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शुक्रवार, अप्रैल 26, 2024
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गन्ने की फसल में देशी विधि से खरपतवार नियंत्रण करें

गन्ने की फसल में देशी विधि से खरपतवार नियंत्रण करें

प्रमुख खरपतवार

गन्ना पुरे वर्ष भर की फसल है इसलिए इसमें रबी, खरीफ तथा जायदा मौसम के खरपतवार उगते हैं | सितम्बर – अक्टूबर में बोयें गये गन्ने की प्रारंभिक अवस्था में चौड़ी पत्ती के खरपतवार ज्यादा उगते हैं तथा बाद में फरवरी – मार्च में बोये गायें गन्ने में खरीफ मौसम के खरपतवार उगने लगते है | गन्ने की फसल में उगने वाले खरपतवार को मुख्यत: तीन श्रेणियों में बाटां जा सकता है |

खरपतवार का प्रकार शरदकालीन गन्ना बसंतकालीन गन्ना
चौड़ी पत्ती वाले बथुआ (चिनोपोडियम एल्बम) पत्थरचटा (ट्राइन्थमा मोनोगाइन)
मत्री (लेथाइरस अफाका) अंगेव (स्ट्रइग प्रजाति)
अंकरी (विसिया सेटाइवा / हिरसुटा) कनकवा (क्मेलिना बेन्धलेनिसस)
कृष्णनील (एनागेलिस आरवेनिसस) मकोय (सोलेनम नाइग्रम)
सोया (फ्युमेरिया परवी फ़्लोरा) हजारदाना (फाइलेन्थस निरुरी)
हिरनखुरी (कानवावुलस आर्वेन्सिस) जंगली जूट (कोरकोरस प्रजाति)
भांग (केनाबैनिस सेटाइवा) जंगली चौलाई (अमरेन्थस)
सेंजी (मेलिलोटस प्रजाति) सफ़ेद मुर्ग (सिलोसिया आर्जेन्सिया)
सत्यानाशी (आर्जेमोन मैकिस्काना) गोखरू (जैन्थियम स्टुमेरियम)
कासनी (चिकोरियम इन्टाइकस) महकुआ (येजेरेटम प्रजाति)
दुदधि (यूफोरबिया प्रजाति)
कालादाना (आइपोमिया हेडेरिसिया)
संकरी पत्ती वाले दूबघास (साइनोडान डैकिटलान)
संवा (इकानोक्लोआ प्रजाति)
मकरा (डेक्टिलोक्टेनियम
इजिप्टयम)
बनचरी (सोरधम हेलेपेन्स)
डिजीटैंरिया प्रजाति
कोंदों (इल्युसिन इंडिका)
दूबघास (साइनोडान डैकिटलान)
मोथाकुल मोथा (साइप्रेरस रोटन्ड्स) मोथा (साइप्रेरस रोटन्ड्स)
(साइप्रस इरिया) आदि
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नियंत्रण के उपाय :-

गन्ने की फसल में खरपतवार नियंत्रण की विधियां निम्न हैं |

  • यांत्रिक विधि :- जंहा पर कृषि कार्य करने वाले श्रमिक सरलता एवं कम लागत में मिलते हैं वंहा पर गन्ने की फसल में उगने वाले खरपतवारों को खुरपी , हो अथवा कुदाली से नष्ट किया जा सकता है | फसल बोने से पूर्व की जुताई भी खरपतवारों की संख्या में कमी लती हैं, चूंकि गन्ने की फसल का जमाव बुवाई के 25 – 30 दिन बाद होता है तथा तब तक खरपतवार काफी संख्या में उग जाते हैं इसलिए फसल बोने के एक – दो सप्ताह बाद गुडाई करने से खरपतवारों को नष्ट किया जा सकता है | इसे अंधी गुडाई कहते हैं | इसके अलावा बैलों द्वारा चलाये जाने वाले कल्टीवेटर से गन्ने की पंक्तियों के बीच के खरपतवार पर प्रभाव नियंत्रण किया जा सकता है |
  • ट्रैश मल्चिंग (सूखी पत्ती बिछाकर) :- गन्ने की पंक्तियों के बीच खाली स्थान में गन्ने की सुखी पत्तियों या पुवाल की 7 – 12 से.मी. मोटी तह इस प्रकार से बिछा डी जाय की गन्ने का अंकुर न ढकने पाये तथा केवल खली स्थान ढका रहे | एसा करने पर खरपतवार ढक जाते हैं तथा प्रकाश न मिलने के कारण पिली पड़कर सूख जाते हैं | इससे खेत में नमी भी सुरक्षित रहती है |
  • अन्तर्वर्ती फसलों की बुवाई :- चुकी गन्ने की कतारों के बीच खाली जगह ज्यादा होती है तथा इसी खाली स्थान में खरपतवार अधिक उगते हैं, | इसी खली स्थान पर कम समय में तेजी से बढ़ने वाली फसल उगा सकते हैं | इससे खेत में खरपतवार भी नहीं होगा तथा उस खली जगह पर पेद्वर भी हो जायेगा | इससे अतिरिक्त उत्पादन लाभ होगा |
  • गन्ने के अच्छे बीज का चुनाव, बीजोपचार, भूमि में कीटनाशक दवाओं का प्रयोग एवं खाद एवं उर्वरक तथा सिंचाई की उचित मात्रा इनके प्रयोग से जंहा एक और फसल का अंकुरण एवं वृद्धि अच्छी होती है तथा फसल की बढवार अधिक होती है वहीँ दूसरी और स्वस्थ पौधे खरपतवारों से प्रतियोगिता करने की क्षमता रखते हैं |
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