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मंगलवार, जनवरी 14, 2025
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प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात में बकरी पालन को लेकर कही यह बड़ी बात

देश में गाय, भैंस के साथ ही बकरी पालन भी पशुपालन का एक मुख्य हिस्सा है। बकरी पालन व्यवसाय को न केवल कम लागत में शुरू किया जा सकता है बल्कि कम समय में इससे अच्छा मुनाफा भी कमाया जा सकता है। बकरी पालन से लाभ को देखते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के 110वें एपिसोड में बकरी पालन का जिक्र किया। उन्होंने मन की बात में कहा कि जब हम पशुपालन की बात करते हैं तो अक्सर गाय-भैंस तक ही रुक जाते हैं लेकिन बकरी भी तो एक अहम पशुधन है, जिसकी उतनी चर्चा नहीं होती है।

मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने देश में अलग-अलग क्षेत्रों में बकरी पालन से जुड़े हुए लोगों के बारे में बात की। उन्होंने ओडिशा के कालाहांडी में किए जा रहे बकरी पालन के बारे में भी जानकारी साझा की। उन्होंने बताया किस तरह यहाँ गोट बैंक की मदद से गाँव में बकरी पालन किया जा रहा है जिससे लोगों को रोजगार मिला है।

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जॉब छोड़कर शुरू किया बकरी पालन फार्म

प्रधानमंत्री ने मन की बात में बताया कि उड़ीसा के कालाहांडी में बकरी पालन, गाँव के लोगों की आजीविका के साथ-साथ उनके जीवन स्तर को ऊपर लाने का भी बड़ा माध्यम बन रहा है। इसके लिए इन्होंने जयंती महापात्रा और उनके पति बीरेन साहू को बताया। ये दोनों ही बेंगलुरु में जॉब करते थे लेकिन इन्होंने वह छोड़कर कालाहांडी के सालेभाटा गाँव आने का फैसला लिया। यह फैसला उन्होंने ग्रामीणों की समस्याओं को दूर करने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए किया। इन्होंने माणिकास्तु एग्रो की स्थापना की और किसानों के साथ काम शुरू किया।

Goat Bank की मदद से किया जा रहा है सामूहिक बकरी पालन

मन की बात में प्रधानमंत्री ने बताया कि जयंती और बीरेन ने यहाँ एक दिलचस्प माणिकास्तु Goat Bank भी खोला है। वे सामुदायिक स्तर पर बकरी पालन को बढ़ावा दे रहे हैं। उनके Goat Farm में करीब दर्जनों बकरियां रखी हैं, जिससे किसानों के लिए के पूरा सिसिटम तैयार किया गया है। इसके जरिए किसानों को 24 महीने के लिए 2 बकरियां दी जाती हैं। 2 वर्षों में बकरियां 9 से 10 बच्चों को जन्म देती हैं। इनमें से 6 बच्चों को बैंक रखता है बाकी उसी परिवार को दे दी जाती है जो बकरी पालन करता है।

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इतना ही नहीं बकरियों की देखभाल के लिए जरूरी सेवाएँ भी प्रदान की जाती हैं। आज 50 गाँव के 1000 से अधिक किसान इस दंपत्ति के साथ जुड़े हैं। उनकी मदद से गाँव के लोग पशुपालन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं। मुझे ये देखकर बहुत अच्छा लगता है कि विभिन्न क्षेत्रों में सफल Professionals छोटे किसानों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए नए-नए तरीक़े अपना रहे हैं। उनका यह प्रयास हर किसी को प्रेरित करने वाला हैं।

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