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शुक्रवार, अप्रैल 26, 2024
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आखिर क्यों किसान को गेहूं की नरवाई खेत में नहीं जलाना चाहिए

नरवाई जलाने से किसान क्या खोता है एवं क्या पाता है

बढती तकनीक तथा कृषि लागत के कारण किसान कृषि में नये – नये तकनीक का उपयोग करते हैं | जिससे कम लागत तथा समय में अधिक कमी हो सके | किसान अभी रबी फसल की कटाई में हार्वेस्टर का ज्यादा उपयोग होने लगा है | जिससे खेत में गेंहू की बाली तो काट लेते है लेकिन शेष पौष खेत में बच जाता है , जिसे बाद में आग लगा दिया जाता है | आग के कारण शेष गेहूं का पौधा तो जल जाता है और खेत भी साफ हो जाता है | इससे  ज्यादा किसान तथा खेत को नुकसान उठाना पड़ता है |

एक तो किसानों को भूसे से होने वाले आमदनी का नुकसान होता है तो दूसरी तरफ खेत पर प्रतिकूल प्रभव पड़ता है | जिससे खेत का उर्वरा शक्ति भी कम होती है | किसान समाधान किसानों के लिए जानकारी लेकर आया है | जिससे खेत को आग से होने वाले नुकसान तथा फायदे से अवगत कराया जा सके |

नरवाई जलाने किसान यह खो देता है

  • गेहूं की फसल काटने के पश्चात् जो ताने के अवशेष अर्थात नरवाई होती है किसान भाई उसे आग लगाकर नष्ट कर देते है | नरवाई में लगभग नत्रजन 0.5, प्रतिशत, स्फुर 0.6 और पोटाश 0.6 प्रतिशत पाया जाता है, जो नरवाई में जलकर नष्ट हो जाता है |
  •  फसल के दाने से डेढ़ गुना भूसा होता है अर्थात यदि एक हेक्टयर में 40 क्विंटल गेंहू का उत्पादन होगा तो भूसे की मात्रा 60 क्विंटल होगी और भूसे से 30 किलो नत्रजन , 36 किलो स्फुर, 90 किलो पोटाश प्रति हैक्टेयर प्राप्त होगा | जो वर्तमान मूल्य के आधार पर लगभग 3,000 रु. का होगा जो जलकर नष्ट हो जाता है |
  • भूमि में उपलब्ध जैव विविधता समाप्त हो जाती है, अर्थात भूमि में उपस्थित सूक्ष्मजीव एवं केंचुआ आदि जलकर नष्ट हो जाते है | इनके नष्ट होने से खेत की उर्वरा शक्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है |
  • जमीन की उपरी परत में उपलब्ध आवश्यक पोषक तत्व आग लगने के कारण जलकर नष्ट हो जाते है |
  • भूमि की भौतिक दशा खराब हो जाती है | भूमि कठोर हो जाती है जिसके कारण भूमि की जलधारण क्षमता कम हो जाती है | फलस्वरूप फसलें जल्द सूखती है |
  • मिट्टी में होने वाली रासायनिक क्रियाए भी प्रभावित होती है , जैसे कार्बन – नाईट्रोजन एवं कार्बन – फास्फोरस का अनुपात बिगड़ जाता है , जिससे पौधों को पोषक तत्व ग्रहण करने में कठनाई होती है |
  • नरवाई की आग फैलने से जन-धन की हानि होती है एवं पेड़ पौधे जलकर नष्ट हो जाते हैं |
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नरवाई जलाने से किसान को मिलता क्या है

  • प्रति हेक्टयर लगभग 3,000 रूपये की बचत |
  • भूमि में पायें जाने वाले लाभकारी जीवाणुओं का संरक्षण |
  • पोषक तत्वों का संरक्षण, भूमि की भौतिक दशा में सुधार होगा |
  • भूमि की रासायनिक क्रियाओं में सन्तुलन होने से पोषक तत्वों की उपलब्धता सुलभ होगी |
  • पर्यावरण प्रदुषण में कमी आएगी एवं नरवाई की आग से जन – धन की हानि होगी |
  • अत: किसान भाई नरवाई में आग न लगाएं | खेत जुताई करे या रोटावेटर चलाकर नरवाई को वहीँ मिला दें | जिससे जैविक खाद तैयार होगी और नरवाई जलाने के दुष्परिणामों को कम किया जा सकेगा |

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