एलोवेरा की कृषि के लिए महत्वपूर्ण बातें
वैसे तो एलोवेरा की खेती करना लाभकारी है बहुत से किसान एलोवेरा की खेती करके बहुत लाभ भी कमा रहें हैं, इसके बावजूद भी बहुत से किसान ऐसे हैं जो ऐलोवेरा की कृषि तो करना चाहते हैं पर कर नहीं पा रहें हैं क्योंकि भारत में एलोवेरा के विक्रय हेतु खुला बाजार उपलब्ध नहीं हैं | अनेक किसान फोन और मैसेज से एलोवेरा की कृषि एवं उसका विक्रय कंहा करे यह जानकारी मांगते हैं |
पिछले कुछ वर्षों में एलोवेरा के प्रोडक्ट की संख्या तेजी से बढ़ी है। कॉस्मेटिक, ब्यूटी प्रोडक्ट्स से लेकर खाने-पीने के हर्बल प्रोडक्ट और टेक्सटाइल इंडस्ट्री में भी इसकी मांग बढ़ी है। यह तो सच हैं मांग तो बढ़ी है पर अभी तक किसानों को अच्छे से नहीं पता उसे बेचना किस प्रकार है और कैसे है |
तो आज हम आपको इस सम्बन्ध में कुछ जानकारी उपलब्ध कराते हैं |
किसान भाई एलोवेरा को दो प्रकार से बेच सकते हैं
- पत्तियां बेचकर
- पल्प बेचकर
अधिकांश किसान जो एलोवेरा की कृषि कर रहें है उन्होंने पहले से ही किसी कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट कर लिया होता है उसके अनुसार उनकी उपज तैयार होने के बाद वो कंपनियां उनसे एलोवेरा की पत्तियां खरीद लेती हैं I कुछ किसान ऐसे भी हैं जिन्होंने एलोवेरा की प्रोसेसिंग यूनिट लगा ली है और वे स्वयं ही एलोवेरा का पल्प निकाल कर कंपनियों को कच्चे माल के रूप में बेच रहे हैं I
जानें वो कोन सी कंपनियां हैं जिन्हें एलोवेरा की आवश्यकता होती है
- पतंजलि, डाबर, बैद्यनाथ, रिलायंस कई बड़ी कंपनियां हैं जिन्हें बड़ी मात्रा में एलोवेरा की जरुरत होती है एवं बहुत सी ऐसी छोटी कंपनियां है जो एलोवेरा की पत्ती से पल्प निकालकर अन्य बड़ी कंपनियों को बेचती है |
- आजकल हर्बल दवा बनाने वाली कंपनियों में इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है |
- हेल्थकेयर, कॉस्मेटिक और टेक्सटाइल में भी एलोवेरा का इस्तेमाल किया जाता है |
शुरुआत में किसानों के लिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कर खेती करना अधिक फायदेमंद होता है, कंपनियां किसानों से सीधे पल्प या पत्तियां दोनों में से किसी को भी खरीद सकती हैं यह किसान और कम्पनी के मध्य हुए कॉन्ट्रैक्ट पर निर्भर करता है |
वैसे यदि किसान भाई चाहें तो वे स्वयं ही पल्प निकालने या सीधे प्रोडक्ट बनाने का काम कर सकतें हैं I पल्प निकालकर बेचने पर 4 से 5 गुना ज्यादा मुनाफा होता है | एलोवेरा की प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) के द्वारा ट्रेनिंग दी जाती है सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय एवं सुगंध पौधा संस्थान भी ट्रेनिंग देता है | एवं सम्बंधित राज्यों की विभिन्न एजेंसीयां भी समय समय पर ट्रेनिंग देती रहती हैं |
अनुमानित आय एवं व्यय
- एक एकड़ में प्रथम वर्ष में 80 हजार से लेकर 1 लाख की अनुमानित लागत आती है
- 4 से 7 रुपए किलो तक एलोवेरी की पत्तियां बिकती हैं यह दर किसान एवं कंपनी के मध्य हुए समझोते पर निर्भर करता है जबकि 3-4 रुपए प्रति पौधा मिलता है नर्सरी में एवं पल्प की अनुमानित कीमत 20-30 रुपए प्रति किलो है I
- यदि खेती पूर्णतया वैज्ञानिक तरीके से की जाती है तो विशेषज्ञों के अनुसार एक एकड़ में करीब 15 हजार से 16 हज़ार तक पौधे लगते हैं।
सर में एलोवेरा की खेती करना चाहता हूं कृप्या मुझे बतायें कि कौन कौन सी कंपनियां खरीदती है
सर पतंजली, डाबर आदि कंपनिया ख़रीदती हैं परंतु इसके लिए आपको ही सम्पर्क करना होगा।
Sir ynha kahi lucknow ke aaspaas ya bbk me kahi kheti ho iski to mujhe bataye
सर आप अपने जिले के उद्यानिकी विभाग या सरकारी नर्सरी ya या जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में सम्पर्क करें | वहां आपको खेती की पूरी जानकारी मिल जाएगी |
Mujhe pahile kahi elovera ki kheti dikhani hai kyo ki mujhe bhi lagana hai elovera. Agar mere idhar kahi aaspaas me koi elovera ki khwti ho to bataye mujhe vnha jakar dekhna hai…dhanyavad…
सर आप पाने जिले क्र कृषि विज्ञान केंद्र या उद्यानिकी विभाग में संपर्क करें |