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किसान इस साल धान के खेतों में डालें यह खाद, मिलेगी बंपर पैदावार

धान भारत की प्रमुख फसलों में से एक है, खरीफ सीजन में अधिकांश राज्यों के किसान इसकी खेती करते हैं। ऐसे में किसान कुछ नई उन्नत तकनीकों को अपनाकर धान की लागत में कमी करने के साथ ही बंपर पैदावार ले सकते हैं। इस साल किसान अपने खेतों में धान के साथ ही अजोला की खेती करके इसका उत्पादन बढ़ायें। किसान धान के खेतों में अजोला का इस्तेमाल हरी खाद के रूप में करें। जिससे धान की फसल को नाइट्रोजन सहित अन्य पोषक तत्व उपलब्ध हो जाएंगे और उत्पादन एवं गुणवत्ता में वृद्धि होगी।

धान की खेती में रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव को कम करने में अजोला किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। अजोला बहुत ही कम लागत और कम समय में तैयार होने वाली हरी खाद है। इसका इस्तेमाल करने से धान के पौधों का बेहतर विकास होता है।

धान के खेतों में कैसे करें अजोला का उपयोग

किसान धान के खेतों में अजोला का उपयोग सुगमता से कर सकते हैं। इसके लिए 2 से 4 इंच पानी से भरे खेत में किसान 10 टन ताजा अजोला को धान की रोपाई से पहले ही डाल दें। इसके साथ ही इसके ऊपर 30 से 40 किलोग्राम सुपर फास्फेट का छिड़काव करें। अजोला की वृद्धि के लिए 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान अत्यंत अनुकूल होता है। ख़ास बात यह है कि धान के खेत में अजोला छोटे-मोटे खरपतवारों को दवा देता है। वहीं इसके उपयोग से धान की फसल में 5 से 15 प्रतिशत तक की बढ़ जाती है।

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अजोला की हरी खाद के फायदे क्या हैं?

अजोला वायुमण्डलीय कॉर्बनडाईऑक्साइड और नाइट्रोजन को कार्बोहाइड्रेट और अमोनिया में बदल सकता है। जब अजोला का अपघटन होता है तब यह फसल को नाइट्रोजन और मिट्टी को कॉर्बन सामग्री उपलब्ध कराता है। साथ ही यह मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीवों एवं पौधों की जड़ों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने में भी मदद करता है। यह धान के सिंचित खेत से वाष्पीकरण की दर को कम करता है जिससे पानी की बचत भी होती है। अजोला के उपयोग से पौधों को लगभग 20 से 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से नाइट्रोजन खाद मिल जाती है। जिससे उपज और फसल की गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है।

अजोला की विशेषता क्या है?

अजोला की प्रमुख विशेषताओं में से एक यह है कि अनुकूल वातावरण में 5 से 6 दिनों में ही इसकी वृद्धि दोगुनी हो जाती है। यदि इसे पूरे साल बढ़ने दिया जाये तो यह 300-350 टन प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार दे सकता है। इसकी हरी खाद से 40 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर की दर से प्राप्त होती है।

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इसमें 3.3 से 3.5 प्रतिशत नाइट्रोजन तथा कई तरह के कार्बनिक पदार्थ होते हैं और यह भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं। अजोला किसानों को कम क़ीमत पर बेहतर जैविक खाद मुहैया कराता है। इसके साथ ही अजोला का उपयोग पशु आहार के रूप में भी किया जा सकता है जिससे पशुओं के दूध उत्पादन में भी वृद्धि होती है।

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