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मंगलवार, जनवरी 21, 2025
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अब बारिश कम होने पर भी किसानों को धान में नहीं होगी पानी की कमी, सरकार ने बनाई वैकल्पिक योजना

धान में सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता

बीते कुछ वर्षों से समय पर अच्छी वर्षा न होने एवं मानसून कमजोर रहने से धान की फसल को काफी नुकसान हुआ है, जिसका खामियाज़ा किसानों को भुगतना पड़ता है। इसको देखते हुए बिहार सरकार धान की खेती के लिए सिंचाई की वैकल्पिक योजना तैयार करने में लगी है। इसके तहत धान के खेत को किसी भी मौसम में पानी की कमी नहीं होने दी जाएगी। चतुर्थ कृषि रोड मैप के आधार पर धान की खेती के लिए किसानों को पर्याप्त पानी उपलब्ध कराया जाएगा।

अब बिहार सरकार किसानों को बारिश न होने या कम होने की स्थिति में भी धान की सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराएगी। इसके लिए राज्य के जल संसाधन विभाग ने व्यापक कार्य योजना तैयार की है। इस योजना पर कृषि विभाग के साथ समन्वय करके आगे की योजना बनाई जाएगी।

25 लाख हेक्टेयर में उपलब्ध कराई जाएगी सिंचाई योजना

सरकार ने अभी राज्य में 22 से 25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बेहतर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने की योजना बनाई है। इसके लिए अगले महीने से काम शुरू हो जाएगा। इस योजना के तहत नहर तंत्र को मज़बूत किया जाएगा और उसकी वितरणियों को भी दुरुस्त किया जाएगा। हर संभावित खेत तक पानी पहुँचाने के लिए भी प्लान वर्क तैयार किया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर बनाएगी।

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बता दें कि पिछले दिनों सूखे की समीक्षा क्रम में नहरों की दयनीय स्थिति की बात आई थी। यह बात भी सामने आई थी कि सूखे के समय या फिर सिंचाई के लिए ही नहरों की याद आती है। ऐसे पूरे साल नहरों का मेंटेनेस को लेकर कोई कार्य योजना नहीं बनाई जाती है। इसलिए पर्याप्त पानी होने के बाद भी नहरों में पानी का प्रवाह ढंग से नहीं हो पाता।

राज्य में है तीन प्रमुख नहर प्रणाली

बिहार में अभी मुख्य रूप से तीन नहर प्रणाली है जिसमें कोसी नहर प्रणाली, गंडक नहर प्रणाली एवं सन नहर प्रणाली शामिल है। कोसी नहर प्रणाली कोसी नदी के वीरपुर बैराज से पूर्वी व पश्चिमी नहर प्रणाली है। यहाँ से सुपौल, सहरसा, खगड़िया, पूर्णिया, अररिया, कटिहार मधेपुरा व दरभंगा जिले को सिंचाई के लिए पानी मिलता है।

वहीं गंडक नहर प्रणाली से पूर्वी व पश्चिमी चम्पारण, मुजफ्फरपुर, वैशाली, गोपालगंज, सीवान व सारण जिले को सिंचाई के लिए पानी मिलता है। इसके अलावा सोन नहर प्रणाली से औरंगाबाद, गया, अवरल, पटना, रोहतास, कैमूर, बक्सर व भोजपुर ज़िलों को सिंचाई के लिए पानी मिलता है।

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