बीज वाली मसाला फसलों के लिए जैविक कीटनाशक
देश में किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार की विभन्न संस्थाओं के द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं | किसानों की फसलों की लागत को कम करने के लिए एवं कृषि उत्पादों में रसायनों की मात्रा को कम कर उसे मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए सुरक्षित बनाने के लिए सरकार द्वारा जैविक खेती पर जोर दिया जा रहा है | जैविक खेती से जहाँ फसलों की लागत कम होती है वहीँ इसमें रसायन की मात्रा कम होने के चलते सेहतमंद भी होती है | जैविक खेती को सुगम बनाने के लिए नए नए जैविक उत्पाद तैयार किये जा रहे हैं | अभी हाल ही में कीटनाशक सूत्रीकरण प्रौद्योगिकी संस्थान (आईपीएफटी) ने एक जैविक कीटनाशक तैयार किया है जिसकी मदद से बीज वाली मसाला फसलों में लगने वाले कीटों पर नियंत्रण किया जा सकता है |
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के रसायन और पेट्रो-रसायन विभाग के अंतर्गत आने वाले कीटनाशक सूत्रीकरण प्रौद्योगिकी संस्थान (आईपीएफटी) ने आईसीएआर—राजस्थान के अजमेर में स्थित राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केन्द्र (NRCSS) के साथ मिल कर एंटो-पैथोजेनिक फंगस वर्टिसिलियम लेकेनी पर आधारित जैव-कीटनाशक की नई ऐक्वीअस सस्पेन्शन निर्माण तकनीक सफलतापूर्वक विकसित की।
मेथी, जीरा, धनिया एवं अन्य बीज वाली मसाला फसलों के लिए कीटनाशक
आईपीएफटी के निदेशक श्री जितेंद्र कुमार ने कहा कि यह जैव-कीटनाशक सूत्रीकरण बीज की फसलों मेथी, जीरा और धनिया में विभिन्न कीटों को नियंत्रित करने के लिए बहुत प्रभावी पाया गया है। यह सूत्रीकरण में लंबे समय तक जीवन है, उपयोगकर्ता और पर्यावरण के लिए सुरक्षित है और इसे विशेष रूप से बीज मसाला फसलों में विभिन्न कृषि कीटों को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। इस सूत्रीकरण के लिए पेटेंट आवेदन दायर किया गया है।
आईपीएफटी द्वारा जारी किए गए एक बयान के अनुसार, कई कीटों के कारण बीज वाले मसालें की फसलों को बड़ा नुकसान होता है। कीटों को नियंत्रित करने के लिए, इन फसलों पर बड़ी मात्रा में सिंथेटिक रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है जिसके परिणामस्वरूप बीज मसालों में कीटनाशक अवशेषों का स्तर अधिक होता है इससे मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा होता है। कीटनाशक अवशेषों की समस्या को कम करने के लिए इस जैव-कीटनाशकों को रासायनिक कीटनाशकों के सुरक्षित विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, इसे जैविक खेती और एकीकृत कीट प्रबंधन में कीटों से फसल सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।