बाल्टी आधारित टपक सिंचाई पद्धति
भारत देश में किसानों को फसलों के सही दाम न मिलना गंभीर समस्या है किसान इस समस्या से एक तरह से सामना कर सकते हैं की वह फसलों की लागत को कम करें | कृषि क्षेत्र में लगातार नवाचार करें ताकि फसलों की लागत को कम किया जा सके | खेती फायदे का सौदा तभी साबित होगी जब किसान फसलों की लागत को कम से कम कर सकें |
भारत में सिंचाई हेतु बहुत जगह पानी की सुविधाएँ उपलब्ध नहीं है ऐसे में कम पानी से सिंचाई करने हेतु वैज्ञानिकों द्वारा बाल्टी आधारित कम गुरुत्वकर्ष्ण बल टपक सिंचाई (ड्रिप सिंचाई) प्रणाली का विकास किया है | आइये जानते हैं इस सिंचाई पद्धति के बारे में
क्या है बाल्टी आधारित टपक सिंचाई पढती
यह पद्धति पौधों के जड़ क्षेत्र में एवं सिमित मात्रा में सिंचाई देने हेतु उपयुक्त है | यह पद्धति पूर्णतः ग्रुरुत्वकर्षण बल पर आधारित है | इस पद्धति में प्लास्टिक बाल्टी में भरे पानी की गुरुत्वाकर्षण बल के माध्यम से सिंचाई दी जाती है |
विधि-
इस विधि में बाल्टी जिसकी क्षमता लगभग 20 लीटर हो की जल भण्डारण हेतु उपयोग किया जा सके को दो सीधे बांस कि सहायता से जमीन से 5 फीट की ऊंचाई पर स्थापित कर दो बाल्टी को समकक्ष स्थापित करने के पश्चात् उन्हें ‘T” की सहायता से जोड़ दिया जाता है | इसके पश्चात् तैयार किये गए बेड में दो लेटरल की समकक्ष को बिछा दिया जाता है | दोनों लेटरल को ‘T’ की सहायता से जोड़ते हुए बाल्टी को जोड़ दें |
लाभ
- इसमें लागत बहुत कम आती है |
- यह पद्धति कम क्षेत्रफल हेतु अति उपयुक्त है |
- इससे पौधों में एक जैसी सिंचाई की जा सकती है |
- किसी तरह के पम्प की आवश्यकता नहीं होती है | अर्थात बिना बिजली के सिंचाई संभव है |
- घर की बगिया में सिंचाई हेतु अत्यधिक उपयोगी है |
- इससे आप लगभग 5 से 6 वर्ष तक सिंचाई कर सकते हैं |
अनुमानित लागत एवं आय
वैज्ञानिको द्वारा किये गए प्रयोगों के अनुसार बाल्टी आधारित टपक सिंचाई पद्धति में 50 मीटर ( 10*5 मी.) के क्षेत्रफल में लगाने के लिए लगभग आपको 800 रुपये खर्चना होता है जो की इसके जीवनकाल लगभग 5 से 6 में 1 बार ही बाल्टी एवं बांस, कण्ट्रोल वोल्व एवं लेटरल की कीमत एक ही बार खर्चनी होती है | इससे आप प्रति इकाई अच्छी आय प्रति माह 1500 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक की जा सकती है |