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बुधवार, जनवरी 15, 2025
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फसल बीमा योजना में बढ़े 27 प्रतिशत किसान, अब तक किसानों को किया गया इतने रुपये का भुगतान

देश में किसानों की फसलों को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुक़सान की भरपाई के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई जा रही है। योजना को शुरू हुए 8 साल हो चुके हैं। योजना में लगातार किसानों की रुचि बढ़ती जा रही है, जिसके चलते वर्ष 2023-24 के दौरान, अब तक योजना के तहत नामांकित किसानों की संख्या में 27% की वृद्धि हुई है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) को केंद्र सरकार ने राज्यों और किसानों के लिए स्वैच्छिक कर दिया है। इसके बावजूद भी इसमें लगातार राज्यों एवं किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है। वर्ष 2021-22 और 2022-23 के दौरान किसान आवेदनों की संख्या में साल-दर-साल क्रमशः 33.4 प्रतिशत और 41 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके अलावा, वर्ष 2023-24 के दौरान, अब तक योजना के तहत नामांकित किसानों की संख्या में 27% की वृद्धि हुई है। साथ ही वित्त वर्ष 2023-24 में योजना के तहत बीमित कुल किसानों में से 42% गैर-ऋणी किसान हैं।

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किसानों को प्रीमियम के बदले किया गया 500 रुपये का भुगतान

सरकार के मुताबिक पिछले 8 वर्षों में योजना के तहत 56.80 करोड़ किसानों के आवेदन पंजीकृत किए गए हैं और 23.22 करोड़ से अधिक किसान आवेदकों को दावे प्राप्त हुए हैं। इस दौरान किसानों ने प्रीमियम के अपने हिस्से के रूप में लगभग 31,139 करोड़ रुपये चुकता किये, जिसके आधार पर उन्हें 1,55,977 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान दावे के रूप में किया गया। इस प्रकार, किसानों द्वारा भुगतान किए गए प्रत्येक 100 रुपये के प्रीमियम के लिए उन्हें लगभग 500 रुपये दावे के रूप में दिये गये हैं।

सरकार ने योजना में किए यह सुधार

केंद्र सरकार ने किसानों की रुचि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बढ़ाने के लिए कई सुधार किए हैं जिससे किसान स्वेच्छा से इस योजना की सदस्यता ले रहे हैं। सरकार ने योजना के तहत कार्यान्वयन और कवरेज में सुधार के लिए विभिन्न उपाय किए हैं:-

  • बोली प्रक्रिया के माध्यम से बीमा कंपनी के चयन के लिए कार्यकाल को 3 साल तक बढ़ाना।
  • सरकार ने योजना में तीन वैकल्पिक जोखिम मॉडल की शुरुआत की है, जिसके तहत यदि कोई दावा नहीं किया जाता है तो राज्य सरकार द्वारा भुगतान किए गए प्रीमियम का एक हिस्सा राज्य के खजाने में अपने आप चला जाता है।
  • इसके अलावा सरकार ने फसल बीमा में उन्नत तकनीकों के उपयोग को बढ़ाया है जिससे किसानों को हुए नुक़सान के आँकलन एवं भुगतान में सहायता मिलती है।
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