सोयाबीन नई विकसित किस्म बिरसा सोयाबीन-4
देश में तिलहन फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा नई-नई क़िस्में विकसित की जा रही हैं। यह क़िस्में अधिक पैदावार के साथ-साथ कीट एवं रोग रोधी होती हैं। जिससे किसानों को फसल में लगने वाली लागत में कमी आती है तथा अधिक पैदावार से आय भी अधिक होती है। इस कड़ी में झारखंड स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय ने सोयाबीन की नई उन्नत किस्म “बिरसा सोयबीन – 4” विकसित की है जिसे भारत सरकार द्वारा अधिसूचित कर दिया गया है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार की केन्द्रीय उप समिति के सदस्य सचिव सह उप आयुक्त डॉ. दिलीप कुमार श्रीवास्तव ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में विकसित ‘बिरसा सोयबीन–4’ प्रभेद की अधिसूचना जारी कर दी है। इस नये उन्नत प्रभेद को बीएयू के आनुवंशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग की वैज्ञानिक डॉ. नूतन वर्मा के नेतृत्व में पौधा रोग वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र कुदादा व डॉ. सबिता एक्का, कीट वैज्ञानिक डॉ.रबिन्द्र प्रसाद तथा शस्य वैज्ञानिक डॉ.अरबिंद कुमार सिंह के सहयोग से विकसित किया गया है।
क्या है बिरसा सोयाबीन-4 किस्म की विशेषताएँ
बिरसा सोयाबीन-4 प्रभेद के पौधों की ऊंचाई 55 से 60 से.मी. तक होती है, बीज आकार में लम्बे (अंडाकार) एवं रंग हल्का पीला भूरा हीलियम जैसा होता है। जिसमें तेल की मात्रा 18 % तथा प्रोटीन 40 प्रतिशत होता है। सोयाबीन की इस किस्म की उत्पादन क्षमता 28 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है तथा यह किस्म 105-110 दिनों में पूरी तरह पककर तैयार हो जाती है। यह राइजोक्टोनिया रोग के प्रति सहनशील तथा तना मक्खी और करधनी कीड़ों के प्रति सहनशील किस्म है।
इस प्रभेद का विकास आईसीएआर–अखिल भारतीय समन्वित सोयाबीन अनुसंधान परियोजना के अधीन किया गया है। इससे पहले गत नवंबर माह में सेंट्रल वेरायटल रिलीज़ कमिटी ने बिरसा सोयाबीन-3 प्रभेद को नोटीफाई किया था।
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