5 रुपये के कैप्सूल से गेहूं एवं धान की नरवाई से खाद बनाए
किसान अपने खेतों में धान तथा गेहूं की कटाई हार्वेस्टर से कराने लगे हैं | जिसके कारण धान तथा गेहूं की बाली काटने के बाद शेष पौधा बच जाता है , जिसे बाद में आग लगा दी जाती है | आग के कारण खेत की मिट्टी को नुकसान तो होता ही है साथ ही साथ किसानों को नरवाई से आर्थिक नुकसान भी होता है | नरवाई जलने से वायू प्रदूषण बढ़ता है , अक्सर सुनते तथा देखते हैं की हरियाणा में नरवाई जलाने से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ गया है | इसकी रोक थाम के लिए देश में लगातार नरवाई नहीं जलने के लिए निर्देश दिया जाता है | अब तो कुछ राज्यों में नरवाई जलने पर क़ानूनी रोक लगा दी गई है अर्थात नरवाई जलाने पर सजा का प्रावधान है |
आज आपके लिए किसान समाधान एक ऐसी जानकारी लेकर आया है जिसमें नरवाई को 5 रूपये में खाद में बदला जा सकता है | इसके लिए मात्र 5 रुपया खर्च करके एक कैप्सूल की मदद से खेत की नरवाई को खाद में बदल सकते हैं | इसको पूसा ने तैयार किया है इसलिए इस कैप्सूल का नाम पूसा अपघटन टीका रखा गया है |इस कैप्सूल की पूरी जानकारी आप के सामने किसान समाधान लेकर आया है | जिसे आप उपयोग कर के नरवाई जलाने से होने वाले खतरे से बचा सकते हैं |
पूसा अपघटन टीका क्या है :-
विश्वविद्यालय पूसा द्वारा अपघटन टीका एक तरह का डीकम्पोजर है , जिससे धान तथा गेंहू के पौधों के अवशेष का अपघटन कर खाद में तबदील किया जाता है | यह वेस्टडीकम्पोजर की तरह ही कम करता है लेकिन यह कैप्सूल के रूप में है जिसे आसानी से एक जगह से दुसरे जगह लेकर जाया जा सकता है | इसका मूल्य मात्र 5 रुपये है |
इसका उपयोग कैसे करें ?
150 ग्राम गुड़ लें तथा उसे 5 लीटर पानी में मिलायें | मिलाने के बाद सम्पूर्ण मिश्रण को अच्छी तरह उबालें और उसके बाद , उसके ऊपर से सारी गंदगी उतार कर फेंक दें | अब उस मिश्रण को एक चौकोर बर्तन जैसे ट्रे या टब में ठंडा होने के लिए रख दें | जब मिश्रण हल्का गुनगुना हो जायेगा तब आप उसमें 50 ग्राम बेसन मिला दें | बेसन को इस तरह मिलाएं की मिश्रण अच्छी तरह से हो जायें | अब उस मिश्रण में 4 कैप्सूल को तोड़ कर लकड़ी से अच्छी तरह से मिला दें | इसके बाद ट्रे या टब को एक सामान्य तापमान पर रख दें | फिर ट्रे/टब के ऊपर एक हल्का कपड़ा डाल दें |
इस मिश्रण को अब हिलाएं नही तथा छायादार जगह पर रख दें | 2 दिन के अन्दर एक मलाई जमने लग जाएगी तथा उसके ऊपर अलग – अलग रंग के जाले दिखाई देंगे | 10 दिन में आपका कल्चर तैयार हो जायेगा, मिश्रण को अच्छी तरह से मिलाकर एक टन कृषि अवशेष में प्रयोग करें |
अधिक मात्रा में करना हो तो
यदि आप गुड में कल्चर को अपस्केल यानी और ज्यादा करना चाहते हैं, तो पुनःविकास के बाद आप 5 लीटर गुड को उबाल कर फिर से डाल सकते हैं और अच्छी तरह से मिलाकर और 7 दिनों तक विकास के लिए रख सकते हैं |
कम्पोस्ट तैयार करने के बाद अगर अपने 100 किलोग्राम खाद तैयार किया है , उसमें से 20 किलोग्राम कम्पोस्ट को ले और अगले 100 किलोग्राम कृषि अवशेष में मिलाएं और खाद तैयार करें | इस चरण को तब तक दोहराएँ जब तक आप पहली अवधि में कम्पोस्ट प्राप्त न करें | इसका मतलब है कि यदि आपका पहला क्म्पोष्ट 90 दिनों में तैयार होता है | तो कम्पोस्ट स्टार्टर को तब तक प्रयोग करें जब तक आप 90 दिनों में खाद तैयार करते रहते हैं , लेकिन अगर एक बार समय 100 – 120 दिनों में बदल जाता है तो कृपया ताजा कम्पोस्ट इनोकुलम बना कर डालें |
प्रयोग :-
इस बात को जानना जरुरी है की कितना कृषि अवशेष के लिए पानी , गुड, बेसन तथा कैप्सूल की जरुरत पड़ती है | इस बात का ध्यान रखना है की 5 लीटर पानी में 4 कैप्सूल तोड़ें इससे ज्यादा पर इसी अनुपात में कैप्सूल का प्रयोग करें |
- 1 टन कृषि अपशिष्ट के क्म्पोष्ट बनाने के लिए 5 लीटर
- एक एकड़ धान क्षेत्र के लिए ———– 10 लीटर
- 1 एकड़ गेंहू , मुंग आदि के लिए ————– 5 लीटर
एक बोतल से 30 दिन में 1 लाख मैट्रिक टन जैव अपशिष्ट को अपघटित करके खाद तैयार किया जा सकता है |इसकी अधिक जानकरी हम जल्द ही विडियो के माध्यम से आपको देंगे देंगे साथ ही आपको जल्द ही उपलब्ध करवाने का प्रयास किया जा रहा है | आप किसान समाधान के यू-ट्यूब चेनल को सब्सक्राईब करें |
Best H ji
Sir mujhe dhan ki sabse jyada paidabaar dene Vali madham abadhi ki dhan ki variety abam beej kahase Lena hai aur surajmukhi ki fasal ki variety aur beej kaha milega
जिले के कृषि विज्ञान केंद्र या अपने यहाँ के कृषि विभाग में सम्पर्क करें |
ग्राम सेवक जी को कैप्सूल उपलब्ध करवाये कृषि विश्वविधयालय मैं किसान नही जा पाते है
ग्रामसेवक या कृषि विस्तार अधिकारी के पास पहुचाइए
धन्यवाद।।
कृषि विज्ञान केंद्र से ले सकते हैं | आप ग्राम सेवक से कहें |
यह कैप्सूल या दवाई जो भी है कहां मिलेगी कृपया जानकारी उपलब्ध करवाएं मेरा संपर्क सूत्र नंबर है 94 12360 112
जिले के कृषि विज्ञानं केंद्र से या कृषि विश्वविद्यालय से मिलेगी |