जलकुंभी से वर्मीकम्पोस्ट खाद
अक्सर देखा गया है की तालाबों में या जिस स्थान पर ठहरा हुआ पानी रहता है वहाँ पर जलकुंभी हो जाती है | यह जलकुंभी तेजी से पानी वाले स्थानों पर फैलती है तथा पानी में होने वाले अन्य प्रकार के उत्पादन को खत्म कर देती है | जलकुंभी वाले स्थान पर मछली उत्पादन में भी समस्या का सामना करना पड़ता है | इससे बचने के लिए किसान पानी जमाव वाले स्थान से जलकुंभी को निकलते हैं | इसके बावजूद भी जलकुंभी कुछ दिनों के बाद फिर से फैल जाती है |
जलकुंभी की समस्या से निपटने के लिए बिहार कृषि विश्वविध्यालय, सबौर, भागलपुर के वैज्ञानिक जलकुंभी से वर्मीकम्पोस्ट बनाना सिखा रहे हैं | कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार जलकुंभी से वर्मीकम्पोस्ट बनाना बहुत ही आसान है | किसान चाहे तो जलकुंभी का उपयोग वर्मीकम्पोस्ट खाद बनाने में कर सकते हैं |
किसान कैसे बनाएं जलकुंभी से वर्मीकम्पोस्ट खाद
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार पहले जलकुंभी को पानी से निकलते हैं और उसकी जड़ें काटकर निकाल देते हैं, इसके बाद इसको सुखाते हैं | तब हरा रंग भूरे रंग में बदल जाता है | इसे इसलिए सुखाते हैं क्योंकि अगर इसे ऐसे ही रख दिया जाए तो यह सड़कर बदबू करने लगती है और गर्मी के कारण केंचुए को भी नुक्सान हो सकता है | सुखाकर रखी गई जलकुंभी में गोबर को मिलाया जाता है, क्योंकि जलकुंभी को केंचुएं नहीं खाते हैं इसलिए गोबर मिलाया जाता है | गोबर को भी ऐसे ही डाल नहीं सकते हैं इसके लिए गोबर में पानी मिलाकर उसका घोल यानि स्लरी बनाई जाती है |
जलकुंभी सुख जाती है, तो इसे गोबर में अच्छी तरह मिलाना होता है | अगर सूखे गोबर में मिलाएंगे, तो अच्छी तरह से नहीं मिलेगा, अगर उसे स्लरी बनाकर मिलाते है, तो बढिया तरीके से दोनों मिल जाते हैं | टैंक की सुविधा है, तो उसमें रख सकते हैं नहीं तो मिटटी के ऊपर भी इकट्ठा करके रख सकते हैं | इसे जूट के बोरे से जरूर ढ़क दें, नहीं तो घासफूस या फिर सूखी हुई जलकुंभी भी डाल सकते हैं।
चार-पांच दिनों बाद डाले केंचुए
अब इसके चार-पांच दिन बाद उसमें केंचुए डालने होंगे, लेकिन केंचुए डालते समय भी ध्यान रखना होगा कि कौन सा केंचुआ डाल रहे हैं | केंचुए को डालने के बाद चार-पांच दिन में थोड़ा-थोड़ा पानी छिड़कते रहें, क्योंकि केंचुए नर्म चीजे ही खाते रहेंगे, इसलिए नमी को बनाए रखें। इस तरह तीन महीने में वर्मी कम्पोस्ट तैयार हो जाती है | इसमें किसानों को एक बात का ध्यान रखना होगा कि गोबर की मात्रा सही डाले, नहीं तो केंचुए खाना छोड़ देते हैं और अच्छी तरह से कम्पोस्ट नहीं बनती है।