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सोमवार, मई 6, 2024
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यह हैं बाजरा की पौष्टिकता से भरपूर दो नई किस्में

सरकार किसानों को आमदनी बढ़ाने के साथ ही लोगों को खाद्य संबंधित अनेक बीमारियों से बचाने के लिए मोटे अनाज (मिलेट्स, श्री अन्न) के उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए सरकार ने वर्ष 2023 को “अंतर्राष्ट्रीय पौष्टिक अनाज वर्ष” के रूप में मनाया। मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहित करने और किसानों को इससे होने वाले फायदे को बताने के लिए 29 दिसंबर के दिन राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान, दुर्गापुरा में दो दिवसीय श्री अन्न सम्मेलन मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ राजस्थान के उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि देश की बड़ी आबादी मधुमेह, मोटापे सहित कई दूसरी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रही है। वही महिलाओं और बच्चों में कुपोषण की समस्या जगजाहिर है। ऐसे में जिंक, आयरन, कैल्शियम और पोटेशियम से भरपूर मिलेट्स फसलों को बढ़ावा देना जरूरी है।

किसान गेहूं-धान की खेती को छोड़कर करें मोटे अनाज की खेती

इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री बैरवा ने कहा कि किसानों को गेहूं-धान के चक्र से बाहर निकलने की जरूरत है। इन दोनों फसलों के ज्यादा उपयोग से स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं देखने को मिल रही है। ऐसे में ज्वार, बाजरा, रागी, कांगनी जैसी मिलेट्स फसलों को भोजन थाली का हिस्सा बनाने की जरूरत है, क्योंकि यह फसलें ग्लूटेन फ्री है। साथ ही इनका ग्लाइसों इंडेक्स गेहूं-धान की तुलना में काफी कम है।

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विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई बाजरा की किस्में

राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान, दुर्गापुरा के द्वारा हाल ही में जिंक, आयरन से भरपूर बाजरा किस्म RHB-233 और RHB-234 किस्म विकसित की गई है। उपमुख्यमंत्री ने इन किस्मों के विकास पर ख़ुशी ज़ाहिर की। उन्होंने कहा कि जिंक, आयरन, कैल्शियम और पोटेशियम से भरपूर मिलेट्स फसलों को बढ़ावा देना जरूरी है। साथ ही मिलेट्स के प्रचार, प्रसार, जागरूकता और वैल्यू एडिशन पर जोर दिया।

बाजरे को आटे को तीन महीने तक रखा जा सकता है सुरक्षित

इस अवसर पर श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बलराज सिंह ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए बताया कि प्रदेश में 45 लाख हेक्टेयर जमीन में बाजरे की बुवाई होती है। राजस्थान में देसी बाजरे की दर्जन भर से ज्यादा जर्मप्लाज्म उपलब्ध है, जिनका उपयोग बाजरे की नवीन संकर किस्मों के विकास में किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पूसा नई दिल्ली के वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक का विकास किया है जिससे बाजरे के आटे को तीन महीने तक संरक्षित रखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय मिलेट किस्मों के विकास के साथ-साथ मूल्य संवर्धन और प्रसंस्करण पर ध्यान दे रहा है।

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कार्यक्रम में राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान, दुर्गापुरा के निदेशक डॉ. अर्जुन सिंह बलौदा ,मिलेट्स विकास निदेशालय, जयपुर के निदेशक डॉ. सुभाष चन्द्र,श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय के कुलसचिव रामरतन शर्मा सहित बड़ी संख्या में कृषि वैज्ञानिक, किसान  और विद्यार्थी उपस्थित थे।

मोटे अनाज की खेती के लिए कलेण्डर किया जारी

उपमुख्यमंत्री ने इस मौके पर विश्वविद्यालय द्वारा तैयार कृषि कलेण्डर 2024 एवं मिलेट्स आधारित कृषि फोल्डर का विमोचन किया। उन्होंने मिलेट्स प्रदर्शनी का अवलोकन किया और मिलेट्स के बिस्किट, लड्डु, तथा केक का स्वाद चखा। उपमुख्यमंत्री ने मिलेट्स एनटरप्रयोन्यर से मिलेट्स उत्पादों की जानकारी भी ली।

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