हर साल फसलों में पाला लगने से किसानों की फसलों को काफी नुकसान होता है। जिसको देखते हुए कृषि विभाग द्वारा किसानों की फसलों को पाले से बचाने के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को अपनाकर किसान अपनी फ़सल को पाले से बचा सकते हैं।
बता दें कि शीत लहर एवं पाले के मौसम में सभी फसलों को नुकसान होता है। पाले के प्रभाव से पौधों की पत्तियां एवं फूल झुलस कर गिर जाते हैं एवं आधे पके हुए फल सिकुड़ जाते हैं। फलियों एवं बालियों में दाने नहीं बनते हैं एवं जो दाने बन चुके हैं वो दाने सिकुड़ जाते हैं। ऐसे में फसलों को पाले से होने वाले नुक़सान से बचाने के लिए झालावाड़ कृषि विभाग द्वारा किसानों हेतु कुछ उपाय दिए गये हैं।
पाले से बचाने के लिए किसान खेतों में करें धुआँ
कृषि विभाग के उप निदेशक कैलाश चन्द मीणा ने बताया कि जिस रात्रि पाला पड़ने की सम्भावना हो उस रात्रि 12 से 2 बजे के आस-पास खेत की उत्तरी पश्चिमी दिशा से आने वाली ठण्डी हवा की दिशा में खेतों के किनारों पर बोई हुई फसल के आस-पास मेड़ों पर रात्रि मे कूड़ा-कचरा या अन्य व्यर्थ घास-फूस को जलाना चाहिए ताकि खेत में धुंआ हो जाये एवं वातावरण मे गर्मी आ जाए। इस विधि से 4 डिग्री सेल्सियस तापमान आसानी से बढ़ाया जा सकता है।
सब्जी फसलों के पौधे को कैसे बचाए
जिन किसानों ने उद्यान एवं सब्जी फसलों के पौधे तैयार किए गए हैं वे किसान पौधशालाओं के पौधों एवं सीमित क्षेत्र वाले उद्यानों व सब्जी वाली फसलों में भूमि के ताप को कम न होने देने के लिए फसलों को टाट, पॉलीथिन अथवा भूसें से ढक दें। साथ ही वायुरोधी टाटियां, हवा आने वाली दिशा की तरफ यानि उत्तरी पश्चिमी दिशा की तरफ बांधें। नर्सरी, किचन गार्डन में उत्तरी पश्चिम की तरफ टाटियां बांधकर क्यारियों के किनारों पर लगाये तथा दिन में पुनः हटा दें।
खेत में करें सिंचाई
सिंचाई भी फसलों को पाले से बचाने के लिए एक कारगर उपाय है। जब पाला पड़ने की सम्भावना हो तब खेत में सिंचाई करनी चाहिए। नमी युक्त जमीन में काफी देर तक गर्मी रहती है तथा भूमि का तापक्रम एकदम कम नहीं होता है। इस प्रकार पर्याप्त नमी होने पर शीत लहर व पाले से नुकसान की संभावना कम रहती है। वैज्ञानिकों के अनुसार सर्दी में फसल की सिंचाई करने से 0.5 डिग्री से 2 डिग्री सेल्सियस तक तापमान बढ़ जाता है।
पाले से बचाने के लिए यह दवा का छिड़काव करें
जिन दिनों पाला पड़ने की संभावना हो उन दिनों में फसल पर गन्धक के तेजाब के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिये। इस हेतु एक लीटर गन्धक के तेजाब को 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टेयर क्षेत्र में प्लास्टिक के स्प्रेयर से छिड़के व ध्यान रखें कि पौधे पर घोल की फुआर अच्छी तरह लगे। छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है। यदि इस अवधि के बाद भी पाला पड़ने की संभावना बनी रहती है तो 15-15 दिन के अन्तराल में गन्धक के तेजाब का छिड़काव करें।
कृषि विभाग के उप निदेशक ने बताया कि सरसों, गेंहू, चना, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने के लिये गन्धक के तेजाब का छिड़काव करने से न केवल पाले से बचाव होता है, बल्कि पौधों में लौह तत्व की जैविक एवं रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है। जो पौधों में रोग रोधिता बढ़ाने में एवं फसल को जल्दी पकाने में सहायक होती है।
गधंक तेजाब कहां मिलेगा जिसे खेतों में छींटना है
सर खाद उर्वरक जहां मिलता है वहाँ से ले सकते हैं।