back to top
28.6 C
Bhopal
रविवार, अक्टूबर 13, 2024
होमकिसान समाचारकिसान इस तरह करें सफेद लट कीट का नियंत्रण

किसान इस तरह करें सफेद लट कीट का नियंत्रण

देश में हर साल विभिन्न कीटों के द्वारा रबी एवं खरीफ सीजन की फसलों को भारी नुकसान पहुँचाया जाता है। जिसका सीधा असर फसलों की पैदावार पर पड़ता है। इन कीटों में सफेद लट भी शामिल है। सफेद लट मुख्य रूप से मूंगफली, अरहर, ज्वार, कपास, अमरूद, तम्बाकू, धान, बाजरा, नीम, बेर, शीशम, शहतूत, बबूल, आलू एवं नारियल आदि फसलों को नुकसान पहुंचाती है।

इस कीट के ग्रब और व्यस्क दोनों ही फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। वयस्क कीट विभिन्न पौधों एवं झाड़ियों को खाते हैं तथा ग्रब फसल को ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। कीट के ग्रब फसलों की जड़ों को काटकर उसे क्षति पहुंचाते हैं जिससे पौधे मुरझाने के बाद सुख जाते हैं। इसकी ग्रब व शंखी अवस्था मृदा के अंदर पाई जाती है। किसान गर्मी में ख़ाली पड़े खेतों में इसके नियंत्रण के लिए उपाय कर सकते हैं।

सफेद लट का जीवन चक्र

इस कीट की मुख्य प्रजातियों में व्हाइट ग्रब, सफ़ेद गिडार, गोजा लट एवं सफ़ेद सुंडी, गोबर कीट, गोबरिया कीट शामिल हैं। वहीं इस कीट के जीवन चक्र की बात की जाये तो इसके अंडे 6 से 12 दिनों तक रहते हैं जिनका रंग सफेद और आकार गोलाकार होता है। इसके लार्वा का जीवन काल 54 से 76 दिनों की तथा युवा ग्रब मांसल, पारदर्शी, सफ़ेद, पीले रंग के और अक्सर ‘C’ आकर के होते हैं। प्यूपा का जीवनकाल 12–15 दिनों का होता है। इस कीट का वयस्क गहरे भूरे रंग का तथा लंबाई 15–20 मि.मी. और चौडाई 6–8 मि.मी. होती है।

यह भी पढ़ें   मौसम चेतावनी: 6 से 8 अप्रैल के दौरान इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

यह कीट मुख्यतः रात्रिचर प्रकृति के होते हैं जो पहली वर्षा के बाद शाम 7 बजे के बाद मिट्टी से निकलकर सुबह 5 बजे तक बाहर दीखता है। इस दौरान ही यह कीट फसलों को अधिक क्षति पहुँचाते हैं। मानसून या इससे पहले की भारी वर्षा एवं कुछ क्षेत्रों में खेतों में पानी लगने पर ज़मीन से भृंगों का निकलना शुरू हो जाता है। भृंग रात के समय जमीन से निकलकर परपोषी वृक्षों जैसे खेजड़ी, बेर, नीम, अमरूद एवं आम आदि पर बैठते हैं। भृंग निकलने के तीन दिन बाद अंडे देना शुरू कर देते हैं इसलिए इनका जल्द नियंत्रण करना चाहिए।

कैसे करें सफेद लट के ग्रब का नियंत्रण

किसानों को सफेद लट के ग्रब के नियंत्रण के लिए खेतों की गर्मी में गहरी जुताई करनी चाहिए साथ ही गोबर की सड़ी हुई खाद का उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा खेत में जब भी खाद डालें उसमें नीम की खली का प्रयोग अवश्य करें। वहीं इसके रासायनिक नियंत्रण के लिए क्लोरोपायरीफाँस 20 ई.सी. की 1–2 मि.ली. मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर ग्रसित पौधों के तने के क्षेत्र के आसपास 15–20 से.मी. के दायरे की मिट्टी में छिड़काव करना चाहिए। खेत में ब्युबेरिया बेसियाना और मेटेरिजियम एनिसोपाली 2.5 से 3 किलोग्राम को 50 किलोग्राम गोबर में मिलाकर 7 दिनों के लिए किसी छायादार स्थान पर सुखाने के बाद खेत में छिड़काव करना चाहिए।

यह भी पढ़ें   फसल के अच्छे उत्पादन में सल्फर का महत्व और कमी के लक्षण, किसान कैसे दूर करें सल्फर की कमी को

सफेद लट के व्यस्क का नियंत्रण

किसान सफेद लट के वयस्क के नियंत्रण के लिए पौधों और खेतों के आसपास की भूमि को साफ़ रखें। मानसून की पहली बारिश आते ही खेतों पर शाम 6:30 से रात 10:30 बजे के बीच लाइट ट्रैप लगायें। कीटों को अपने खेत से बाहर रखने का एक बहुत ही प्रभावी तरीका यह है कि कच्ची खाद का खेत के बाहर ढेर लगा कर रखें। इसके अलावा अरंडी के पौधों का खेत के चारों ओर ट्रैप फसल के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। व्यस्क कीटों के लिए खेत के आसपास के पेड़ों पर कीटनाशकों का छिड़काव करें साथ ही जिन पेड़ों पर यह कीट बैठते हैं उनकी छटाई करें। किसान सफेद लट को आश्रय देने वाले वृक्षों पर भी कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें।

सफेद लट के पौढ़ के नियंत्रण के लिए किसान पहली, दूसरी या तीसरी वर्षा होने के बाद (उसी दिन या एक दिन बाद) खेतों में लगे प्रभावित पौधों पर 0.04 प्रतिशत मोनोक्रोटोफ़ॉस 36 एस.एल. या 0.05 प्रतिशत क्विनलफ़ॉस ई.सी.का छिड़काव करें।

download app button
google news follow
whatsapp channel follow

Must Read

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
यहाँ आपका नाम लिखें

Latest News